स्कूल की बसों का रंग पीला ही क्यों होता है जानिए कारण आपने छोटे स्कूली बच्चो को पीले रंग की बस में जाते हुए देखा ही होगा लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि स्कूल की बसों का रंग पीला ही क्यों होता है सफेद, लाल या नीला क्यों नहीं होता है. आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने भी प्राइवेट स्कूलों को आदेश दिए थे कि स्कूल बस का रंग पीला होना चाहिए. अब आप भी जानना चाहते होंगे कि ऐसी कौन सी खास वजह है जो स्कूल की बस का रंग पीला ही रखने को कहती है तो चलिए जानते हैं
आपको बता दे सिर्फ भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया की स्कूल बसों का रंग पीला होता है. संयुक्त राज्य अमेरिका यानी USA का कानून कहता है कि फ्लेशिंग लाइट और सेफ्टी डिवाइस के साथ साथ स्कूल की बसों का रंग भी पीले रंग का ही होना चाहिए. साल 1939 में डॉक्टर फ्रेंक ने अमेरिका की बसों के मानकों की स्थापना के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया था. इसमें USA की सभी बसों के लिए एक मानक पीला रंग भी शामिल था. इस रंग को नेशनल स्कूल बस क्रोम के नाम से जाना जाता था.
स्टॉप लाइट और स्पॉट लाइट लाल रंग के ही होते हैं कई लोगो का मानना है कि लाल रंग ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है जबकि वास्तव में पीला रंग अन्य रंगों की तुलना में ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है यहां तक कि अगर आप सीधा देख रहे हैं और कोई पीला ऑब्जेक्ट आपके सामने न होकर साइड में रखा हुआ है तो उस पीले ऑब्जेक्ट को आप आसानी से देख सकते हैं. एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि पीले कलर को लाल कलर की तुलना में 1.24 गुना ज्यादा बेहतर देख सकते हैं अँधेरे वातावरण में भी पीला रंग आसानी से देखा जा सकता है. वहीं कोहरे में भी पीले रंग को काफी जल्दी देखा जा सकता है.
भारत की स्कूल बसों की बात करे तो साल 2012 में उच्च न्यायालय ने स्कूल की बसों को लेकर गाइडलाइन जारी की गयी थी जिनके अनुसार बसों के भीतर प्राथमिक उपचार की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए. बसों पर स्कूल का नाम और प्रधानाचार्य का मोबाइल नंबर लिखा होना चाहिए. स्कूल बस चालक का वेरिफिकेशन होना चाहिए इन सबके अलावा बसों की गति की निर्धारण करते हुए उसमें स्पीड गवर्नर होना चाहिए. अगर कोई स्कूल बस इन नियमों को फ़ॉलो नहीं करती है तो आप इसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं.
इस लेख को पढ़ने के बाद अब आप जान गए होंगे कि स्कूल की बसों का रंग पीला क्यों होता है. स्कूल बस का रंग पीला होने से स्कूल बस हादसों में भी गिरावट आयी है. इन्ही सब कारणों से स्कूल बस का रंग पीला निर्धारित किया गया है.
हर रंग की अपनी वेवलेंथ और प्रीक्वेंसी होती है
बतादें कि भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में स्कूल बसों का रंग पीला होता है। इसकी कई खास वजहें है। क्योंकि हमारी जिंदगी में रंग बड़ा रोल निभाते हैं। हर रंग की अपनी वेवलेंथ और प्रीक्वेंसी होती है। इसे के आधार पर हम इन्हें देख पाते हैं। इसके साथ ही हर रंग के अपने अपने आधार होते हैं। जैसे हम लाल रंग को खतरे के तौर पर देखते हैं। उसी प्रकार पीले को हम आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
लाल रंग की वेवलेंथ सबसे ज्यादा होती है
वहीं अगर हम साइंस के नजरिए से रंगों को समझने की कोशिश करें तो इसे हम VIBGYOR यानी (बैनीआहपीनाला) के सिद्धांत से वर्गिकृत करते हैं। बै यानी कि बैंगनी, नी मतलब नीला, आ मतलब आसमानी, ह मतलब हरा, पी मतलब पीला, ना मतलब नारंगी और ला मतलब लाल। इन सातों रंगों में से लाल रंग की वेवलेंथ सबसे ज्यादा होती है, लिहाजा उसे सबसे ज्यादा दूर से देखा जा सकता है। यही कारण है कि लाल रंग का इस्तेमाल खतरे के संकेत या ट्रैफिक लाइट में किया जाता है।
पीले रंग का को धुंध में भी पहचाना जा सकता है
लाल रंग के बाद पीले रंग की वेवलेंथ ही सबसे ज्यादा होती है। इसे भी दूर से देखा और पहचाना जा सकता है। इसी वजह से स्कूल बसों को पीले रंग में रंगा जाता है। ताकि उसकी तरफ लोगों का अटेंशन बना रहे। यही नहीं पीले रंग को बारिश, कोहरा या धुंध में भी पहचाना जा सकता है। पीले रंग का लैटरल पेरीफेरल विजन पीले रंग की तुलना में लगभग सवा गुना ज्यादा होता है।
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