रेडियम की खोज कर, उसे चिकित्सा विज्ञान के लिए वरदानस्वरूप भेंट कर मैडम मैरी क्यूरी ने जो क्रांतिकारी योगदान दिया, उसके लिए सदियों8 सदियों तक मानवता मैडम मैरी क्यूरी की उपकारी रहेगी।
उनके द्वारा आविष्कृत रेडियम की रेडियाई किरणें उनके जीवित रहते लाखों कैंसर रोगियों के रोग निदान का वरदान बन चुकी थीं। रेडियम की किरणों से निकलने वाली किरणें, रेडियो थैरेपी कैंसर का कारगर इलाज बनीं। उन्होंने न सिर्फ रेडियम की खोज की बल्कि रेडियोएक्टिविटी का सिद्धांत भी दिया। उस सिद्धांत को अपनाकर चिकित्सक उसी समय से कैंसर की कोशिकाओं को जलाकर, उसे मृत कर, कैंसर को आगे बढ़ने से रोकने का इलाज पा चुके थे।
मैरी स्क्लोडोवस्का क्यूरी (लघु नाम : मैरी क्यूरी) का जन्म 7 नवम्बर, 1867 ई० को हुआ था। वे विख्यात भौतिकविद् और रसायनशास्त्री थीं। मेरी ने रेडियम की खोज की थी। विज्ञान की दो शाखाओं (भौतिकी एवं रसायन विज्ञान) में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं। वैज्ञानिक मां की दोनों बेटियों ने भी नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। बड़ी बेटी आइरीन को 1935 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव को 1965 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
मेरी का जन्म पोलैंड के वारसा नगर में हुआ था। महिला होने के कारण तत्कालीन वारसा में उन्हें सीमित शिक्षा की ही अनुमति थी। इसलिए उन्हें छुप-छुपाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करनी पड़ी। बाद में बड़ी बहन की आर्थिक सहायता की बदौलत वह भौतिकी और गणित की पढ़ाई के लिए पेरिस आईं। उन्होंने फ्रांस में डॉक्टरेट पूरा करने वाली पहली महिला होने का गौरव पाया। उन्हें पेरिस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनने वाली पहली महिला होने का गौरव भी मिला।
यहीं उनकी मुलाकात पियरे क्यूरी से हुई -
पियरे क्यूरी से हुई जो उनके पति बने। इस वैज्ञानिक दम्पत्ति ने 1898 में पोलोनियम की महत्वपूर्ण खोज की। कुछ ही महीने बाद उन्होंने रेडियम की खोज भी की। चिकित्सा विज्ञान और रोगों के उपचार में यह एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी खोज साबित हुई।
1903 ई० में मेरी क्यूरी ने पी-एच.डी. पूरी कर ली। इसी वर्ष इस दंपत्ति को डियोएक्टिविटी की खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
1911 में उन्हें रसायन विज्ञान के क्षेत्र में रेडियम के शुद्धीकरण (आइसोलेशन ऑफ प्योर रेडियम) के लिए रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भी मिला। इनका निधन 4 जुलाई, 1934 ई० को हुआ।
वह खोज जिससे कैंसर को हराना हुआ आसान
21 दिसम्बर 1898 को पोलैंड की रसायन शास्त्री मैरी स्कोलोडोव्सका क्यूरी और फ्रांस के रसायन शास्त्री पियरे क्यूरी ने रेडियम नाम के रेडियोधर्मी तत्व की खोज की। स्कोलोडोव्सका क्यूरी और पियरे क्यूरी पति-पत्नी थे। इसकी खोज का भी दिलचस्प किस्सा है। जब मैडम क्यूरी ने पिचब्लेंड नाम के तत्व से यूरेनियम अलग कर लिया, उसके बाद भी उनको रेडियोधर्मी तत्व काफी मात्रा में बचा दिखा। उनको लगा कि पिचब्लेंड में कम से कम एक और रेडियोधर्मी तत्व है। क्यूरी ने कई टन पिचब्लेंड का रिफाइन किया तब जाकर बहुत ही कम मात्रा में रेडियम प्राप्त हुआ। यूरेनियम के एक टन अयस्क में मात्र 0.14 ग्राम रेडियम होता है। आइए आज जानते हैं कि रेडियम की खासियत क्या होती है, इसका इस्तेमाल कहां होता है और चिकित्सा विज्ञान में कैसे इसने क्रांति ला दी...
रेडियम, एक परिचय
रेडियम एक चमकने वाली धातु है जो नमक जैसा दिखता है। यह एक रेडियोधर्मी धातु है। रेडियोधर्मी का मतलब होता है कि इसका नाभिकीय केंद्र काफी अस्थिर होता है और बहुत तेजी से यह तत्व टूटता है। टूटने के क्रम में यह कई किरणें छोड़ता है और इससे एक चमक निकलती है।
कहां पाया जाता है?
यह यूरेनियम के अयस्क से प्राप्त होता है। जब यूरेनियम का शुद्धीकरण किया जाता है तो उसके बाईप्रॉडक्ट के तौर पर रेडियम मिलता है। रेडियम का अन्य स्रोत न्यूक्लियर रिएक्टर्स की प्रयुक्त फ्यूल रॉड हैं।
इस्तेमाल
इसकी चमकने वाली प्रवृत्ति के कारण इस्तेमाल खुद से चमकने वाले पेंट, विमान के स्विच, घड़ी के डायल, न्यूक्लियर पैनल, दंतमंजन, बालों की क्रीम आदि में होता था। बाद में स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल परिणाम सामने आए जिस वजह से इसका पेंट, कपड़े, दवाई आदि में इस्तेमाल बंद कर दिया गया।
चिकित्सीय इस्तेमाल
चिकित्सा के मैदान में रेडियम का इस्तेमाल 19वीं सदी में शुरू हुआ। ऐसा पाया गया कि इसमें बीमारियों को ठीक करने का गुण है। चूंकि इससे गामा किरण निकलती है, इसका इस्तेमाल कैंसर के उपचार में किया जाता है।
आपको बता दें कि रेडियम और ब्रोमीन का यौगिक है रेडियम ब्रोमाइड जिसका चिकित्सा के मैदान में काफी इस्तेमाल होता है। मुख्य रूप से छोटे कैंसरों का इलाज करने के लिए इसे इस्तेमाल किया जाता है। कई अस्पतालों में रेडिएशन थेरापी रेडॉन की मदद से की जाती है। रेडॉन एक गैस है जो रेडियम के विघटन से पैदा होती है।
साल 2006 में जर्मनी में रेडियम-224 के साथ क्लोराइड के इंजेक्शन को एक तरह के गठिया रोग के इलाज के लिए मंजूरी दी गई थी। लेकिन हाल के दिनों में इसका इस्तेमाल नहीं होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में रेडियम-224 के साथ प्रयोग करके बिसमथ-212 और लेड-212 तैयार किया गया। इन 2 प्रॉडक्ट का इस्तेमाल त्वचा कैंसर और अंडाशय के कैंसर को दूर करने वाले एंटीबॉडी में होता है।
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