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ग्लूकोज़ की खोज किसने और कब किया

glucose


ग्लूकोज़ (Glucose) या द्राक्ष शर्करा (द्राक्षधु) सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट है। यह जल में घुलनशील होता है तथा इसका रासायनिक सूत्र C6H12O6 है। यह स्वाद में मीठा होता है तथा सजीवों की कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का सर्व प्रमुख स्रोत है। यह पौधों के फलों जैसे काजू, अंगूर व अन्य फलों में, जड़ों जैसे चुकुन्दर की जड़ों में, तनों में जैसे ईख के रूप में सामान्य रूप से संग्रहित भोज्य पदार्थों के रूप में पायी जाती है।

ग्लूकोज़ प्रमुख आहार औषध है। इससे देह में उष्णता और शक्ति उत्पन्न होती है। मिठाइयों और सुराओं के निर्माण में भी यह व्यवहृत होता है। ग्लाइकोजन के रूप में यह यकृत और पेशियों में संचित रहता है। इसका अणुसूत्र (C6 H12 O6) और आकृतिसूत्र है:

(CH2 OH. CHOH. CHOH. CHOH. CHOH. CHO)

ग्लूकोज़ (Glucose) को द्राक्षा, शर्करा और डेक्सट्रोज भी कहते हैं। यह अंगूर और अंजीर सदृश मीठे फलों, कुछ वनस्पतियों और मधु में पाया जाता है। अल्प मात्रा में यह रक्त और मूत्र (विशेषत: मधुमेह-रोगी के मूत्र) सदृश जांतव उत्पादों, लसीका (lymph) और प्रमस्तिष्क मेरुतरल (cerebrospinal fluid) में भी पाया जाता है। स्टार्च, सेलुलोज, सेलोबायोस और माल्टोज़ सदृश कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज़ से ही बने हैं। चीनी और दुग्धशर्करा जैसी कुछ शर्कराओं में अन्य शर्कराओं के साथ यह संयुक्त पाया जाता है। प्राकृतिक ग्लूकोसाइडों का यह आवश्यक अवयव है।

तनु सलफ्यूरिक अम्ल द्वारा स्टार्च के जलविश्लेषण से बड़ी मात्रा में ग्लूकोज़ तैयार किया जाता है। अल्प मात्रा में प्रयोगशालाओं में चीनी से यह तैयार हो सकता है। कृत्रिम रीति से भी इसका संश्लेषण हुआ है।

ग्लूकोज़ का  गुणधर्म-

ग्लूकोज़ ऐल्फा और बीटा रूपों में पाया जाता है। सामान्य ग्लूकोज़ अम्ल दशा में 146.5 डिग्री सें. पर और जलयोजित रूप में 86 डिग्री सें. पर पिघलता है। यह दक्षिणवर्ती होता है। तुरंत के तैयार विलयन का विशिष्ट घूर्णन (a) क़् उ अ 109.6 डिग्री हेत है, पर धीरे-धीरे घूर्णन कम होकर अ 52.5 पर स्थायी हो जाता है। ऐल्फा-ग्लूकोज़ का विशिष्ट घूर्णन अ 109.6 डिग्री और बीटा का अ 17.5 डिग्री है। सामान्य ताप पर ऐसीटिक अम्ल के मणिभीकरण से ऐल्फा रूप और पिरिडिन के विलियन के मणिभीकरण से बीटा रूप प्राप्त होता है। वामवर्ती ग्लूकोज़ भी प्राप्त हुआ है। यीस्ट से ग्लूकोज़ का किण्वन सरलता से होता है।

ग्लूकोज़ की खोज किसने की थी-

ग्लूकोज का सेवन शरीर में पानी की कमी को दूर करने तथा ताकत प्राप्त करने के लिए होता है। 1811 में फ्रांस के एक रसायन वैज्ञानिक किरचोफ को अपने किसी प्रयोग के लिए गोंद की जरूरत थी। उन्हें एकदम से गोंद नहीं मिल पाया। अतः किरचोफ को मालूम था कि यदि स्टॉर्च को शुष्क अवस्था में आग पर गर्म करें तो गोंद जैसा पदार्थ प्राप्त होता है। किरचोफ ने तुरंत ही स्टॉर्च से गोंद प्राप्त करने की सोची।

किरचोफ ने जब गोंद को प्राप्त करने के लिए शुष्क स्टॉर्च को सल्फ्यूरिक ऐसिड (तनु) के साथ उबाला। कुछ देर उबालने के बाद उन्होंने प्लेट की ओर देखा तो उसमें जो विलयन शेष बचा, उसमें गोंद के गुण तो थे, लेकिन स्वाद में वह मीठा भी था। बाद में जब आयोडीन-परीक्षण किया गया तो मालूम हुआ कि विलयन का समस्त स्टॉर्च शर्करा में बदल गया। इस प्रकार 'ग्लूकोज' का आविष्कार हुआ।

किरचोफ की इस खोज का लाभ सबसे पहले फ्रांस को मिला। उन दिनों फ्रांस अंग्रेजी सेना के नाविकों से घिरा हुआ था। उनके पास तक आसानी से शक्कर पहुँचाना मुश्किल था। इसलिए किरचोफ की स्टॉर्च से शर्करा प्राप्त करने की विधि प्रचलित हुई। 1903 में प्राडस्ट नामक वैज्ञानिक ने भी अंगूर से ग्लूकोज का निर्माण किया था। अंगूर से जब ग्लूकोज बनाया जाता था तो काफी महँगा पड़ता था। इसलिए किरचोफ की विधि ही सबने पसंद की।


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