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पोलियो वैक्सीन की खोज किसने और कब किया ?

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पोलियो वैक्सीन की खोज किसने की थी जाने इतिहास : पोलियो का नाम तो सूना होगा लेकिन आज जाने पोलियो वैक्सीन की खोज किसने और कब की थी जाने पोलियो क्या है

पोलियो वैक्सीन की खोज किसने की थी जाने इतिहास : पोलियो का नाम तो सूना होगा लेकिन आज जाने पोलियो वैक्सीन की खोज किसने और कब की थी जाने पोलियो क्या होता है। 

पोलियो वैक्सीन क्या है जानकारी 

पोलियो एक रोग है जो विषाणु द्वारा फेलता है यह रोग ज़्यादातर बच्चो मे पाया जाता है । लेकिन जरूरी नहीं की यह रोग केवल बच्चो को हो यह व्यस्को को भी हो सकता है ।  व्यस्कों मे रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है इसलिए बच्चो की तुलना मे यह रोग वयस्को को कम होता हैं।  पोलियो रोग मे वायरस संकर्मण पाये जाते है । इसलिए यह रोग एक दूसरे के संपर्क मे आने से भी हो सकता है । यह रोग अस्वच्छ भोजन, मल पदार्थ, जल के संकर्मण से हो सकता है ।  इस बीमारी का असर विकलांगता के रूप मे दिखाई दे सकता है साथ ही यह लाइलाज बीमारी है।  इस बीमारी से बचना है एक मात्र उपाय है.। 

पोलियो वैक्सीन की खोज किसने की थी ? 

पोलियो एक तरह की बिमारी है इसलिए इसका इलाज करने के लिए पोलियो का ड्राप खोज किया।  पोलियो की खोज हमारे लिए एक वरदान है क्योकि पोलियो को पूरी तरह से खंत्म करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है महान वैज्ञानिक हिलैरी कोप्रोव्यस्की ने वैक्सीन को बनाया या अविष्कार किया था ।  जो एक ड्रॉप के रूप मे बच्चो को पिलाया जाता है इसके 2 साल बाद वैज्ञानिक जोनास साक ने पोलियो वैक्सीन इंकजेकसन की खोज की थी। 

पोलियो के लक्षण क्या है-

अधिकतर अधिकतर पोलियो के लक्षण का पता नहीं चल पाता लेकिन अन्य तरह के लक्षण इस तरह के होते है. हल्के संक्रमण की पहचान -
  • पेट दर्द
  • उल्टी
  • गले मे दर्द
  • धीमा बुखार
  • डायरिया [ अतिसार ]
  • सिर दर्द
मस्तिष्क और मेरुदंड का मध्यम संक्रमण की पहचान -
  1. मध्यम बुखार
  2. गर्दन की जकड़न 
  3. मांस-पेशियाँ नरम होना तथा विभिन्न अंगों में दर्द होना जैसे कि पिंडली में (टांग के पीछे) 
  4. पीठ में दर्द 
  5. पेट में दर्द 
  6. मांस पेशियों में जकड़न 
  7. अतिसार (डायरिया) 
  8. त्वचा में दोदरे पड़ना 
  9. अधिक कमजोरी या थकान होना
  10. मस्तिष्क और मेरुदंड का गंभीर संक्रमण की पहचान 
  11. मांस पेशियों में दर्द और पक्षाघात शीघ्र होने का खतरा (कार्य न करने योग्य बनना) जो स्नायु पर निर्भर करता है (अर्थात् हाथ, पांव) 
  12. मांस पेशियों में दर्द, नरमपन और जकड़न (गर्दन, पीठ, हाथ या पांव) गर्दन न झुका पाना, गर्दन सीधे रखना या हाथ या पांव न उठा पाना 
  13. चिड़-चिड़ापन 
  14. पेट का फूलना 
  15. हिचकी आना 
  16. चेहरा या भाव भंगिमा न बना पाना
  17. पेशाब करने में तकलीफ होना या शौच में कठिनाई (कब्ज) 
  18. निगलने में तकलीफ 
  19. सांस लेने में तकलीफ 
  20. लार गिरना 
  21. जटिलताएं 
  22. दिल की मांस पेशियों में सूजन, कोमा, मृत्यु
पोलियो का उपचार कैसे करे ?
पोलियो से बचने के लिए टीका लगाया जाता है और इस का आविष्कार डॉ. शाक द्वारा किया गया यह इंजेक्शन अन्तः पेशियो मे लगाया जाता है।  पोलियो एक व्यक्ति से व्यक्ति मे फेल सकता है इसलिए पोलियो रोगी का ज्वर उतरने के बाद कम से कम 3 सप्ताह अलग रखना चाहिए साथ ही रोगी के मल मूत्र तथा शरीर से निकलने वाले अन्य छीजो की सफाई रखनी चाहिए | पोलियो मे डीडीटी का टीका बहुत लाभकारी होता है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर की परामर्श जरूर ले। 


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