जिहाद या जेहाद एक अरबी भाषा का शब्द है और इस्लाम से सम्बन्धित है यह मुसलमानों का एक मजहबी कर्तव्य है , अरबी में इसके दो अर्थ हैं - सेवा और संघर्ष।
जिहाद शब्द कुरान में बार-बार आता है।
वह व्यक्ति जो जिहाद करता है उसे मुजाहिद (अनेकों को मुजाहिदीन ) कहते हैं, आरम्भ से ही जिहाद का कांसेप्ट दुनिया में विवाद का विषय रहा है , इस्लाम में इसकी बड़ी अहमियत है ,इस्लाम में दो तरह के जेहाद बताए गए हैं --
( 1) जेहाद अल असगर यानी छोटा जेहाद अर्थात आम जिहाद यानि इस्लामिक सशस्त्रीकरण वाला लडाकू संघर्ष जो ही आमतौर पर चल रहा है, चलता रहा है और टीवी पर इन दिनों तारिक फतेह भी इस जेहाद अल अकबर को आम जेहाद कह कर ही संबोधित करते हैं तब मौलाना अंसार रजा सरीखे KGN Foundation की सूफी नकाब पहने लीचड जिहादी कट्टरपंथी बेनकाब हो जाते हैं आदर्श Liberal सहिष्णुता का बुरका उतार कर।
जेहाद अल असग़र का उद्देश्य इस्लाम के संरक्षण के लिए संघर्ष करना होता है, जब इस्लाम के अनुपालन की आज़ादी न दी जाए, उसमें रुकावट डाली जाए, या किसी मुस्लिम देश पर हमला हो, मुसलमानों का तथाकथित शोषण किया जाए, उन पर तथाकथित अत्याचार किया जाए तो उसको रोकने की सशस्त्र कोशिश करना और उसके लिए बलिदान देना जेहाद अल असग़र है, इसी जेहाद का गैर-मुसलमानों पर बहुत बुरा असर पडा है और अपनी चिरपरिचित मजहबी असहिष्णुता को काम ले कर यही जिहाद चल रहा है।
(2) जेहाद अल अकब़र यानी बडा जेहाद अर्थात निजी मुस्लिम जेहाद अर्थात् निजी जेहाद - सेवा वाला जिसकी आड़ ले कर आम मुसलमान प्रवक्ता, मौलाना रजा सरीखे लोग, परिभाषा बदल कर बचने की फिराक रखते हैं हम हिन्दुओं को बेवकूफ बनाने हेतु, और हमारे प्रवक्ता रूपी बुद्धिपिशाच बकैत हाथ में पकडे इंटरनेटी मोबाईल का उपयोग शायद ट्विटरी के अतिरिक्त करना जानते भी नहीं अत: वो इस झूठ को ना काट पाते हैं ना ही काऊंटर कर पाते हैं।
जेहाद अल अकबर अहिंसात्मक संघर्ष है जिसमें आदमी अपने सुधार के लिए प्रयास करता है। इसका उद्देश्य है बुरी सोच या बुरी ख़्वाहिशों को दबाना और कुचलना बस यही कोई मुसलमान नहीं करता लेकिन छोटे जिहाद को बचाने, मुसलमानों की असहिष्णु सांप्रदायिकता और कुकर्मों को छिपाने के लिये इस बडे जिहाद की परिभाषा काम में ले कर बचाव वक्तव्य दिये जाते हैं, बिलकुल वही तरीका कुरान 5:32 यानि कुरान सूरह 5 अल माइदाह , आयत 32 के आधे अधूरे अर्थ वाला जो आयत मुसलमानो के लिये नहीं बल्कि बनी इस्राईल - यहूदियों के लिये थी।
★★ जेहाद में हर वह काम वैध बन जाता हैं जिसे इंसान अपराध या गलत , गुनाह मानता हैं इसी लिये जेहादियो के मन में कोई डर या संकोच नहीं होता ,ना ही अपराधभाव, क्योंकि इस्लाम की यही शिक्षा है।
विस्तारपूर्वक जानकारी हेतु गंभीर पाठकगण डेनियल पाईप्स का हिन्दी में अनुवाद किया लेख पढें जिसका लिंक नीचे दे रहा हूँ - ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में जिहाद द्वारा डैनियल पाइप्स , न्यूयार्क 31 मई, 2005
http://yugkipukar.blogspot.in/2008/01/blog-post_9780.html?m=1
एक जेहाद और है -
( 3) जिहाद अल निकाह इस्लाम धर्म की एक और अवधारणा है जिसके तहत कोई मुस्लिम महिला विवाहेतर शारीरिक संबंध बना सकती है, जिहाद को न्यायोचित तरीका मानने वाले कुछ सलफ़ी सुन्नी मुस्लिम संगठन जिहाद अल-निकाह का समर्थन करते हैं !
जाने क्या है और पढ़े यूनियनपीडिया- जिहाद अल निकाह
हाल के समय में खाड़ी के अधिकांश समाचारपत्रों ने "जिहाद अल-निकाह " का पूर्णरूपेण खंडन किया है, बिलकुल वही तरीका जो कॉन्ट्रेक्ट निकाह यानि मुताह के खंडन में शिया और सुन्नी मुसलमान काम लेते हैं, किंतु इस्लाम में वेश्यावृत्ति - व्याभिचार को धार्मिक जामा पहनाने का मुताह तरीका भी प्रचलित है, बस हर बात के गलत प्रचलन, कट्टरपंथी असामाजिक साबित होने पर, पोल खुलने पर उलेमा - मौलाना समेत प्रवक्ताओं द्वारा खंडन करा दो क्योंकि मान्यता यही है कि सबूत कैसे लाओगे आरोप लगाने वाले काफिरों ?
वैसे प्रमाण स्वरूप एक लिंक दे रहा हूँ नीचे वो भी बीबीसी का, जाने क्या कहता है जिहाद अल निकाह पर -बी बी सी - http://www.bbc.com/hindi/international/2013/09/130922_jihad_al_nikah_rns.shtml
ट्यूनीशिया: महिलाओं का जिहाद-अल-निकाह
ट्यूनीशिया के गृहमंत्री ने देश की नेशनल एसेंबली में कहा है कि ट्यूनीशिया की महिलाएँ सीरिया जाकर अपनी मर्ज़ी से असद सरकार विरोधी विद्रोहियों के साथ शारीरिक संबंध बना रही हैं.
समाजार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ ट्यूनीशिया के गृहमंत्री लोत्फी बेन जेदाऊ ने सांसदों को बताया है, "ये महिलाएँ 20, 30, 100 जिहादियों के साथ शारीरिक संबंध बनाती हैं. महिलाएँ ये संबंध "जिहाद अल-निकाह" के नाम पर बनाती हैं और गर्भवती होकर ट्यूनिशिया वापस लौटती हैं."
यह बयान देते हुए बेन जेदाऊ ने यह साफ़ नहीं किया कि ट्यूनीशिया से सीरिया जाने वाली महिलाओं की तादाद कितनी है.
उन्होंने यह भी नहीं बताया कि अब तक कितनी महिलाएँ ट्यूनीशिया से गर्भवती होकर लौटी हैं.
सलाफ़ियों का समर्थन
"जिहाद अल-निकाह" की अवधारणा के तहत कोई मुस्लिम महिला विवाहेतर शारीरिक संबंध बना सकती है.
"जिहाद अल-निकाह" को कुछ सलाफ़ी सुन्नी मुस्लिम संगठनों का समर्थन प्राप्त है. जिनका मानना है कि यह जिहाद का एक न्यायोचित तरीका है.
गृहमंत्री के बयान के बाद ट्यूनीशिया के महिला मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि "जिहाद अल-निकाह" के लिए सीरिया जाने वाली महिलाओं की बढ़ती तादाद पर नियंत्रण के लिए योजना बनाई जा रही है.
महिला मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, "मंत्रालय "जिहाद अल-निकाह" को बढ़ावा देने वालों को हतोत्साहित करने के लिए प्रस्तुत सरकारी या ग़ैरसरकारी योजनाओँ को पूरी मदद देगा."
मंत्रालय ने यह भी कहा है, "मंत्रालय ऐसी योजना लाएगा जिसके तहत महिलाओं को इस कवायद के ख़तरों के प्रति आगाह करने, संवेदनशील बनाने और शिक्षित बनाने का कार्य किया जाएगा."
ट्यूनीशिया के मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार देश से सैकड़ों महिलाएँ "जिहाद अल-निकाह" के लिए सीरिया जा रही हैं. इन ख़बरों में यह भी कहा गया है कि ट्यूनिशिया के युवक भी भारी तादाद में असद सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए सीरिया जा रहे हैं.
हालाँकि बेन जेदाऊ ने कहा है कि इस साल मार्च में गृहमंत्री बनने के बाद उनकी सरकार ने छह हज़ार युवकों को सीरिया जाने से रोका है.
इन मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्यूनीशिया के सैकड़ों नौजवान पिछले 15 साल में मुख्यतः तुर्की या लीबिया के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान, इराक़ और सीरिया में लड़ने के लिए गए हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार ट्यूनीशिया के प्रमुख सलाफ़ी आंदोलन अंसार अल-शरिया के नेता अबु इयाद की पिछले दस साल में ट्यूनीशिया और अफ़ग़ानिस्तान के अमरीकी दूतावासों पर हमलों में प्रमुख भूमिका रही है.
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