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हाइड्रोजन बम का आविष्कार किसने और कब किया ?

 
hydrogen

दोस्तों, हम पहले ही परमाणु बम के आविष्कार एवं उसके विकास के इतिहास के विषय में जान चुके है। अब यहां हम H-बम की खोज के बारे में जानेंगे। जब वैज्ञानिकों ने मैनहैटन प्रोजेक्ट के तहत परमाणु बम का विकास सफलतापूर्वक कर लिया तब उन्होंने नाभिकीय हथियारों के अगली पीढ़ी की रूप में ‘हाइड्रोजन बम’ का आविष्कार किया, जो कि परमाणु बम से कई गुना शक्तिशाली एवं विनाशक था । लेकिन Hydrogen bomb ka avishkar kisne kiya tha और कब? तो हम बता दे कि, इस बम को बनाने वाले पहले वैज्ञानिक थे – एडवर्ड टेलर (Edward Teller)।

एडवर्ड टेलर हंगेरियन मूल के अमेरिकी सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी थे। इन्ही के नेतृत्व में 1 नवंबर, 1952 में प्रशान्त महासागर में स्थित प्रवाल द्वीप समूह Enewetak के एक द्वीप पर इस बम का प्रथम परीक्षण किया गया था तथा इस परीक्षण का नाम Ivy Mike रखा गया था।

हाइड्रोजन बम कैसे काम करता है? और यह परमाणु बम से कैसे अलग है?

इस बम में इतनी विशाल मात्रा में ऊर्जा उसी प्रक्रिया से उत्पन्न होती है जिस प्रक्रिया से हमारा सूर्य भी अनंत ऊर्जा उत्सर्जित करता है यानी ‘नाभिकीय संलयन’। संलयन की इस प्रक्रिया में श्रृंखला अभिक्रिया (chain reaction) भी शामिल होती है। इस श्रृंखला अभिक्रिया में हाइड्रोजन के दो समस्थानिक – ड्यूटेरियम तथा ट्रिटियम अत्यंत उच्च ताप पर संघटित होकर हीलियम का निर्माण करते है। इस अभिक्रिया के लिए उच्च ताप नाभिकीय विखण्डन (fission) द्वारा उत्पन्न किया जाता है। श्रृंखला अभिक्रिया के कारण ही यह नाभिकीय हथियार इतनी विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न कर पाता है।

मूलरूप से, एक H-बम और एटम बम से ऊर्जा उत्पन्न करने के तरीके में भिन्नता होती है।

एक ओर जहां H-बम में संलयन की प्रक्रिया से दो हल्के परमाणु नाभीकों को संघटित करके एक भारी नाभिक का निर्माण किया जाता है, जिससे एटम बम की तुलना हजारों गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। वही दूसरी ओर एटम बम में भारी परमाणु नाभिकों का विखण्डन करके दो हल्के नाभिकों में विभाजित किया जाता है, जिसके कारण यह H-बम की तुलना में कई गुना कम उर्जा पैदा करता है और इसके विस्फोट का प्रभाव भी कम होता है।

वर्तमान में विश्व के किन देशों के पास हाइड्रोजन बम है?

वर्तमान में दुनिया के 9 देश सफलतापूर्वक थर्मोन्यूक्लियर बमों का परीक्षण कर चुके हैं। अभी हाल ही में इस सूची में उत्तर कोरिया का भी नाम शामिल हो गया है।

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) – अमेरिका विश्व का ऐसा पहला देश है जिसने 1952 में इस बम का पहला परीक्षण किया ।
  2. रूस (Russia) – रूस दुनिया का दूसरा देश है जिसने 1954 में इस बम को बनाया था।
  3. इंग्लैंड (United Kingdom) – यह दुनिया का तीसरा देश है जिसने अक्टूबर , 1957 में इस बम का परीक्षण गुप्त नाम – Operation Grapple से किया था।
  4. चीन (China) – यह विश्व का चौथा देश है जिसने 1967 में इस बम का परीक्षण किया।
  5. फ्रांस (France) – फ्रांस ने अगस्त, 1968 में इस बम का परीक्षण किया।
  6. भारत (India) – भारत ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत 1998 में इस बम का सफल परीक्षण किया।
  7. इजराइल तथा पाकिस्तान ने थर्मोन्यूक्लियर बम का प्रथम परीक्षण किस वर्ष किया था यह अभी तक साफ नहीं हो सका है।
  8. उत्तर कोरिया (North Korea) – इस सूची में उत्तर कोरिया का नाम अभी दो वर्ष पूर्व में ही जोड़ा गया है। उत्तर कोरिया ने इस बम के लघु रूप का परीक्षण 6 जनवरी, 2016 को पूरा किया है।

हाइड्रोजन बम में ईंधन के रूप में किस चीज का उपयोग किया जाता है?

हाइड्रोजन बम में थर्मोन्यूक्लियर ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के भारी समस्थानिक ड्यूटेरियम और ट्रिटियम का उपयोग किया जाता हैं।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य…

  • H-Bomb एटम बम की तुलना में 100 से 1000 गुना तक अधिक शक्तिशाली हो सकता है।
  • एटम बम की विस्फोटक क्षमता (explosive yield) को मापने की इकाई ‘किलोटन’ है। जहां प्रत्येक किलोटन 1000 टन टीएमटी की विस्फोटक क्षमता के बराबर होता हैं। वही, हाइड्रोजन बम की विस्फोटक क्षमता ‘मेगाटन’ में मापा जाता है। जहां प्रत्येक मेगाटन 10 लाख टन टीएमटी के विस्फोटक क्षमता के बराबर होता हैं!
  • 1952 में जिस पहले H-बम का परीक्षण अमेरिका द्वारा किया गया था उसकी क्षमता जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए एटम बम की तुलना में 1000 गुना अधिक थी तथा द्वितीय विश्व-युद्ध में प्रयोग हुए कुल बमों की विस्फोटक क्षमता से दो गुना अधिक थी।
  • वायुयान से हाइड्रोजन बम को 10,000 फीट की ऊंचाई से गिराकर पहला परीक्षण अमेरिका द्वारा 20 मई, 1956 को नामू द्वीप पर किया गया था, जिसकी विस्फोटक क्षमता 1.5 करोड़ टन टीएनटी के बराबर थी। इससे उत्पन्न हुए आग के गोले की चौड़ाई लगभग 6 किमी. थी तथा यह 500 सूर्यों से भी ज्यादा चमकीला था।
  • वर्ष 1980 तक पूरी दुनिया के देशों के आयुधशालाओं में लगभग 40,000 थर्मोन्यूक्लियर हथियारों और उपकरणों को संचित करके रखा गया था, जिनकी संख्या 1990 तक 10,000 से भी कम हो गई।


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