ग्रामोफोन का शुरूआती नाम फोनाटोग्राफ था। आगे चलकर विश्वप्रसिद्ध अमेरिकी आविष्कारक थॉमस अल्वा एडीसन ने इसे फोनोग्राफ का नाम दिया। उससे आगे चलकर इसने ग्रामोफोन नाम पाया।
आइए, पहले इसके शुरूआती नाम फोनाटोग्राफ से ही इसकी जानकारी लेते हैं। अमेरिकी वैज्ञानिक लियन स्कॉट ने सन् 1857 ई० में एक ऐसे यंत्र का आविष्कार किया जिसके द्वारा ध्वनि का अभिलेख किया जा सकता था। इस यंत्र फोनोटोग्राफ में एक झिल्ली थी, झिल्ली के पतले सिरे पर एक कीप तनी होती थी। उत्तोलक की नोक एक ऐसे बेलन पर लाई जाती थी जिस पर एक कागज लिपटा होता था और कागज पर कालिख पुती होती थी, बेलन एक बहुत सूक्ष्म पेंच से लगा होता था, जो बेलन के घूमने पर क्षैतिज दिशा में चलता था। जब झिल्ली पर ध्वनि पड़ती थी और बेलन घुमाया जाता था तब चिन्हक कागज के काले पृष्ठ पर सर्पिल रेखा बन जाती थी। इस प्रकार ध्वनि का अभिलेखन कर लिया जाता था।
लियन स्कॉट का फोनाटोग्राफ व्यावसायिक महत्व न पाकर उसके आविष्कार के कक्ष तक ही सीमित रहा।
एडिसन ने सन् 1876 ई० में लियन स्कॉट की उस अभिलिखित ध्वनि के काम को आगे बढ़ाया। उसमें सुधार कर उसे फोनोग्राफ के नाम से पेटेन्ट कराया। उसके पेटेन्ट विवरण के प्रथम रेखाचित्र में एक बेलनाकार रिकॉर्ड था, जो काजल से पुते एक कागज के रूप में था। यह कागज एक ढोल पर लिपटा था। इस पर सुई क्षैतिज दिशा में चलती थी और काजल को हटकार एक सर्पिल रेखा बनाती थी।
पुनरुत्पादन के लिए एडिसन ने रिकॉर्ड की नकल यंत्रिक ढंग से, खुदाई या कटाई प्रतिरोधी पदार्थ पर की; जिस पर सर्पिल रेखा गहरी थी। अभिलिखत ध्वनि को उत्पन्न करने के लिए रिकॉर्ड एक ड्रम पर लपेटा जाता था और सुधार करते हुए एडिसन ने बेलन पर टिन की पन्नी की परत लगाई। जब छोटे बेलन में ध्वनि का प्रवेश कराकर झिल्ली को कंपायमान किया जाता था तब बेलनों के दबाव से विभिन्नता के कारण खांचे को तल में पन्नी पर चिन्हक द्वारा गहराइयों की खुदाई हो जाती थी। यह खुदाई ध्वनि तरंगों के अनुरूप हो जाती थी।
एडिसन ने काफी समय तक अपने फोनोग्राफ में एक के बाद एक सुधार कर उससे व्यावसायिक रूप से बहुत-सा धन कमाया और आगे चलकर 1887 ई० में इमाइल बर्नियर नामक वैज्ञानिक ने इसे सुविधाजनक, आकर्षक और सभी के लिए उपयोगी यंत्र बनाया, जिसे ग्रामोफोन नाम दिया। सन् 1950-60 ई० तक हम जिस ग्रामोफोन का रूप देखते हैं, वह फोनाटोग्राफ, फोनाटोग्राम के लगातार सुधारे जाते रूप के नतीजे में ग्रामोफोन की शक्ल में सामने आया।
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