दोस्तो हमारे दैनिक जीवन मे बैटरी का बहुत ज्यादा उपयोग होता है । बिना बैटरी के लगता है कि हमारे जीवन की बैटरी भी खत्म हो गई है । आज हम बैटरी पर इतने ज्यादा निर्भर हो गए है कि बिना बैटरी के तो जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल।लगता है । आज हमारे फोन को चलाने के लिए बैटरी की आवश्यकता होती है । अंधेरे में देखने के लिए भी बैटरी की आवश्यकता होती है । घर के उपकरणों को चलाने के लिए भी बैटरी की आवश्यकता होती है । जीवन के लगभग हर क्षेत्र में हम बैटरी पर बहुत ज्यादा निर्भर है । जिस कंप्यूटर या लैपटॉप की सहायता से हम अपने आफिस या बिज़नेस को सम्हालते है वह भी बिना बैटरी के सम्भव नही है । दोस्तो जब बैटरी इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण है तो मन मे प्रश्न का उठना स्वभाविक है कि बैटरी का अविष्कार किसने किया ? पहली बैटरी कैसी थी ऐसे अनेक प्रश्न मन मे उठते है । आपके इस प्रकार के हर प्रश्न का जवाब आपको इस आर्टिकल में मिलेगा।
बैटरी क्या है ? –
यह एक प्रकार का स्टोर बॉक्स है । जिंसमे विद्युत ऊर्जा को स्टोर किया जाता है । यह एक ऐसी युक्ति है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित कर देती है । यह रासायनिक अभिक्रिया द्वारा संचालित होती है जिसे विद्युत ऊर्जा प्रवाहित करके विद्युत ऊर्जा को स्टोर किया जाता है । यह एक प्रकार से रासायनिक रिएक्टर है । आज इन्ही रासायनिक रिएक्टर की मदद से हम मीलों दूर की यात्रा इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ पूरी कर सकते है । आज के समय मे बैटरियां अनेक प्रकार के आकार में उपलब्ध है । ये पेंसिल के आकार से लेकर 2000 वर्ग मीटर तक कि बड़ी हो सकती है । दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी अलास्का में लगाई गई है जो 12000 लोगो के घरों को इमरजेंसी में 7 मिनट के लिए विद्युत ऊर्जा की पूर्ति देने के लिए है ।
बैटरी का आविष्कार –
दोस्तो दुनिया मे पहली बार बैटरी शब्द का उपयोग वैज्ञानिक बैंजामिन फ्रैंकलिन ने किया था । उन्होंने सन 1749 में पहली बार इस शब्द का प्रयोग किया था जब वे एक कैपेसिटर को लिंक करके विद्युत ऊर्जा के साथ प्रयोग कर रहे थे ।
ये बात तो सिर्फ पहली बार बैटरी शब्द के उपयोग के लिए हैं । लेकिन दोस्तो आज काम आने वाली बैटरी की नीम पहली बार 1800 में एक इतावली वैज्ञानिक एलेक्जांद्रो वोल्टा ने की थी । उनके द्वारा निर्माण कि गई इस बैटरी को हम वोल्टा सेल भी कहते है । वोल्टा ने तांबा और जस्ता की छड़ो को खारे में पानी मे भिगोकर उन्हें अलग अलग कर दिया और उन दोनों छड़ो को जोड़कर विद्युत धारा का प्रवाह किया । इस सेल के 0.79 वोल्ट की धारा प्रवाहित हो रही थी ।
सन 1836 में पहली बार ऐसी बैटरी बनाने में कामयाबी हासिल की गई जिसे बार बार चार्ज किया जा सकता था । पहली बार लीड एसिड की बैटरी का निर्माण किया गया । इस बैटरी को लेड और एसिड तकनीक के साथ बनाया गया था । आज भी इस प्रकार की बैटरी का उपयोग कार में किया जाता हैं । यह रिजार्जेबल बैटरी का सबसे पुराना मोडल है और उदाहरण भी हैं ।
आज तो बहुत बहुत बड़ी बैटरियों का निर्माण किया जाता है । जिनसे मेगावाट में बिजली प्राप्त की जाती हैं । जैसे सोलर पैनल के साथ लगी बैटरी और बड़े बड़े पावर सब स्टेशन में लगी बैटरियां जो पूरे शहर को बिजली आपूर्ति की गारंटी देती है । आज बटन के आकार की बैटरियों का निर्माण भी किया जाता है । जिसकी सहायता से घड़ी को चलाया जाता है । घड़ी को चलाने के लिए पेंसिल के आकार की बैटरी का निर्माण भी काफी अधिक मात्रा में किया जाता है ।
आज कल बैटरियां अनेक प्रकार की रासायनिक और भौतिक अभिक्रियाओं के माध्यम से तैयार की जाती है । जिनसे 0.1 वोल्ट से लेकर 3.7 वोल्ट तक कि ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। श्रृंखना में बैटरी की कोशिकाओं को जोड़ने से उससे अधिक वोल्ट की विद्युत धारा प्राप्त की जा सकती है । जबकि उनका समानांतर क्रम में किया गया कनेक्शन उनकी आपूर्ति को बढ़ाता है । इन सिद्धान्त का उपयोग करके अनेक प्रकार की और मेगावाट की बैटरियों का निर्माण आसानी से किया जा सकता है ।
प्राथमिक रिचार्जेबल बैटरी –
जब रासायनिक अभिक्रियाओं को उल्टा नही किया जा सकता है तो अभिक्रियाओं को प्राथमिक अभिक्रिया कहते है । बिल्कुल ऐसे ही बैटरी में प्रवाहित होने वाले इलेक्ट्रॉनों के मार्ग को बदला नही जा सकता तो इस प्रकार बनने वाली बैटरियों को प्राथमिक बैटरी कहते है । सबसे आम प्राथमिक बैटरी जस्ता कार्बन बैटरी हैं । जब एलेक्ट्रोलाइट में एक क्षार होता है तो बैटरी काफी लंबे समय तक चलती है लेकिन इस प्रकार की बैटरी का निस्तारण काफी महंगा और पर्यावरण पर बुरा असर डालने वाला होता है । ईसलिये इन्हें वापस चार्ज करने का एक तरीका खोजा जिससे पहली बार प्राथमिक रिचार्जेबल बैटरी का निर्माण किया गया ।
पहली प्राथमिक रिचार्जेबल बैटरी का निकल कैडमियम बैटरी थी । जिंसमे एक क्षार इलेक्ट्रोड का उपयोग भी किया गया था । 1989 में मेटल निकेल हाइड्रोजन बैटरियों का अविष्कार किया गया । ये निकल कैडियम बैटरी से ज्यादा लंबे समय तक काम आने वाली बैटरी थी । लेकिन इसके साथ एक समस्या ये थी ये चार्जिंग के प्रति ज्यादा संवेदनशील थी । यानी कि ये ओवरहीटिंग या ओवरचार्जिंग की वजह से खराब हो सकती थी या फट भी सकती थी । इसलिये इन्हे चार्ज रेट से कम डर पर नियंत्रित किया जाता है । इसलिए अधिकांस सरल चार्जर में बैटरी चार्ज लगभग पूरी रात भर होती है ।
1980 में मोबाइल और लैपटॉप जैसे उपकरणों में काम आने वाली लीथियम आयन बैटरी का निर्माण किया गया । इसमे लीथियम आयन का उपयोग किया गया था । लीथियम सबसे हल्का और सबसे ज्यादा विद्युत ऋणता वाला एक तत्व है । इसके इसी गुण का उपयोग करके अमेरिकी भौतिक वैज्ञानिक जॉन गुडेनो ने लीथियम बैटरी बनाने में सफलता प्राप्त की ।
इस प्रकार बनी इस नई बैटरी में लीथियम को कोबाल्ट , निकल , या मैगनीज के साथ मिलाकर इसका कैथोड बनाया जाता था ।
जब इस पर वोल्टेज की धारा प्रवाहित की जाती तो इसके कैथोड से निकल कर लिथियक आयन एनोड की तरफ गति करने लगता और विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती ।
इस प्रकार की बैटरियों में 1990 के दशक में स्वतः आग पकड़ने की घटनाए बहुत ज्यादा सामने आने लगी थी । इस प्रकार की समस्या से निजात पाने के लिए रिसर्च शुरू की गई । और सन 1990 के दशक में गुडनेफ ने लीथियम को फास्फेट के मिलाकर एक ऐसी लीथियम बैटरी बनाने में सफलता प्राप्त कर ली ।
जिसे तेजी के साथ चार्ज किया जा सकता था और डिस्चार्ज भी । इससे बनने वाला कैथोड सुरक्षित और स्थिर था । इसके बाद लीथियम आयरन फास्फेटकी अनेक कोशिकाओं को मिलाकर बड़ी बड़ी बैटरियां बनाने में सफलता प्राप्त कर ली गई ।
इसके बाद बिजली उपकरणों से लेकर हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ अनेक जगह इनका उपयोग बहुत ज्यादा होने लगा है । इसका सबसे ज्यादा उपयोग मोबाइल लेपटॉप जैसे उपकरणों में किया जाता है ।
बैटरी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य –
- बैटरी में विद्युत ऊर्जा का उत्पादन रासायनिकी अभिक्रिया के द्वारा किया जाता है ।
- पहली रिचार्जेबल बैटरी का आविष्कार एक अंग्रेज रसायन वैज्ञानिक ने 1836 में किया था ।
- इस बैटरी के निर्माण लेड एसिड तकनीक के साथ किया गया था । यह प्रयोग इतना ज्यादा कामयाब हुआ कि आज भी कार की बैटरी इसी तकनीक की सहायता से बनाई जाती है ।
- जिस प्रकार कपड़े अलग अलग आकर के होते है और उन्हें उनके आकार के अनुसार एम , एल , एक्स ,जैसे नाम से पहचाना जाता है । उसी प्रकार बैटरियों के आकर को ए ए ए , ए ए , सी और डी नाम से जाना जाता है ।
- बैटरियों को सीसा-एसिड, लिपो , लीथियम आयन , एन आई एम एच , क्षारीय और एन आई सी डी के साथ बनाया जा सकता है।
- एन आई एम एच बैटरी निकल धातु हाइड्राइड हैं और आमतौर पर पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे खिलौने और पोर्टेबल होम फोन में उपयोग की जाती हैं।
- क्षारीय बैटरियों का उपयोज आम तौर पर फ्लैशलाइट , खिलौनों और कैलकुलेटर में किया जाता है । इनकी क्षमता 1.5 से 9 वोल्ट तक होती है ।
- लीथियम कैडमियम बैटरी ऊर्जा स्टोर करने में अच्छी होती है और ज्यादा समय तक चलती है लेकिन इनमें एक कमी होती है कि इनके कैडमियम का उपयोग किया जाता है जो कि विषाक्त होता है । और जब तक यह बैटरी पूरी तरह से डिस्चार्ज नही हो जाती तब तक इसे ठीक तरीके से चार्ज करने सम्भव नह है ।
- दुनिया की सबसे छोटी बैटरी का निर्माण थ्री प्रिंटर की सहायता से किया गया था । जिसका आकार रेत के एक दाने के बराबर है ।


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