पुरा पाषाण काल में पत्थरों को रगड़ने से आग की उत्पत्ति हुयी। ये काल आधुनिक काल से 25-20 लाख साल पूर्व से लेकर 12,000 साल पूर्व तक माना जाता है। माना जाता है कि जब आदिमानव पत्थरों को एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहे होंगे तब अचानक दो पत्थर आपस में टकराये होंगे और चिंगारियां निकली होगी, जिसे देखकर आदिमानव हैरान हुए और उन्होंने भी पत्थरों को रगड़कर उस चमकदार रोशनी को देखना चाहा होगा।
शुरुआत में आदिमानव इस आग से डरता था लेकिन जब उसे इसका इस्तेमाल करना आया तो उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। उस समय गुफाओं में रहने वाले आदिमानवों ने गुफा के मुँह पर आग जलाना शुरू कर दिया ताकि जंगली जानवर अंदर ना आ सके।
धीरे धीरे सर्दी के मौसम में तूफानी रातों से राहत पाने में भी आग का इस्तेमाल करना आदिमानव को आ गया और तब से आग का आविष्कार मानव की महान खोजों में शामिल हो गया। उम्मीद है जागरूक पर आग का आविष्कार किस काल में हुआ कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।
आग की खोज –
दोस्तो 2012 में कनाडा के प्रोफेसर सिमोन फ्रेजर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ़्रांसिस्को बर्ना ने अफ्रीका और इजराइल कुछ ऐसी जगहों की खुदाई की जो पूर्ण पाषाण काल से जुड़ी हुई थी । दक्षिण अफ्रीका में उस खुदाई की जगह से प्रोफेसर को कुछ जली हुई हड्डियां और पौधों के हिस्से मिले थे । जिसके आधार पर उन्होंने बताया कि 10 लाख साल पहले इंसान ने आग पर काबू पाना सीख लिया था ।
ये समय आज के इंसानों के पूर्वज होमो इर्गास्टर या होमो इरेक्टस का रहा होगा । प्रोफेसर बर्ना को वहां पर उन्हें लगभग 20 लाख साल पुराने कुछ और अवशेष भी मिले थे । इससे अंदाजा लगाया जाता है कि मानव ने आग 20 लाख साल पहले जलाना सीखा था । और इसमें कोई शक नही है आग जलाना सीखना और उसे काबू में करना सीखने में काफी समय लग सकता है ।
ये भी माना जा सकता है कि इंसान ने आग जलाना ही नही सीखा हो क्योकि आज भी जंगल मे लगने वाली आग की घटनाओं को देखते है । पिछले साल ही कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग और इसी साल ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग इसका उदाहरण है । इसलिए ये भी माना जा सकता है की आग जलाना इंसान ने नही सीखा बल्कि स्वयं प्रकृति से ही उसने आग प्राप्त की हो और बाद में एक लंबा समय उस आग को काबू करने की विधि सीखने में लगा दिया हो ।
आग के बारे में पुरातत्वविदों का मत –
पुरातत्वविदों के मुताबिक इंसान ने लाखों साल पहले पत्थर को रगड़ कर आग जलना सीखा था । हो सकता है इंसान ने जंगल में लगी आग से कुछ शाखाएं लाकर उसे किसी दूसरी जगह पर आग लगाकर उसे काम मे लेना सीखा हो ।
इसका उदाहरण कुछ पक्षियों को देखकर भी देखा जा सकता है क्योकि कुछ पक्षी इसी तरकीब को काम लेते है । रिसर्च के वैज्ञानिकों को ये पता चला है कि कुछ शिकारी पक्षी अपने शिकार की मैदान में लाने और घोसले से बाहर निकालने के लिए दूसरी जगहों से कुछ आग लगी टहनियां लाकर उन्हें काम लेते है ।
रिसर्च में ये भी माना गया है कि हो सकता है इसी प्रकार मानव ने शुरू में जंगल की आग से कुछ टहनियां ल किसी दूसरी जगह पर लेकर गया होगा और भट्टियां बना कर उसने ईंधन डालकर उसे लगातार जलाए रखता होगा ।
इसी आधार पर प्रोफेसर बर्ना ने कहा है कि इसी प्रकार मानव ने लगभग 20 लाख साल पहले इसी प्रकार आग जलाना और उसे काबू करना सीखा होगा ।
अभी तक जितने भी आग के सबूत मिले है । उन सभी जगहों पर सिर्फ आग को काम लेने के सबूत मिले है आग जलाने के कोई सबूत नही मिले है ।
ऐसा भी माना जाता है कि आग की खोज होमो सेपियंस ने ही कि थी और सही तरीके से काम लेना सीखा होगा । क्योकि ये भी रिसर्च के बाद साबित हुआ है कि चिंपैंजी और डॉल्फिन जैसे जानवर भी आग का इस्तेमाल करने का तरीका जानते है ।
आग ही एक ऐसा माध्यम है जिसने इंसानों को अन्य दूसरे जानवरो से अलग बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
स्पेन की क्यूवा नगर की गुफाओं में भी आग के सबूत मिले है जो लगभग आठ लाख साल पुराने है । यहां भी आग के सबूत मिले है आग जलाने के सबूत तो यहां भी नही मिले । इजराइल की जिन जगहों पर आग के सबूत मिले है वहा भी आग जलाने के सबूत नही मिले है । यूरोप में भी ऐसे सबूत लगभग 4 लाख साल पुराने ही मिले है ।
आग से बचाने वाला जीन –
2006 में इटली के एक वैज्ञानिक ने जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजी साइंस में कहा की निएंडरथल ने जंगलों से लगी आग में से जलती हुई लकड़ियां दूसरी जगह ले जाकर आग का काम हथियार बनाने में करता था । निएंडरथल मानवों के द्वारा बनाई गई भट्टियों में काफी मात्रा में राख मिली है । जिसके आधार पर ये माना जाता है कि निएंडरथल मानव को सिर्फ आग को काम लेना आता था । उसे बुझाकर वापस जलाना नही आता था ।
2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इंसान को आग से खुद को बचाने की खासियत उनके जीन में ही होती है । क्योकि इंसानों में एएचआर नाम का जीन पाया जाता है जो उसे लकड़ी के धुंए से पैदा होने वाले प्रदूषकों यानी कार्सिनोजेन से बचाता है ।कार्सिनोजेन कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है ।
इस प्रकार का जीन हमारे पूर्वज रिश्तेदार निएंडरथल के शरीर मे उपस्थित नही था ।
मानव आग जलाने के लिए मैगनीज का इस्तेमाल करता था –
अभी तक ये ही माना जाता है की निएंडरथल को आग जलाना नही आता था लेकिन इसका मतलब ये नही है कि उसे आग लगाना सच मे नही आता था । डच पुरातत्वविद प्रोफेसर विल रॉयब्रोक्स की माने तो निएंडरथल मुर्दों को मैगनीज लगा कर दफना देते थे , इसका मतलब ये है कि वे आग जलाने के लिए मैगनीज का उपयोग करते थे ।
इंसान की किस नस्ल ने आग जलाना सीखा –
आज हम मैगनीज का इस्तेमाल पटाखों में बहुत ज्यादा मात्रा में किया जाता है । मैगनीज लकड़ी के तापमान को 350 डिग्री सेल्सियस से घटाकर 250 डिग्री सेल्सियस कर देता है । जिससे मैगनीज का इस्तेमाल लकड़ी को आसानी से जलाने में सहायता मिलती है । इस बात का विश्वास करे तो निएंडरथल ने आग जलाने का हुनर लगभग 2 लाख साल पहले ही सीख लिया था । अगर मैगनीज से आग जलाने की बात को सच मान तो लकड़ी को ररगड़कर आग जलाना काफी मेहनत काम था । जबकि पत्थर को आपस मे रगड़कर आग जलाना काफी आसान है ।
इसका मतलब ग्लेशियर युग मे भी आग जलाने के निशान मिलने चाहिए लेकिन आज तक ऐसा कोई सबूत नही मिला है । आग तक जितनी भी जगह आग के सबूत मिले है वह प्राकृतिक आग की जगह पर ही मिले है ।
इसलिए ये एक लंबी बहस का हिस्सा है कि इंसान की किस नस्ल ने सबसे पहले आग जलाना सीखा है । लेकिन ये एक स्वीकार करने की बात है कि आग के सही तरीके से इस्तेमाल के बाद ही मानव के जीवन मे क्रांति आयी । इसी के बाद मानव एक जंगली जीव से आधुनिक इंसान की राह पर आगे बढ़ पाया है ।
निएंडरथल काफी समझदार हो गया था क्योकि आज का मानव जब यूरोप पहुंचा तब उससे पहले निएंडरथल मानव गुफाओं में रहता था और दीवारों पर चित्रकारी करता था । इससे ये माना जाता है कि निएंडरथल मानव काफी विकसित हो चुका था । उसका मस्तिष्क काफी विकसित हो चुका था । लेकिन उसे आग को बुझाना बिल्कुल भी नही आता था । निएंडरथल मानव आकर में बहुत बड़े होते थे इसलिए उन्हें ज्यादा गर्मी की आवश्यकता नही होती थी । जिससे वह ठंडी जगहों पर आसानी से रह सकता था ।
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