गोण्डा। देश व्यापी कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए यूनानी दवाएं भी काफी मुफीद हैं। यूनानी विभाग भी पूरी मुस्तैदी से बचाव कार्यों में लगा है प् इसी क्रम में मुख्य आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि यूनानी चिकित्सा पद्धति में ऐसे कई उपाय हैं जिन औषधियों को अपना कर आप अपने शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर कर सकते हैं। मुख्य आयुर्वेद यूनानी अधिकारी ने बताया कि जिले में तीन यूनानी चिकित्सालय भी हैं। जिसमे राजकीय यूनानी चिकित्सालय पंद्रह साइआ ब्लाक- झंझरी,अलावल देवरिया ब्लाक- मुजेहना,गौरा चोकी ब्लाक- बभनजोत, इन तीनों यूनानी चिकित्सालयों में भी यूनानी रोग- प्रतिरोधक औषधियां उपलब्ध है। जिसमें जोशांदा, तिरयक नजला,सर्बत-ए- उन्नाव,हबब्बे असगंध, खमीरा मरवरीद,हब्बे बुखार आदि औषधियां उपलब्ध है।इन चिकित्सालयो पर जाकर आम जनमानस निशुल्क दवाइयां प्राप्त कर सकते है। डॉ कुमार ने बताया कि यूनानी चिकित्सा पद्धति शरीर के चार तत्वों यानी पृथ्वी, जल, अग्नि ,और वायु के संतुलन के सिद्धांत पर आधारित है। यह पाचन त्वचा जोड़ों तथा प्रजनन से संबंधित रोगों और दूसरे कई रोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है।शरीर के रोगों को ठीक करने और उसे स्वस्थ रखने के लिए यूनानी चिकित्सा पद्धति सबसे पुरानी पद्धतियों में से एक है। इस पद्धति का इस्तेमाल करके मरीज के आंतरिक और बाहरी प्रणाली को ठीक किया जाता है। प्राकृतिक और प्रभावशाली उपचार होने की वजह से यह पारंपरिक पद्धति पूरी दुनिया में मशहूर है। भारत में इस पद्धति से लोगों का उपचार कई सौ सालों से किया जा रहा है। अस्थमा और जोड़ों के दर्द जैसी बीमारियों को ठीक करने में यूनानी दवाओं का रिकॉर्ड बेहद कारगर रहा है। त्वचा के लिए यूनानी दवाएं गंभीर चिकित्सा स्थितियों जैसे कि सोरायसिस और ल्यूकोडर्मा को एक हद तक ठीक कर सकती है। इसके अलावा यह हृदय संबंधी समस्याओं, पेट की बीमारियों और मानसिक रोगों के लिए भी काफी मददगार है। इस पद्धति के अपनाने या इस्तेमाल से कोई साइड इफ्केक्ट नहीं होता है। और अगर इसके नियमों को सही तरह से अनुसरण किया जाए तो यह बीमारी को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखती है। यूनानी एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है।
-अनुलोम विलोम प्राणायाम से बढ़ेगी इम्यूनिटी-योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी
गोण्डा। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाना। ऐसे में इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी ने बताया कि न सिर्फ हेल्दी खाना खाएं बल्कि जमकर योग भी करें। नियमित रूप से योग करने से शरीर में एनर्जी का संचार तो होता ही है। साथ ही कई प्रकार की बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। योग का मतलब है जोड़ना। ये आपके बहिर्मन को आपके अंतर्मन से जोड़ता है। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए प्रातः बेला में नियमित रूप से एक घंटा योग जरूर करें। योग से व्यक्तित्व में भी विकास आता है। योग करने से पहले लयबद्ध और गतिबद्ध तरीके से सांसों पर ध्यान स्थापत करना चाहिए। अपनी क्षमता के अनुसार की योग करें। शुरुआत में कुछ सूक्ष्म व्यायाम करें। अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की सही विधि-सबसे पहले पालथी मार कर सुखासन में बैठें। इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए। अब अनामिका उंगली से बाई नासिका को बंद कर दें।इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें। अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड़ दें।
-अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे
- -फेफड़े मजबूत होते हैं।
- -बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता।
- -पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाता है।
- -इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
- -याद्दश्त (चीजों को याद रखने की क्षमता) स्ट्रॉन्ग होती है।
- -रेस्पिरेटरी (सांस लेने की प्रक्रिया) और कार्डियोवस्क्युलर (हृदय संबंधी) हेल्थ बना रहता है।
- -ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।
- -नींद अच्छी आती है और स्ट्रेस यानी तनाव को कम करने में मदद मिलती हंे
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