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वज्रासन करने का तरीका और फायदे

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वज्रासन का नाम "वज्र" शब्द पर रखा गया है जिसका मतलब है आकाश में गरजने वाली बिजली। यह आसन आपके पाचना तंत्र के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह शायद एक मात्र ऐसा आसन है जो भोजन खाने के बाद कर सकते हैं और जिस से आपके पाचन में सुधार आता है।

इस लेख में वज्रासन के आसन को करने के तरीके और उससे होने वाले लाभों के बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि आसन करने के दौरान क्या सावधानी बरतें।

वज्रासन का वीडियो - 


वज्रासन के आसान रूपांतर - 
  • यदि जांघों में दर्द होता है, तो मुद्रा को बनाए रखते हुए घुटनों को थोड़ा अलग करें।  (और पढ़ें - टांगों में दर्द का इलाज)
  • शुरुआत में वज्रासन में थोड़े समय के बाद ही टख़नों में दर्द हो सकता है। इसका उपाय करने के लिए, मुद्रा से बाहर आ जायें, पैरों को आगे की ओर बढ़ा कर बढ़ें और अकड़न या दर्द डोर ना होने तक टाँगों को हिलाएं। फिर आसन फिर से शुरू करें।
  • वज्रासन की मुद्रा को और आरादायक बनाने के लिए एक कंबल या छोटा तकिया नितंबों और एड़ी के बीच रख सकते हैं
वज्रासन में क्या सावधानी बरतें - 
  • जिन लोगों को कैसी भी रीढ़ की हड्डी की परेशानी है, विशेष रूप से निम्न कशेरुकाओं पर, उन्हे वज्रासन नहीं करना चाहिए।
  • हर्निया, आंतों के अल्सर और छोटे और बड़े आंतों के अन्य रोग से पीड़ित हों तो कृपया विशेषज्ञ मार्गदर्शन और सलाह के तहत वज्रासन का अभ्यास करें। (और पढ़ें - पेट में अल्सर का इलाज)
  • पीठ की मांसपेशियों की ताकत को धीरे-धीरे बढ़ने का समय दें, और फिर ही इस आसन को करने की अवधि बढ़ायें।
वज्रासन के बाद आसन - 
वज्रासन के बाद आप यह आसन करें:
  •     मकरासन 
  •     बालासन
  •     शवासन 
वज्रासन के फायदे - 
वज्रासन के लाभ हैं यह:
  • वज्रासन श्रोणि (पैल्विक) क्षेत्र में खून और तंत्रिका आवेगों के प्रवाह को बदल कर श्रोणि की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
  • यह हर्निया होने से रोकता है और बवासीर से राहत पाने में भी मदद करता है।
  • यह संपूर्ण पाचन तंत्र को सुधारता है, पेट की बीमारियों जैसे एसिडिटी और पेप्टिक अल्सर से राहत देता है।
  • वज्रासन जननांगों में रक्त प्रवाह को कम कर देता है और उन तंत्रिका तंतुओं की मालिश करता है जो उन्हें सक्रिय बनाते हैं, जिससे पुरुषों में अंडकोष की सूजन के उपचार में यह उपयोगी होता है।
  • यह महिलाओं की प्रसव में सहायता करता है और मासिक धर्म संबंधी विकारों को कम करने में सहायता करता है। 
  • वज्रासन ध्यान करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है क्योंकि शरीर बिना प्रयास के अपने आप एकदम सीधा हो जाता है।
  • यह कटिस्नायुशूल (साइटिका) से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अच्छा ध्यान आसन है। 
वज्रासन करने से पहले ये आसन करें - 
वज्रासन से पहले आप यह आसन करें:
  •     अर्ध शलभासन 
  •     शलभासन 
वज्रासन करने का तरीका - 
वज्रासन करने का तरीका इस प्रकार है:
  • जमीन पर घुटनों के बाल बैठ जायें।
  • पैर की बड़ी उंगलियों को साथ मिलायें और एड़ियों को अलग रखें।
  • नितंबो को पैरों के तलवों पर इस तरह टिकाएं की पैर के तलवे नितंबो के बाहरी हिस्से को छू रहे हों।
  • हाथ को घुटनों पर टिकाएं। हथेलियाँ नीचे की ओर रखें।
  • पीठ और सिर सीधे होने चाहिए, लेकिन उनमें तनाव नहीं होना चाहिए। रीढ़ की हड्डी को अत्यधिक पीछे की ओर ना मोड़ें। 
  • आँखें बंद कर लें, हाथों और पूरे शरीर को आराम महसूस करने दें। सामान्य रूप से साँस लें और श्वास पर ध्यान दें।
वज्रासन को जितना संभव हो उतनी देर करें - विशेष रूप से भोजन के तुरंत बाद पाचन क्रिया को बढ़ाने के लिए कम से कम 5 मिनट के लिए इस आसान को करें। तीव्र पाचन विकार के मामलों में, वज्रसन भोजन से पहले और बाद 100 साँस के लिए कीजिए।

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