जानुशीर्षासन का नाम दो शब्दों के मेल से बना है: जानु, और शीर्ष। जानु मतलब घुटना, और शीर्ष मतलब सिर। इस आसन से आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और तनाव से भी मुक्त रहते हैं।
आगे इस लेख में जानिए कि जानुशीर्षासन कैसे करें, लाभ और इस आसन को करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। साथ ही इस लेख में हमने जानुशीर्षासन का विडियो भी दिया गया है।
जानुशीर्षासन के फायदे -
हर आसन की तरह जानुशीर्षासन के भी कई लाभ होते है। उनमें से कुछ हे यह-
- दिमाग को शांत करता है और हल्के अवसाद से छुटकारा पाने में मदद करता है।
- रीढ की हड्डी ,हैमस्टिंª,कूल्हो और घुटनो के लचीलेपन को बढाता है।
- जिगर और गुर्दे को उत्तेजित करता है।
- पाचन में सुधार लाता है।
- चिंता,थकान,सिरदर्द और मासिक धर्म की परेशानी से छुटकारा दिलाता है।
- हाई बीपी,अनिद्रा और साइनस के लिए चिकित्सीय है।
जानुशीर्षासन करने से पहले यह आसन करें -
जानुशीर्षासन करने से पहले आप यह आसन कर सकते हैं इनसे आपकी हॅम्स्ट्रिंग, कूल्हे, और जांघे पर्याप्त मात्रा में खुल जाएँगे।
- दंडासन
- पश्चिमोत्तानासन
- पूर्वोतानासन
- अर्ध बद्ध पद्मा पश्चिमोत्तानासन
- त्रिअंग मुखेकपद पश्चिमोत्तानासन
जानुशीर्षासन करने का तरीका -
जानुशीर्षासन करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- दंडासन में बैठ जायें। हल्का सा हाथों से ज़मीन को दबाते हुए और साँस अंदर लेते हुए रीढ़ की हड्डी को लंबा करने की कोशिश करें।
- श्वास अंदर लें और अपनी दाईं टाँग को उठा कर दायें पैर को बाईं जाँघ के अंद्रूणी हिस्से पर टिका लें।
- इस मुद्रा में आपके दायें कूल्हे और घुटने पर खिचाव आएगा। और आपका दाया घुटना ज़मीन पर टिका होना चाहिए।
- साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें — ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। नीचे झुकते समय साँस छोड़ें।
- दोनो हाथों से बायें पैर को पकड़ लें। ऊपर दिए गये चित्र को देखें इस आसन की मुद्रा समझने के लिए।
- कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
- पाँच बार साँस लेने के बाद आप इस मुद्रा से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए साँस अंदर लेते हुए धड़ को ऊपर उठायें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें।
- जब पूरी तरह सीधे बैठ जायें। दाईं टाँग को आगे कर लें, और दंडासन में समाप्त करें।
- दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें
जानुशीर्षासन करने का आसान तरीका -
- अगर आपका पैर पूरी तरह से पीछे की तरफ नहीं मुड़ता, तो जितना पीछे जाए उतना जाने दें और ज़बरदस्ती उसे पीछे ना खींचे। इस मुद्रा में ही आगे की ओर झुकें।
- अगर आपका घुटना ज़मीन का ना छुए, तो उसके नीचे तौलिया लगा सकते हैं। ऐसा करने से घुटने में दर्द होने की संभावना कम हो जाएगी।
- अगर आपकी हैमस्ट्रिंग या कूल्हो में खिचाव कम है तो आप पूर्ण रूप से आगे नहीं झुक पाएँगे। जितना हो सके, उतना करें।
जानुशीर्षासन करने में क्या सावधानी बरती जाए -
- जिन्हे पीठ के निचले हिस्से में दर्द की परेशानी हो, वह जानुशीर्षासन ना करें।
- जिनके घुटनों में दर्द हो, उन्हे भी जानुशीर्षासन नहीं करना चाहिए।
- अगर आपकी हॅम्स्ट्रिंग में चोट हो, तो जानुशीर्षासन ना करें।
- यदि आपको दस्त या दमे की परेशानी हो तो जानुशीर्षासन ना करें।
- अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगायें।
जानुशीर्षासन करने के बाद आसन -
- मरीच्यासन
- नावासन
- भुजपीडासन
- कूर्मासन
- सुप्तकूर्मासन
जानुशीर्षासन का वीडियो -
जानुशीर्षासन को ठीक से करने के लिए यह वीडियो ध्यान से देखें।
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