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चंद्र नमस्कार के फायदे और करने का तरीका

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योग में इस आसन का ज्ञान लोगों को सूर्य नमस्कार की तरह नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं, चंद्र नमस्कार से आप मन शांत करने, तनाव खत्म करने, यहां तक की वजन घटाने के साथ-साथ सभी ऊर्जाओं को सही दिशा दे सकते हैं, आपने सूर्य नमस्कार और उसके फायदों के बारे में सुना-पढ़ा होगा, लेकिन क्या आप चंद्र नमस्कार के बारे में जानते हैं? योग में चंद्र नमस्कार का भी बहुत महत्व है। चंद्र नमस्कार हमारे शरीर को ठंडा रखता है। सूर्य नमस्कार में जहां 12 पोज होते हैं, वहीं चंद्र नमस्कार में 14 पोज होते हैं। इसमें किया जाना वाला हर एक आसनआपके शरीर की अलग-अलग नाड़ियों पर काम करता है। चंद्र नमस्कार में सांसों का बहुत महत्व है।

सूर्य नमस्कार योग की तरह ही चन्द्र नमस्कार भी बहुत महत्वपूर्ण योग हैं। चन्द्र नमस्कार हमारे शरीर को शीतल रखने वाला एक योग हैं। योग अभ्यास हमारे जीवन में संतुलन बनाने के लिए, विरोधियों की शक्ति का निरीक्षण करने में सहायक होता है। कई पारंपरिक संस्कृतियां चन्द्रमा को प्रकृति में दैवीय स्त्री बल की अभिव्यक्ति के रूप में प्रकट करती हैं। हट योग के अनुसार यह बल हमारे अन्दर ही रहता हैं। सौर ऊर्जा गर्म, सक्रिय और बाहरी रूप से उन्मुख हैं, जबकि चन्द्र ऊर्जा शांत, ग्रहणशील और आतंरिक रूप से केन्द्रित हैं। चंद्रमा सौंदर्य और आकर्षण का प्रतीक है। आकर्षण किसी बच्चे, एक खूबसूरत लड़की या फूलों में हो सकता है, और सौंदर्य हमेशा मनुष्य को आकर्षित करता है। यह महिलाओं की प्रतिकृति है जिसमें प्रेम, उत्तेजना, मुलायम आकर्षण सबकुछ शामिल है। सौंदर्य सम्मोहन का आधार है। आइये जानते हैं चंद्र नमस्कार के फायदे और करने का तरीका के बारे में।

सूर्य नमस्कार और चंद्र नमस्कार में अंतर -
  • सूर्य नमस्कार और चंद्र नमस्कार में पहला अंतर ये है कि सूर्य नमस्कार जहां गर्मी, प्रकाश और गतिविधि के बारे में है वहीं, चंद्र नमस्कार ध्यान यानी मेडिटेशन, ठंडक या शीतलता, शांति और ग्रहणशील होने के बारे में है।
  • सूर्य नमस्कार जहां स्फूर्तिदायक होता है वहीं, चंद्र नमस्कार आराम देने वाला और व्यक्ति को रिलैक्स बनाने वाला आसन है।
  • सूर्य नमस्कार का अभ्यास, सुबह के समय जब सूर्योदय होता है उस वक्त किया जाता है और चंद्र नमस्कार शाम के समय जब चांद नजर आता है उस वक्त इसका अभ्यास किया जाता है।
  • सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने के दौरान योगासन करने वाला व्यक्ति एक आसन से दूसरे आसन में जल्दी जल्दी मूव करता है लेकिन वहीं चंद्र नमस्कार के दौरान योग के सभी आसन धीरे-धीरे आराम से किए जाते हैं। 
  • सूर्य नमस्कार के 12 चरण या 12 आसन, 12 राशियों से संबंध रखते हैं जबकि चंद्र नमस्कार के 14 चरण या 14 आसन चांद के 14 चरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • शरीर को जगाने, ऊर्जा और गर्मी पैदा करने के लिए सूर्य नमस्कार सुबह के समय और वह भी योग क्लास की शुरुआत में किया जाता है। वहीं, चंद्र नमस्कार का अभ्यास शाम के वक्त शरीर को शांत करने और पुनर्स्थापित करने के लिए किया जाता है। 
  • सूर्य नमस्कार का पोज गतिशील अनुक्रम है जो शारीरिक स्तर पर स्टैमिना और शक्ति का निर्माण करता है। चंद्र नमस्कार के पोज की शांत गुणवत्ता, सांस लेने के लिए एक मजबूत संबंध बनाने में मदद करती है।
चंद्र नमस्कार के फायदे - 
सूर्य नमस्कार की ही तरह चंद्र नमस्कार करने के भी ढेरों फायदे हैं :
  • चन्द्र नमस्कार रीढ़ की हड्डी और घुटने के पीछे की नस यानी हैमस्ट्रिंग को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • इसके अलावा यह आसन पैरों के पीछे के हिस्से को खींचने में और पैर, हाथ, पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • चंद्र नमस्कार मासिक धर्म के दौरान भी महिलाओं के लिए फायदेमंद माना जाता है।
  • चंद्र नमस्कार एक ऐसा योगासन है जो सभी मांसपेशी समूहों में लचीलापन लाने और उन्हें मजबूत बनाने में मदद करता है। 
  • इसके अलावा श्वसन तंत्र, संचार तंत्र यानी सर्कुलेटरी सिस्टम और पाचन तंत्र के कामकाज को भी बेहतर बनाने में मदद करता है।
  • जिन लोगों को स्ट्रेस या तनाव की समस्या हो उनके लिए भी चंद्र नमस्कार बेहद फायदेमंद हो सकता है।
  • चंद्र नमस्कार मुख्य रूप से शरीर के निचले हिस्से पर केंद्रित योगासन है लिहाज जिन लोगों को शरीर के निचले हिस्से में दर्द रहता हो उनके लिए यह योगासन काफी फायदेमंद है।
  • चंद्र नमस्कार आपको शांत करने में मदद करने के साथ ही आपकी रचनात्मक ऊर्जा को सही दिशा देने में भी मदद करता है।
  • सूर्य नमस्कार की ही तरह चंद्र नमस्कार भी अपने आप में संपूर्ण व्यायाम है जो आपकी ऊर्जा को संतुलित करता है, आपको थकावट से दूर रखता है, आत्मविश्वास में सुधार करता है और गुस्से को भी कम करता है।
चंद्र नमस्कार करने का तरीका - 
सूर्य नमस्कार में जहां 12 आसन या चरण होते हैं वहीं, चंद्र नमस्कार में 14 आसन या चरण होते हैं। वे चरण हैं :

1. प्रणामासन: 
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दोनों पैरों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं और अपनी गर्दन भी सीधी रखें। दोनों हाथों को जोड़कर प्रणाम करने या प्रार्थना करने की मुद्रा में खड़े हो जाएं। इसके बाद शरीर को रिलैक्स कर लें।

2. हस्त उत्तानासन
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सांस अंदर लें और अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर बिल्कुल सीधा उठाएं। इसके बाद अपनी पीठ और हाथों को आर्क के शेप में पीछे की तरफ झुकाएं। इस दौरान आपकी कोहनी, घुटने सब सीधे होने चाहिए और सिर दोनों हाथों के बीच में और ठुड्डी ऊपर सीलिंग की तरफ पॉइंटेड होनी चाहिए।

3. उत्तानासन : 
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सांस बाहर छोड़ें और फिर कमर (हिप) के हिस्से से आगे की तरफ झुकें। इस दौरान अपनी हथेलियों को पैरों के दोनों तरफ जमीन पर टिकाएं और अपने घुटने को बिलकुल सीधा रखें। 

4. अश्व संचालनासन : 
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सांस को अंदर लें और अपने बाएं घुटने पर जोर देते हुए आगे की तरफ झुकें और दाहिने पैर को पीछे की तरफ जितना हो सके पीछे धकेलें। पीछे की तरफ झुकें और चेहरे को ऊपर की तरफ उठाएं। हथेलियों को जमीन पर रखकर शरीर को संतुलन में रखने की कोशिश करें।

5. अर्ध चंद्रासन : 
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सांस अंदर लेते हुए दोनों हाथों को स्ट्रेच करें और सिर के ऊपर ले जाएं। पीछे की तरफ आर्क आकार बनाएं और हाथों को भी पीछे की तरफ ले जाएं। चेहरे को ऊपर की तरफ उठाएं और ऊपर देखें। एक पैर को पीछे की तरफ धकेलें और दूसरे पैर को 90 डिग्री के ऐंगल में रखें। 

6. पर्वतासन : 
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सांस बाहर छोड़ें और हाथों को वापस जमीन पर ले आएं। अपने दोनों पैरों को पीछे की तरफ रखें और हिप के हिस्से से शरीर को ऊपर उठाएं। अपनी पीठ और दोनों पैरों को सीधा रखें और एक साथ जोड़कर रखें। दोनों हाथ की हथेलियों को जमीन पर टिका कर रखें। इस दौरान आपके शरीर से उल्टे वी जैसा आकार बनना चाहिए। 

7. अष्टांग नमस्कार : 
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अब सांस छोड़ें और वापस अपने घुटनों पर आ जाएं। अब अपने घुटनों, छाती और ठुड्डी सभी को जमीन की तरफ ले आएं। अपने पेट और हिप को जमीन से सटाकर रखने की बजाए ऊपर उठाएं। अपनी हथेली को सीने के पास दोनों तरफ रखें। 

8. भुजंगासन :
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सांस अंदर लें और अपने दोनों पैरों को पीछे की तरफ ले जाएं। जमीन पर अपनी हथेलियों को टाइट रखें और अपने शरीर को सीने के पास से ऊपर उठाएं। आपके दोनों हाथ कंधे के बिल्कुल नीचे होने चाहिए। इस दौरान कोबरा सांप अपना फन उठाते वक्त जैसा दिखता है आपका शरीर भी उसी पोजिशन में होना चाहिए। 

09-पर्वतासन आसन-
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इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद कमर के नीचे के भाग से आगे की ओर झुकें। दोनों हाथों को जमीन पर रखें और पैरों को पीछे कर के पहाड़ की तरह पोज बना लें। आपके पैर पूरी तरह से सीधे होने चाहिए। ऊपर का धड़ सीधा रखें।


10-अश्व संचालन आसन-
इस चरण में बाएं पैर को आगे बढ़ाते हुए घुटने से मोड़ कर नीचे बैठें और दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण में पीछे रखें। अब अपने हाथों को ऊपर उठाते हुए कमर के ऊपर के भाग को पीछे की ओर झुका लें।


11-अर्ध चंद्रासन-
अब अपने दाएं पैर को आगे बढ़ते हुए घुटने से मोड़ कर नीचे बैठ जाएं। अपने बाएं पैर को पीछे रखें। इसके बाद अपने सिर को और हाथों जोड़ते हुए पीछे की ओर झुकाएं।


​12-उत्तानासन-
सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद अपनी कमर से आगे की ओर झुकें। दोनों प्यारों को सीधा रखें ओर हथेलियों को जमीन पर रख कर सिर को घुटनों से लगाएं। ध्यान रहे, आपसे पूरा न हो तो जितना झुका जाए, उतना ही करें।


13-​हस्त उत्तानासन-
सांस को अंदर लेते हुए दोनों हाथों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर लें ओर हाथों को जोड़ कर रखें। अब इसी पोज में दोनों हाथों को जितना हो सके पीछे ले जाकर पीछे की ओर झुकें। शुरुआत में आपसे जितना हो उतना ही करें।


14-प्रणामासन-
सबसे पहले मैट के ऊपर सीधे खड़े हो जाएं। अब आगे की ओर देखते हुए अपने दोनों हाथों को नमस्कार की स्तिथि में जोड़ लें। हथेलियों को अपनी छाती के केंद्र में रखें। आपकी जांघें सटी हों, तो पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें।



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