इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता, जो हमारे शरीर को कई बीमारियों से बचाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो रोग प्रतिरोधक क्षमता जितनी मजबूत होगी, उतना ही हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम रहेगा, जबकि रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर बीमारियों का असर जल्दी होता है। ऐसे में निम्नलिखित आसन के जरिए हम अपने इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रख सकते हैं।
ताड़ासन
- दोनो पंजों को मिलाकर या उनके बीच 10 सेंटीमीटर की जगह छोड़ कर सीधे खड़े हो जाएं।
- भुजाओं को सिर के ऊपर सीधे उठाएं। उंगलियों को आपस में फंसा लें और हथेलियां ऊपर यानी छत की तरफ करें।
- सिर के स्तर से थोड़ा ऊपर सामने दीवार पर किसी एक पॉइंट पर देखें। ध्यान रहे जब आप दोबारा से इस योग को करेंगे तो फिर इसी बिंदु को देखना होगा।
- अब बाजुओं, कंधों और छाती को ऊपर की तरफ खींचें। इसके लिए आप पैर की उंगलियों के बल आ जाएं, ताकि दोनों एड़ी ऊपर उठ सकें। इस आसन को धीमे-धीमे करें ताकि संतुलन ना बिगड़े।
- पूरे शरीर को ऊपर से नीचे तक एकदम सीध में रखें। श्वास लेते रहें और कुछ सेकेंड के लिए इस मुद्रा में ही रहें।
- शुरुआत में संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, लेकिन अभ्यास करते रहने से यह आसान हो जाएगा। आप चाहें तो अपनी आंखें बंद कर सकते हैं।
- आसन से बाहर निकलने के लिए सारे स्टेप्स विपरीत क्रम में करें। इस आसन को 5 से 10 बार करें।
- ताड़ासन आत्मविश्वास को बढ़ाता है और चिंता को कम करता है।
भुजंगासन
- भुजंगासन के लिए अपने पेट के बल लेट जाएं। पैरों के तलवे छत की ओर रखिए।
- हथेलियां छाती के समीप रखें, अब अपनी छाती को धीमे-धीमे उठाएं, इस मुद्रा में आपको हाथ पूरी तरह सीधे नहीं करने हैं।
- ध्यान रहे कि सिर से लेकर पेट के निचले हिस्से को हवा में उठाना है, जबकि कमर से नीचे का हिस्सा जमीन पर ही रहना चाहिए।
- पैरों की उंगलियों को जमीन से टिका रहने दें। पीठ जितनी आराम से मोड़ सकें, उतनी ही मोड़ें।
- कुल मिलाकर पांच बार सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें, ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे-धीरे जैसे आपके शरीर में ताकत और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं लेकिन 90 सेकेंड से ज्यादा ना करें।
त्रिकोणासन
- सीधे खड़े हो जाएं। सांस अंदर लें और 3.5 से 4 फीट पैर को खोल लें।
- सबसे पहले अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर ले आएं।
- अपने बाएं पैर को बाईं तरफ मोड़ें और दाहिने पैर को सामने की ओर रहने दें।
- अब बाएं हाथ को धीमे से नीचे ले जाएं, ताकि बाएं पैर के पंजे को या फिर जमीन को छू सकें और इसी दौरान दाहिने हाथ को ऊपर यानी छत की ओर सीधा ले जाएं। इस दौरान घुटने मुड़ने नहीं चाहिए और दाहिने हाथ की उंगलियों को देखने की कोशिश करें।
- दोनों हाथ एक सीध में रखने की कोशिश करें।
- अब प्रारंभिक स्थिति में वापस आने के लिए पैर के पंजों की तरफ देखिए।
- सीधे खड़े हो जाइए। अब यही प्रक्रिया दाईं तरफ कीजिए।
- कुल मिला कर पांच बार सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप इस आसन को 30 से 60 सेकेंड तक कर सकें। आप समय बढ़ा भी सकते हैं लेकिन 90 सेकेंड से ज्यादा ना करें।
मत्स्यासन
- मत्स्यासन के लिए पीठ के बल लेट जाएं। इस दौरान हाथ की हथेली जमीन को छूती रहे।
- सांस लें और छाती को जमीन से ऊपर उठाएं और अपने सिर को पीछे ले जाएं, ध्यान रहे सिर का पिछला हिस्सा जमीन को छूता रहे। संतुलन बनाने के लिए अपनी कोहनी का उपयोग कर सकते हैं।
- 30 से 40 सेकेंड के लिए इस मुद्रा में रहने की कोशिश करें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
- स्थिति से बाहर आने के लिए गर्दन को सीधा करें और धीरे से वापस लेट जाएं।
पादंगुष्ठासन
- पादंगुष्ठासन के लिए सीधे खड़े हो जाएं और पैरों में 2 से 3 इंच का अंतर बना लें।
- सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। इस दौरान पैर नहीं मुड़ना चाहिए।
- अब पैर के दोनो पंजों को पकड़ने की कोशिश करें।
- अपने हाथों की उंगलियों से पैर की उंगलियां दबाएं रखें।
- सांस छोड़ें और अपने धड़ को ऊपर उठाएं, फिर सांस छोड़ते हुए आगे झुकें
- इस मुद्रा में 30 से 60 सेकेंड तक रहें।
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