अधिकांश महिलाओं को पीरियड्स शुरू होने से पहले कुछ लक्षण महसूस होते हैं, जैसे: मासिक धर्म के समय पेट दर्द, स्तनों में सूजन, स्तन में दर्द, पीठ में दर्द इत्यादि जिन्हें प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम (पीएमएस) कहा जाता है। वैसे तो ये सामान्य लक्षण हैं लेकिन इस दौरान ये आपकी दिनचर्या को बहुत प्रभावित करते हैं। कुछ महिलाओं को यह लक्षण शुरुआत में लेकिन कुछ को 20 की उम्र के बाद महसूस होते हैं। ये लक्षण 30-40 की उम्र में रजोनिवृत्ति (यानि मेनोपॉज) से पहले बिगड़ भी सकते हैं। (और पढ़ें - असामान्य मासिक धर्म के लक्षण)
पीएमएस क्यों होता है -
पीएमएस, मासिक चक्र के दौरान होने वाले हार्मोन परिवर्तनों के कारण होता है। आज तक डॉक्टर भी यह नहीं जानते कि ये लक्षण कुछ महिलाओं में ज्यादा और कुछ में न के बराबर क्यों होते हैं।
यदि आपके खाने में विटामिन बी 6, कैल्शियम और मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में नहीं है तो पीएमएस और अधिक होने की सम्भावना बढ़ जाती है। अधिक तनाव, व्यायाम में कमी, तथा कैफीन की अधिक मात्रा इन लक्षणों को और अधिक खराब बना सकती है।
मासिक चक्र औसतन 28 दिनों का होता है। अण्डोत्सर्ग (ovulation in hindi), वह समय जब अंडाशय (Ovaries) से अंडा निकलता है] चौदहवें दिन होता है और पीरियड्स इस चक्र के लगभग 28वें दिन होते हैं। चौदहवें दिन से जब तक पीरियड्स होते हैं, पीएमएस के लक्षण इस बीच कभी भी महसूस हो सकते हैं। (और पढ़ें - ओवुलेशन से जुड़े मिथक और तथ्य)
पीएमएस के लक्षण -
सामान्यतः पीएमएस के लक्षण हल्के होते हैं। लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं की दिनचर्या पर इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन एक रिसर्च के अनुसार 3-8 प्रतिशत महिलाओं को पीएमडीडी (Premenstrual Dysphoric Disorder - PMDD), माहवारी से पूर्व बेचैनी की समस्या होती है। और ये समस्या एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन (इन्हें गर्भावस्था हार्मोन भी कहा जाता है यह केवल महिलाओं में पाए जाते हैं) में परिवर्तन होने के कारण होती है। इसका एक कारण सर्ओटनिन (serotonin) हार्मोन का स्तर कम होना भी है जो भूख, नींद, मूड और याददाश्त सम्बन्धी क्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। (और पढ़ें - क्या महिलाओं में हार्मोन असंतुलन होता है वजन बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार)
पीएमएस के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं :
- पेट में सूजन
- असहज स्तन
- मीठा अधिक खाने का मन होना
- प्रकाश या ध्वनि से संवेदनशीलता
- चिड़चिड़ापन
- सोने के तरीकों में परिवर्तन
- उदासी
- भावनाओं में जल्दी बहना
पीएमएस के बारे में डॉक्टर से कब सलाह लें -
अगर आपको पीएमएस के दौरान होने वाले शारीरिक दर्द, जल्दी जल्दी मूड बदलना और अन्य लक्षणों से अत्यधिक परेशानी हो रही है या ये समाप्त नहीं हो रहे है तो आप डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं। हो सकता है कि इन समस्याओं का कोई और कारण हो जैसे:
- एनीमिया: खून की कमी।
- एंडोमेट्रिओसिस (endometriosis): इस बीमारी से ग्रस्त महिला गर्भवती नहीं हो सकती।
- थाइरोइड: इससे घेंघा जैसी छोटी बीमारी से लेकर जानलेवा कैंसर तक हो सकता है। (और पढ़ें - थायराइड से निजात पाने की रेसिपी)
- इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम [Irritable Bowel Syndrome (IBS)]: इसमें बड़ी आंत प्रभावित होती है।
- क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम (Chronic Fatigue Syndrome): निरंतर बनी रहने वाली थकान।
- संयोजी ऊतकों के रोग: इनमें जोड़ों और मांसपेशियों पर असर पड़ता है।
डॉक्टर आपसे आपके परिवार का चिकित्सकीय इतिहास पूछ सकते हैं। ध्यान रखें कि डॉक्टर को सब सच सच बतायें क्योंकि वही बता सकते हैं कि ये समस्यायें आपको पीएमएस के कारण हो रही है या किसी अन्य कारण से। IBS, हाइपोथायरायडिज्म (थाइरोइड की कमी) और गर्भावस्था के कुछ लक्षण पीएमएस के जैसे ही हैं। इसलिए डॉक्टर आपको थायरॉयड, प्रेगनेंसी तथा अन्य स्त्री-रोग परीक्षण करवाने को कह सकते हैं। इसमें लापरवाही न बरतें।
पीएमएस का उपचार -
अपनी जीवनशैली में निम्नलिखित परिवर्तन करके आप बेहतर अनुभव करेंगी:
- स्वस्थ आहार, कैल्शियम युक्त भोजन, साबुत अनाज, प्रोटीन, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, फल और सब्ज़ियाँ आदि अपने भोजन में शामिल करें।
- प्रतिदिन व्यायाम करें।
- दर्द के लिए एस्पिरिन या अन्य दर्दनिवारक दवाएं लें।
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