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स्पॉटिंग के लक्षण और कारण

 
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कई महिलाओं को स्पॉटिंग को लेकर अनेकों गलत धारणाए रहती हैं। जैसे कि उन्हें स्पॉटिंग क्यों हो रही है? कहीं ये कोई बीमारी का संकेत तो नहीं है आदि।

अधिकतर महिलाओं की स्पॉटिंग के बारे में गलत सोच है। उनके अनुसार यह एक असाधारण स्थिति है। लेकिन वास्तव में यह बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है जो गर्भावस्था, मासिक धर्म के दौरान और कभी कभी सेक्स के बाद होती है। 30% गर्भवती महिलाओं में यह शुरुआत के तीन महीनों में होती है। तो आइये जानते हैं इस लेख में कि स्पॉटिंग किन कारणों से होती है और यह मासिक धर्म से किस प्रकार भिन्न है।

स्पॉटिंग क्या है -
स्पॉटिंग बहुत ही आम समस्या है। वास्तव में यह किसी चोट, संक्रमण या तकलीफ के फलस्वरूप रक्तस्राव के रूप में होती है। यह किसी भी महिला के अस्वस्थ होने का संकेत नहीं है लेकिन अगर आपको अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव हो रहा है या रक्त का रंग अधिक लाल है तो यह चिंता का विषय है। यदि गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को यह लक्षण महसूस होते हैं तो डॉक्टर उन्हें मेडिकल जांच कराने की सलाह देते हैं क्योंकि इस दौरान यह समान्य भी हो सकता है और किसी गंभीर समस्या की चेतावनी भी। जब भी आपको इस तरह के रक्तस्राव से असहजता हो तो डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें। (और पढ़ें - योनि से रक्तस्राव के कारण)

स्पॉटिंग और मासिक धर्म में अंतर -
  • स्पॉटिंग और मासिक धर्म के बीच मुख्य अंतर रक्त की मात्रा है। स्पॉटिंग में योनि के द्वारा रक्त की बहुत कम मात्रा आती है जो अंडरवियर पर थोड़े से लाल निशान के रूप में प्रकट हो सकता है। लेकिन मासिक धर्म में रक्त स्राव अधिक मात्रा में होता है जिसके लिए सेनेटरी पैड की आवश्यकता होती है। (और पढ़ें - सेनेटरी पैड का उपयोग, चुनाव, लगाने का तरीका और इसे बदलने का सही समय)
  • मासिक धर्म और स्पॉटिंग के रक्त के रंग में अंतर होता है। यदि अधिक लाल रंग का रक्त मासिक धर्म का प्रतीक है और स्पॉटिंग का रक्त हल्के भूरे रंग का होता है।
  • स्पॉटिंग सामान्य शारीरिक क्रियाविधि है लेकिन कभी कभी यह अस्वस्थ्य शरीर का संकेत भी होती है जबकि मासिक धर्म हमेशा महिला के स्वस्थ्य होने का संकेत देते हैं।
  • स्पॉटिंग किसी भी समय हो सकती है जबकि मासिकधर्म का समय लगभग निश्चित होता है।
स्पॉटिंग के लक्षण - 
मासिक धर्म के दौरान, रक्त का प्रवाह काफी अधिक होता है जिस कारण आपको पैड्स या टैम्पॉन का उपयोग करना पड़ता है लेकिन स्पॉटिंग मासिक धर्म से काफी कम मात्रा में होती है और इसके लिए आपको पैड्स का उपयोग करने की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि इस दौरान बहुत कम मात्रा में रक्त निकलता है साथ ही स्पॉटिंग के रक्त का रंग भी पीरियड्स के रक्त के रंग से हल्का होता है।

यह पता करने का कि आपको पीरियड्स हो रहे हैं या स्पॉटिंग एक और तरीका भी है। आपको माहवारी से पहले या माहवारी के दौरान निम्नलिखित लक्षण महसूस होंगे :
  • सूजन
  • स्तनों में असहजता
  • ऐंठन
  • मूड बदलना
  • जी मिचलाना
हालांकि कभी कभी स्पॉटिंग और मासिक धर्म एक साथ ही हो जाते हैं लेकिन स्पॉटिंग के लक्षण इस प्रकार के होते हैं:
  • मासिकधर्म के दौरान सामान्य से अधिक रक्त स्राव
  • योनि में खुजली और लालिमा 
  • जी मिचलाना
  • पेशाब या सेक्स के दौरान दर्द या जलन
  • पेट या श्रोणि में दर्द
  • योनि से असामान्य स्रावण और गंध आना।
  • वज़न बढ़ना
स्पॉटिंग के कारण -
  • मासिक चक्र के दौरान जब अण्डोत्सर्ग होने वाला होता है उस समय हल्के भूरे या गुलाबी रंग का रक्तस्राव होता है लेकिन यह एक दिन में बंद हो जाता है।
  • आखिरी मासिक धर्म के दो सप्ताह बाद हल्के गुलाबी रंग का रक्तस्राव हो सकता है। ऐसा तब होता है जब अंडाशय से अंडा फैलोपियन ट्यूब में जाता है। इस दौरान, योनि से थोड़ी मात्रा में रक्त प्रवाह हो सकता है। अधिकतर महिलाओं में ओवुलेशन स्पॉटिंग एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने के कारण होती है जिस दौरान गर्भाशय की दीवार की परत निकलती है। 
  • केवल 20-30 प्रतिशत महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्पॉटिंग का अनुभव होता है। शुरुआती तीन महीनों जब निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार पर आरोपित होता है तब इस आरोपण के रक्तस्राव को अधिकतर महिलाएं मासिक धर्म समझ लेती हैं क्योंकि यह रक्तस्राव तब होता है जब उन्हें गर्भवती होने का पता भी नहीं चलता।
  • गर्भवती महिलाओं को इसका खास ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कभी कभी यह किसी गंभीर बात का संकेत हो सकता है। यह गर्भपात, गर्भनाल (placenta) की समस्याओं, अस्थानिक गर्भावस्था (ectopic pregnancy) या समय से पूर्व प्रसव का संकेत हो सकता है। इन सभी परिस्थितियों में तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है।
  • गर्भावस्था के अंतिम समय में , रक्त स्राव होना प्रसव का संकेत भी हो सकता है। जब शरीर प्रसव के लिए तैयार होता है उस समय यह रक्त म्यूकस प्लग से आता है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के 37 सप्ताह के बाद होता है। यदि स्पॉटिंग इससे पहले होती है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में पेट दर्द करना)
  • अगर उपर्युक्त कारणों से रक्तस्राव नहीं हो रहा है तो कभी कभी यह संक्रमण के कारण भी हो सकता है। यह संक्रमण योनि, गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय ग्रीवा और अंडाणुओं में हो सकता है और इसे कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। स्पॉटिंग गंभीर बीमारियों का लक्षण भी हो सकती है जैसे, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर, एंडोमेट्रिओसिस (endometriosis), गर्भाशय की दीवार में घाव आदि।
  • अनियमित रक्तस्राव पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (पीसीओएस) का भी लक्षण है। जिसमें अंडाशय से अतिरिक्त पुरुष हार्मोन का उत्पादन होता है।
  • गर्भनिरोधक गोलियां भी स्पॉटिंग का कारण बन सकती हैं, खासकर तब जब आप पहली बार उनका उपयोग करना शुरु करती हैं या आप गोलियां बदलती हैं। जिन महिलाओं में गर्भनिरोधक उपकरण (intrauterine device) होती है।
  • गर्भाशय फाइब्रॉएड कैंसर न करने वाली गाठें होती हैं जो गर्भाशय के बाहर या अंदर बनती हैं। इनकी वजह से असामान्य योनि रक्तस्राव और दर्द होता है। 
  • सर्वाइकल पोलिप गर्भाशय ग्रीवा पर होता है। यह कैंसर नहीं है, लेकिन इसके कारण रक्तस्राव हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान, हार्मोन में परिवर्तन के कारण इनसे रक्तस्राव हो सकता है।
  • रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोनों के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण भी स्पॉटिंग हो सकती है लेकिन एक बार जब पूर्ण रजोनिवृत्ति हो जाती है तो खून बहना बंद हो जाना चाहिए। 
  • असहज सेक्स या यौन उत्पीड़न के दौरान यदि योनि को कोई भी नुकसान होता है, तो स्पॉटिंग हो सकती है।


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