सर्दी-जुकाम हो या कोरोना जैसा कोई संक्रमण, इन सभी से बेहतर इम्यून सिस्टम के दम पर लड़ा जा सकता है। मजबूत इम्यून सिस्टम न सिर्फ इन तमाम बीमारियों से बचाए रखता है, बल्कि अस्वस्थ होने पर जल्द सेहतमंद होने में भी मदद कर सकता है। अब सवाल यह है कि इम्यून सिस्टम को बेहतर कैसे किया जाए, तो इसका सीधा-सा जवाब योग है। अगर यह कहा जाए कि सेहत से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या का इलाज योग है, तो गलत नहीं होगा। इसलिए, इस आर्टिकल में हम कुछ ऐसे योगासन बताएंगे, जिनसे इम्यून सिस्टम को बेहतर कर कोविड-19 सहित कई तरह के संक्रमण से बचा जा सकता है। साथ ही इम्यून सिस्टम की मजबूती के लिए योगासन को करने का तरीका भी बताएंगे।
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए योग कैसे मदद करता है? –
इम्यून सिस्टम की मजबूती के लिए पोषक तत्वों से युक्त खाद्य पदर्थों के अलावा योगासन का भी अपना और लाभदायक महत्व रहा है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, तनाव का मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव देखा गया है। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी बुरा असर पड़ता है। इसलिए, ध्यान, योग व मसल्स रिलेक्सेशन जैसे व्यायाम करने से तनाव को कम किया जा सकता है। इसका सीधा असर इम्यून सिस्टम पर पड़ता है ।
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए योग –
यह तो स्पष्ट हो गया है कि तनाव को कम करके इम्यून सिस्टम को बेहतर किया जा सकता है। अब यहां हम जानेंगे उन योगासनों के बारे में, जिनसे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इनमें से कुछ योगासन ऐसे हैं, जिन पर वैज्ञानिक शोध किया जाना बाकी है कि ये किस प्रकार से इम्यूनिटी सिस्टम को फायदा पहुंचाते हैं।
1. ताड़ासन (Mountain Pose)
ताड़ासन करने के फायदे कई हैं। एक शोध के तहत कुछ लोगों से योगासन करवाए गए, जिसमें ताड़ासन भी शामिल था। इस शोध में पाया गया है कि योग करने से प्रतिरोधक क्षमता में सकारात्मक असर देखा गया। साथ ही मधुमेह की समस्या में भी कुछ फायदा हुआ ।
- योग मैट पर एड़ियों व पंजों को एक दूसरे से मिला कर सीधे खड़े हो जाएं।
- दोनों हाथों को शरीर के साथ सीधा रखें।
- इसके बाद हाथों को ऊपर उठाते हुए उंगलियों को आपस में फंसा लें और हथेलियों की दिशा आसमान की ओर रखें।
- अब सांस लेते हुए एड़ियाें को ऊपर उठाएं और पंजे के बल पर खड़े होने का प्रयास करें।
- इस अवस्था में शरीर का भार पंजों पर रहेगा और शरीर को ऊपर की ओर खींचने का प्रयास करें। साथ ही सामान्य गति से सांस लेते रहें।
- कुछ देर इसी अवस्था में रहें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पहले की अवस्था में आ जाएं।
- इस प्रक्रिया को 8 से 10 बार तक दोहराएं।
2. वृक्षासन (Tree Pose)
वृक्षासन सहित विभिन्न योगासनों पर किए गए शोध में पाया गया कि योग में नकारात्मक व्यवहार को नियंत्रित करने की क्षमता है। इससे दिमाग और शरीर को संतुलित किया जा सकता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को बूस्ट किया जा सकता है ।
वृक्षासन करने की विधि:
- योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को बगल में रखें।
- अब दाहिने पैर को मोड़ते हुए दाहिने पैर के तलवे को बाईं जंघा के ऊपरी भाग पर रखें।
- ध्यान रहे कि इस दौरान बाएं पैर को सीधा रखकर पैर का संतुलन बनाए रखना है।
- संतुलन बन जाने पर लंबी सांस लें और दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में सिर के ऊपर ले जाएं।
- इस मुद्रा में रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए संतुलन बनाए रखना है।
- इस मुद्रा में सामान्य रूप से सांस लेते और छोड़ते रहें।
- इसके बाद धीरे-धीरे पहले जैसी मुद्रा में खड़े हो जाएं और यही क्रिया दूसरे पैर पर खड़े हो कर करें।
सावधानियां:
माइग्रेन, अनिंद्रा, निम्न या उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने पर यह आसन न करें।
3. पादंगुष्ठासन (Big Toe Pose)
पदांगुष्ठासन भी ऐसा योगासन है, जिससे मन और शरीर दोनों को मजबूत बनाया जाता है। यह शरीर में रक्त संचार को सुधारने के साथ ही इन्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद कर सकता है।
पादंगुष्ठासन करने की विधि:
- योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को भी सीधा रखें।
- अब सांस छोड़ते हुए कूल्हों के जाेड़ से आगे झुकने का प्रयास करें। ध्यान रहे कि कमर के बल नहीं झुकना है।
- आगे की ओर झुकते हुए घुटनों को नहीं मोड़ना है।
- आगे की ओर झुक कर अपने दोनो पैरों के अंगूठों को हाथों की पहली दो उंगलियों से पकड़ लें।
- इसके बाद अपने सिर और धड़ को ऊपर की ओर करते हुए सांस अंदर लें।
- फिर आराम-आराम से सांस छोड़ते हुए अपने सिर और धड़ को जितना हो सके नीचे की ओर झुकाएं।
- जितना मुमकिन हो अपने सिर को घुटनों के साथ स्पर्श करने का प्रयास करें।
- आराम-आराम से सांस लेते रहें। सांस लेते समय धड़ को ऊपर की ओर उठाएं और छोड़ते समय अंदर की ओर ले जाएं।
- इस आसन में 30 से 60 सेकंड तक बने रहें।
- फिर सांस लेते हुए धीरे-धीरे सीधे खड़े हो जाएं।
सावधानियां:
- अगर किसी को कमर दर्द हो, तो इसे न करें। साथ ही अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाएं।
- अगर यह योगासन करते हुए पीठ का दर्द बढ़ने लगे, तो तुरंत रुक जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें।
4. त्रिकोणासन (Triangle Pose)
इम्यून सिस्टम की मजबूती के लिए योगासन की श्रेणी में यह एक और आसन है। माना जाता है कि इस आसन को करने पर याददास्त को दुरुस्त किया जा सकता है। त्रिकोणासन से कई प्रकार के दर्द को दूर करने और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
त्रिकोणासन करने की विधि:
- सबसे पहले दोनों पैरों के बीच लगभग दो फुट की दूरी बनाकर खड़े हो जाएं और बाएं पैर को थोड़ा बाहर की ओर मोड़ लें। साथ ही दोनों हाथों को शरीर से सटाकर रखें।
- अब दोनों बाहों को शरीर से दूर कंधे के समानांतर फैलाएं। फिर आराम से सांस लेते हुए दाएं हाथ को ऊपर ले जाएं। ध्यान रहे कि हाथ कान से सटा होना चाहिए।
- अब घुटने को बिना मोड़े सांस छोड़ते हुए कमर से बाईं ओर झुकें। इस दौरान दाएं हाथ को ऊपर की ओर ले जाएं।
- कमर को सीधा रखते हुए बाएं हाथ से बाएं टखने को छूने की कोशिश करें।
- इस मुद्रा में पहुंचने के बाद गर्दन को दाईं दिशा में मोड़ लें और दाएं हाथ को देखने का प्रयास करें।
- इसी मुद्रा में लगभग 10 से 30 सेकंड तक रहें और सांस लेने की गति को सामान्य रखें।
- अब सांस लेते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं।
- ठीक ऐसे ही दाईं ओर भी करें।
- इस तरह आप तीन से चार बार तक यह आसन दोहरा सकते हैं।
सावधानियां:
निम्न रक्तचाप, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन, दस्त, गर्दन और पीठ में दर्द व चोट लगने पर यह आसन न करें।
यह आसन करते समय किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर या योग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
5. उत्कटासन (Chair Pose)
उत्कटासन को करना आसान है और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए इसके कई फायदे भी हैं। इस आसन को करने पर भी इम्यून सिस्टम को बूस्ट किया जा सकता है।
उत्कटासन करने की विधि:
- बसे पहले योग मैट पर ताड़ासन की अवस्था में खड़े हो जाएं।
- अब दोनों हाथों को आगे की ओर सीधा रखें। चाहें तो आप हाथों को ऊपर की ओर भी कर सकते हैं। इसके अलावा, हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर सिर के ऊपर भी ले जा सकते हैं, जैसे ऊपर ताड़ासन में बताया गया है। हथेलियों की दिशा आसमान की ओर रहेगी।
- फिर घुटनों को मोड़ लें और शरीर की मुद्रा इस प्रकार बना लें जैसे कि आप कुर्सी पर बैठे हैं।
- इस दौरान पीठ को सीधा रखें।
- इस मुद्रा में सामान्य गति से सांस लेते हुए अपना संतुलन बनाकर रखें।
- इस आसन में 30 से 60 सेकंड तक रहें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
सावधानियां:
- अगर घुटनों या टखनों में चोट हो, तो यह आसन न करें।
- अनिद्रा और सिरदर्द की समस्या होने पर भी यह नहीं करना चाहिए।
- कमर में दर्द या चोट हो, तो भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
6. भुजंगासन (Cobra Pose)
सेहत के लिए भुजंगासन फायदेमंद है। यह पाचन तंत्र और रक्त संचार में सुधार कर सकता है। यह दिल और फेफड़ों के तनाव को दूर करने में मदद कर सकता है। यह रीढ़ के लचीलेपन को बढ़ाता है और मनोदशा में सुधार कर सकता है। साथ ही इम्यूनिटी को भी बढ़ा सकता है।
भुजंगासन करने की विधि:
- सबसे पहले मैट पर पेट के बल लेट जाएं।
- इसके बाद अपने दाेनों हाथों की हथेलियों को कंधे के दोनों ओर बराबर में रखें और माथे को जमीन से लगाएं।
- फिर पैरों को पीछे की ओर तना हुआ रखें और दोनों के बीच में थोड़ी दूरी रखें।
- अब लंबी सांस लेते हुए हथेलियां से जमीन पर दबाव डालते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को यानी नाभी तक उठाएं।
- अपने शरीर को इस क्रम में ऊपर की ओर उठाना है: सबसे पहले सिर, फिर छाती और आखिर में नाभि।
- इस मुद्रा में आने के बाद आसमान की ओर देखें और कुछ देर ठहरें।
- अपने शरीर के ऊपरी हिस्से का पूरा भार दोनों हाथों पर बराबर बनाए रखना है। आपके हाथ बिल्कुल सीधे रहने चाहिए।
- कुछ देर इसी अवस्था में रहें सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
- अब आराम-आराम से सांस को छोड़ते हुए पहले जैसी अवस्था में आ जाएं।
- इस तरह भुजंगासन का एक चक्र पूरा हो जाएगा।
- अपनी क्षमतानुसार के योगसन के तीन से पांच चक्र किए जा सकते हैं।
सावधानियां:
- गर्भावस्था और माहवारी के दौरान इस आसन को करने से पहले याेग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
- जोड़ों के दर्द और कलाइयों या पसलियों में फ्रैक्चर होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए।
7. मत्स्यासन (Fish Pose)
मत्स्यासन पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है। कंधे और गर्दन में आने वाले तनाव को दूर कर चिंता, कब्ज व थकान को दूर रख सकता है। साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार भी हो सकता है।
मत्स्यासन करने की विधि:
- सबसे पहले योग मैट पर पद्मासन मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब आराम-आराम से पीठ के बल लेट जाएं।
- इसके बाद कोहनियों को जमीन पर सटाते हुए बाएं हाथ से दाएं पैर और दाएं हाथ से बाएं पैर को पकड़ने की कोशिश करें।
- अब सांस लेते हुए छाती को ऊपर उठाएं और सिर को जितना हो सके पीछे की ओर ले जाएं।
- इस मुद्रा में जितना हो सके उतनी देर रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें, फिर प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
- इस क्रिया को लगभग चार से पांच बार कर सकते हैं।
सावधानियां:
- पीठ में दर्द होने पर, घुटनों की समस्या होने पर, चक्कर आने पर और सिरदर्द होने पर इस आसन को करने से बचें।
- गर्भावस्था और माहवारी के दौरान भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
आर्टिकल के माध्यम से आपने जाना कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए याेगासन किस प्रकार से योगदान दे सकते हैं। इसके अलावा, आपने विभिन्न योगासन करने की विधि को भी जाना। यहां आपको हम बता दें कि किसी भी प्रकार का योगासन करने के पहले योग गुरु या फिर स्पेशलिस्ट की सलाह जरूर लें। आशा करते हैं कि आर्टिकल में दी गई जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित हुई होगी।
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