योग से शरीर और मन को मजबूती मिलती है, इस बात से लगभग हर कोई परिचित होगा। वहीं, योग में कई ऐसे आसन हैं, जो शरीर के विशेष हिस्सों को लाभ देने के साथ-साथ मानसिक शक्ति बढ़ाने का काम भी कर सकते हैं। ऐसा ही एक योगासन है, शलभासन। माना जाता है कि अगर इसका नियमित अभ्यास किया जाए, तो व्यक्ति कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता है, जिसके बारे में इस लेख में विस्तार से बताया जा रहा है। शलभासन योग करने के फायदे जानने के लिए के इस लेख को अंत तक पढ़ें और सावधानियों का भी विशेष ध्यान रखें।
शलभासन क्या है?
शलभासन एक संस्कृत शब्द है, जिसमें शलभ का अर्थ है टिड्डी या टिड्डा। इस आसन को करते समय शरीर टिड्डे के समान नजर आता है, इसलिए इसे शलभासन नाम दिया गया है। इस आसन को घेरंडा संहिता में लिखे गए प्रमुख 32 योगासनों में से एक माना जाता है। अंग्रेजी में इसे लोकस्ट पोज और ग्रासहोपर पोज के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, यह आम हिंदी भाषा में टिड्डी मुद्रा के नाम से भी प्रचलित है। इसके फायदों के बारे में अधिक जानकारी नीचे दी गई है।
शलभासन करने के फायदे –
शलभासन करने से शरीर को कई तरह से शारीरिक और मानसिक लाभ मिल सकते हैं। वहीं, इस बता का भी ध्यान रखा जाए कि अगर कोई किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहा है, तो डॉक्टरी उपचार जरूरी है। योग का अभ्यास केवल रोगों से बचे रहने और स्वस्थ जीवनशैली के लिए किया जा सकता है। यह किसी भी बीमारी का त्वरित इलाज नहीं है।
1. वजन कम करने में शलभासन करने के फायदे
वजन कम करने में यह आसन लाभकारी हो सकता है। इस आसन के अभ्यास से पेट की चर्बी कम हो सकती है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन में उन सभी योगासनों का जिक्र मिलता है, जो मेटाबॉलिज्म रिस्क प्रोफाइल (जिसमें मोटापा भी शामिल है) में सुधार करने में सहायक हो सकते हैं। इन योगासनों में शलभासन भी शामिल है। शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि ये आसन कमर के माप को कम करने में भी सहायक हो सकते हैं । बता दें कि मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम या मेटाबॉलिक रिस्क फेक्टर उन जोखिम कारकों के समूह का नाम है, जो हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकते हैं ।
वहीं, एक अन्य शोध के अनुसार, शलभासन का अभ्यास घ्रेलिन भूख को बढ़ाने वाला हार्मोन) को मॉड्यूलेट करने में मदद कर सकता है, जिससे मोटापे को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है । इसके साथ ही अन्य आसनों का अभ्यास भी किया जा सकता है, क्योंकि मोटापा घटाने के लिए योग करना अच्छा साबित हो सकता है ।
2. मांसपेशियों के लिए शलभासन
शलभासन करते समय कूल्हे और हड्डियों के जोड़ के साथ पेट की मांसपेशियां अधिकतम तनाव (स्ट्रेच) का अनुभव करती हैं। इसका अभ्यास उन्हें मजबूत बना सकता है। शोध में जिक्र मिलता है कि यह आसन पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान कर सकता है। साथ ही यह रीढ़ को लचीला बनाने में भी सहयोग कर सकता है। वहीं, इसका नियमित अभ्यास कमर दर्द और सायटिक नर्व से जुड़ा दर्द यानी साइटिका की समस्या को भी कम करने में मदद कर सकता है ।
3. माहवारी से जुड़ी समस्याओं में शलभासन के लाभ
शलभासन योग करने के फायदे मासिक धर्म संबंधी विकार में सुधार लाने में भी सहायक हो सकते हैं (6)। योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह आसन श्रोणि क्षेत्र (पेल्विक एरिया) और पेट के लिए एक अच्छा व्यायाम है। इसका अभ्यास पेट की मांसपेशियां को मजबूत बना सकता है । शलभासन योग का अभ्यास संपूर्ण महिला प्रजनन तंत्र को सक्रिय कर सकता है। यह अनियमित रक्तस्राव वाली महिलाओं के लिए उपयोगी हो सकता है। साथ ही रजोनिवृत्ति की समस्या में भी लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, यह पेल्विक एरिया में रक्त और ऑक्सीजन के बहाव में सुधार कर सकता है । एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि मासिक धर्म के समय योगाभ्यास करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
4. तनाव और चिंता कम करने में शलभासन के फायदे
तनाव कम करने में भी शलभासन योग के फायदे उठाए जा सकते हैं। लगातार तनाव की स्थिति का बने रहना कई शारीरिक और मानसिक विकारों का एक प्रमुख कारण बन सकता है। वहीं, तनाव से बचाव में शलभासन योग लाभकारी सिद्ध हो सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में उन योगासनों की सूची का जिक्र मिलता है, जो तनाव के साथ-साथ चिंता की स्थिति में लाभकारी परिणाम प्रदर्शित कर सकते हैं। इन योगासनों में शलभासन को भी शामिल किया गया है । इसलिए, मानसिक शांति के लिए शलभासन योग करने का तरीका कारगर साबित हो सकता है।
5. रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में शलभासन के फायदे
योग का अभ्यास रक्त के प्रवाह को बढ़ा सकता है, जिससे शरीर की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचने की प्रक्रिया तेज हो सकती है। योग अभ्यास की यह गतिविधि कोशिकाओं की कार्यक्षमता को बढ़ावा दे सकती है । शलभासन भी ऐसा योगासन है, जो शरीर में खून का प्रवाह बढ़ा सकता है। साथ ही यह खून को शुद्ध करने में भी उपयोगी हो सकता है । इसलिए, इसका नियमित अभ्यास शरीर में खून के प्रवाह को सुचारू रखने में मददगार हो सकता है।
शलभासन योग करने का तरीका –
किसी भी योगासन को करने का फायदा तभी है, जब उसे करने की पूरी और सही विधि पता हो। शलभासन करने का तरीका नीचे पॉइंट में समझाया जा रहा है, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- सबसे पहले स्वच्छ वातावरण में एक योग मैट बिछा लें।
- अब पेट के बल पर लेट जाएं।
- फिर हाथों को पीछे की ओर ले जाएं और हथेलियों को जांघों के नीचे दबा लें।
- इसके बाद अपनी एड़ियों को आपस में जोड़ लें।
- अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए एक पैर को ऊपर उठाएं। इसे एकपाद शलभासन कहा जाता है।
- इस अवस्था में यथासंभव रहने का प्रयोग करें और सामान्य रूप से सांस लेने-छोड़ने की प्रक्रिया जारी रखें।
- फिर पैर को नीचे लाकर यही प्रक्रिया दूसरे पैर से करें।
- इसके बाद दोनों पैरों को जितना हो सके ऊपर उठाएं।
- दोनों पैरों को अगर उठाया जाता है, तो ये द्विपाद आसन कहलाता है।
- इस तरह आप शलभासन का एक चक्र पूरा कर लेंगे।
- इस आसन को एक बार में तीन से चार बार तक किया जा सकता है।
- ध्यान रहे, हर चक्र के बाद एक मिनट का विराम जरूर लें।
शुरुआती लोगों के लिए शलभासन करने की टिप्स –
शलभासन करने से पहले निम्न बिंदुओं का ध्यान रखा जाना जरूरी है –
- यह आसन देखने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। इसे करने के दौरान शुरुआत में कुछ असुविधा महसूस हो सकती हैं। इसलिए, पहली बार में बिल्कुल सटीक आसन करना मुश्किल है।
- शुरुआत में आप केवल पैरों को उठाने का प्रयास करें। अपने ऊपरी शरीर को जमीन पर टिकाए रखें।
- अपने शरीर को सहारा देने के लिए आप हाथों से सहारा ले सकते हैं।
- धीरे-धीरे अभ्यास शुरू करें, निरंतर अभ्यास से ही इस आसन में निपुण हो सकते हैं।
- शुरुआती लोग इस आसन को योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
शलभासन योग के लिए कुछ सावधानियां –
शलभासन के फायदे वाकई लाजवाब हैं, लेकिन इसे करने से पहले कुछ सावधानियों के बारे में पाठकों को पता होना चाहिए, जैसे –
- इस आसन को हमेशा योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करने का प्रयास करें।
- अगर कोई व्यक्ति गर्दन या रीढ़ की चोट से पीड़ित हैं, तो उसे शलभासन के अभ्यास से बचना चाहिए। इस विषय पर चिकित्सक से मार्गदर्शन भी ले सकते हैं।
- गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और अस्थमा की शिकायत से पीड़ित लोगों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए ।
इस लेख में आपने जाना कि शलभासन योग करने का तरीका और शलभासन करने के फायदे शरीर को किस तरह से लाभ पहुंचा सकते हैं। मित्रों, जो व्यक्ति सही खान-पान और रोजाना योग का अभ्यास करते हैं, वो कम बीमार पड़ते हैं और उनकी जीवनशैली भी स्वस्थ रहती है। इसलिए, इस आसन को जीवनशैली का हिस्सा बनाया जा सकता है। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित रहा होगा। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
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