आयुर्वेद भारतीय प्राचीन संतों की एक ऐसी खोज है जिसे मानव कल्याण एवं जनहित के लिय संसार को प्रदान किया गया। सनातन संस्कृति में चार वेदों को जितना पवित्र माना जाता है उसी में से निकला यह पांचवा वेद है जो प्राकृति से जुडा है। और मानव स्वास्थ्य से इसका गहरा नाता है। दुनिया भर में स्वास्थ्य को लेकर अलग-अलग खोजे होती रही हैं और आज भी हो रहीं हैं। यूनानी, होम्योपैथी, एलोपेथी प्राकृतिक चिकित्सा आदि के रूप में कहीं न कहीं आयुर्वेद के ग्रंथों एवं आयुर्वेद चिकित्सा का सहारा लिया गया है। आयुर्वेद चिकित्सा से आयुर्वेद समाधान सम्पूर्ण समाधान है।
पूरी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति वात ,पित्त और कफ पर काम करती है यह पूर्णता जडी-बूटी एवं आसव भस्म से रोगी को स्वस्थ करने में अहम् भूमिका निभाती है जो सरल भी है और सस्ती भी एवं रोग मुक्ति का परमानेंट आयुर्वेद समाधान है। रोगों का निदान आयुर्वेद की विशेष पद्धति है इसमें नाडी परीक्षण, मूत्र, कफ आदि पर खोज वैद्य द्वारा की गयी (वैद्य को अंग्रेजी में डॉक्टर कहा जाता है)। सटीक निदान ही सफल औषधी का चयन है और आयुर्वेद चिकित्सा ने ही आयुर्वेद को भारत की महान धरोहर के रुप में आज तक सम्मान दिलाया है।
आयुर्वेद समाधान के लिए आयुर्वेद के पूर्वज संतो ने तमाम ग्रन्थ जैसे सर्जरी के श्रुश्रुत निदान के लिये माधव निदान। औषधी निर्माण के लिये रस तंरंगणी, औषधी पहचान के लिये भाव प्रकाश औषधी, आदि शिक्षाएं लिपिबद्ध कर आयुर्वेद को जन-जन तक पहुँचाया। आयुर्वेद रोगों को जड से खत्म करने में विश्वास रखता है। आज विश्व फिर आयुर्वेद चिकित्सा एवं आयुर्वेद समाधान की शरण में बापस लौट रहा है तो उसका मुख्य कारण यह है कि बिना किसी विपरीत असर डाले रोग की जड पकड कर उस पर औषधी देना, जिससे मानव समाज को रोग से मुक्ति मिल सके। आयुर्वेद में साध्य, असाध्य, सुसाध्य में रोगो को विभाजित कर चिकित्सा का विधान है। चरक संहिता, वाग्भट्ट आदि आचार्यो ने आयुर्वेद चिकित्सा को सम्पूर्ण चिकित्सा का केन्द्र बना कर भारत को उस स्थान पर रखा जहाँ अन्य चिकित्सा पद्धतियो को पाने में अनेक शतक लग गये।
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