गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

गाय पालन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

Image SEO Friendly

गाय का यूं तो पूरी दुनिया में ही काफी महत्व है, लेकिन भारत के संदर्भ में बात की जाए तो प्राचीन काल से यह भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। चाहे वह दूध का मामला हो या फिर खेती के काम में आने वाले बैलों का। वैदिक काल में गायों की संख्‍या व्यक्ति की समृद्धि का मानक हुआ करती थी। दुधारू पशु होने के कारण यह बहुत उपयोगी घरेलू पशु है। गाय पालन ,दूध उत्पादन व्यवसाय या डेयरी फार्मिंग छोटे व बड़े स्तर दोनों पर सबसे ज्यादा विस्तार में फैला हुआ व्यवसाय है। गाय पालन व्यवसाय, व्यवसायिक या छोटे स्तर पर दूध उत्पादन किसानों की कुल दूध उत्पादन में मदद करता है और उनकी आर्थिक वृद्धि को बढ़ाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि, भारत में कई वर्षों से गाय पालन कर डेयरी फार्मरों ने दूध उत्पादन से आर्थिक वृद्धि में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गाय पालन कर दूध उत्पादन ने हमारे देश की अर्थव्यवस्था में बड़े स्तर पर भागीदारी की है और बहुत से गरीब किसानों को गाय पालन कर अपना व्यवसाय स्थापित करने में सहयोग किया है। यदि किसी के पास दूध उत्पादन का व्यवसाय स्थापित करने के लिए प्रारंभिक पूँजी है तो, दूध उत्पादन व्यवसाय को किसी भी क्षेत्रों में आसानी से स्थापित किया जा सकता है।

गाय की नस्ल का चुनाव – 

जब कभी भी आप गाय पालन का व्यवसाय करने को सोंचे तो आपके लिए ये जानना बहुत जरुरी है की कौन सी नस्ल की गाय सबसे ज्यादा दूध देती है। किस नस्ल की गाय का बछड़ा दूध का उत्पादन करने के जल्दी बढ़ता है या फिर पुरुष बछड़ों को आप कितना बेच सकते है इन सभी बातों का अच्छे से पता कर लेना चाहिए । गाय को अपने शहर के जलवायु के अनुसार हीं खरीदना चाहिए ताकि वे आपके शहर की जलवायु को बर्दास्त कर सके इसलिए बेहतर होगा की गाय आप अपने शहर से हीं ख़रीदे। आपके लिए ये जानना भी बेहत जरुरी है की किस नस्ल के दूध के लिए स्थानीय मांग ज्यादा है । हम आपको बताएँगे की कौन सी नस्ल की गाय ज्यादा दूध उत्पादन करती है :- क्लिक कर आगे पढ़े -गाय की देशी तथा अन्य नस्लों के बारे में जानकारी ।

गाय पालन की जगह-

जब भी आप गाय पालन व्यवसाय का सोच रहे हों तो सबसे पहले आपको गाय को रखने के लिए जगह की अव्यश्कता होगी। गाय को रखने के लिए ऐसे जगह का चयन करना चाहिए जो बाजार से  ज्यादा दूर ना हो और उस जगह पर यातायात की सुविधा भी अच्छी हो। भले हीं आप व्यवसाय 2-3 गाय से शुरु कर रहे हों लेकिन जगह का चुनाव इतना बड़ा जरुर से करे जिससे आप भविष्य  में और भी गाय को वहां रख सकें ।

गाय रखने वाली जगह पर कुछ और चीजो की जरूरत होती है जैसे की :- 
  • उस जगह पर गाय के रहने के लिए केवल ऊपर से shade किया हुआ छोटा छोटा घर बना दें जो की चारो ओर से हवादार हो ।
  • जमीन चिकनी और हलकी ढलाव वाली होनी चाहिए ताकि जब गाय पेशाब (toilet) करे तो वो जमने के वजय आसानी से बह जाए ।
  • चिकनी जमीं पर गाय की गोबर को उठाने में भी आसानी होती है ।

प्रजनन-

  • अपनी आय को अधिक दूध वाले सांड के बीज से फलावें ताकि आने वाली संतान अपनी माँ से अधिक दूध देने वाली हो| एक गाय सामान्यत: अपनी जिन्दगी में 8 से 10 बयात दूध देती हैं आने वाले दस वर्षों तक उस गाय से अधिक दूध प्राप्त होता रहेगा अन्यथा आपकी इस लापरवाही से बढ़े हुए दूध से तो आप वंचित रहेंगे ही बल्कि आने वाली पीढ़ी भी कम दूध उत्पादन वाली होगी। अत: दुधारू गायों के बछड़ों को ही सांड बनाएँ|
  • गाय के बच्चा देने से 60 से 90 दिन में गाय पुन: गर्भित हो जाना चाहिए| इससे गाय से अधिक दूध, एवं आधिक बच्चे मिलते हैं तथा सूखे दिन भी कम होते है।
  • गाय के फलने के 60 से 90 दिन बाद किसी जानकार पशु चिकित्सा से गर्भ परिक्षण करवा लेना चाहिए| इससे वर्ष भर का दूध उत्पादन कार्यक्रम तय करने में सुविधा होती है।
  • गर्भावस्था के अंतिम दो माह में दूध नहीं दूहना चाहिए तथा गाय को विशेष आहार देना चाहिए। इससे गाय को बच्चा जनते वक्त आसानी होती है तथा अगले बयात में गाय पूर्ण क्षमता से दूध देती है।

गाय पालन के लिए आहार -

इस नसल की गायों को जरूरत के अनुसार ही खुराक दें। फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें। ताकि अफारा या बदहजमी ना हो। आवश्यकतानुसार खुराक का प्रबंध नीचे लिखे अनुसार है।

खुराक प्रबंध
जानवरों के लिए आवश्यक खुराकी तत्व: उर्जा, प्रोटीन, खनिज पदार्थ और विटामिन।

खुराकी वस्तुएं:
अनाज और इसके अन्य पदार्थ: मक्की, जौं, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चोकर, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, चूनी, बड़ेवें, बरीवर शुष्क दाने, मूंगफली, सरसों, बड़ेवें, तिल, अलसी, मक्की से तैयार खुराक, गुआरे का चूरा, तोरिये से तैयार खुराक, टैपिओका, टरीटीकेल आदि।

हरे चारे: बरसीम (पहली, दूसरी, तीसरी, और चौथी कटाई), लूसर्न (औसतन), लोबिया (लंबी ओर छोटी किस्म), गुआरा, सेंजी, ज्वार (छोटी, पकने वाली, पकी हुई), मक्की (छोटी और पकने वाली), जई, बाजरा, हाथी घास, नेपियर बाजरा, सुडान घास आदि।

सूखे चारे और आचार: बरसीम की सूखी घास, लूसर्न की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, मक्की के टिंडे, ज्वार और बाजरे की कड़बी, गन्ने की आग, दूर्वा की सूखी घास, मक्की का आचार, जई का आचार आदि।

अन्य रोज़ाना खुराक भत्ता: मक्की/ गेहूं/ चावलों की कणी, चावलों की पॉलिश, छाणबुरा/ चोकर, सोयाबीन/ मूंगफली की खल, छिल्का रहित बड़ेवे की ख्ल/सरसों की खल, तेल रहित चावलों की पॉलिश, शीरा, धातुओं का मिश्रण, नमक, नाइसीन आदि।

नस्ल की देख रेख-

शैड की आवश्यकता
अच्छे प्रदर्शन के लिए, पशुओं को अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचाने के लिए शैड की आवश्यकता होती है। सुनिश्चित करें कि चुने हुए शैड में साफ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए। पशुओं की संख्या के अनुसान भोजन के लिए जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें। पशुओं के व्यर्थ पदार्थ की निकास पाइप 30-40 सैं.मी. चौड़ी और 5-7 सैं.मी. गहरी होनी चाहिए।

गाभिन पशुओं की देखभाल-
अच्छे प्रबंधन का परिणाम अच्छे बछड़े में होगा और दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है। गाभिन गाय को 1 किलो अधिक फीड दें, क्योंकि वे शारीरिक रूप से भी बढ़ती है।

बछड़ों की देखभाल और प्रबंधन-
जन्म के तुरंत बाद नाक या मुंह के आस पास चिपचिपे पदार्थ को साफ करना चाहिए। यदि बछड़ा सांस नहीं ले रहा है तो उसे दबाव द्वारा बनावटी सांस दें और हाथों से उसकी छाती को दबाकर आराम दें। शरीर से 2-5 सैं.मी. की दूरी पर से नाभि को बांधकर नाडू को काट दें। 1-2 प्रतिशत आयोडीन की मदद से नाभि के आस पास से साफ करना चाहिए।

सिफारिश किए गए टीके
जन्म के बाद कटड़े/बछड़े को 6 महीने के हो जाने पर पहला टीका ब्रूसीलोसिस का लगवाएं। फिर एक महीने बाद आप मुंह खुर का टीका लगवाएं और गलघोटू का भी टीका लगवाएं।  एक महीने के बाद लंगड़े बुखार का टीका लगवाएं। बड़ी उम्र के पशुओं की हर तीन महीने बाद डीवॉर्मिंग करें। कट्डे/बछड़े के एक महीने से पहले सींग ना दागें। एक बात का और ध्यान रखें कि पशु को बेहोश करके सींग ना दागें आजकल इलैक्ट्रोनिक हीटर से ही सींग दागें।

गाय को होने वाले प्रमुख रोग एवं उनके लक्षण-

मवेशी या अन्य पशुधन के बीमार हो जाने पर उनका इलाज करने के वनिस्पत उन्हें तंदुरूस्त बनाये रखने का इंतजाम करना ज्यादा अच्छा है। कहावत प्रसिद्ध है  “समय से पहले चेते किसान”। पशुधन के लिए साफ-सुथरा और हवादार घर – बथान, सन्तुलित खान – पान तथा उचित देख भाल का इंतजाम करने पर उनके रोगग्रस्त होने का खतरा किसी हद तक टल जाता है। रोगों का प्रकोप कमजोर मवेशियों पर ज्यादा होता है। उनकी खुराक ठीक रखने पर उनके भीतर रोगों से बचाव करने की ताकत पैदा हो जाती है। बथान की सफाई परजीवी से फैलने वाले रोगों और छूतही बीमारियों से मवेशियों का रक्षा करती है। सतर्क रहकर पशुधन की देख – भाल करने वाले पशुपालक बीमार पशु को झुंड से अलग कर अन्य पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं। इसलिए पशुपालकों और किसानों को निम्नांकित बातों पर ध्यान देना चाहिए-
  • पशुधन या मवेशी को प्रतिदिन ठीक समय पर भर पेट पौष्टिक चार-दाना दिया जाए। उनकी खुराक में सूखा चारा के साथ हरा चारा खल्ली – दाना और थोड़ा- सा नमक शामिल करना जरूरी है।
  • साफ बर्तन में ताजा पानी भरकर मवेशी को आवश्यकतानुसार पीने का मौका दें।
  • मवेशी का बथान साफ और ऊँची जगह पर बनाए। घर इस प्रकार बनाएं कि उसमें सूरज की रौशनी और हवा पहुँचने की पूरी - पूरी गूंजाइश रहे। घर में हर मवेशी के लिए काफी जगह होनी चाहिए।
  • बथान की नियमित सफाई और समय- समय पर रोगाणुनाशक दवाएँ जैसे फिनाइल या दूसरी दवा के घोल से उसकी धुलाई आवश्यक है।
  • मवेशियों या दुसरे पशुधन के खिलाने की नाद ऊँची जगह पर गाड़ी जाए। नाद के नीचे कीचड़ नहीं बनने दें।
  • घर बथान से गोबर और पशु- मूत्र जितना जल्दी हो सके खाद के गड्ढे में हटा देने का इंतजाम किया जाए।
  • बथान को प्रतिदिन साफ कर कूड़ा – करकट को खाद के गड्ढे में डाल दिया जाए।
  • मवेशियों को प्रतिदिन टहलने – फिलने का मौका दिया जाए।
  • मवेशियों के शरीर की सफाई पर पूरा – पूरा ध्यान दिया जाए।
  • उनके साथ लाड़ – प्यार भरा व्यवाहर किया जाए।

मवेशियों में फैलनेवाले अधिकतर संक्रामक रोग (छूतही बीमारियाँ) एंडेमिक यानी स्थानिक होते हैं। ये बीमारियाँ एक बार जिस स्थान पर जिस समय फैलती है, उसी स्थान पर और उसी समय बार- बार फ़ैला करती है। इसलिए समय से पहले ही मवेशियों को टिका लगवाने का इंतजाम करना जरूरी है। टिका पशुपालन विभाग की ओर से उपलब्ध रहने पर नाम मात्र का शुल्क लगाया जाता है। खुरहा – मुहंपका का टिका प्रत्येक वर्ष पशु स्वास्थ्य रक्षा पखवाड़ा के अंतर्गत मुफ्त लगाया जाता है- क्लिक कर आगे पढ़े -गाय को होने वाले प्रमुख रोग एवं उनके लक्षण और उनसे बचाव ?

जल प्रबंधन -

जिस जगह पर आप गाय को रख रहे हों ध्यान रहे की उस जगह पर जल का प्रबंध अच्छा होना चाहिए । गायों को नहाने के लिए या फिर उनके जगह की साफ़ सफाई के लिए पानी की बहुत खपत होती है ।

नित्य पशु का दूध निकाले – दूध उत्पादक जानवर आमतौर पर एक दिन में दो या तीन बार दूध देते है। इसलिए आपको चाहिए की आप नित्य हीं उनका दूध निकाले । दूध निकालने का सही समय होता है :-

सुबह 5 से 7 बजे – सुबह में 5 बजे से 7 बजे के बिच का समय गाय का दूध दुहना सही रहता है । इस समय में गाय अच्छे गुणवत्ता में  दूध देती है ।

शाम 4 से 6 बजे – सुबह के बाद शाम के समय में गाय का दूध निकलने से ज्यादा दूध की प्राप्ति होती है । इस तरह से आप एक दिन में 2 बार कर के ज्यादा से ज्यादा गुणवत्ता में दूध की प्राप्ति कर सकते है ।

दूध कैसे निकालें – 
गाय को हर वक्त बांध कर नहीं रखना चाहिए उन्हें समय समय पर खुली हवा में घांस चढ़ने के लिए छोड़ देना चाहिए इससे गाय स्वस्थ रहती है और दूध भी ज्यादा देती है । गाय के दूध को दुहने का भी एक तरीका होता है । चलिए हम बताते है कैसे गाय का दूध निकला जाता है :-

  • जब कभी भी गाय का दूध दुहना हो तो उन्हें छाँव में ले आयें जहां उनके पुआल खाने का इन्तेजाम किया हुआ हो । 
  • जब गाय पुआल खाने में व्यस्त हो जाती है तो उसी वक्त उसका दूध दुह लेना चाहिए । 
  • दूध दुहने वक्त अपने हाँथो में हल्का सरसों तेल लगा लें इससे हांथो पर ज्यादा जोड़ नहीं पड़ता है और दूध भी आसानी से निकल जाता है । 
  • जो लोग इस काम में कुशल होते है वो लोग इस तरह से एक बार में कई गायों का दूध दुह लेते है। 
  • जब तक आप एक गाय को दुह रहें हो तब तक के लिए बांकी की गायों को घांस चरने  के लिए छोड़ दें । 


No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"