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टर्की पालन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

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टर्की पालन हमारे देश में तेजी से बढ़ रहा है, खासकर गावों में और ग्रामीण लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है।

भारत में टर्की की नस्लें निम्नलिखित हैं-

बोर्ड ब्रेस्टेड ब्रोंजः इनके पंखों का रंग काला होता है न कि कांस्य। मादाओं की छाती पर काले रंग के पंख होते हैं जिनके सिरों का रंग सफेद होता है जिसके कारण 12 सप्ताह की छोटी आयु में ही उनके लिंग का पता लगाने में सहायता मिलती है।

बोर्ड ब्रेस्टेड ह्वाइट: यह बोर्ड ब्रेस्टेड ब्रोंज तथा सफेद पंखों वाले ह्वाइट हॉलैंड की संकर नस्ल है। सफेद पंखों वाले टर्की  भारतीय कृषि जलवायु स्थितियों के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं क्योंकि इनमें गर्मी सहने की क्षमता अधिक होती है और ड्रेसिंग के बाद ये सुंदर और साफ दिखाई देते हैं।

बेल्ट्सविले स्मॉल ह्वाइट यह रंग तथा आकार में बहुत कुछ बोर्ड ब्रेस्टेड ह्वाइट से मिलती-जुलती है लेकिन इसका आकार थोड़ा छोटा होता है। इसमें अंडों का उत्पादन, जनन क्षमता तथा अंडों से बच्चे देने की क्षमता और ब्रूडीनेस भारी प्रजातियों की तुलना में कम होती है।

नंदनम् टर्की -१:नंदनम् टर्की -1 प्रजाति, काली देसी प्रजाति तथा छोटी विदेशी बेल्ट्सविले की सफेद प्रजाति की संकर नस्ल है। यह तमिलनाडु की जलवायु स्थितियों के लिए अनुकूल है।

टर्की की अन्य नस्लें-

बरोंज़-
यह नस्ल भारत में और एशिया के कुछ गर्म देशों में उपलब्ध है। यह घरेलु टर्की और जंगली टर्की से तैयार की गई है। यह नसल अमेरिका में बहुत प्रसिद्ध है। यह दो किस्मों में पायी जाती है  - एक चौड़ी छाती वाली, जिसे व्यापारिक उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है और दूसरी अशोधित किस्म है जिसे छोटे स्तर पर उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है। ये आकार में बड़ी और इनकी छाती चौड़ी होती है, ये अधिक फुर्तीली होती हैं और इनकी चमकदार धातु होती है जो कि कॉपर भूरे रंग की होती है। इसे इसकी अच्छी वृद्धि दर और अन्य कार्यों के कारण मीट के लिए प्रयोग किया जाता है विशेषकर ब्रेस्ट मीट के लिए। इस नसल की मुख्यत: सफेद पंखों वाली किस्म मीट उत्पादन के लिए प्रयोग की जाती है। इस नसल की नर टर्की का औसतन भार 25 पाउंड्स और मादा टर्की का औसतन भार 16 पाउंड्स होता है।

बोरबोन रैड-
इसे Kentucky या Butternut red के नाम से भी जाना जाता है। यह नस्ल Buff, Bronze और White Holland से तैयार की गई है। इनके बाहरी पंख बादामी रंग के, सफेद रंग के पंख, पीले क्रीमी से मध्यम भूरे रंग के अंडे होते हैं जिन पर सफेद धब्बे होते हैं और अंडों का आकार बड़ा होता है। युवा मुर्गे का भार 23 पाउंड्स और युवा मुर्गियों का भार 24 पाउंड्स होता है। पंख का खड़ा भाग और पंजे गुलाबी रंग के होते हैं। कंठ लाल रंग का और काले रंग की दाढ़ी होती है।

बैल्टसविले समॉल वाईट-
यह नस्ल मध्यम से बड़े आकार की होती है और इसका औसतन भार 8-15 पाउंड्स होता है। नर टर्की का भार लगभग 17 पाउंड्स और मादा टर्की का भार लगभग 10 पाउंड्स होता है। इनके अंडे बड़े आकार के और अंडों का रंग पीले क्रीमी से मध्यम भूरा  होता है और इन पर धब्बे होते हैं। पंख का बाहरी भाग सफेद रंग का, लाल से नीले सफेद रंग का सिर, काले रंग की दाढ़ी, हल्के सलेटी रंग की चोंच, गहरे भूरे रंग की आंखें और पंख का खड़ा भाग और पंजे गुलाबी सफेद रंग के होते हैं। अंडों का उत्पादन, अंडे सेने और प्रजनन शक्ति अधिकतम होती है। ये मीट उद्देश्य के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

वाईट हॉलैंड-
इसे white plumage के नाम से भी जाना जाता है। यह सफेद पंखों वाले सभी पक्षियों में सबसे महत्तवपूर्ण किस्म है। यह विभिन्न रंगों जैसे सफेद, काले और कांसे रंग में पायी जाती है। इनकी दाढ़ी काले रंग की, चोंच गुलाबी से हल्के सलेटी रंग की होती है। पंखों का खड़ा भाग, पंजे, कंठ गुलाबी सफेद रंग के होते हैं। इस नसल के अंडों का आकार बड़ा और रंग पीले क्रीमी से मध्यम भूरा होता है और इन धब्बे पड़े होते हैं। प्रौढ़ मुर्गे का भार 36 पाउंड्स और मुर्गी का भार 20 पाउंड्स होता है।

नरग्गनसेट-
यह किस्म रोड आईलैंड से विकसित की गई थी। यह नसल domestic turkeys और native Eastern turkeys से तैयार की गई है। यह काले, सफेद, सलेटी और पीले भूरे रंग में पायी जाती है। इनकी चोंच हल्के सलेटी रंग की होती है। लाल से नीले सफेद रंग का सिर होता है, काले रंग की दाढ़ी होती है। सैल्मन रंग के खड़े पंख और पैर होते हैं। इस नसल के युवा मुर्गे का भार 23 पाउंड्स और मुर्गी का भार 14 पाउंड्स होता है। यह नसल बीमारी के प्रति अपनी अच्छी प्रतिरोधकता के लिए जानी जाती है।

टर्की पालन के लिए आवश्यक आहार -

पानी : पोषक तत्वों की आवश्यकता के रूप में इन्हें ताजे और साफ पानी की आवश्यकता होती है। पोल्टरी फाउंटेन या ऑटोमैटिक पानी की युनिट पानी को साफ रखने में उपयोगी हैं। पानी का छलकाव ना करें। सर्दियों में पानी को जमने से बचाने के लिए पानी के हीटर का प्रयोग करें। 

बच्चों का खुराकी प्रबंध : टर्की के बच्चों को शुरू में मैश और क्रंबल्स शुरूआती भोजन के रूप में दिए जाते हैं जो कि उनकी वृद्धि और विकास के लिए अच्छे होते हैं। मैश में रोल्ड जई और कॉर्न मील समान अनुपात में शामिल होते हैं। छोटे बच्चे को 28 प्रतिशत से ज्यादा प्रोटीन की आवश्यकता नहीं होती। 10 पाउंड के बच्चे को आहार में 2 कप brewer’s yeast दें।

सामान्य आहार : टर्की को व्यापारिक फीड्स जैसे पशु बाय उत्पादों और एंटीबायोटिक दिए जाते हैं लेकिन यह फीड टर्की के लिए हानिकारक है इसलिए घर पर बनी फीड की सिफारिश की जाती है। शुरूआती टर्की को  अपनी फीड में 22-24 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है।  वृद्धि करने वाली टर्की को, जब टर्की 5-8 सप्ताह की हो जाए उसे अपने आहार में 20 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है और एक यूवा टर्की को अपने आहार में 16 प्रतिशत प्रोटीन की आवश्यकता होती है। कोशिश करें फीड को फीड कंटेनर में दें जो कि भारी और छोटा हो। कंटेनर भारी होना चाहिए ताकि टिपिंग कम ना हो और छोटा हो ताकि टर्की फीड पर खड़े ना हों, इससे फीड दूषित हो जाएगी।

नस्ल की देख रेख-

रहन सहन की आवश्यकताएं : गैरेज और शैड बनाएं जो कि टर्की पालन के लिए सबसे अच्छा है। एक गैरेज लगभग 20-20 फुट का होना चाहिए इससे आपको गैरेज में आराम से चलने में आसानी होगी। फर्श चटाई से ढके होने चाहिए जो कि फिसलन प्रतिरोधी हों और शैल्टर भी जल रोधक और अच्छी तरह से हवादार होने चाहिए। शैल्टर को सप्ताह में एक बार साफ करना जरूरी है और गीले या गंदे बैडों को प्रतिदिन निकाल देना चाहिए। टर्की को परजीवी से बचाने के लिए फैंसिंग की जानी चाहिए जो कि 4-5 फुट ऊंची हो। फैंसिंग के लिए अकेले चिकन तार का प्रयोग ना करें क्योंकि यह जल्दी टूट जाती है।

टर्की के बच्चों की देखभाल : टर्की की अच्छी देखभाल के लिए उन्हें पोषक तत्वों और स्वस्थ भोजन और पानी की प्रचुर मात्रा की आवश्यकता होती है। टर्की के नए बच्चों को उचित देखभाल और इनक्यूबेटर की आवश्यकता होती है। अंडों को इनक्यूबेटर में रखा जाता है। पहले सप्ताह के लिए ब्रूडर का तापमान 95 डिगरी फार्नाहीट होना जरूरी है और प्रत्येक सप्ताह इसका तापमान 5 डिगरी फार्नाहीट कम करना जरूरी है। बच्चों को उचित फीड  उचित समय पर देनी चाहिए और ब्रूडर में ताजा पानी हर समय उपलब्ध होना चाहिए। इनक्यूबेटर से निकालने के दौरान बच्चों की संभाल बहुत सावधानी से की जानी चाहिए। इनक्यूबेटर से बच्चों को निकालने के बाद उन्हें ब्रूडर में रखा जाता है।

सिफारिश किया गया टीकाकरण : -

  • सिफरिश किए गए टीके टर्की को विभिन्न अवस्थाओं में दिए जाते हैं।
  • एक दिन के टर्की को न्यू कैस्टल बीमारी से बचाने के लिए New Castle disease-B1 strain का टीका लगवायें।
  • 4-5 सप्ताह के टर्की को Fowl Pox का टीका लगवायें।
  • जब टर्की 6 सप्ताह का हो तो New Castle Disease-R2B strain का टीका लगवायें|
  • जब टर्की 8 से 10 सप्ताह के बीच हो तो उसे Cholera का टीका लगवायें।

पंखों को हटाना (डीबीकिंग) :

पंखों को उखाड़ने तथा अपने साथ के बच्चों को खाने से रोकने के लिए छोटे बच्चों के पंख को हटा देनी चाहिए। पंख हटाने का काम एक दिन या 3-5 सप्ताह की आयु में की जा सकती है। चोंच की नोक से नासिका तक की लंबाई की आधी चोंच को हटा दें।

पंखों को उखाड़ने तथा अपने साथ के बच्चों को खाने से रोकने के लिए छोटे बच्चों के पंख को हटा देनी चाहिए। पंख हटाने का काम एक दिन या 3-5 सप्ताह की आयु में की जा सकती है। चोंच की नोक से नासिका तक की लंबाई की आधी चोंच को हटा दें।

डिस्नूडिंग : एक दूसरे पक्षियों को चोंच मारने और लड़ाई के दौरान सिर में लगने वाले चोटों से बचाने के लिए स्नूड या ड्यू बिल (चोंच की जड़ में से निकलने वाली मांस की संरचना) को हटाया जाता है। जब बच्चा एक दिन का हो जाता है तो स्नूड को उंगली के दबाव से हटाया जा सकता है। 3 सप्ताह का होने पर इसे तेज कैंची की सहायता से सिर के पास से काटा जा सकता है।

नाखून की कटाई : एक दिन की आयु के बच्चों के नाखून की कटाई की जाती है। पूरे पंजे के नाखूनों की लंबाई सहित इसके अंतर्गत सबसे बाहर वाले पंजे के अंदर की दूरी तक पंजे का सिरा हटा दिया जाता है।

प्रजनन कार्य
प्राकृतिक प्रजनन : वयस्क नर टोम के सहवास कार्य को स्ट्रट कहा जाता है। इस दौरान यह अपनी पंख फैलाकर बार-बार एक अजीब सी आवाज निकालता है। प्राकृतिक सहवास में मध्यम प्रकार के टर्कीयों के लिए नर और मादा का अनुपात 1:5 होता है और बड़े टर्कीयों के लिए यह अनुपात 1:3 होता है। सामान्यतौर पर प्रत्येक वयस्क मादा से 40-50 बच्चों की उम्मीद की जाती है। उर्वरत्व या प्रजनन कम होने के कारण पहले साल के बाद वयस्क नर का प्रयोग शायद ही किया जाता है। वयस्क नर में यह प्रवृत्ति पायी गई है कि उन्हें किसी खास मादा से ज्यादा लगाव हो जाता है इसलिए हमें प्रत्येक 15 दिनों में वयस्क नर को बदलना पड़ता है।

कृत्रिम गर्भाधान (इनसेमिनेशन)-
कृत्रिम शुक्र सेचन का लाभ यह होता है कि पूरी मौसम के दौरान टर्की  के समूहों में उच्च उर्वरत्व या प्रजनन क्षमता बनाये रखा जाए।
  • वयस्क नर से सिमेन (वीर्य) संचय करना
  • वीर्य संचय के लिए टॉम का उम्र 32-36 सप्ताह होना चाहिए।
  • वीर्य संचय से करीब 15 दिन पहले टॉम को अलग एकांत में रखना चाहिए।
  • टॉम की देखभाल नियमित रूप से की जानी चाहिए और सिमेन प्राप्त करने में 2 मिनट का समय लगता है।
  • चूंकि टॉम का देखभाल करना मुश्किल होता है इसलिए एक ही संचालक का प्रयोग अधिकतम वीर्य प्राप्त करने के लिए किया जाना चाहिए।
  • औसत वीर्य आयतन 0.15 से 0.30 मिली लीटर होता है।
  • वीर्य प्राप्त करने के एक घंटा के अंदर इसका प्रयोग कर लें।
  • इसे सप्ताह में तीन बार या एक दिन छोड़कर प्राप्त करें।
  • मुर्गियों में गर्भाधान (इनसेमिनेशन)
  • जब समूह, 8-10% अंडा उत्पादन की क्षमता प्राप्त कर लेती है तो कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है।
  • प्रत्येक 3 सप्ताह के बाद 0.025-0.050 मिली लीटर शुद्ध वीर्य (अनडाइल्युटेड सिमेन) का प्रयोग कर मादा में गर्भाधान करें।
  • मौसम के 12 सप्ताह के बाद प्रत्येक 15 दिनों बाद गर्भाधान करना बेहतर होगा।
  • मादा को शाम के 5-6 बजे के बाद गर्भाधान करें।
  • 16 सप्ताह के प्रजनन मौसम के बाद औसत ऊर्वरता 80-85% के बीच होनी चाहिए।

बीमारियां और रोकथाम-
Bumble foot:  यह बीमारी मुख्यत: पैर पर धफड़ी की उपस्थिति के कारण होती है।
इलाज : पैरों को Epsom salts में डुबोयें उसके बाद प्रभावित भाग को dilute Bitadine or Chlorhexidine से साफ करें और इसे sterile पानी से निकाल लें।

Blackhead: यह एक परजीवी बीमारी है जो कि Histomonas Meleagridis के कारण होती है। इसके लक्षण हैं सूजन आना, डायरिया, सुस्ती और अचानक मौत होना।
इलाज : इस बीमारी से बचाव के लिए Oregano (Viovit) दवाई का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है।

Lameness: यह बीमारी Mycoplasma संक्रमण के कारण होती है जो कि अंडों या हवा के द्वारा फैलती है। इसके लक्षण हैं जोड़ों में सूजन, छींकना और सुस्ती।
इलाज :  इस बीमारी से बचाव के लिए विभिन्न एंटीबायोटिक्स की सिफारिश की गई है।

Haemorrhagic Enteritis: यह बीमारी मुख्यत: Adenovirus के कारण होती है जो कि मुख्यत: 6-12 सप्ताह के युवा टर्की को प्रभावित करती है। इसके कारण डायरिया हो जाता है और यदि इलाज ना किया जाये तो मौत भी हो जाती है।
इलाज :  इस बीमारी से बचाव के लिए विभिन्न एंटीबायोटिक दी जाती है। शैड को डिटर्जेंट से धोकर इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है और उसके बाद सूखे शैड में कीटाणुनाशक जैसे TAD, CID या interkokask डालें।

Respiratory disease: यह एक विषाणु संक्रमण है जो Mycoplasma और Avian Rhino Tracheitis (ART). के कारण फैलता है। इसके लक्षण हैं मुंह का सूजन, छींक, आंखों में पानी और जोड़ों में सूजन होना आदि।
इलाज : हल्की परिस्थितियों में पक्षी इसे स्वंय भी ठीक कर लेते हैं लेकिन बड़ी परिस्थितियों में एंटीबायोटिक खुराक दी जाती है।

Coccidiosis: यह एक परजीवी बीमारी है जो कि टर्की के शरीर में दाखिल होती है और प्रजनन शुरू करती है। इसके लक्षण हैं पंखों का कुंठित होना, डायरिया और अचानक मौत हो जाना।
इलाज : इस बीमारी को रोकने के लिए anticoccidial एजेंट जैसे Amprolin or Baycox का प्रयोग किया जाता है।

Diarrhoea:  यह कई हानिकारक एजेंट जैसे बैक्टीरिया, वायरस और कोकसीडियोसिस के कारण होती है। इसके लक्षण है भार का कम होना और दस्त लगना आदि ।
इलाज :  डायरिया के इलाज के लिए एंटीबायोटिक थैरेपी दी जाती है।

Erysipelas: यह बीमारी बैक्टीरिया के कारण होती है जो मिट्टी में रहता है और जख्मों द्वारा टर्की के शरीर में प्रवेश करता है। इसके लक्षण हैं लंगड़ापन, अचानक मौत आदि।
इलाज : इस बीमारी से बचाव के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती है।

निम्नलिखित-सारणी-
टर्की की बिक्री : 16वें सप्ताह में वयस्क नर और मादा का वजन 7.26 किलो ग्राम और 5.53 किलो ग्राम हो जाता है। टर्की  का बिक्री करने के लिए यह आदर्श वजन होता है।

टर्की का अंडा : टर्की  अपने उम्र के 30 सप्ताह बाद से अंडा देना शुरू करता है। पहली बार अंडा देने के 24 सप्ताह बाद उत्पादन शुरू हो जाता है।
  • उचित भोजन और कृत्रिम प्रकाश प्रबंधन के तहत मादा टर्की  वर्षभर में करीब 60-100 अंडा देते हैं।
  • लगभग 70 प्रतिशत अंडे दोपहर में दिये जाते हैं।
  • टर्की  के अंडे रंगीन होते हैं और इसका वजन करीब 85 ग्राम होता है।
  • अंडा एक कोने पर कुछ अधिक नुकीला होता है और इसका आवरण मजबूत होता है।
  • टर्की  के अंडा में प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट और खनिज सामग्री क्रमश: 13.1%, 11.8%, 1.7% और 0.8% होता है। प्रति ग्राम जर्दी में 15.67-23.97 मिली ग्राम कॉलेस्ट्रॉल होते हैं।

टर्की का माँस : टर्की  के माँस का पतला होने के कारण लोग इसे काफी पसंद करते हैं। टर्की  के माँस के प्रत्येक 100 ग्राम में प्रोटीन, वसा और ऊर्जा मान क्रमश: 24%, 6.6%, 162 कैलोरी होता है। पोटैशियम, कैल्सियम, मैग्नेशियम, लौह पदार्थ, सेलेनियम, जिंक और सोडियम जैसे खनिज भी पाये जाते हैं। यह एमीनो अम्ल और नियासिन, विटामिन बी6 और बी12 जैसे विटामिनों से भी भरपूर होता है। यह असंतृप्त वसा अम्ल और दूसरे आवश्यक वसा अम्ल से भरा होता है तथा कोलेस्टरॉल की मात्रा कम होती है।

एक अध्ययन के अनुसार 24 सप्ताह की आयु और 10-20 किलो ग्राम वजन वाले नर मादा को यदि 300 से 450 रुपये में बेचा जाता है तो इसमें करीब 500 से 600 रुपये का लाभ होता है। इसी तरह एक मादा में 24 सप्ताह की समयावधि में करीब 300 से 400 रुपये का लाभ मिलेगा। इसके अलावा टर्की  को सफाई और अर्ध-सफाई वाले स्थिति में भी पालन किया जा सकता है।

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