जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके बनाया जाने वाला च्यवनप्राश एक आयुर्वेदिक उत्पाद है। सर्दी-जुखाम से बचने और इम्यूनिटी सिस्टम को बेहतर करने के लिए दादी-नानी भी अक्सर च्यवनप्राश खाने की सलाह देती रही हैं। दें भी क्यों न! इसमें मौजूद आयुर्वेदिक सामग्रियां ठंड से बचाने के साथ ही खांसी-जुखाम को जल्दी भगाने में जो मदद करती हैं। च्यवनप्राश खाने के फायदे वैसे तो सर्दियों में ज्यादा होते हैं, क्योंकि उस समय जुखाम और ठंड की चपेट में आने की आशंका ज्यादा होती है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि च्यवनप्राश के फायदे अन्य मौसम में नहीं होते। इसी वजह से हम यहां च्यवनप्राश के लाभ और च्यवनप्राश बनाने की विधि के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। यहां दी गई सभी जानकारी रिसर्च पर आधारित होगी। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को फायदा पहुंचाने वाले औषधीय च्यवनप्राश के बारे में जानने के लिए पढ़े यह लेख।
च्यवनप्राश में मौजूद सामग्रियां –
वैसे तो च्यवनप्राश में करीब 50 तरह की सामग्रियों का इस्तेमाल होता है। बाजार में मौजूद च्यवनप्राश बनाने वाली कई कंपनियां भी च्यवनप्राश बनाने के लिए विभिन्न तरह की सामग्रियों का इस्तेमाल करती हैं। हर कंपनी अपने हिसाब से च्यवनप्राश के लिए सामग्रियों का चयन करती हैं, जिनमें से कुछ आम सामग्रियों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं। घर पर दादी-नानी भी नीचे बताई जा रही सामग्रियों का इस्तेमाल करके ही च्यवनप्राश बनाती हैं ।
- आंवला
- वसाका
- अश्वगंधा
- तुलसी
- नीम
- केसर
- पिप्पली
- ब्राह्मी
- घी
- शहद
- लौंग
- इलायची
- दालचीनी
- बेल
- अगुरु
- तेजपत्ता
- पुनर्नवा
- हल्दी
- नाग केसर
- शतावरी
- तिल का तेल
च्यवनप्राश के फायदे –
1. एटी-इंफ्लेमेटरी
च्यवनप्राश को एंटी-इंफ्लामेटरी माना जाता है। यह सूजन से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। दरअसल, च्यवनप्राश में कई ऐसी सामग्रियां होती हैं, जो इंफ्लामेशन को कम करने का काम कर सकती हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में भी इस बात का जिक्र है। शोध में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि च्यवनप्राश बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तिल के तेल, लौंग और अगुरु में एंटी-इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं ।
साथ ही च्यवनप्राश में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स की वजह से भी यह एंटी-इंफ्लामेटरी गुण प्रदर्शित करता है। इनके अलावा, अश्वगंधा, नागकेसर और आंवला जैसी च्यवनप्राश की सामग्रियों में भी एंटी-इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज पाई जाती है। इसी वजह से च्यवनप्राश केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) के कार्य सुधार में भी मदद कर सकता है ।
2. हृदय स्वास्थ्य
च्यवनप्राश खाने के फायदे में हृदय स्वास्थ्य भी शामिल है। इसे कार्डियो टॉनिक माना गया है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। रिसर्च में कहा गया है कि च्यवनप्राश दिल को मजबूत रखने का काम कर सकता है। साथ ही मांसपेशियों तक स्वस्थ रक्त प्रवाह को सुनिश्चित कर च्यवनप्राश हृदय की धड़कन को भी सही रख सकता है। च्यवनप्राश बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली आंवला, बाला जैसी तमाम सामग्रियों को भी हृदय को स्वस्थ रखने और इसके बेहतर कार्य को सुनिश्चित करने के लिए जाना जाता है । इसी वजह से माना जाता है कि हृदय रोग से बचाव में च्यवनप्राश फायदेमंद हो सकता है।
3. पाचन और चयापचय में सुधार
नियमित च्यवनप्राश के फायदे में पाचन शक्ति में सुधार भी शामिल है। इसका सेवन करने से खाना अच्छे से पचता है और मल त्याग भी बेहतर तरीके से होता है । नागकेसर, तेजपत्ता, दालचीनी जैसी जड़ी-बूटियों की वजह से च्यवनप्राश पाचन और चयापचय को सुधारने में मदद कर सकता है। पाचन तंत्र के साथ ही च्यवनप्राश पेट संबंधी समस्या गैस्ट्रिटिस (पेट की परत में सूजन व जलन), पेट में ऐंठन व दर्द के साथ ही गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फंक्शन के लिए बेहतर पाया गया है।
4. खांसी और सर्दी
बदलते मौसम और अन्य कई कारणों से सर्दी-खांसी जैसी समस्या लोगों को हो जाती है। इस समस्या से बचने के लिए भी च्यवनप्राश का सेवन फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, इसमें मौजूद शहद, सर्दी और खांसी को ठीक करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, यह इम्यूनिटी को भी बढ़ाने में मदद करता है, जिसकी वजह से शरीर खांसी और ठंड से लड़ने का काम करता है। साथ ही च्यवनप्राश में मौजूद आंवला और अन्य जड़ी-बूटियां विटामिन-सी से समृद्ध होती हैं, जो शरीर को किसी भी तरह के संक्रमण और वायरस व बैक्टीरिया से बचाने में मदद कर सकता है । इसी वजह से माना जाता है कि सर्दी-खांसी से बचाव के लिए च्यवनप्राश का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
5. रक्त साफ करे
च्यवनप्राश खाने के फायदे में रक्त को साफ करना भी शामिल है। खून को साफ केवल वही च्यवनप्राश कर सकते हैं, जिनमें पाटला को बतौर सामग्री इस्तेमाल किया गया हो। पाटला रक्त में मौजूद विषैले तत्वों को निकालकर इसे साफ करने का काम कर सकता है । इसके अलावा, च्यवनप्राश में मौजूद तुलसी और हल्दी भी बतौर ब्लड प्यूरीफायर काम करते हैं। ऐसे में अगर रक्त को साफ करने के लिए किसी को च्यवनप्राश का सेवन करना हो तो इसकी सामग्री में तुलसी, हल्दी और पाटला है या नहीं यह जरूर ध्यान दें।
6. याददाश्त तेज करे
याददाश्त का तेज होना घरेलू और ऑफिस के कामकाज के लिए जरूरी है। उम्र की वजह से या समय पहले अगर याददाश्त कमजोर होने लगे तो च्यवनप्राश का सहारा लिया जा सकता है। माना जाता है कि च्यवनप्राश खाने के फायदे में मस्तिष्क को तेज करना और याददाश्त को बढ़ाना भी शामिल है। इसी संबंध में चूहों पर एक शोध किया गया, जो एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश है। रिसर्च के मुताबिक च्यवनप्रश में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं, जो खोती याददाश्त को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही कुछ नया सिखने की क्षमता में भी च्यवनप्राश लाभदायक हो सकता है । बताया जाता है कि च्यवनप्राश मस्तिष्क के सेल्स को भी पोषण देने का काम कर सकता है।
7. इम्यूनिटी को बढ़ाए
इम्यूनिटी यानी प्रतिरक्षा का मजबूत होना शरीर के लिए आवश्यक होता है। यह प्रतिरक्षा ही है, जो शरीर को जल्दी बीमार होने से बचाती है और इंफेक्शन व बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है। माना जाता है कि प्राचीन काल से लोग च्यवनप्राश का इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के घरेलू उपाय की तरह करते आ रहे हैं। इस बात का जिक्र वैज्ञानिक शोध में भी मिलता है।
दरअसल, च्यवनप्राश की सामग्री में शामिल आंवला शरीर में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी इफेक्ट दिखाता है। यह प्रभाव शरीर की जरूरत के हिसाब से इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करता है। इसके अलावा, च्यवनप्राश बनाने में इस्तेमाल होने वाले गाय के घी और शहद में भी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने वाले प्रभाव पाए गए हैं। इसी वजह से माना जाता है कि च्यवनप्राश खाने के फायदे में प्रतिरक्षा को मजबूती देना भी शामिल है ।
8. श्वसन संबंधी परेशानियों में च्यवनप्राश खाने का फायदे
श्वसन यानी सांस से संबंधी परेशानी से निपटने के लिए भी बूढ़े-बुजुर्ग अक्सर च्यवनप्राश का सेवन करने की सलाह देते हैं। इसी विषय को लेकर जब वैज्ञानिकों ने शोध किया तो पाया कि इसमें मौजूद पिप्पली जड़ी-बूटी श्वसन संक्रमण से बचाने का काम करती है। सांस संबंधी परेशानी वाले लोगोंं को हल्के गुनगुने पानी के साथ च्यवनप्राश का सेवन करने की सलाह दी जाती है। साथ ही दूध और दही का परहेज करने को भी कहा जाता है। तभी च्यवनप्राश खाने का कुछ फायदा सांस संबंधी परेशानी में हो सकता है ।
9. हड्डियों को मजबूत करे
च्यवनप्राश के लाभ में हड्डी को मजबूत करना भी शामिल है। माना जाता है कि च्यवनप्राश का सेवन करने से कैल्शियम के बेहतर अवशोषण और प्रोटीन के संश्लेषण यानी सिंथेसिस में मदद मिलती है, जिससे हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं। इसी वजह से कहा जाता है कि च्यवनप्राश का सेवन और साथ ही अन्य कैल्शियम युक्त पदार्थ ग्रहण करने से हड्डी को स्वस्थ रखा जा सकता है। हड्डी मजबूत करने के लिए च्यवनप्राश खाने का तरीका है दूध में मिलाकर। च्यवनप्राश दूध में मौजूद कैल्शियम को शरीर में अवशोषित करने में सहायता करेगा।
10. कोलेस्ट्रॉल
च्यवनप्राश का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है। दरअसल, यह हाइपोलिपिडेमिक की तरह शरीर में काम करता है, जो कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स (रक्त में मौजूद एक प्रकार का फैट) के स्तर को कम कर सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में च्यवनप्राश का सेवन करने वाले बुजुर्ग लोगों के कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, एलडीएल (कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन) में कमी और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) में वृद्धि दर्ज की गई है। इसी वजह से माना जाता है कि च्यवनप्राश खाने के फायदे में कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण भी शामिल है ।
11. त्वचा स्वास्थ्य
च्यवनप्राश खाने के फायदे में त्वचा स्वास्थ्य भी शामिल हैं। बदलते मौसम, धूल-मिट्टी, प्रदूषण और कई अन्य कारणों से त्वचा रूखी और बेजान होने लगती है। ऐसे में त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी च्यवनप्राश का सेवन किया जा सकता है। रिसर्च में भी इस बात का विवरण दिया गया है। शोध के मुताबिक च्यवनप्राश का सेवन करने से चेहरे की रंगत में सुधार हो सकता और चेहरे को दमकता हुआ बनाए रखने में मदद मिल सकती है। साथ ही इस बात का भी जिक्र है कि च्यवनप्राश की मदद से चेहरे को फोटो एजिंग यानी सूर्य की वजह से चेहरे पर समय से पहले दिखने वाले एजिंग के प्रभाव को भी दूर किया जा सकता है। त्वचा को जवां रखने के साथ ही च्यवनप्राश इसे संक्रमण से भी बचाए रखने का काम कर सकता है ।
च्यवनप्राश का सेवन कैसे करें? –
च्यवनप्राश के लाभ तो हम बता ही चुके हैं, अब जरूरी है च्यवनप्राश खाने की विधि यानी तरीका जानना। नीचे हम बता रहे हैं कि च्यवनप्राश खाने का तरीका क्या होता है और च्यवनप्राश कब खाना चाहिए।
- च्यवनप्राश सुबह खाली पेट खाया जा सकता है।
- च्यवनप्राश का सेवन दूध के साथ भी खाया जा सकता है। हालांकि, ध्यान रहे कि इसे खाने के तुरंत बाद मसालेदार चीज न खाएं।
- गुनगुने पानी के साथ भी इसे लिया जा सकता है।
- च्यवनप्राश रोटी पर लगाकर भी खाया जा सकता है।
- च्यवनप्राश खाने का तरीका जानने के बाद लेख में आगे पढ़ें च्यवनप्राश कितना खाना चाहिए।
च्यवनप्राश की खुराक
शरीर को च्यवनप्राश लाभ तभी पहुंचाता है, जब इसकी खुराक नियंत्रित हो। अगर इसका ज्यादा सेवन किया जाए तो च्यवनप्राश खाने के फायदे की जगह नुकसान भी हो सकते हैं। इसी वजह से हमेशा ध्यान रखें कि हर रोज एक या दो चम्मच च्यवनप्राश का ही सेवन करें। वैसे अगर ग्राम में बात करें तो एनसीबीआई की वेबसाइट पर च्यवनप्राश से संबंधित रिसर्च में लिखा है कि 12 से 28 ग्राम च्यवनप्राश का ही सेवन किया जाना चाहिए (1)।
घर में च्यवनप्राश बनाने की विधि
घर पर च्यवनप्राश बनाने की विधि कुछ इस प्रकार है –
सामग्री:
- दो किलो आंवला
- 25-25 ग्राम शतावरी, गोखरू, बेल, नागरमोथा, लौंग, जीवन्ती, पुनर्नवा, अश्वगंधा, गिलोय, ब्राह्मी, तुलसी के पत्ते, मुलेठी, छोटी इलायची, वसाका, सफेद चंदन, शतावरी और हल्दी की जड़ (उबालने वाली सामग्री)
- 150-100 ग्राम घी और तिल का तेल
- 20 ग्राम पिप्पली
- 25 ग्राम दालचीनी
- 10 ग्राम तेज पत्ता
- 10 ग्राम नागकेसर
- 1 ग्राम केसर
- 10 ग्राम छोटी इलायची
- 250 ग्राम शहद
- चीनी आवश्यक्तानुसार
- बनाने का तरीका:
- आंवले को सबसे पहले धो लें।
- अब एक बडे़ बर्तन में करीब 5 लीटर पानी डालकर गर्म करें।
- इसमें गोखरू के अलावा सभी उबालने वाली सामग्रियों को डाल दें।
- अब एक कपड़े में गोखरू को लपेटकर अच्छे से बांधे और पानी में डाल दें।
- मध्यम आंच में करीब दो घंटे तक पकने दें।
- दो घंटे तक पकने के बाद करीब 12 घंटे तक ऐसे ही रहने दें।
- अब एक बर्तन में सारे आंवले डाले और उनकी गुठली निकाल लें।
- आंवले उबलने के बाद नर्म हो जाते हैं, इसलिए आसानी से गुठली निकल जाएगी।
- अब आंवले को मसलकर पल्प जैसा बना लें।
- इसके बाद तिल के तेल और घी को मिलाकर एक बर्तन में डालें और गर्म करें।
- तेल और घी दोनों के एक साथ गर्म होने के बाद इसमें आंवले के गूदे को डालें।
- ध्यान रखें कि लोहे की कड़ाही का ही इस्तेमाल करें।
- करीब आधे घंटे तक इसे अच्छे से भूनें।
- जब अच्छे से आंवला भून जाए तो उससे घी अलग होने लगेगा।
- फिर उसमें चीनी डालें और फिर उसे पकाते रहें।
- याद रहें कि इसे अच्छी तरह से करछी से मिलाते रहें वरना यह चिपकने लगेगा।
- जब यह गाढ़ा हो जाए तो थोड़ी देर के लिए गैस बंद कर दें।
- इस दौरान पिप्पली, दालचीनी, तेज पत्ता, नागकेसर, केसर और छोटी इलायची पीसकर बारिक पाउडर तैयार करें।
- अब आंवले के पेस्ट के ठंडा होने के बाद इसमें तैयार पाउडर को डाल लें।
- साथ ही 250 ग्राम शहद भी डाल लें।
- इतना करने के बाद पेस्ट को अच्छी तरह से मिक्स कर लें।
- लीजिए बस तैयार है घर पर बना च्यवनप्राश।
च्यवनप्राश लेने से पहले सावधानियां
- छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं व डायबिटीज के मरीज को च्यवनप्राश का सेवन डॉक्टर से पूछ कर करना चाहिए।
- च्यवनप्राश की तासीर गर्म होती है। ऐसे में अगर मुंह में छाले हों तो इसका सेवन न करें।
- जल्दी एलर्जी होने वालों को च्यवनप्राश खाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है।
- अस्थमा या अन्य श्वसन संबंधी परेशानी से पीड़ित व्यक्ति को च्यवनप्राश दूध के साथ नहीं खाना चाहिए।
- सोने से पहले च्यवनप्राश खाने से बचना चाहिए।
च्यवनप्राश के नुकसान –
- च्यवनप्राश के नुकसान व विषाक्तता को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। च्यवनप्राश पर आधारित एनसीबीआई पर मौजूद एक शोध के मुताबिक इसे अगर निर्धारित मात्रा में लिया जाए, तो यह शरीर के लिए सुरक्षित होता है। फिर भी हम संभावित कुछ च्यवनप्राश के नुकसान के बारे में नीचे बता रहे हैं।
- च्यवनप्राश में आंवला होता है, जिसे रात के समय खाने से दांतों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
माना जाता है कि इसे ज्यादा खाने से पेट खराब हो सकता है। हालांकि, इसका कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है।
च्यवनप्राश में चीनी का इस्तेमाल होता है। इसी वजह से डायबिटीज के मरीजों को इसके सेवन से बचना चाहिए।
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