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आर्टिचोक के उपयोग,फायदे और नुकसान

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सदियों से विभिन्न प्रकार की सब्जियों का इस्तेमाल स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी किया जाता रहा है। इनमें से कई सब्जियां तो आम हैं, लेकिन कुछ के बारे में कम ही लोग जानते हैं। इन्हीं में से एक है ‘आर्टिचोक’। दरअसल, यह सब्जी नहीं बल्कि एक अपरिपक्व फूल की कली है, जिसका इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जाता है। माना जाता है कि यह सब्जी कई रोगों के लक्षण दूर करने के साथ ही स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकती है। यही वजह है कि इस लेख में हम आर्टिचोक के विषय में जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं। आप यहां आर्टिचोक के फायदे और नुकसान के साथ ही इसके उपयोग के तरीके भी जान पाएंगे।

आर्टिचोक के फायदे –
1. पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करे:
पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आर्टिचोक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी संबंध में एनसीबीआई (नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर एक शोध भी प्रकाशित हुआ है। इस शोध के मुताबिक आर्टिचोक के पत्ते के अर्क में मौजूद बाइल (लिवर द्वारा निकलने वाला तरल पदार्थ) को बढ़ावा देना वाला प्रभाव पाचन में मदद कर सकता है। साथ ही यह इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के लक्षण, जैसे पेट दर्द और अपच की समस्या को दूर करने में लाभदायक हो सकता है |

दरअसल, इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम यानी आंत संबंधी समस्या भी पाचन संबंधी समस्याओं में से एक है । माना जाता है कि आर्टिचोक में मौजूद फाइबर पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। पाचन से जुड़ी परेशानी को दूर करने के लिए आर्टिचोक का सेवन काढ़ा या चाय के रूप में किया जा सकता है।

2. कैंसर को बढ़ने से रोके:
आर्टिचोक को लेकर किए गए अध्ययनों के मुताबिक इसका अर्क स्तन कैंसर की कोशिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालकर, कैंसर सेल्स को फैलने से रोक सकता है। दरअसल, इसमें पॉलीफेनोल नामक केमिकल कंपाउंड होता है, जो कैंसर कोशिकाओं की गतिविधि को धीमा कर सकता है। आर्टिचोक में मौजूद पोलीफेनोलिक कंपाउंड की वजह से ही इसमें कीमोप्रेंटिव गतिविधि भी पाई जाती है । कीमोप्रेंटिव गुण कैंसर के फैलने की गति को कम करने के साथ ही इसकी पुनरावृत्ति यानी एक बार कैंसर होने के बाद दोबारा कैंसर होने की आशंका को धीमा कर सकता है ।

3. लिवर स्वास्थ्य में सुधार:
आर्टिचोक का सेवन लिवर के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इसके सेवन से लिवर एंजाइम्स में सुधार हो सकता है। इसमें फ्लेवोनोइड्स और कैफॉइलक्विनिक  एसिड मौजूद होते हैं, जो हेपेटोप्रोटेक्टिव गतिविधि और हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं। हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण लिवर को डैमेज होने से बचाता है और साथ ही यह नॉनअल्कोहोलिक स्टीटोहेपेटाइटिस NASH में भी फायदा पहुंचा सकता है। दरअसल, नॉनअल्कोहोलिक स्टीटोहेपेटाइटिस वो बीमारी होती है, जिसमें बिना अल्कोहल के सेवन के ही लिवर में फैट जमने लगता है, जिससे लिवर में सूजन और संक्रमण होता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक आर्टिचोक सबसे ज्यादा लाभकारी प्रभाव लिवर पर ही दिखाता है। आर्टिचोक की जड़ों और पत्तियों के अर्क का इस्तेमाल लिवर को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है। यह लिवर की कोशिकाओं को दोबारा बनने में भी मदद कर सकता है ।

4. हृदय स्वास्थ्य:
आर्टिचोक, विश्व में उगाए जाने वाले सबसे प्राचीन पौधों में से एक है। इसके पौधे के विभिन्न हिस्सों (पत्तियों, फलों और जड़ों) के अर्क का उपयोग समय-समय पर औषधीय रूप में किया जाता रहा है। यही वजह है कि आर्टिचोक के फायदे में हृदय स्वास्थ्य भी शामिल है। इटली में की गई एक स्टडी के मुताबिक हृदय संबंधी रोगों की रोकथाम के लिए आर्टिचोक के वैकल्पिक इस्तेमाल को लेकर जागरूकता जरूरी है।  दरअसल, यह कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय रोग को रोकने में मदद कर सकता है। इसमें मौजूद फ्लेवोनाइड्, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया कोलेस्ट्रॉल का अधिक स्तर) को कम कर सकता है और एंटीऑक्सीडेंट गुण एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनी में जमने वाले प्लाक) से बचा सकता है। इन दोनों समस्याओं का संबंध हृदय रोग से है।

5. डायबिटीज:
आर्टिचोक की पत्तियों के इथेनॉल अर्क में एंटीहाइपरग्लिसेमिक गुण पाया जाता है। यह गुण ग्लूकोज के लेवल को कम करके डायबिटीज के स्तर को घटा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक शोध के दौरान आर्टिचोक की पत्तियों का अर्क (200 से 400 मिलीग्राम प्रति किलो वजन) एक निर्धारित समय तक जब चूहों को दिया गया, तो उनका ग्लूकोज लेवल 42.84 से 37.91 प्रतिशत तक घटा। माना जाता है कि इसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक प्रभाव टेरपेनॉइड, फिनोल, फ्लेवोनोइड्स, टैनिन और कार्डियक ग्लाइकोसाइड जैसे यौगिक की वजह से है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण मधुमेह की वजह से होने वाले ऑर्गन डैमेज से भी बचाव कर सकते हैं।

6. सीसा की विषाक्तता से बचाए :
लेड (Lead) यानी सीसा, एक ऐसा पर्यावरणीय प्रदूषक, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसकी वजह से लिवर, किडनी और अन्य अंगों से संबंधित गंभीर रोग हो सकते हैं। यही वजह है कि लेड विषाक्तता से शरीर को बचाना जरूरी है। ऐसे में आर्टिचोक उपयोगी साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद फेनोलिक्स और फ्लेवोनोइड यौगिक की वजह से इसे रक्त और टिश्यू में मौजूद लेड की मात्रा को दूर करने में सहायक माना गया है। दरअसल, सीसा की विषाक्तता के कारण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है। यह स्ट्रेस लिवर, किडनी, मस्तिष्क और अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसे में माना जाता है कि लेड के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रभावी हो सकता है। यह गुण आर्टिचोक में भी होता है, इसलिए इसे सीसा की विषाक्तता से बचाव करने का अच्छा उपाय माना जा सकता है ।

7. कोलेस्ट्रोल :
आर्टिचोक का सेवन करने से लिपिड प्रोफाइल में सुधार किया जा सकता है, जिससे कोलेस्टॉल के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है। इसमें खासकर ट्राइग्लिसराइड्स और कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करने की क्षमता पाई गयी है। माना जाता है कि इसमें मौजूद घटक ल्यूटोलिन और क्लोरोजेनिक एसिड, कोलेस्ट्रोल को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं ।

8. ब्लड प्रेशर:
एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक रिसर्च पेपर के मुताबिक ब्लड प्रेशर के कुछ रोगियों को जब आर्टिचोक का जूस दिया गया, तो 12 हफ्ते तक इसका सेवन करने के बाद रोगियों के उच्च रक्तचाप में कुछ हद तक कमी पाई गयी। ऐसे में माना जा सकता है कि इसका सेवन हाई बीपी के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है । वहीं दूसरी ओर आर्टिचोक में पोटेशियम की मात्रा भरपूर होती है, जिसे बीपी और हृदय संबंधी रोगों से बचाव के लिए लाभदायक माना जाता है।

9. त्वचा स्वास्थ्य व स्किन एजिंग :
आर्टिचोक में मौजूद पॉलीफेनोल त्वचा के लिए लाभदायक हो सकता है। यह सूर्य की हानिकारक किरणों के साथ ही मुक्त कणों के दुष्प्रभाव से भी त्वचा को बचाने में मदद कर सकता है। शायद यही वजह है कि इसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स में बतौर एंटी-एजिंग तत्व के रूप में किया जाता है। यह त्वचा के रूखेपन को दूर करने के साथ ही त्वचा की इलास्टिसिटी बनाए रखने में मदद कर सकता है ।

स्किन एजिंग का एक कारण कोलेजन मेटाबॉलिज्म (एक तरह के प्रोटीन का चयापचय) में गड़बड़ी भी है। ऐसे में आर्टिचोक का लंबे समय तक इस्तेमाल कर कोलेजन मेटाबोलिज्म को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटी इंफ्लामेटरी गुण त्वचा एडिमा (सूजन) से भी बचाने में मदद कर सकता है। इसे पेस्ट के रूप में त्वचा पर लगाने के साथ ही आहार में भी शामिल किया जा सकता है।

नोट : गौर हो कि ऊपर बताए गये अध्ययनों में से कुछ शोध जानवरों पर, कुछ इंसानों पर तो कुछ लैब में किए गये हैं।

आर्टिचोक का उपयोग – 
आर्टिचोक का लाभ तो आप जान ही चुके हैं। अब इसके उपयोग के बारे में जान लेना भी जरूरी है। कई लोग आर्टिचोक के फायदे से वाकिफ होते हुए भी इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते, क्योंकि वो इस बात से अंजान होते हैं कि इसका कौन सा हिस्सा खाया जाता है और कौन सा नहीं। ऐसे में हम नीचे आपको आर्टिचोक का उपयोग और सेवन योग्य हिस्से के बारे में बता रहे हैं।

खाने योग्य हिस्सा:
  • आर्टिचोक के पत्तों को हटाने के बाद जो बीच का हिस्सा बचता है, उसे खाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। आर्टिचोक के इस हिस्से को हार्ट भी कहा जाता है।
  • इसके अलावा, इसके पत्तों को भी इस्तेमाल में लाया जाता है। लेकिन उसे पूरा खाने के बजाए, दांतों से खींचकर उसके मुलायम हिस्से को खाकर पत्ते को फेंक दिया जाता है।
  • आर्टिचोक के शुरुआती कुछ पत्तों को निकालने के बाद ही अन्य पत्तों का सेवन किया जाना चाहिए।
आर्टिचोक का उपयोग:
  • आर्टिचोक को उबालकर चटनी या चीज़ में डीप करके खाया जा सकता है।
  • इसे ग्रिल करके और भूनकर भी आहार में शामिल किया जाता है।
  • इसका इस्तेमाल स्टफ्ड ब्रेड या अन्य भरवा रेसिपी जैसे आलू भरवा के लिए किया जा सकता है।
  • आर्टिचोक को पकाने की सबसे लोकप्रिय विधि स्टिमिंग है।
  • इसे स्मूदी बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • आर्टिचोक की पत्तियों से काढ़ा और चाय भी बना सकते हैं।
  • इसके पाउडर का सेवन सीधे या पानी में घोलकर किया जा सकता है।
  • आर्टिचोक को गोली के रूप में भी ग्रहण किया जा सकता है।
कितनी मात्रा में सेवन करें:
आर्टिचोक को इस्तेमाल करने की वैसे तो कोई खास मात्रा निर्धारित नहीं है, लेकिन इस पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार इसके सेवन की मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है :
  • हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया और अपच के लिए इसके सूखे पत्तों के पाउडर से बना पानी वाला घोल का एक से दो ग्राम तक सेवन किया जा सकता है।
  • वयस्क इसके क्रूड ड्रग्स की खुराक 5 से 10 ग्राम तक ले सकते हैं।
  • हर्बल चाय के लिए दिनभर में इसके सूखे पत्तों का 6 ग्राम तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • आर्टिचोक का उपयोग कैसे किया जाए, यह बताने के बाद अब हम नीचे आर्टिचोक के नुकसान के बारे में बता रहे हैं।
आर्टिचोक के नुकसान – 
आर्टिचोक के फायदे के साथ ही इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकता है। नीचे हम कुछ आम आर्टिचोक के नुकसान के बारे में बता रहे हैं :
  • गैस की समस्या।
  • पेट में ऐंठन के साथ मामूली दस्त।
  • एलर्जिक रिएक्शन।
  • मतली और हार्ट बर्न।
  • गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसका उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।
  • एंटीकोआगुलंट्स दवाइयों का प्रभाव कम कर सकता है, जैसे फेनप्रोकोमोन और वारफरिन)। ये दवाइयां रक्त के थक्कों को रोकने का काम करती हैं।
  • कमजोरी महसूस होना।
  • भूख में कमी या अत्यधिक भूख लगना।
आर्टिचोक के लाभ और इसके नुकसान दोनों के बारे में हम इस लेख में विस्तार से बता चुके हैं। अब आप अपनी सूझबूझ के साथ आर्टिचोक का इस्तेमाल कर सकते हैं। ध्यान रखें कि आर्टीचोक लेख में बताई गई बीमारियों को सीधे तौर पर ठीक करने के बजाए, उनके लक्षण दूर करने और उनसे बचाव में मदद कर सकता है। किसी भी तरह के गंभीर रोग से ग्रसित होने पर डॉक्टर से संपर्क करना ही समझदारी है। घरेलू उपाय को स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

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