फल खाना हर किसी को पसंद होता है, लेकिन फलों को लेकर हर किसी की रुचि अलग-अलग हो सकती है। कुछ लोगों को सेब पसंद होता है, तो कुछ लोगों को संतरे का स्वाद भाता है। वहीं, कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें खट्टे-मीठे फल ज्यादा लुभाते हैं। ऐसे ही फलों में शामिल है आलूबुखारा। इस फल में केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि कई औषधीय गुण भी छुपे हुए हैं। इस लेख में हम आपको पौष्टिकता से भरपूर आलूबुखारा के उपयोग और फायदों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
आलूबुखारा क्या है-
स्वाद में खट्टा-मीठा आलूबुखारा गुलाब परिवार का गुठली वाला फल है अंग्रेजी में इसे प्लम के नाम से जाना जाता है। आलूबुखारा टमाटर जैसा दिखता है और इसका रंग बैंगनी या लाल होता है। आमतौर पर आलूबुखारा मई से अक्टूबर तक बाजार में मिलता है। इसकी कुछ आम किस्मों में काला आलूबुखारा, ग्रींगेज प्लम, रेड प्लम, येलो प्लम व प्लूट्स शामिल हैं।
आलूबुखारा के फायदे –
1. ह्रदय स्वास्थ्य
आलूबुखारा उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) को नियंत्रित कर सकता है, जिससे ह्रदय की सुरक्षा होती है। एक अध्ययन के मुताबिक, जिन लोगों ने सूखा आलूबुखारा और इसके जूस का सेवन किया, उनमें रक्तचाप का स्तर कम पाया गया। यह अध्ययन बताता है कि आलूबुखारा का सेवन ह्रदय संबंधी बीमारियों से बचाव में सहायक साबित हो सकता है । दरअसल, ब्लड प्रेशर ज्यादा होने से रक्त वाहिकाओं में दवाब पड़ता है, जिससे ह्रदय का जोखिम बढ़ सकता है।
इसके अलावा, सूखा आलूबुखारा यानी प्रून्स का सेवन एथेरोस्क्लेरोसिस से बचाव में सहायक हो सकता है। एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आर्टरी वाल्स में फैट, कोलेस्ट्रॉल और प्लाग जमने लगते हैं। ये आपके रक्त प्रवाह को प्रभावित कर ब्लड क्लॉट यानी खून के थक्कों और ह्रदय से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।
2. कब्ज
आलूबुखारा फल फाइबर से भरपूर होता है, इसलिए यह कब्ज के इलाज में सहायक माना जा सकता है। साथ ही एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, सूखा आलूबुखारा यानी प्रून्स में मौजूद फेनोलिक कंपाउंड मल त्याग में होने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं ।
3. कैंसर
आलू बुखारा ही नहीं, बल्कि सूखा आलूबुखारा के फायदे भी अनेक हैं। इन दोनों में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो कैंसर से लड़ने में सहायक हैं । आलूबुखारा का अर्क ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी कम करता है । वहीं, एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, सूखे प्लम में मौजूद फाइबर और पॉलीफेनोल्स पेट के कैंसर के जोखिम कारकों को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं। हालांकि, इसको लेकर शोध की आवश्यकता है।
4. डायबिटीज
सूखे आलूबुखारे में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड डायबिटीज के खतरे को कम कर सकते हैं। स्वाद में मीठा होने के बावजूद सूखा आलूबुखारा ब्लड शूगर को बढ़ाने का काम नहीं करता । मधुमेह के लिए सूखे आलूबुखारा को आप स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं।
5. हड्डी स्वास्थ्य
आलूबुखारा के फायदे में हड्डी स्वास्थ्य भी शामिल है। एक अध्ययन के मुताबिक, रोजाना 100 ग्राम प्रून्स यानी सूखा आलूबुखारा खाने से हड्डी कमजोर करने वाले कारकों को दूर किया जा सकता है। साथ ही, इससे बोन मिनरल डेंसिटी में भी सुधार होता है ।
6. कोलेस्ट्रॉल
प्रून्स के सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी मदद मिल सकती है। इसके नियमित सेवन से खराब कोलेस्ट्रॉल एलडीएल को कम किया जा सकता है। दरअसल, आलूबुखारा फल फाइबर से भरपूर होता है, जिस वजह से यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने का काम कर सकता है ।
7. वजन कम करने में सहायक
आलूबुखारा फल मोटापे को कम करने में भी सहायक होता है । दरअसल, आलूबुखारे में काफी कम कैलोरी पाई जाती है । इस वजह से यह फल वजन को नियंत्रित रखने में सहायक साबित हो सकता है। वहीं, फाइबर से भरपूर होने की वजह से भी आलूबुखारा फल को वजन कम करने में फायदेमंद माना जाता है।
8. आंखों की सेहत
आलूबुखारा के गुण में आंखों की सेहत का ख्याल रखना भी शामिल है। इस फल में विटामिन-सी और विटामिन-ई प्रचुर मात्रा में होते हैं । ये दोनों पोषक तत्व उम्र के साथ घटती आंखों की रोशनी की समस्या से राहत दिलाने में सहायक साबित हो सकते हैं । हालांकि, मोतियाबिंद की रोकथाम में ये पोषक तत्व सहायक हैं या नहीं इस पर अन्य शोध की जरूरत है। आंखों की सेहत के लिए सूखा आलूबुखारा और आलूबुखारा फल दोनों का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
9. इम्यूनिटी
आलूबुखारा फल में मौजूद विटामिन-ए प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही इसमें मिलने वाला विटामिन-सी शरीर में मौजूद टिश्यू को रिपेयर करने और इनके विकास में सहायक होते हैं । वहीं, आलूबुखारा को लेकर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, प्लम में प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुण हो सकते हैं। आहार में प्लम को शामिल करने के बाद बीमारी से लड़ने की क्षमता में बढ़ोत्तरी पाई गई ।
10. मस्तिष्क स्वास्थ्य
प्लम में मौजूद पॉलीफेनॉल्स कंपाउंड मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। यह मस्तिष्क के कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी कम करके दिमागी बीमारियों के जोखिम को कम करता है । आलूबुखारे को लेकर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, आलूबुखारा का जूस बढ़ती उम्र के साथ मस्तिष्क कार्यप्रणाली में आने वाली कमी को दूर करने में सहायक हो सकता है । आलूबुखारा फल में ज्यादा फिनोलेक्स कंपाउंड होते हैं।
11. एंटीऑक्सीडेंट
आलूबुखारा विटामिन-ए, विटामिन-सी, कैरोटीनॉयड व पॉलीफेनॉल्स से भरपूर होता है। ये सभी आलूबुखारा में एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं। दरअसल, एंटीऑक्सीडेंट की कमी से शरीर में मुक्त कणों का खतरा बढ़ जाता है, जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। बता दें कि फ्री रेडिकल्स कि वजह से आपकी आंखों के प्राकृतिक लेन्स खराब हो सकते हैं, जिससे अंधापन भी हो सकता है। इसके अलावा, जोड़ों में सूजन (गठिया) हो सकती है। साथ ही ये मस्तिष्क से जुड़ी समस्या और ह्रदय रोग का कारण भी बन सकते हैं। इसलिए, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आलूबुखारा खाने से हम शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं।
आलूबुखारा के पौष्टिक तत्व –
आलूबुखारा फल को पौष्टिकता का खजाना भी कह सकते हैं। नीचे देखें प्रति 100 ग्राम आलूबुखारा में पोषक तत्वों की मात्रा कितनी पाई जाती है
आलूबुखारा और सूखा आलूबुखारा के बीच अंतर क्या है?
आलूबुखारा रसदार गूदे से भरा होता है। जब ये फल सूख जाता है, तो इसे सूखा आलूबुखारा कहा जाता है, जो मेवे की श्रेणी में आता है। सूखे आलूबुखारा को अंग्रेजी में प्रून्स कहते हैं। आइए नीचे विस्तार से जानते हैं, दोनों के बीच के अंतर को-
- आलूबुखारा गुठली वाला फल है, जो मुलायम गूदे से भरा होता है। वहीं, सूखा आलूबुखारा चिपचिपा होता है।
- आलूबुखारा फल मई से अक्टूबर के बीच बाजार में मिलता है, लेकिन सूखा आलूबुखारा साल भर मिलता है।
- सूखा आलूबुखारा फल से भी ज्यादा मीठा होता है।
- आलूबुखारा में विटामिन- सी की मात्रा अधिक होती है, जबकि सूखे आलूबुखारे में विटामिन-सी कम होता है।
- आलूबुखारा फल में पानी की मात्रा ज्यादा होती है। जहां प्रति 100 ग्राम फल में पानी की मात्रा 87.23g वहीं सूखे आलूबुखारे में यह घटकर 30.92g हो जाती है ,।
- सूखा आलूबुखारा (प्रून्स) में फाइबर की मात्रा आलूबुखारा फल (प्लम) से ज्यादा पाई जाती है। इस वजह से कब्ज दूर करने के लिए प्रून्स का ही अधिक इस्तेमाल किया जाता है
आलूबुखारा का उपयोग –
- आलूबुखारा के उपयोग करने के कई तरीके हैं, लेकिन इससे पहले आपको ठोस, रसदार और बिना निशान लगे हुए आलूबुखारे खरीदने चाहिए।
- आप आलूबुखारे को काटकर ओटमील, सलाद, दही, स्मूदी और पुडिंग में मिलाकर खा सकते हैं।
- आप आलूबुखारा और सूखा आलूबुखारा दोनों को पिज्जा की टॉपिंग के लिए भी उपयोग में ला सकते हैं।
- आलूबुखारा का इस्तेमाल मफिन, ब्रेड और अन्य डेजर्ट में भी किया जा सकता है।
- आलूबुखारे की आप खट्टी-मिठ्ठी चटनी भी बना सकते हैं।
- आप इसका जूस बनाकर भी पी सकते हैं।
- सूखा आलूबुखारा को आप आइसक्रीम व केक की टॉपिंग के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- सूखे आलूबुखारे को सीधे स्नैक के तौर पर भी खाया जा सकता है ।
- चलिए, अब आपको झटपट बनने वाली आलूबुखारे की चटनी की रेसिपी के बारे में भी बता देते हैं।
आलूबुखारे की चटनी
सामग्री:
- 250 ग्राम कटा हुआ आलूबुखारा
- 4 बड़े चम्मच कटे हुए बादाम
- आधा छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
- 20 ग्राम पिसा हुई अदरक
- दो चम्मच नींबू का रस
- नमक स्वादानुसार
- कुछ पुदीने के पत्ते गार्निशिंग के लिए
बनाने की विधि:
- सबसे पहले आलूबुखारे को धो लें।
- फिर आलूबुखारे को कुछ घंटे पानी में भिगोकर रख दें।
- इसके बाद आलूबुखारे की गुठली निकालकर इसे टुकड़ों में काट लें।
- अब आलूबुखारा, नमक और अदरक को एक पैन में डालकर गाढ़ा पेस्ट बनने तक पकाएं।
- अंत में नींबू का रस डालकर इसे अच्छे से मिक्स कर लें।
- लीजिए, तैयार है आलूबुखारे की चटनी। इसे ठंडा होने के बाद पुदीने के पत्तों से गार्निशिंग कर सर्व करें
आलूबुखारा के नुकसान –
- पौष्टिक आलूबुखारा के वैसे तो कोई नुकसान नहीं होते, लेकिन आपको इसका सेवन अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहि। साथ ही इसके सेवन से पहले यह भी जान लेना जरूरी है कि कहीं आपको इससे एलर्जी तो नहीं है।
- आलूबुखारा में लैक्सेटिव (पेट साफ करने का प्राकृतिक गुण) होता है। इसलिए, इसके अत्यधिक सेवन से आपको डायरिया भी हो सकता है ।
- सूखे आलूबुखारे के ज्यादा सेवन से गैस की समस्या हो सकती है।
- आलूबुखारे में पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है । इसके अधिक सेवन से हाइपरकलेमिया यानी शरीर में पोटैशियम की मात्रा बढ़ सकती है। इससे सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, जी मिचलाना और उल्टी हो सकती है ।
पौष्टिक तत्वों से भरपूर आलूबुखारा के फायदे तो अब आप जान ही चुके हैं। अब आप इसे अपनी डाइट में शामिल कर इसमें छुपे स्वास्थ्य लाभ उठा सकते हैं, लेकिन इसका सेवन संतुलित मात्रा में करें, क्योंकि इसका अत्यधिक सेवन लेख में बताए गए आलूबुखारा के नुकसान का कारण बन सकता है।
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