इंडियन रेलवे से जुड़े कई क़िस्से तो आप पहले भी सुन चुके होंगे, लेकिन आज हम आपको भारतीय रेलवे के कुछ ऐसे स्टेशनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में दिलचस्प हैं। भारत में रेल को लाइफ़-लाइन के तौर पर भी जाना जाता है, क्योंकि ये हर वर्ग के लोगों के लिए यातायात का सबसे सुलभ और सस्ता साधन है।
इंडियन रेलवे के मुताबिक़, भारत में कुल 7,325 रेलवे स्टेशन हैं, इनमें से कुछ स्टेशन अपनेआप में भारत के सबसे अनोखे स्टेशनों में गिने जाते हैं, जबकि कुछ अपनी अद्भुत ख़ूबियों के लिए मशहूर हैं। आज ऐसे ही अनोखे स्टेशनो के बारे में जानते हैं और शुरुवात करते है उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित कंचौसी रेलवे स्टेशन से। आधी कानपुर तो आधी औरैया में कड़ी होती है ट्रेन दिल्ली-हावड़ा रूट पर एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है कंचौसी।
इस स्टेशन पर मालदा से दिल्ली जाने वाली फरक्का एक्सप्रेस भी रुकने लगी है। कानपुर देहात व औरैया जिले की सीमा पर स्थित कचौसी रेलवे स्टेशन पर फरक्का एक्सप्रेस ट्रेन रुकने से दोनों जिलों के लोगों को सहूलियत मिलने लगी। ये ट्रेन अयोध्या, लखनऊ व कानपुर होते हुए कंचौसी पहुंचेगी। मजे की बात ये है कि कंचौसी स्टेशन कानपुर देहात व औरैया दो जिलों में बंटा है। इसका प्लेटफार्म दोनों जिलों को छूता है। रेलवे रिकार्ड के अनुसार कहा जाता है कि देश का ये तीसरा रेलवे स्टेशन है, जो दो जिलों की सीमाओं में है। कंचौसी स्टेशन में कोई भी ट्रेन खड़ी होती है तो आधी कानपुर देहात तो आधी औरैया में रहती है।
दअरसल, व्यापारिक दृष्टिकोण से कानपुर देहात जिला अति महत्वपूर्ण है। ये कानपुर महानगर की सीमा से लगा हुआ है। यहां राष्ट्रीय स्तर की औद्योगिक इकाइयां भी स्थापित हैं। जिले से दो हाईवे निकले हैं। साथ ही दिल्ली हावाड़ा व कानपुर-झांसी दो रेलवे रूट हैं। वहीं बात अगर कंचौसी क्षेत्र की जाए तो वहां से हाईवे 45 से 50 किमी दूर है। अभी तक ट्रेनों के नाम पर केवल पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव होता था, इससे व्यापारियों व क्षेत्र के लोगों को परेशानी होती है। नवापुर रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में एक तालुका मुख्यालय नवापुर में एक अनूठा रेलवे स्टेशन है जो सिर्फ एक राज्य से संबंधित नहीं है।
इस स्टेशन का एक हिस्सा महाराष्ट्र में है, जबकि दूसरा हिस्सा गुजरात में है। इस स्टेशन पर लोगों को बेंच पर बैठते वक्त ध्यान देना पड़ता है कि वे किस राज्य में बैठे हैं, क्योंकि बेंच के आधे हिस्से में महाराष्ट्र लिखा हुआ है और आधे में गुजरात। स्टेशन पर घोषणाएं भी चार भाषाओं, अंग्रेजी, हिंदी, मराठी और गुजराती में की जाती हैं। नवापुर रेलवे स्टेशन का टिकट काउंटर और पुलिस स्टेशन महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में स्थित है। दूसरी ओर, तापी जिले में गुजरात की ओर प्रतीक्षालय, शौचालय और स्टेशन मास्टर का कार्यालय है।
भवानी मंडी स्टेशन
आपको जान कर हैरानी होगी कि भारत में भवानी मंडी स्टेशन एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जिसमें ट्रेन का इंजन एक राज्य में तो ट्रेन के गार्ड का डिब्बा दूसरे राज्य में खड़ा होता है। यह रेलवे स्टेशन दोनों राज्यों राजस्थान और मध्यप्रदेश के अंतर्गत आता है। इस रेलवे स्टेशन के एक छोर पर राजस्थान का बोर्ड लगा हुआ है और दूसरे छोर पर मध्यप्रदेश राज्य का बोर्ड लगा हुआ है।
ये रेलवे स्टेशन दो राज्यों की सीमा पर बना हुआ है। इसकी ख़ास बात यह है कि इस स्टेशन का बुकिंग काउंटर मध्य प्रदेश के मंदसोर जिले में है तो दूसरी और स्टेशन में प्रवेश का रास्ता और वेटिंग रूम, राजस्थान के झालावाड़ जिले में है। सबसे अनोखी बात इस स्टेशन की यह है कि यहाँ पर टिकट की लाइन मध्यप्रदेश में शुरू होती है और लोग राजस्थान तक लोग खड़े होते हैं।
बेनाम रेलवे स्टेशन
क्या आपने कभी बिना नाम के रेलवे स्टेशन के बारे में सुना है? या ऐसे स्टेशन के बारे में सुना हो जो बिना किसी नाम के पूरी तरह कार्यात्मक हो। पश्चिम बंगाल के बर्धमान टाउन से लगभग 35 किलोमीटर दूर बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर भारतीय रेलवे ने 2008 में यहां एक नया स्टेशन का निर्माण किया था। लेकिन, जब से यह अस्तित्व में आया है, तब से इसे बिना नाम के स्टेशन के रूप में जाना जाने लगा है। उस वक्त इस स्टेशन को नाम भी दिया गया था और वो नाम था रैनागढ़ लेकिन रैना गाँव के लोगों को ये नाम पसंद नहीं आया और उन्होंने रेलवे बोर्ड से इसके बारे में शिकायत कर दी, तब से इस स्टेशन के नाम पर कोई फैसला नहीं आया है और ना ही इस स्टेशन को कोई नाम मिला।
अटारी रेलवे स्टेशन
ये भारत का एकमात्र ऐसा स्टेशन हैं जहां से ट्रेन पकड़ने के लिए भारतीय नागरिकों को भी वीज़ा की ज़रूरत पड़ती है। भारत-पाकिस्तान की सीमा पर स्थित अमृतसर के अटारी स्टेशन में बिना वीज़ा के यात्रियों का आना जाना सख्त मना है। इस स्टेशन पर 24 घंटे सुरक्षा बलों की निगरानी रहती है। अगर कोई बिना वीज़ा के पकड़ा जाता है तो उस पर '14 फ़ॉरन एक्ट' के तहत मामला दर्ज किया जाता है और उसे कड़ी सजा भी हो सकती है।
राशिदपुरा खोरी स्टेशन, राजस्थान
राशिदपुरा खोरी भी ग्रामीण भारत का एक छोटा सा स्टेशन है जो सिकर लक्ष्मणगढ़ जिले का हिस्सा है। सिकर लक्ष्मणगढ़ उत्तर पश्चिम रेलवे के अंदर आता है। इस नायाब रेलवे स्टेशन के रख रखाव की जिम्मेदारी यहाँ के गाँव के लोगों पर ही है। क्योंकि स्टेशन से कुछ खास आमदनी नहीं हो रही थी इसलिए 2005 में रेलवे की जयपुर डिवीजन ने इस स्टेशन को बंद करने का आदेश दे दिया था। लेकिन स्टेशन के बंद होने से राशिदपुरा खोरी के लगभग 20,000 लोगों की जिंदगी पर असर पड़ सकता था। इसलिए गाँव के लोगों ने रेलवे को चिट्ठी लिखकर स्टेशन को वापस खोलने की मांग की थी। 2009 में इस स्टेशन को एक बार और खोल दिया गया। लेकिन इसके लिए एक शर्त भी रखी गई थी। रेलवे का कहना था कि स्टेशन पर बिकने वाले टिकटों से कम से कम 3 लाख रुपए की कमाई होनी चाहिए। उसके बाद से गाँव वाले आपस में पैसों का बंदोबस्त करते हैं जिससे स्टेशन को चालू रखा जा सके।
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