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गोण्डा-कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि जानवरों के काटने या खरोंचने से हो सकता है रेबीज -सीएमओ

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 -विश्व रेबीज दिवस - 28 सितम्बर परनन सीएमओ डॉ रश्मि वर्मा ने जनपदवासियों को दिया जागरुकता का सन्देश, बोलीं..

-’जानलेवा रोग है रेबीज, देर में नजर आते हैं इसके लक्षण, समय रहते इलाज न होने से बन सकता है प्राणघातक’

गोण्डा। रेबीज एक जानलेवा बीमारी है। जब भी कोई जानवर जैसे- कुत्ता, बिल्ली, बन्दर आदि काटता या खरोचता है, तो सबसे पहले घाव को पंद्रह मिनट तक बहते हुए साफ पानी से साबुन लगाकर धोना चाहिए। इसके बाद 72 घंटे के अन्दर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुँचकर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर के परामर्श अनुसार रेबीज रोधी टीकाकरण की पूरी खुराक जरूर लगवाएं द्य याद रहे केवल पूर्ण टीकाकरण ही रेबीज से बचाव का उपाय हैं। उक्त बातें मंगलवार को विश्व रेबीज दिवस (28 सितम्बर) की पूर्व संध्या पर जनपदवासियों को रेबीज के लक्षण और इससे बचाव हेतु जागरुकता का सन्देश देते हुए जिले की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में 28 सितम्बर को श्वर्ल्ड रेबीज डेश् मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे लोगों को इस जानलेवा रोग के प्रति जागरुक करने का उद्देश्य है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2007 में हुई थी।

-’क्या है रेबीज’ 

राष्ट्रीय ‘एकीकृत स्वास्थ्य’ पशुजन्य रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ एपी सिंह ने बताया कि रेबीज एक वायरल इंफेक्शन है, जो लायसावायरस के कारण होता है द्य इंसान के शरीर में यह वायरस कुत्ते, बिल्ली और बंदर जैसे जानवरों के काटने से प्रवेश करता है। खास बात यह है कि यह वायरस पालतू जानवरों के चाटने या काटने पर भी इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकता है। दरअसल, व्यक्ति का खून जब जानवरों की लार के संपर्क में आता है, तो उसे रेबीज का खतरा बढ़ जाता है द्य चिंता की बात यह है कि रेबीज जैसे जानलेवा रोग के लक्षण व्यक्ति में बहुत देर बाद नजर आते हैं।

-’रैबीज 2 तरह से करता है प्रभावित

महामारी विशेषज्ञ हसन इफ्तेखार ने बताया कि रैबीज व्यक्ति के शरीर को दो तरह से प्रभावित करता है। रैबीज वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करते हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति या तो जल्द कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती हैं। इसके अलावा यह वायरस, मानव त्वचा या मांसपेशियों के संपर्क में आने के बाद रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क की ओर प्रसारित हो जाता हैं। इस वायरस के मस्तिष्क में पहुंचने के बाद, इसके लक्षण और संकेत संक्रमित व्यक्ति में दिखाई देने लगते हैं।

-’रैबीज के लक्षण

बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय में तैनात फिजीशियन डॉ कुलदीप पाण्डेय ने बताया कि बुखार, सिरदर्द, घबराहट या बेचौनी, चिंता और व्याकुलता, भ्रम की स्थिति, खाना-पीना निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना, पानी से डर लगना, अनिद्रा, एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना आदि रेबीज के लक्षण हैं।

-’जानवर के काटने पर क्या करें’

डॉ कुलदीप पाण्डेय का कहना कि डॉक्टर की सलाह लिए बिना कोई इलाज ना करें। घाव पर मिर्च, सरसों का तेल इत्यादि कोई पदार्थ न लगायें और अंधविश्वास से बचें। समय-समय पालतू जानवरों का टीकाकरण करवाएं।


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