भारत को विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं वाले एक देश के रूप में जाना जाता है। भिन्न-भिन्न परंपराएं होने के कारण यहां की कलाएं भी भिन्न-भिन्न हैं। सांप पकड़ने और उन्हें बीन के द्वारा नियंत्रित करने की कला भी इन्हीं में से एक है। ऐसा करने वाले लोगों को प्रायः ‘सपेरा’ नाम से जाना जाता है।
भुवनेश्वर के निकट स्थित एक गांव पद्मकेश्वरपुर को एशिया का सबसे बड़ा सपेरों का गांव माना जाता है। सपेरों ने इस कला को न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी फैलाया। सपेरों की इस कला को अंग्रेज़ी में स्नेक चार्मिंग (Snake charming) कहा जाता है, जिसमें वे अपने हाथ में एक बीन को लेते हैं तथा उसे बजाकर हिलाते हुए सांप को नियंत्रित करते हैं। पहले के समय में अक्सर यह प्रदर्शन सपेरों द्वारा हर गली और सड़क पर दिखाया जाता था किंतु तकनीकी के इस दौर में यह प्रदर्शन देख पाना अब दुर्लभ हो गया है।
भारत में यह अभ्यास काफी आम है। हालांकि अन्य एशियाई राष्ट्र जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया, उत्तरी अफ्रीकी देश मिस्र, मोरक्को और ट्यूनीशिया में भी यह प्रदर्शन सपेरों द्वारा किया जाता है। सांप को नियंत्रित करने की यह कला प्राचीन समय में मिस्र में सबसे आम थी। इस कला का प्रदर्शन करना सरल नहीं है क्योंकि इसमें विषैले सांप द्वारा डसे जाने का भय निरंतर बना रहता है। हालांकि अधिकतर सपेरे सांप के नुकीले दांत को तोड़ देते हैं या उसके मुंह को बंद कर देते है। ऐसा करने से सांप अपना भोजन ग्रहण नहीं कर पाता और अंततः मर जाता है जिससे इनकी प्रजाति विलुप्त हो रही है। कई लोगों को लगता है कि सांप बीन की धुन को सुनकर नियंत्रित होता है किंतु वास्तव में ऐसा नहीं होता क्योंकि सांप के कान नहीं होते। दरअसल वह सपेरे द्वारा बजायी जा रही बीन के हिलने की गति से नियंत्रित होता है।
अपने इस अभ्यास से कई सपेरों की आजीविका चलती है किंतु आज उनका यह अभ्यास कहीं खोता जा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 1972 में भारत ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सांप के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था। कानून का प्रवर्तन वर्षों से अपेक्षाकृत सुस्त था लेकिन अधिकारियों ने पिछले एक दशक में इस प्रथा पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। यह अधिनियम निवासियों को वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए जंगली साँपों को रखने या उपयोग करने से रोकता है। ऐसा होने पर अधिकारियों द्वारा अपराधियों को जेल में डाल दिया जाता है या फिर उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ता है।
हर धार्मिक त्यौहार या मेले के मौके पर यह कला प्रदर्शन का हिस्सा हुआ करती थी किंतु अब कहीं विलुप्त सी हो गयी है। सांपों के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने कुछ सांपों की त्वचा के नीचे पहचान चिप्स (Identification Chips) प्रत्यारोपित किए हैं जो पहले से ही कैद में थे। इससे सरकार जानवरों को स्कैन (Scan) कर सकती है और नए पकड़े गए किसी भी प्रकार के सांप को ज़ब्त कर सकती है।
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