'टेलीग्राफ' यूनानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है दूर से लिखना। कुछ समय तक विद्युत द्वारा संदेश भेजने की यह पद्धति तार प्रणाली तथा इस प्रकार समाचार भेजने को तार (Telegram) करना या भेजने के रूप में प्रचलित थी। इसके लिए इसे डाक विभाग के साथ सरकारी तौर पर सम्बद्ध करके डाक-तार विभाग नाम दिया गया था। टेलीफोन और मोबाइल के बढ़ते प्रयोग के कारण वर्तमान में आम लोगों के लिए इसकी उपयोगिता नगण्य हो गयी-वर्तमान में जन-साधारण के लिए अनुपयोगी होने के कारण इसे बन्द कर दिया गया है।
लगभग दो शताब्दी पूर्व वैज्ञानिकों के मस्तिष्क में यह विचार आया था कि विद्युत की शक्ति से भी समाचार भेजे जा सकते हैं। इस दिशा में सर्वप्रथम प्रयोग स्कॉटलैण्ड के वैज्ञानिक डॉ० माडीसन ने सन् 1753 में किया।
इसको मूर्त रूप देने में ब्रिटिश वैज्ञानिक रोनाल्ड का हाथ था, जिन्होंने सन् 1838 में तार द्वारा खबरें भेजने की व्यावहारिकता का प्रतिपादन सार्वजनिक रूप से किया। यद्यपि रोनाल्ड ने तार से खबरें भेजना संभव कर दिखाया, किन्तु तारयंत्र के आविष्कार का अधिकांश श्रेय अमरीकी वैज्ञानिक सैमुअल एफ.बी. मॉर्स को है जिन्होंने सन् 1844 में वाशिंगटन और बॉल्टिमोर के बीच तार द्वारा खबरें भेजकर इसका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया।
सूचनाओं या संदेशों को विविध शब्दों द्वारा व्यक्त किया जाता है। ये शब्द स्वयं विभिन्न अक्षरों या वर्णों से बनते हैं। तार प्रणाली में इन विभिन्न अक्षरों या वर्णों को संकेतों (signal elements) के नाना प्रकार के संयोजनों से प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार अक्षरों का संकेतों द्वारा निरूपण तारकूट (telegraph code) हो गया। समाचार भेजने के स्थान से तारकूट की सहायता से संदेश के विभिन्न शब्दों के अक्षरों को संकेत में परिवर्तित कर लिया जाता है। इस प्रकार विद्युत धारा के अंशों (current elements) को, जिनका निर्माण संकेतों पर आधारित रहता है, तार की लाइनों (lines) में भेजा जाता है। जिन स्थानों पर समाचार भेजना होता है उन स्थानों पर इस धारा के अंशों को पुनः संकेतों में बदल लिया जाता है। इन संकेतों को तारकूट की सहायता से अक्षरों में परिवर्तित कर पूरा समाचार प्राप्त कर लिया जाता है। इस प्रकार समाचार भेजने में तारकूट व्यवस्था का अपना विशिष्ट स्थान रहा। मूलतः तार प्रणाली में एक प्रेषित (Transmitter), एक ग्राही यंत्र (Receiver or Sounder), विद्युद्वारा के लिए एक बैटरी तथा तार की एक लाइन की आवश्यकता होती है। तार की लाइन या तो ऊपर हवा में रहती है, या धरती के अंदर है। इसी का मूल तार परिपथ (basic telegraph circuit) है। तार की पद्धति में कई सुधार भी किए गए हैं, जिससे एक साथ ही अनेक समाचार दोनों दिशाओं में भेजे जाते हैं।
हस्तचालित तार पद्धति (manual telegraphy) में हाथ से ही तार कुंजी (telegraph key) चलाकर, एक प्रेषित की सहायता से विद्युत के उन अंशों को, जो विभिन्न अक्षरों को व्यक्त करते हैं, किन्तु उच्च गति तारप्रणाली (high speed telegraphy) में पहले तारकूट के अनुसार, संदेश के छिद्रण (perforrations) एक कागज के फीते पर लिए जाते हैं। तदनंतर यही फीता प्रेषित की सहायता से संकेत धाराओं (signal circuit) को उत्पन्न करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। प्राप्त धाराओं (received currents) को ध्वनि संकेत (sound signals) अक्षरों के व्यक्त करते हैं अथवा इन्हीं प्राप्त धाराओं को कागज में प्रयुक्त किया जा सकता है।
मुख्यतया तार प्रणाली की निम्नलिखित दो शाखाएं थीं -:
- लाइन तार प्रणाली (Line telegraphy)
- समुद्री तार प्रणाली (Submarine telegraphy)
अब उसकी उपयोगिता सरकारी स्तर पर, कूट संदेशों के आदान-प्रदान में सीमित हो चुकी है।


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