भारतीय राजनीतिक इतिहास को मुख्यत: 4 भागों में बांट सकते हैं- प्राचीन, मध्य, आधुनिक और वर्तमान। प्राचीन काल में हम वैदिक काल, रामायण काल, महाभारत का काल, सिंधुघाटी का काल, मौर्य साम्राज्य, विक्रमादित्य साम्राज्य, गुप्त वंश को लेते हैं। गुप्त वंश के पतन के बाद महान राजा हर्षवर्धन (590-647 ) ई. से भारत के मध्यकाल की शुरुआत मानी जाती है। उस दौरान दक्षिण में चालुक्य साम्राज्य के राजा पुलकेसन द्वितीय का शासन था। हर्षवर्धन के समय चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया था।
मध्य काल को दो समय में विभाजित किया जा सकता है। पहला 'प्रारंभिक मध्ययुगीन काल' जो 6वीं सदी से लेकर 13वीं सदी तक चला। दूसरा 'गत मध्यकालीन काल' जो 13वीं सदी से लेकर 16वीं सदी तक चला। यह काल विजयनगर साम्राज्य, पाल वंश, चालुक्य वंश, राष्ट्रकूट वंश, चोल साम्राज्य, गुर्जर, प्रतिहार आदि के पतन और चौहान वंश, मराठा सम्राज्य, मुगल साम्राज्य की शुरुआत के साथ ही समाप्त हो गया। 1529 के बाद दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य का अंत हो चला था और उत्तर भारत में 1526 में मुगल काल की शुरुआत हुई थी।
उत्तर भारत में 1526 से 1857वीं सदी तक चले मुगल काल, मराठा काल, सिख काल आदि को कुछ इतिहासकार 'प्रारंभिक आधुनिक काल' मानते हैं जबकि कुछ के अनुसार यह "गत मध्ययुगीन" काल का ही हिस्सा है और 18वीं सदी से ही आधुनिक काल की शुरुआत होती है।
उल्लेखनीय है कि भारत में सम्राट अशोक और सम्राट विक्रमादित्य के बाद कभी भी किसी राजा या वंश ने संपूर्ण भारत पर एकछत्र राज नहीं किया। अंग्रेजों ने ही संपूर्ण भारत में अपना शासन चलाया। उसमें भी भारत के कुछ राज्य तो स्वतंत्र ही थे।
उल्लेखनीय है कि मध्यकाल का प्रारंभ कब हुआ और इसका अंत कब हुआ, इस संबंध में इतिहासकारों में मतभेद ही रहा है, परंतु मध्यकाल की शुरुआत को मोटे तौर पर उत्तर भारत के राजा हर्षवर्धन से प्रारंभ मानकर मराठा और मुगल साम्राज्य के पतन के बीच का काल मान सकते हैं।
मध्यकाल के इतिहास पर हमेशा से ही विवाद रहा है। हम आपको आने वाले समय में मध्यकालीन भारत के इतिहास से अवगत कराएंगे।
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