लाउड स्पीकर के नाम से बोध होता है कि ऐसा यंत्र जो आवाज या ध्वनि को ऊंचा (तेज) कर देता है। यह वैद्युत संकेतों को ध्वनि में परिवर्तित करता है। इसके स्पीकर वैद्युत संकेतों के परिवर्तनों के अनुसार चलते हैं। यह यंत्र वायु या जल के माध्यम से ध्वनि तरंगों का संचार करवाता है।
लाउडस्पीकर का इस्तेमाल आज इतने विविध क्षेत्रों में, जगह-जगह या कहा जाए कि कदम-कदम पर होने लगा है कि इसने ध्वनि प्रदूषण में अग्रणी स्थान बना लिया है। इसके अंधाधुंध इस्तेमाल से इन्सान ऊबने और घबराने लगा है। हर जगह, हर ओर लाउडस्पीकर द्वारा उभरते शोर ने जीवन की शान्ति छीन-सी ली है।
बावजूद इसके, इसकी उपयोगिता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके आविष्कारक ब्रिटिश वैज्ञानिक जोहान फिलिप रीस थे। इन्होंने सन् 1861 ई० में अपने टेलीफोन में विद्युत लाउडस्पीकर संस्थापित किया था। उनके द्वारा संस्थापिक लाउडस्पीकर पुनरुत्पादन में सक्षम था। यह स्पीच को भी पुनरुत्पादित कर सकता था।
वैज्ञानिक एलेक्जेन्डर ग्राहम बेल ने सन् 1876 ई० में अपने टेलीफोन के पहले नाम के रूप में विद्युत लाउडस्पीकर को पेटेंट करवाया था - जो समझ में आने वाली आवाज के पुनरुत्पादन करने में सक्षम था।
सन् 1881 ई० में अर्नेस्ट सीमेन्स नामक वैज्ञानिक ने इसको और संवर्धित किया। निकोला टेसला नामक वैज्ञानिक ने 1881 ई० में इसे उपकरण के रूप में तैयार किया। थामस एडीसन ने अपने शुरूआती सिलिण्डर फोनोग्राफ के लिए उपयोगी पाकर, इसमें और सुधार कर ब्रिटिश में पेटेन्ट कराया। फोनोग्राफ के आगे सुधार करते हुए अन्ततः इसे सुई के साथ संलग्न झिल्ली द्वारा चालित धातु के भोंपू से बदला।
सन् 1898 में होरेस शार्ट नामक एक ब्रिटिश डिजाइनर एवं वैज्ञानिक ने वायु द्वारा चालित 'लाउडस्पीकर' नाम पेटेण्ट करवाया। आगे चलकर लाउडस्पीकरों का प्रयोग करते हुए रिकॉर्ड प्लेयरों का उत्पादन होने लगा।
यहां तक कि घर की चहारदीवारी में मनोरंजन के साधनों के रूप में लाउडस्पीकर ने अपना सफर तय किया था। इस सफर तक उसकी महत्ता और उपयोगिता से लोग केवल आनन्द का ही अनुभव करते थे; वे ऊबने या ध्वनि प्रदूषण की परेशानी से ग्रस्त न थे।
पर आगे चलकर इस सिस्टम के रूपान्तरों का उपयोग सार्वजनिक उद्घोषणा अनुप्रयोगों के लिए किया जाने लगा तो इसने सारी सीमाओं को लांघ डाला। अब सार्वजनिक समारोह हो, धार्मिक त्यौहार हो, राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक सभाएं हों, बिक्री प्रचार हो, सब तरफ लाउडस्पीकरों का गूंजता शोर इसे विज्ञान का उपयोगी साधन मानने के साथ मुसीबत की जड़ माना जाने लगा है।
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