आप अपने स्कूल के काल मे ब्लैक बोर्ड को तो देखा ही होगा, यह ब्लैक बोर्ड दिवार पर लगा होता है और ब्लैक कलर कर होता है। इस ब्लैक बोर्ड पर आसानी से वाईट पैन के माध्यम से कुछ भी लिखा जा सकता है एवं डस्टर के माध्यम से मिटाया जा सकता है। यह ब्लैक बोर्ड को आज की भाषा मे श्यापट्ट के नाम से जाता है एवं यह आज के समय यह ब्लैक के अलावा सफेद कलर मे भी आता है जिस पर ब्लैक पैन से लिखा जाता है। क्या आपको पता है की सर्वप्रर्थम ब्लैक बोर्ड का आविष्कार किसने किया था ? तो इस लेख को अंत तक पढे ताकि आपको इसके बारे मे पूरी जानकारी मिल सके।
क्या होता है ब्लैक बोर्ड ?
आपने अक्सर स्कूल मे देखा होगी कर कक्षा या रूम मे दिवार पर ब्लैक कलर का एक बोर्ड लगा होता है, उसे ही ब्लैक बोर्ड कहते है। ब्लैक बोर्ड का उपयोग कई जगहों पर होता है जैसे स्कूलों मे, कम्पनीयों व अन्य शिक्षण संस्थानों में। आपने अक्सर स्कूल मे देखा होगी कर कक्षा या रूम मे दिवार पर ब्लैक कलर का एक बोर्ड लगा होता है, उसी को ब्लैक बोर्ड कहते है। ब्लैक बोर्ड का उपयोग कई जगहों पर होता है जैसे स्कूलों मे, कम्पनीयों व अन्य शिक्षण संस्थानों में। आज के समय मे ब्लैक बोर्ड कें उपयोग की बात करे तो इसका उपयोग कई Online व Offline क्लासों मे पढाने के लिए होता है वही ब्लैक बोर्ड पर कार्य करने से समय की बचत होने की निच्छताएं बढ जाती है।
ब्लैक बोर्ड का निर्माण
क्या आपको पता है की सर्वप्रथम ब्लैक बोर्ड यानी श्यामपट्ट का आविष्कार किसने किया था? अगर आप इस बात के बारे नही जानते तो आपको बता दे की श्यामपट्ट का सर्वप्रथम आविष्कार James Pillans ने किया था। एक शिक्षक थे जो मध्यकालीनल इतिहास के समय मे शिक्षा देते थे। James Pillans एक शिक्षक थे जो मध्यकालीनल इतिहास के समय मे शिक्षा देते थे। वे अपने जीवन मे एक राजनैतिक के रूप मे भी कार्य करते थे। आपको बता दे की ब्लैक बोर्ड का इंवेंशन करने वाले James Pillans 1801 के समय मे Old High School in Edinburgh स्काॅटलैंड मे भूगोल विषय के अध्यापक व स्कूल के हैंडमास्टर थे। James Pillans को ही पहले ब्लैकबोर्ड को बनाने का पहला श्रेय दिया जाता है, पहला बनने वाला ब्लैक बोर्ड काफी भारी व काफी महँगा था जो उस समय स्कूल की दिवार पर लगाया गया था।
श्यामपट्ट का उपयोग
सामान्यतः हम स्कूलों मे ब्लैक बोर्ड के बारे समझते है व स्कूलों मे ही इसे देखते है की वास्तव मे किस प्रकार ब्लैक बोर्ड को क्या उपयोग होता है परन्तु क्या आपको इस ब्लैक बोर्ड के बारे मे पता की इसके और क्या उपयोग है ?
- सामान्यतः ब्लैक बोर्ड का उपयोग स्कलों व संस्थानों मे विद्यार्थियों को पढाने व उनको विषयों को ज्ञान देने के संबंध मे उपयोग किया जाता है।
- ब्लैक बोर्ड का उपयोग Online पढाई कराने मे भी काम मे आता है, आज के कोरोना काल मे देश के सभी स्कूलों मे Online पढाई करवाई जाती है जिसमे ब्लैक बोर्ड का उपयोग काफी बढ गया है और खास कर Online क्लासेंज के समय भी ब्लैक बोर्ड का उपयोग करते है।
- ब्लैक बोर्ड का उपयोग करने के लगभग संपूर्ण कार्य पेपरलैस हो जाता है जिसमे अध्यापको द्वारा पैपर का उपयोग कम किया जा सकता है।
- एक से अधिक विद्यार्थियों को आसानी से पढाना – ब्लैक बोर्ड पर पढाने से स्कूलों मे अधिक विद्यार्थियों को आसानी से समझाया जा सकता है।
- ब्लैक बोर्ड की सहायता से क्लास रूम का समय बढाया व बचाया जा सकता है।
- अत्याधुनिक वर्तमान के समय मे चलने वाले श्यामपट्टो पर कम्प्यूटर की सहायता से कई कार्य किये जाते है जैसे गणित के कार्यो का संपादन पूर्ण रूप से व आसानी से किया जाता है।
- सर्वप्रथम ब्लैक बोर्ड को बनाने को श्रेय को दिया जाता है जो 1801 मे स्काॅटलैंड के एक ओल्ड स्कूल मे भूगोल के शिक्षक व स्कूल के हैंडमास्टर थे।
- 1801 के बाद मे की यह ब्लैकबौर्ड प्रकाश मे आया और जिसके बाद इसका इस्तेमाल किया जाने लगा।
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आधुनिक श्यामपट्ट
पहली बार जब ब्लैक बोर्ड बने थे तो वह हल्का पत्थर का बना हुआ था जिस पर लिखा जाता था, परन्तु वर्तमान मे जो भी आप ब्लैक बोर्ड देखते है वह कई अत्याधुनिक डिज़ाइन से बने हुए है जिसमे उनको कम्प्यूटर की सहायता से जोडा जा सकता है उसे कम्प्यूटर मशीनरी की सहायता से चलाया जा सकता है। आज आपने ओनलाईन क्लासेज मे देखा होगा ही सफेद कलर के बोर्ड होते है जिसमे कम्प्यूटर की सहायता व मशीनीरी की सहायता दे चलाया जाता है उस पर कम्प्यूटर की सहायता से लिखा जाता है, उस पर फोटो व विडियों को दिखाया जाता है। ब्लैक बोर्ड नामक एक कम्पनी है जो ब्लैक बोर्ड बनाने का कार्य करता है। आज के माॅर्डन ब्लैक बोर्ड को देखे तो ब्लैकबोर्ड का केवल नाम रह गया है, इसमे बोर्ड अब कई अलग – अलग रंगों मे बनने लगे है, आज के माॅर्डन समय मे बने ब्लैक बोर्ड को कई अलग – अलग तकनीकों की सहायता से चलाया जाता है जैसे की कम्प्यूटर से इत्यादि। कम्प्यूटर सें चलने वाले ब्लैक बोर्ड को कोचिंग स्कूलों मे देखा जा सकता है जहा पर कई भारी मात्रा मे बच्चों को आसानी से पढाया जा सकता है।
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