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ताश के पत्तों की शुरुआत कब और कैसे हुई?

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ताश मोटे-भारी कागज़, पतले गत्ते, या पतले प्लास्टिक से विशेष रूप से बनी होती है; जिसमें पहचान के लिए अलग रूपांकन बने होते हैं और उनका इस्तेमाल ताश के खेल के लिए एक सेट के रूप में किया जाता है। खेल में सुविधा के लिए आमतौर पर ताश के पत्ते हथेली के आकार के होते हैं।

ताश के एक पूरे सेट को पैक या डेक कहते हैं और एक खेल के दौरान एक बार में एक खिलाड़ी द्वारा उठाये गए पत्तों के सबसेट को सामान्यतः हैण्ड कहा जाता है। ताश के एक डेक से अनेक प्रकार के पत्ते के खेल खेले जा सकते हैं, उनमें से कुछ जुआ में भी शामिल हो सकते हैं। चूंकि ताश मानकीकृत हो चुके हैं और आम तौर पर उपलब्ध हैं, सो उनका अन्य इस्तेमाल भी होने लगा है, जैसे कि हाथ की सफाई, भविष्यवाणी, गूढ़लेखन, बोर्ड गेम, या ताश के घर बनाना.

प्रत्येक पत्ते के सामने (या "फेस") की ओर चिह्नांकन होते हैं, जो डेक के अन्य पत्तों से उन्हें अलग करते हैं और खेले जा रहे खेल विशेष के नियमों के तहत उनके इस्तेमाल का निर्धारण करते हैं। प्रत्येक विशेष डेक के पीछे की ओर ताश के हरेक पत्ते एक जैसे ही होता हैं, आम तौर पर एक ही रंग और डिजाइन के. ताश के पिछले हिस्से का उपयोग कभी-कभी विज्ञापन के लिए किया जाता है। अधिकांश खेलों में, पत्ते एक डेक में इकट्ठे होते हैं और फेंटने के जरिये बेतरतीबी से उनके क्रम तय होते हैं।  विस्तार से जानने के लिए आप विकिपीडिया देखे। 

ताश के पत्तों का  प्रारंभिक इतिहास-

618-907) के दौरान चीन में ताश के खेल पाए गये, जब एक राजकुमारी के रिश्तेदार एक "लीफ गेम" (पत्तियों का खेल) खेला करते थे। तांग लेखक सु ई (885 में जिन्शी उपाधि प्राप्त) ने कहा है कि तांग के सम्राट यीजोंग(860-874) की बेटी राजकुमारी तोंगचांग (?–870) समय काटने के लिए वेई कुल के सदस्यों के साथ लीफ गेम खेला करती थी। सांग राजवंश (960-1279) के विद्वान ओउयांग क्सिऊ (1007-1072) के अनुसार ताश का खेल मध्य तांग राजवंश के समय से अस्तित्व में है और अपने इस आविष्कार के साथ उन्होंने कागज़ के रोल के स्थान पर पृष्ठों के उपयोग के समकालिक विकास को भी जोड़ दिया. येज़ी गेक्सी नामक पुस्तक कथित तौर पर एक तांग युग की महिला द्वारा लिखी गयी है और और बाद के राजवंशों के लेखकों द्वारा उस टिप्पणी की गयी है।

प्राचीन चीनी "मनी कार्ड्स" (money cards) में चार "सुट्स" (suits) होते हैं: सिक्के (या नकद), सिक्के के तार (अपरिष्कृत चित्र के कारण जिसे छड़ी के रूप में गलत अर्थ निकाला जा सकता है), मिरिअड अर्थात दस सहस्र (सिक्कों या तार के) और लाख सहस्र (एक मिरिअड दस सहस्र का होता है). चित्रलिपि के जरिये इनका प्रतिनिधित्व हुआ करता था, प्रथम तीन सुट्स में 2-9 के अंक होते और "लाख सहस्र" में 1-9 के अंक. विल्किंसन का कहना है कि पहले ताश वास्तविक कागज़ करेंसी हुए हो सकते हैं, जो खेल और उन पर लगे दांव दोनों के उपकरण रहे होंगे, जैसा कि व्यापारिक कार्ड खेल में होता है। आधुनिक माहजोंग टाइल्स की डिजाइन आरंभिक ताश पत्तों से विकसित की गयी हो सकती है। हालांकि, यह हो सकता है कि ताश का डेक जब कभी भी मुद्रित हुआ होगा वो एक चीनी डोमिनो डेक होगा, जिनके पत्तों में हम पांसों की एक जोडी के सभी 21 संयोजनों को देख सकते हैं। 11वीं सदी में संशोधित चीनी मूलग्रंथ कुएई-तिएन-लू में हम पते हैं कि तांग राजवंश के दौरान डोमिनो कार्ड मुद्रित हुए, जो पुस्तक के प्रथम मुद्रण का समकालीन है। चीनी शब्द पाई (牌) का प्रयोग पेपर कार्ड और गेमिंग टाइल्स के वर्णन के लिए किया जाता है।

यूरोप में प्रारंभ

14वीं सदी के उत्तरार्द्ध के पहले से यूरोप में ताश खेलने के तथाकथित सबूत व्यापक रूप से जाली माने जाते हैं: वोरसेस्टर परिषद के 38वें अधिनियम (1240 को अक्सर ही 13वीं सदी के मध्य में इंग्लैण्ड में ताश खेले जाने के सबूत के तौर पर उद्धृत किया जाता है, लेकिन वहां जिस डी रेगे एट रेजिना (राजा और रानी के लिए) खेल का उल्लेख है, उस बारे में अब सोचा गया कि वो बहुत संभव शतरंज के सिलसिले में है। 11वीं सदी के एक वस्त्र की पृष्ठभूमि में पान, चिड़ी, ईंट और हुकुम की आकृति दिखाई देती है। इसे "बिशप गुन्थर्स श्राउड़" (Bishop Gunther’s shroud) के रूप में जाना जाता है, जिसे कॉन्स्टेंटिनोपल में बनाया गया और अब यह बम्बर्ग कैथेड्रल में है। अगर ताश को आम तौर पर 1278 के प्रारंभ में जाना जाता तो यह बहुत ही विचारयोग्य है कि पेट्रार्क ने अपने लेखन डी रेमेडीस युत्रिउस्के फोर्चुने (De remediis utriusque fortunae) (अच्छे/बुरे भाग्य के उपचार पर) में एक बार भी उनका उल्लेख नहीं किया, जबकि यह कार्य जुआ के व्यवहार पर है।

राजा के साथ ताश खेलते दरबारियों का एक लघुचित्र रोमन डु रॉय मेलियाडस लियोनोयस (Roman du Roy Meliadus de Leonnoys) (ई.1352) में पाया जा सकता है, जिसे नेपल्स के किंग लुईस द्वितीय के लिए बनाया गया था।

14वीं सदी के अंत में ताश के खेल ने यूरोप में प्रवेश किया, संभवतः मामलुक मिस्र से, जिसके सूट (suits) तलवार, बल्लम, प्याले और सिक्के (डिस्क और पैनटैकल के नाम से भी ज्ञात) सूट जैसे थे और पारंपरिक इतालवी स्पेनी और पुर्तगाली डेक में अब भी इस्तेमाल होते हैं। पहला दस्तावेजी सबूत है 1367 में बर्न, स्विट्जरलैंड में इनके उपयोग पर प्रतिबंध. कुछ निश्चितता के साथ, यूरोप में व्यापक रूप से ताश के इस्तेमाल का पता 1377 से लगाया जा सकता है।

मामेलुक डेक में चार सूट के साथ 52 पत्ते होते हैं: पोलो स्टीक, सिक्के, तलवार और प्याले के चार सूट. प्रत्येक सूट में दस "स्पॉट" कार्ड होते हैं (सूट प्रतीकों या दिखाए गये "पिप्स" के अंकों द्वारा पत्तों की पहचान होती है) और तीन "कोर्ट" कार्ड होते हैं, मलिक (राजा), नाइब मलिक (वायसराय या उपराजा) और थानी नाइब (द्वितीय या उप-अधीनस्थ). मामेलुक कोर्ट कार्ड में अमूर्त डिजाइन होते रहे, जिनमे व्यक्तियों के चित्र नहीं होतें (कम से कम बचे हुए नमूनों में तो नहीं हैं), हालांकि उनमें सैन्य अधिकारियों के नाम हुआ करते.

मामेलुक ताश का एक पूरा पैक 1939 में इस्तांबुल के टोपकापी महल में लिओ मेयर द्वारा खोजा गया; ख़ास यह संपूर्ण पैक ई. सं. 1400 से पहले नहीं बना था, लेकिन 12वीं या 13वीं सदी के एक निजी टुकड़े से यह मेल खाता है। अपने आपमें यह पूरा डेक नहीं है, लेकिन उनमें एक ही शैली के तीन पैक के पत्ते हैं।

यह ज्ञात नहीं है कि इन पत्तों ने गंजीफा खेल में इस्तेमाल किये जानेवाले भारतीय पत्तों की डिजाइन को प्रभावित किया, या फिर भारतीय पत्तों ने इन्हें प्रभावित किया। खैर, भारतीय ताश में अनेक भिन्न विशेषताएं होती है: वे गोल होते हैं, आम तौर पर जटिल डिजाइन के साथ हाथ से चित्रित होते हैं और उनमें चार से अधिक सूट होते हैं (अक्सर अधिकतम बत्तीस सूट, जैसा कि 18वीं और 19वीं सदी के बीच राजस्थान के मेवाड़ शहर के द्वेस्चेस स्पिलकार्तें-संग्रहालय (Deutsches Spielkarten-Museum) में की गयी एक डेक की पेंटिंग. आठ से बीस सूट तक खेलने के लिए डेक का इस्तेमाल होता).


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