आज कल कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण हर जगह टीवी पर इंटरनेट पर सिर्फ और सिर्फ वैक्सीन जिसे टीका की बात हो रही है हर जगह बस इसकी ही चर्चा है। चलिए जानते है क्या है किसने और कब बनाया इसकी सम्पूर्ण जानकारी आपको इस पृष्ठ में मिलेगी। आपके मन में जो भी प्रश्न वैक्सीन से संबंधित होगी उसकी जानकारी आपको यहां दी जा रही है।
वैक्सीन क्या होता है?
जब हम किसी रोगों से लडने की क्षमता बढ़ाने के लिए किसी जीवों के शरीर का उपयोग कर द्रव्य बनाते हैं तो उसे ही वैक्सीन कहते हैं।
वैक्सीन को हिंदी में क्या बोलते हैं?
वैक्सीन को हिंदी में टीका बोलते हैं। अक्सर बच्चों के लिए हम यह शब्द ज्यादा सुनते हैं। बच्चा जब जन्म लेता है उसके पश्चात डॉक्टर के सलाह के अनुसार उसे समय समय पर टीकाकरण करवाया जाता है। ताकि बच्चे के अंदर हर बीमारी से लडने की क्षमता बनी रहे।
किसने और कब की वैक्सीन की खोज?
अमेरिका के एक प्रसिद्ध चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने 1976 में दुनिया की पहली वैक्सीन का आविष्कार किया था। यह वैक्सीन चेचक बीमारी के लिए बनाई गई थी।
कितने तरह के वैक्सीन होते हैं?
वैक्सीन को तीन भागों में बांटा गया है –
- सजीव या दुर्बल
- निष्क्रिय या मृत
- उप – इकाई
वैक्सीन कितने फेज में बनता है?
पूरे पांच स्टेज की प्रक्रिया के बाद एक वैक्सीन सफल होता है।
- पहले: सबसे पहले खोज की जाती है जिसमें दो से चार साल लग जाते हैं।हालांकि कोरोना वैक्सीन की बात की जाए तो उसकी खोज और विकास बहुत तेजी से हो रही है।
- दूसरा: उसके पश्चात वैक्सीन को जानवरों और पौधों पर इस्तेमाल किया जाता है।परिणाम यदि सही निकलता है तो आगे के प्रक्रिया में अग्रसर होते हैं नहीं तो फिर से पहली प्रक्रिया पर लौटना पड़ता है।
- तीसरा: इसके सफल होने के बाद वैक्सीन को इंसानों पर टेस्ट किया जाता है।यह एक बहुत ही अहम प्रक्रिया होती है। अंतिम तो नहीं लेकिन यहां सफल होने के बाद नब्बे प्रतिशत प्रक्रिया सम्पूर्ण होने पर रहती है।हालांकि इस प्रक्रिया के अंदर तीन और प्रक्रिया की जाती है –
1. इंसानों के छोटे से समूह में देखा जाता है कि एंटीबॉडीज उत्पन्न हुई या नहीं।
2. सैकड़ों लोगों पर टेस्ट किया जाता है।
3. हजारों लोगों पर इस्तेमाल कर आकलन किया जाता है। उसके बाद देखा जाता है कि यह उन सभी लोगों पर काम करता है या नहीं।
- चौथा: इंसानों पर ट्रायल होने के बाद ट्रायल वाले इंसान को रेगुलेटरी समर्थन की जरूरत पड़ती है।
- पांचवां: अंततः ऊपर सभी प्रक्रियाओं के सफल होने के पश्चात ही वैक्सीन के निर्माण की प्रक्रिया जल्द शुरू होती है।
क्या गर्भवती महिलाओं को प्रत्येक टीकाकरण करवाना चाहिए?
हर किसी को हर टीकाकरण नहीं करवाना चाहिए।टीकाकरण उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।बात करते हैं गर्भवती महिलाओं की तो उन्हें हेपेटाइटिस ए का टीकाकरण नहीं करवाना चाहिए। ऐसे में बच्चे को कम खतरा बल्कि गर्भवती महिला के लिए बेहद खतरा होता है। इसे लेने के पहले एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए। फ्लू के टीकाकरण से भी गर्भवती महिलाओं को सावधानी बर्तनी चाहिए।
कुछ ऐसी बीमारियां जिसे टीकाकरण से रोका जा सकता है-
- काली खांसी
- पोलियो
- चिकन पॉक्स
- इन्फ्लूएंजा
- शिंगल्स
कभी कभी कहीं घूमने जाने से रोगों की संभावना होती है।वैसे हालात में हम कुछ विशेष तरह का टीकाकरण (Vaccination) कराना पड़ सकता है। जैसे –
- चेचक
- टीबी
- टॉयफाइड
- रेबीज़
- जापानी दिमागी बुखार
वैक्सीन के कुछ फायदें-
- रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
- बच्चों में संक्रामक बीमारियों की रोकथाम बढ़ती है।
- कुछ वैक्सीन गर्भवती महिलाओं को पड़ती है जिससे उनका बच्चा स्वस्थ रहता है।
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