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आंखों के लिए कौन सा विटामिन आवश्यक होता है ?

 
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हम में से ज्यादातर लोग वेट लॉस के लिए या फिर खुद को बेहतर शेप में स्लिम-ट्रिम रखने के लिए तो डाइट का पूरा ध्यान रखते हैं। लेकिन हमारे शरीर के बाकी हिस्से जिसमें हमारी आंखें और दृष्टि सबसे महत्वपूर्ण है, उसका क्या? हमारी आंखें बेहतर तरीके से काम कर सकें, इसके लिए उन्हें कई अलग-अलग तरह के विटामिन्स और पोषक तत्व की जरूरत होती है।

खासकर जब हमारी उम्र बढ़ने लगती है तो इस दौरान आंखों का ख्याल रखना और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि उम्र से जुड़ी कई तरह की बीमारियां हैं जो हमारी आंखों पर बुरा असर डालती हैं जैसे - डायबिटीज की वजह से होने वाली डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या, उम्र से जुड़ा मैक्युलर डीजेनेरेशन, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा आदि। वैसे तो कई अलग-अलग फैक्टर्स हैं जिनकी वजह से इस तरह की बीमारियां हो सकती हैं, लेकिन इनमें पोषण की भी अहम भूमिका होती है। 

ऐसे कई विटामिन हैं जो हमारी आंखों की सेहत को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं। इसके अलावा कई एंटीऑक्सीडेंट भी हैं जो शरीर में मौजूद फ्री रैडिकल्स की वजह से होने वाले इन्फ्लामेशन और ऑक्सिडेटिव डैमेज के कारण आंखों को होने वाले नुकसान से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। अगर किसी खास तरह के विटामिन की शरीर में कमी हो जाए तो इसकी वजह से भी मोतियाबिंद और एज-रिलेटेड मैक्युलर डीजेनरेशन जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। कई रिसर्च में यह बात साबित भी हो चुकी है कि ऐसे कई विटामिन और मिनरल हैं जो इन बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं। 

इस आर्टिकल में हम आपको आंखों की सेहत के लिए कौन से विटामिन्स और पोषक तत्व सबसे जरूरी हैं उनके बारे में बता रहे हैं।

आंखों के लिए जरूरी है विटामिन ए - 

आंखों का बाहरी आवरण जिसे कॉर्निया कहते हैं उसे मेन्टेन रखकर हमारे विजन को क्लीयर बनाने में अहम भूमिका निभाता है विटामिन ए। अगर व्यक्ति के शरीर में विटामिन ए की कमी हो जाए और समय पर इसका इलाज न हो तो जीरोफ्थैल्मिया (शुष्काक्षिपाक रोग) नाम की गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। जीरोफ्थैल्मिया, तेजी से बढ़ने वाली आंखों की बीमारी है जिसकी शुरुआत रतौंधी (नाइट ब्लांइनेस) से होती है। अगर विटामिन ए की कमी जारी रहे तो आंखों में मौजूद आंसू की थैली और आंखें सूखने का खतरा बढ़ जाता है।

कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि विटामिन ए से भरपूर डाइट का सेवन करने से मोतियाबिंद और एज-रिलेटेड मैक्युलर डीजेनेशन (एएमडी) जैसी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। लिहाजा हमें अपनी डाइट में विटामिन ए से भरपूर चीजों को शामिल करना चाहिए और अगर शरीर में विटामिन ए की ज्यादा कमी हो जाए तो इसके लिए विटामिन ए सप्लिमेंट्स का भी सेवन करने की सलाह दी जाती है। 

गाजर, लाल शिमला मिर्च, कद्दू, शकरकंद, पालक, केला, लेटस ये कुछ ऐसी सब्जियां है जो विटामिन ए से भरपूर होती हैं। इसके अलावा कॉड लिवर ऑयल, सैल्मन, गोट चीज, क्रीम चीज, अंडा आदि में भी विटामिन ए होता है।

आंखों के लिए जरूरी है विटामिन ई -

हमारे शरीर में जब फ्री रैडिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स के बीच असंतुलन हो जाता है तो इसकी वजह से ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस की समस्या होने लगती है और इस कारण भी आंखों से जुड़ी कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन ई एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो कोशिकाओं को सुरक्षित रखने में मदद करता है जिसमें आंखों की कोशिकाएं भी शामिल हैं। कई स्टडीज में यह सुझाव दिया गया है कि विटामिन ई से भरपूर डाइट का सेवन करने से उम्र बढ़ने के कारण होने वाले मोतियाबिंद को रोकने में मदद मिलती है।

लिहाजा पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई से भरपूर चीजों का सेवन करना आंखों की सेहत के लिए बेहतर माना जाता है। सूखे मेवे और बीज, कुकिंग ऑइल, सैल्मन, एवोकाडो और हरी पत्तेदार सब्जियों को विटामिन ई का अच्छा सोर्स माना जाता है।

आंखों के लिए जरूरी है विटामिन सी - 

विटामिन ई की ही तरह विटामिन सी भी एक बेहद शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो ऑक्सिडेटिव डैमेज के खिलाफ आंखों को सुरक्षित रखने में मदद करता है। ऑक्सिडेटिव डैमेज की वजह से कोर्टिकल मोतियाबिंद और न्यूक्लियर मोतियाबिंद ये 2 बीमारियां हो सकती हैं। विटामिन सी कोलेजन बनाने में भी मदद करता है। यह एक प्रोटीन है जो हमारी आंखों को आकार देने में मदद करता है खासकर कॉर्निया और स्क्लेरा को। कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि विटामिन सी मोतियाबिंद होने के खतरे को कम करने में मदद करता है। एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी में दिखाया गया है कि अगर रोजाना 490 एमजी विटामिन सी का सेवन किया जाए तो इससे मोतियाबिंद होने के खतरे को 75 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। 

संतरा, मौसंबी, आंवला, किवी, स्ट्रॉबेरी, नींबू जैसे खट्टे फलों के अलावा लाल-पीली और हरी शिमला मिर्च, ब्रोकली, हरा साग और केल जैसी सब्जियों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है और इसलिए इन्हें हमें अपनी रोजाना की डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।

आंखों के लिए जरूरी है विटामिन बी -

कई अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने पाया है कि विटामिन बी6, बी9 और बी12 भी आंखों की सेहत पर पॉजिटिव असर डालने का काम करता है। इन अलग-अलग विटामिन बी का कॉम्बिनेशन होमोसिस्टिन के लेवल को कम करने में मदद करता है। यह हमारे शरीर में मौजूद एक प्रोटीन है जिसका संबंध इन्फ्लामेशन और एज-रिलेटेड मैक्युलर डीजेनेशन के बढ़े हुए खतरे से है। महिलाओं में हुई एक क्लिनिकल स्टडी में यह बात सामने आयी कि जिन महिलाओं ने विटामिन बी6 और बी9 के साथ विटामिन बी12 के 1 हजार एमसीजी का सेवन किया उनमें एज-रिलेटेड मैक्युलर डीजेनेशन बीमारी का खतरा 34 प्रतिशत कम हो गया।

लिहाजा हमें अपनी डाइट में दूध, चीज, अंडा, मीट जैसे- चिकन और रेड मीट, टूना, मैकेरेल और सैल्मन जैसी मछलियां और पालक और केल जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों को जरूर शामिल करना चाहिए ताकि शरीर में विटामिन बी की कमी न हो।

आंखों के लिए जरूरी है ओमेगा-3 फैटी एसिड - 

ओमेगा-3 फैटी एसिड एक प्रकार का पॉलीअनसैचुरेटेड फैट है। हमारी आंखों में मौजूद रेटिना की कोशिका झिल्ली (सेल मेम्ब्रेन) में डीएचए की सघनता अधिक होती है। डीएचए एक विशेष प्रकार का ओमेगा-3 ही है। आंखों की कोशिकाएं बनाने में मदद करने के अलावा, ओमेगा-3 फैटी एसिड में एंटी-इन्फ्लामेटरी प्रॉपर्टीज भी होती हैं जो डायबिटिक रेटिनोपैथी की बीमारी को होने से रोकने में मदद करती है।

इसके अलावा बहुत से लोगों में ड्राई आइज यानी आंखों में सूखेपन की भी बीमारी होती है। इसमें आंसू की कमी की वजह से आंखों में धुंधलापन, असहजता और सूखापन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। ऐसे लोगों में आंसू का अधिक उत्पादन करने में भी मदद करता है ओमेगा-3 फैट। अपनी डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा को बढ़ाने के लिए हमें अलसी के बीज, चिया के बीज, सोया, नट्स खासकर अखरोट, सैल्मन, टूना और सार्डिन जैसी मछलियां और कैनोला ऑइल जैसी चीजों का सेवन करना चाहिए।

आंखों के लिए जरूरी है लूटिन - 

लूटिन, कैरोटेनॉयड फैमिली का हिस्सा है जो हमारी आंखों के रेटिना और मैक्युला में पाया जाता है। लूटिन, हानिकारक ब्लू लाइट को फिल्टर करके आंखों को होने वाली हानि से बचाने में मदद करता है। कई अध्ययनों में यह बात साबित भी हो चुकी है कि लूटिन, जो कि पौधों से मिलने वाला कम्पाउंड है वह मोतियाबिंद और एज-रिलेटेड मैक्युलर डीजेनेरेशन जैसी बीमारियां होने से भी बचाता है।

एक कंट्रोल्ड स्टडी में मोतियाबिंद से पीड़ित मरीजों में लूटिन के संभावित फायदे देखने को मिले। यह स्टडी करीब 2 साल तक हुई जिसमें यह बात सामने आयी कि जिन लोगों ने हफ्ते में 3 बार 15 एमजी लूटिन सप्लिमेंट्स का सेवन किया उनकी दृष्टि में सुधार देखने को मिला। हालांकि, इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप सप्लिमेंट्स का ही सेवन करें। फल और सब्जियां जिसमें लूटिन पाया जाता है उनके सेवन से भी आप इसकी कमी को पूरा कर सकते हैं।

हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे- केल और पालक और ब्रोकली के अलावा अंडे का पीला भाग (जर्दी), शिमला मिर्च और अंगूर आदि लूटिन का बेहतरीन सोर्स है।

आंखों के लिए जरूरी है जिंक - 
जिंक एक ऐसा मिनरल है जो रेटिना, कोशिका झिल्ली और आंखों की प्रोटीन संरचना की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। जिंक की मदद से विटामिन ए, लिवर से रेटिना तक पहुंचता है ताकि मेलेनिन का उत्पादन हो सके। मेलेनिन एक ऐसा पिग्मेंट है जो यूवी लाइट से आंखों की रक्षा करता है। अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन की मानें तो जिन लोगों को एएमडी की बीमारी होती है या जिनमें इसका खतरा अधिक होता है उन्हें जिंक सप्लिमेंट का सेवन करना चाहिए। रोजाना करीब 40 सेस 80 एमजी जिंक को अगर कुछ निश्चित एंटीऑक्सिडेंट्स के साथ लिया जाए तो एएमडी बीमारी के बढ़ने का खतरा 25 प्रतिशत तक कम हो जाता है। यह दृष्टि हानि को भी 19 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

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