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जानें कैसे महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती हैं ये बीमारियां

 
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प्रत्येक व्यक्ति को कोई भी बीमारी अलग तरह से प्रभावित करती है। बीमारियों के लक्षण हर इंसान में अलग हो सकते हैं लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं जो महिलाओं और पुरुषों को अलग तरह से प्रभावित करती हैं।

चूंकि पुरुष और महिलाओं में अलग-अलग हार्मोन होते हैं इसलिए कुछ बीमारियों के प्रभाव व उनके उपचार दोनों के लिए भिन्न होते हैं। इस लेख में ऐसी ही कुछ बीमारियों में बारे में बताया गया है जो अलग-अलग तरह से महिलाओं और पुरुषों को प्रभावित करती हैं। 

दिल का दौरा
हार्ट अटैक से तो आप भली-भांति परिचित होंगे। इसमें हृदय तक जाने वाले ऑक्सीजन युक्त खून का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और सीने में दर्द उठने लगता है। इसमें ऐसा महसूस होता है जैसे कि छाती पर बहुत भार आ गया हो। हार्ट अटैक महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को अपना शिकार बनाता है। कई महिलाओं को पीठ के ऊपरी हिस्से पर दबाव, जबड़े में दर्द और सांस लेने में तकलीफ, जी मिचलाना और चक्कर आने जैसा महसूस कर सकती हैं। भले ही महिलाओं में हार्ट अटैक कम होता है लेकिन हार्ट अटैक के बाद महिलाओं के बचने की उम्मीद कम होती है।

मल्टीपल स्क्लेरोसिस 
इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने वाले रोग अक्सर पुरुषों को अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, मल्टीपल स्क्लेरोसिस (रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली बीमारी) पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। लेकिन अगर इस बीमारी के प्रोग्रेसिव फॉर्म (लगातार बढ़ने वाली बीमारी) की बात करें तो ये महिलाओं की तरह ही पुरुषों को प्रभावित करती है। ये बीमारी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। 

स्ट्रोक
अमेरिका में हर साल पुरुषों की तुलना में लगभग 55,000 अधिक महिलाएं स्ट्रोक से ग्रसित होती हैं। इसके आम लक्षणों की बात करें तो इसमें शरीर के एक तरफ अचानक से कमजोरी, बोलने में दिक्कत व खड़े होने में असंतुलन और उलझन में रहना शामिल है, लेकिन महिलाओं में अक्सर इसके अलग लक्षण दिखाई देते हैं जैसे: बेहोशी, घबराहट, उल्टी, दर्द, हिचकी और दौरे। इसके अलावा स्ट्रोक के बाद रिकवर करने में भी महिलाओं को ज्यादा दिक्कत होती है।

मुहांसे
अक्सर मुहांसों के लिए हार्मोंस को जिम्मेदार माना जाता है क्योंकि महिलाओं के हार्मोन पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज के दौरान प्रभावित होते हैं, इसलिए उनमें मुहांसे निकलने की संभावना पुरुषों की तुलना में ज्यादा होती है। इसका उपचार पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं उनमें इन दवाइयों के कारण मुहांसे हो सकते हैं जबकि पुरुषों में त्वचा पर लगाने वाली किसी तरह की क्रीम के कारण मुहांसे आ सकते हैं। 

तनाव
ज्यादातर महिलाओं का ये मानना है कि उनमें यह बीमारी पुरुषों की तुलना में ज्यादा होती है। वैसे तो क्रोध और मांसपेशियों में तनाव पुरुषों और महिलाओं दोनों को एक तरह से ही महसूस होता है, लेकिन कुछ महिलाओं का कहना है कि तनाव के दौरान उन्हें सिरदर्द, पेट खराब होने व कभी-कभी रोने का मन करता है। पुरुषों की बात करें तो उन्हें महिलाओं की तुलना में तनाव के समय शारीरिक परेशानियां कम होती हैं। 

ऑस्टियोपोरोसिस
क्योंकि महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों में कमजोरी आना) होने की संभावना अधिक होती है, इसलिए अक्सर पुरुषों में इस बीमारी को अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन जिन पुरुषों में हड्डियों के घनत्व की कमी होती है और जिनकी कूल्हे की हड्डी टूट जाती है उनमे इस बीमारी से ग्रस्त महिलाओं की तुलना में मृत्यु का खतरा दोगुना होता है।

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