गोटू कोला एक प्राचीन भारतीय जड़ी बूटी है, जो खाने और चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए उपयोग की जाती है। इसे संस्कृत में मण्डूकपर्णी कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम सेंटेला असिएटिका (Centella Asiatica) है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटी ब्राह्मी को सामान्यतः गोटू कोला कहा जाता है। इन दोनों जड़ी-बूटियों के फ़ायदे अधिकतर एक समान ही हैं। दिमाग़ पर इनके प्रभाव के कारण दोनों आयुर्वेद में व्यापक रूप से उपयोग की जाता है। लेकिन दोनों ब्राह्मी और गोटू कोला उनके गुण, फार्माकोलॉजी और फोटोकैमिस्ट्री में अलग हैं, और उन्हें प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में अलग-अलग जड़ी-बूटियों के रूप में माना जाता है।
गोटू कोला के फायदे मानसिक स्पष्टता के लिए -
कई बार लोग लगातार सोचने, चिंता करने, बेहोशी या थकान के कारण मानसिक स्पष्टता खो देते हैं। ऐसे में बहुत सारी बातें और चिंताएँ दिमाग को घर कर लेती है जिससे इंसान ठीक से सोच नहीं पाता है। दिमाग में उलझन और तनाव के चलते इंसान सही तरह से स्थिति का सामना करने में सक्षम नहीं हो पाता है। गोटू कोला इस दिमागी उलझन और तनाव को काम करके दिमागी स्पष्टता में सुधार लाता है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है। साथ ही, मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति में सुधार कर ये मस्तिष्क को ऑक्सीजन देता है जिससे दिमाग में और क्लैरिटी आती है।
गोटू कोला के लाभ करें ध्यान में सुधार -
कई लोग लम्बे समय तक किसी चीज़ पर ध्यान नहीं दे पाते और उनमें सतर्कता की भी कमी होती है। अधिकांश लोगों में ऐसा तनाव और चिंता के कारण होता है। इस परेशानी को गोटू कोला द्वारा दूर किया जा सकता है। ध्यान की अवधि और सतर्कता के लिए आयुर्वेद के अनुसार, एक दिन में दो ग्राम गोटू कोला पाउडर दूध के साथ दो बार ले सकते हैं।
मण्डूकपर्णी के गुण करें मानसिक थकान दूर -
कई बार हम मानसिक रूप से इतनी थकान महसूस करते हैं कि हम किसी भी चीज़ पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते हैं, जल्दी चिंतित हो जाते हैं, चिड़चिड़ा महसूस करते हैं और साथ ही हमारी कार्य कुशलता पर भी फर्क पड़ता है। ये सभी लक्षण मस्तिष्क में डोपामाइन हॉर्मोन के स्तर में कमी के कारण होते हैं। गोटू कोला डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को नियमित करता है जिससे मानसिक थकान कम होती है और कार्य कुशलता में सुधार होता है।
मण्डूकपर्णी का उपयोग बचाएँ मेमोरी लॉस से -
मेमोरी लॉस के कई कारण हो सकते हैं। यह बढ़ती उम्र, डिमेंशिया, एमनेशिया और संज्ञानात्मक हानि जैसे अल्जाइमर रोग के कारण हो सकती है। गोटू कोला मेमोरी को सुधारने में मदद करता है।
एमनेशिया में मस्तिष्क की चोट या क्षति के कारण मेमोरी लॉस हो जाता है। मण्डूकपर्णी का मस्तिष्क की कोशिकाओं और एन्टी-एमनेशाइक (anti-amnesiac) कार्यों पर सुरक्षात्मक प्रभाव पड़ता है। गोटू कोला मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव और मेमोरी लॉस को कम करने, याद करने की क्षमता में सुधार करने और साथ ही एमनेशिया रोगी की मेमोरी को बढ़ाने में मदद करता है।
अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है। इस बीमारी में बीटा-एमिऑलॉइड (β-amyloid) मस्तिष्क में इकट्ठा हो जाता है जिससे मस्तिष्क में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं। लेकिन गोटू कोला बीटा-एमिऑलॉइड के कारण हुई मस्तिष्क की विषाक्तता और कोशिकाओं के ख़त्म होने को कम कर देता है। यह अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों में डिमेंशिया और इसके लक्षणों को भी कम करता है।
गोटू कोला बढ़ती उम्र के कारण हो रही संज्ञानात्मक क्षति को सकारात्मक रूप से कम करता है। एक अध्ययन के अनुसार गोटू कोला बुजुर्ग लोगों में संज्ञानात्मक प्रदर्शन, मूड और मेमोरी के सुधार के साथ जुड़ा हुआ है।
गोटू कोला का उपयोग है बच्चों में ध्यान की कमी के लिए -
बच्चों में गोटू कोला में एक ऐसा यौगिक होता है जो बच्चों में ध्यान और बिना सोचे प्रतिक्रिया देने की आदत को सुधारने में मदद करता है। आयुर्वेद में, गोटू कोला पाउडर के साथ मुक्ता पिष्टी, शंकपुष्पी, यष्टमधु (नद्यपान) और ब्राह्मी को मिलाकर ध्यान की कमी वाले विकार ADHD (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) के लिए प्रयोग किया जाता है।
गोटू कोला के गुण रखें अवसाद से दूर -
आयुर्वेद में, गोटू कोला को अवसाद के इलाज के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है जिसमें उत्तेजना, निराशा, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, आत्मघाती विचार और आक्रामक व्यवहार शामिल हैं। यह मन को शांत करता है और मस्तिष्क में पित्त उत्तेजना को शांत करने के द्वारा इन सभी लक्षणों को कम करता है। अधिकतम परिणाम के लिए, इसका उपयोग मुक्ता पिष्टी और जटामांसी के साथ संयोजन में किया जाना चाहिए।
मण्डूकपर्णी का सेवन बढ़ाएँ बौद्धिक क्षमता -
आयुर्वेद में, बौद्धिक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए भी गोटू कोला का उपयोग किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए, 3 ग्राम इस ताजा जड़ी बूटी को गाय के दूध की एक छोटी मात्रा में पीसकर पेस्ट तैयार किया जाता है। इस पेस्ट को सुबह में खाली पेट एक गिलास गर्म दूध के साथ लेने की सलाह दी जाती है। इसके बाद नाश्ता छोड़ दिया जाना चाहिए और दोपहर के भोजन में, हल्का शाकाहारी भोजन लिया जाना चाहिए। यह उपाय 12 दिनों के लिए करना चाहिए। परंपरागत चिकित्सा में, गोटू कोला पाउडर को घी (स्पष्ट मक्खन) के साथ मिश्रित किया जाता है और मानसिक क्षमता में सुधार के लिए बच्चों को दिया जाता है।
मण्डूकपर्णी के लाभ करें चिंता कम -
गोटू कोला मानसिक कार्यों को सुधारता और चिंता को कम करता है हालांकि, इस एक ही जड़ी बूटी के इस्तेमाल से अच्छा परिणाम नहीं मिलता है। जब यह अन्य जड़ी-बूटियों के साथ संयोजन जैसे जटामांसी, शंखपुष्पी और मुक्ता-पिष्टी के साथ प्रयोग किया जाता है, तो इससे चिंता का इलाज करने के दौरान अच्छे परिणाम मिलते हैं।
गोटू कोला के औषधीय गुण हैं नींद के लिए प्रभावी
गोटू कोला में सोपोरिफिक (स्लीप इन्ड्यूजिंग) प्रभाव होते हैं, ये परिणाम दिमाग पर इसकी शांत क्रिया के कारण होता है। गोटू कोला मानसिक ऊर्जा को पुनर्स्थापित करता है और मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके कोशिकाओं को फिर से जीवित करता है।
आयुर्वेद में, 3 ग्राम गोटू कोला पाउडर को एक हफ्ते तक सोने से एक घंटा पहले एक कप दूध के साथ लेने की सलाह दी जाती है। यह अनिद्रा का इलाज करने में मदद करता है और अच्छी नींद के स्तर में सुधार करता है और विश्राम को बढ़ावा देता है।
मण्डूकपर्णी है मिर्गी में उपयोगी -
हालांकि, गोटू कोला मिर्गी में बहुत प्रभावी नहीं है जब यह अकेले उपयोग किया जाता है। वच (एकोरस कैलामास), कुलंजन और इलायची के बीज जैसी अन्य जड़ी-बूटियों के साथ, मिर्गी के प्रबंधन में इसका बहुत अच्छा प्रभाव होता है। आयुर्वेद में, इन जड़ी बूटियों का उपयोग मिर्गी और बेहोशी के उपचार में किया जाता है।
फूली हुई नसों का इलाज है गोटू कोला -
गोटू कोला फूली हुई नसों में विश्राम को प्रेरित करके रक्त परिसंचरण में सुधार करता है। गोटू कोला द्वारा सर्कुलेशन में सुधार पैरों में असुविधा, दर्द और एडिमा को कम करता है।
गोटू कोला है घाव को जल्दी भरने में लाभकारी -
गोटू कोला का आंतरिक सेवन घाव को जल्दी भरने मदद करता है। यह आमतौर पर मधुमेह वाले लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है। गोटू कोला की पत्तियों के बारीक पाउडर को पानी में मिलाकर त्वचा के घाव पर लगाया जा सकता है। इससे प्रभावित क्षेत्र में रक्त की आपूर्ति में सुधार होता है। यह घावों, त्वचा के अल्सर और मामूली जले में त्वचा पर लगाया जा सकता है।
सेण्टाला एश्सियाटिका करे फटी एड़ियों को ठीक -
फटी एड़ियों के मामले में, 7 भाग मोम या पेट्रोलियम जेली के साथ एक भाग गोटू कोला का पाउडर मिश्रित किया जाना चाहिए। इस अनुपात के साथ बनाई गई क्रीम को दिन में दो बार फटी एड़ियों पर लगाना चाहिए। यह संयोजन 2 से 4 सप्ताह के भीतर परिणाम दिखाता है।
गोटू कोला के नुकसान -
इसके अधिक मात्रा में सेवन झपकी का कारण हो सकता है। इसलिए लोगों को इसके सेवन से नींद की झपकी आ सकती है। इसलिए, यदि आप नियमित रूप से गोटू कोला का उपयोग कर रहे हैं, तो अपने चिकित्सक से सलाह लें ताकि खुराक में कमी की जा सकें।
यह गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सुरक्षित माना जाता है। लेकिन चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत इस जड़ी-बूटियों का उपयोग करना सबसे अच्छा है।
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