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लोध्र के फायदे और नुकसान

 
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लोध्र या लोध एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। लोध्र का वानस्पतिक नाम सिम्प्लोकास रेसीमोसा (Symplocos racemosa) है। यह मुख्य रूप से ब्लीडिंग डिसऑर्डर, दस्त (diarrhoea) और नेत्र विकारों में उपयोग किया जाता है। 

लोध्र के पेड़ उत्तर और पूर्व भारत के पहाड़ी जगहों पर पाए जाते हैं। लोध्र का पेड़ बहुत ही बड़ा और ऊंचा होता है। इसके पत्ते अंडे की तरह गोल और 9 से 15 सेमी. लंबे होते हैं। इसके फूल खुशबूदार और सफेद या काले रंग के होते हैं और इसका फल गोल, आधा इंच लंबा, चिकना, बैंगनी या काला रंग होता है। इसके फल में 1 से 3 बीज भरे होते हैं। इस पेड़ की छाल भूरे रंग की होती है, जो औषधि के रूप में उपयोग की जाती है।

लोध के फायदे ब्लीडिंग डिसऑर्डर के लिए 

यूटरन ब्लीडिंग डिसऑर्डर के इलाज के लिए 50-60 मिलीलीटर की खुराक में ठंडा जलसेक (cold infusion) या काढ़े दिया जाता है। लोध पाउडर का बाहरी अनुप्रयोग हिमास्टसिस (रक्त प्रवाह को रोकने की सर्जिकल प्रक्रिया) के रूप में कार्य करता है।

लोध्र के गुण करें मुंहासों का इलाज -

लोध की छाल, धनिया का पाउडर और बच तीनों बराबर मात्रा में मिलाकर पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इस लेप को सुबह स्नान और रात को सोने से पहले मुंह पर लगाएं। इससे कील-मुंहासे ख़त्म हो जाएंगें। इसके साथ ही चेहरे की चमक भी बढ़ेगी।

लोध्र चूर्ण है अल्सर में सहायक -

धातकी और लोध का पाउडर घाव भरने को बढ़ावा देते हैं।
लोध, निग्रोधा कली, खादीरा, त्रिफला और घृत से एक पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट का सेवन घावों को ठीक करता है।
लोधरतवाक के बारीक पाउडर को घाव जल्दी भरने लगते हैं।

लोध्र का प्रयोग करे दंत स्वास्थ्य के लिए -

लोध की छाल का काढ़ा बनायें और उसके साथ गरारे करें। इससे कुछ ही दिनों में मसूढ़ों का ढीलापन और मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जायेगा।
दंत क्षय में लोध, मस्टा और रसंजाना का पेस्ट शहद के साथ मिलाकर लेने चाहिए
लोध के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मसूढ़ों से खून आना और दर्द आदि खत्म हो जाता है।

सिम्प्लोकास रेसीमोसा के फायदे करें आँखों की समस्या का इलाज - 

आँखों का दुखना, पानी बहना, सूजन और लाली सभी में इसका प्रयोग किया जाता है। आँखों की सूजन और लाली होने पर इसका लेप पलकों पर किया जाता है। नेत्रश्लेष्मलाशोथ (कंजंक्टिवाइटिस - conjunctivitis) का इलाज करने के लिए पौधे की छाल का पेस्ट पलकों पर लगाया जाता है।

लोध्र पीसीओएस के इलाज में है उपयोगी - 

योनि संक्रमण का इलाज करने के लिए तुंबी के पत्तों का पाउडर और लोधरतक का एक पेस्ट बना लें और योनि पर लगाएं।
पीरियड्स में अधिक खून बहने पर लोध की छाल और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना लें। दिन में 3 बार कुछ दिनों तक 1 चम्मच पाउडर का सेवन करने से लाभ मिलता है।
दस ग्राम लोध को पीस लें। इसमें 10 ग्राम खाण्ड को मिला लें। इसका 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से माहवारी के अधिक आने की समस्या समाप्त हो जाती है। लोध्र पीसीओएस के इलाज में बहुत प्रभावी होता है।

लोध्र के फायदे रखें त्वचा को स्वस्थ
लोधरा, धातकी, इंद्राव, करंजा और जति के पेस्ट का पाउडर कुष्ठ में एक स्क्रब के रूप में उपयोगी है। लोध्र क्वाथ का उपयोग आप एक फेस वाश के रूप में भी कर सकते हैं।

लोध्र के अन्य फायदे - 
  • सिम्प्लोकास रेसीमोसा की छाल का पेस्ट, स्थानीय सूजन और उपचार के रूप में घाव से प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जाता है।
  • इसकी छाल से तैयार 50-60 मिलीलीटर काढ़े को विभाजित खुराक में डायरिया और खुनी बवासीर का इलाज करने के लिए लिया जाता है। काढ़ा छोटे रक्त वाहिकाओं को नियंत्रित करता है और रक्तस्राव को नियंत्रित करता है।
  • खांसी और बुखार का इलाज करने के लिए फूलों से ठंडा काढ़ा 30-40 मिलीलीटर की खुराक में दिया जाता है।
  • खुजली, चकत्ते और कीड़े काटने के मामलों का इलाज करने के लिए छाल का पेस्ट लगाया जाता है।
  • कान बहने के मामलों में, छाल का पाउडर हालत को नियंत्रित करने के लिए कान के अंदर छिड़का जाता है।
  • लोध की छाल को पानी में पीसकर लेप बना लें। और इस पेस्ट को सुबह शाम स्तनों पर मालिश करें। इससे स्तनों का दर्द, ढीलापन और शिथिलता दूर हो जायेगा और स्तन कठोर हो जायेंगे।
  • इसके अलावा आयुर्वेदिक दवाइयों में लोध्र सामग्री का उपयोग किया जाता है जैसे -
  • लोध्रासव - एनीमिया और ब्लीडिंग डिसऑर्डर में इस्तेमाल किया जाता है। 
  • अरिमेदी तैलम - ताकत बढ़ाने के लिए तेल में इस्तेमाल किया जाता है। 
  • दशमूलारिष्ट - सूजन की स्थिति में और महिला के प्रसव-देखभाल के बाद इस्तेमाल किया जाता है।
  • लोध्र की मात्रा - Lodhra Dosage in Hindi
  • औषधीय रूप में लोध की छाल का इस्तेमाल किया जाता है।
  • पाउडर के रूप में 3-5 ग्राम की मात्रा में उपयोग करें।
  • इसके बने काढ़े को 50-100 ml की मात्रा में लिया जा सकता है।
  • बीजों के पाउडर को 1-3 ग्राम मात्रा में लिया जा सकता है।
लोध्र के नुकसान - 
  • यह हॉर्मोन पर काम करने वाली एक दवा है। इसलिए इसका सेवन निर्धारित मात्रा में करें।
  • आयुर्वेद में यह स्त्री रोगों की प्रमुख औषधि मानी जाती है। इसके सेवन से पुरुष हॉर्मोन कम होता है। इसलिए पुरुष इसे न ही लें तो बेहतर है।
  • यह दवा टेस्टोंस्टेरोन का स्तर कम करती है। इसे खाली पेट न लें।
  • काढ़े को तुरंत बनाकर प्रयोग करें।


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