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दीपावली पर्व पर शगुन के रूप में कंद खाया जाता है- जिमीकन्द(सूरन)

 
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गोण्डा। जिमीकंद एक बहुवर्षीय भूमिगत सब्जी है जिसका वर्णन भारतीय धर्मग्रंथों में भी पाया जाता है। भारत के विभिन्न राज्यों में जिमीकंद के भिन्न-भिन्न नाम ओल या सूरन हैं। पहले इसे गृहवाटिका में या घरों के अगल-बगल की जमीन में ही उगाया जाता था। अब तो जिमीकंद की व्यवसायिक खेती होने लगी है। जिमीकंद एक सब्जी ही नहीं वरन यह एक बहुमूल्य जड़ीबूटी है जो सभी को स्वस्थ एवं निरोग रखने में मदद करता है। भोज्य पदार्थों के संचन हेतु यह भूमिगत तना का रूपांतर है जिसे घनकंद कहते हैं। इस पौधे का फल यानी जड़ को बवासीर के दवा में भी उपयोग किया जाता है दीपावली पर्व पर जिमीकंद का विशेष महत्व है। जमीन में यह इसी मौसम में पैदा होता है। जिमीकंद में औषधीय गुण होते हैं। दीपावली पर्व पर मौसम में परिवर्तन के चलते जिमीकंद की सब्जी हर घर में बनाई जाती है। शगुन के तौर पर भी लोग जिमीकंद खाते हैं। एक गुणकारी सब्जी है। देखने में मिट्टी के रंग की यह सब्जी जमीन के नीचे उगती है। इसे सूरन के नाम से भी जाना जाता है। जिमीकंद बवासीर से लेकर कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से बचाए रखता है। इसमें फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी 6, विटामिन बी 1 और फोलिक एसिड होता है।

-आयुर्वेद के अनुसार
जिमीकंद ड्राई, कसैला, खुजली करने वाला होता है। जिमीकंद उन लोगों को नहीं खाना चाहिए, जिनको किसी भी प्रकार का चर्म रोग हो। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद में जिमीकंद जड़ औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है। पेट से जुड़े रोगों के लिए इसका सेवन रामबाण की तरह होता है। यह दिमाग तेज करने में भी मदद करता है। जिमीकंद खाने से मेमोरी पावर बढ़ती है। साथ ही यह अल्जाइमर रोग होने से भी बचाता है। दिमाग को तेज करने के लिए जिमीकंद को अपने आहार में शामिल करें। जिमीकंद में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और बीटा कैरोटीन पाया जाता है। यह कैंसर पैदा करने वाले फ्री रैडिकल्स से लड़ने में सहायक होता है। इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों के कारण यह गठिया और अस्थमा रोगियों के लिए अच्छा होता है। जिमीकंद में पाया जाने वाला कॉपर लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाकर शरीर में ब्लड के फ्लो को दुरुस्त करता है और आयरन ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में मदद भी करता है। जिमीकंद का प्रयोग बवासीर, सांस रोग, खांसी, आमवात और कृमिरोगों के उपचार में किया जाता है। जिन लोगों को लीवर या यकृत में समस्या है, उनके लिए भी जिमीकंद एक वरदान है। जिमीकंद में पर्याप्त मात्रा में बी 6 होने से दिल की बीमारी नहीं होती। जिमीकंद में विटामिन बी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह बल्ड प्रेशर को नियंत्रित कर हृदय को स्वस्थ रखता है। जिमीकंद में पोटैशियम की मौजूदगी के कारण यह पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में मदद करता है। इसे नियमित खाने से कब्ज और कॉलेस्ट्रॉल की समस्या दूर हो जाती है। जाड़े के मौसम में गर्म तासीर होने के कारण भी इसे खाया जाता है। जिमीकंद को खाने से गले में खराश की समस्या हो जाती है। इसी के चलते इसे इमली की पत्तियों या इमली में उबाला जाता है, जिससे उसमें खराश खत्म हो जाती है। जिमीकंद की तासीर गर्म होने के कारण इसका उपयोग सिर्फ जाड़ों में ही होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दी के मौसम में दो बार जिमीकंद का उपयोग करने से लोगों को ठंड से होने वाले रोगों से निजात मिलती है।

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