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कीगल एक्‍सरसाइज कैसे करें और इसके फायदे

 
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बेहतर स्वास्थ्य और निरोगी काया पाने का सबसे बेहतर और आसान उपाय व्यायाम ही है। इससे न सिर्फ शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, बल्कि आप चुस्त व तंदुरुस्त भी रहते हैं। साथ ही शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार होता है। ध्यान रहे कि व्यायाम के साथ संतुलित आहार का सेवन भी जरूरी है। शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए कई तरह के व्यायाम हैं, लेकिन आज हम आपको एक खास किस्म के व्यायाम के बारे में बता रहे हैं। हम बात कर रहे हैं, कीगल व्यायाम की। आमतौर पर चिकित्सक गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद महिलाओं की पेल्विक मांसपेशियों में सुधार के लिए इस व्यायाम को करने की सलाह देते हैं, लेकिन आप इसे कभी भी कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको कीगल एक्सरसाइज के फायदे और कीगल व्यायाम विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे।

कीगल एक्‍सरसाइज क्‍या है? –
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कीगल व्यायाम को गर्भाशय, मूत्राशय और बड़ी आंत से नीचे की ओर जुड़ी मांसपेशियों (पेल्विक मांसपेशियों) को मजबूत करने के लिए किया जाता है। इसमें पेल्विक मांसपेशियों पर ध्यान लगाकर उन्हें कुछ देर के लिए संकुचित रखने का प्रयास किया जाता है और फिर बाद में ढीला छोड़ दिया जाता है। यह व्यायाम खासकर उन पुरुषों और महिलाओं को करने की सलाह दी जाती है, जिनमें यूरीन लीकेज (पेशाब को नियंत्रित न कर पाना) और आंत नियंत्रण में समस्या (अचानक मल त्याग हो जाना) जैसी शिकायत होती है ।

कीगल एक्‍सरसाइज करने के फायदे –
कीगल एक्सरसाइज से जोड़ों, कंधों और पेल्विक अंगों से संबंधित कई समस्याओं को दूर करने में सहायता मिलती है। साथ ही यह एक्सरसाइज इन अंगों से संबंधित मांसपेशियों के तनाव को दूर करने में भी मददगार साबित होती है। इसके इतर, मोटापा, गर्भावस्था, प्रसव के बाद मांसपेशियों में ढीलापन और महिलाओं या पुरुषों में जनन अंग से संबंधित सर्जरी के बाद पेल्विक मांसपेशियों में आई कमजोरी को दूर करने के लिए भी कीगल व्यायाम को करना लाभकारी माना जाता है।

कीगल एक्‍सरसाइज के प्रकार – 
1. द पेल्विक टिल्ट 
कीगल व्यायाम का यह प्रकार पेल्विक अंगों में खिंचाव पैदा करके ढीली पड़ी मांसपेशियों को दोबारा सक्रिय होने के लिए प्रेरित करता है।

करने का तरीका :
  • सबसे पहले आप योग मैट बिछाकर पीठ के बल आराम से लेट जाएं।
  • अब अपने पैरों को घुटनों से मोड़ें और कूल्हों के थोड़ा नजदीक लाएं।
  • ध्यान रहे, पैरों के पंजों को कूल्हों से चिपकाना नहीं है।
  • सुनिश्चित करें कि कूल्हों और पंजों के बीच थोड़ी दूरी बनी रहे।
  • अपने दोनों हाथों को कमर के अगल-बगल चिपका कर रखें।
  • अब घुटनों और कूल्हों पर थोड़ा जोर देते हुए कूल्हों को जमीन से ऊपर उठाएं।
  • इसी स्थिति में करीब 10 सेकंड तक रहने का प्रयास करें।
  • फिर आराम की स्थिति में वापस आ जाएं।
  • इस प्रक्रिया को करीब चार से पांच बार दोहराएं।
2. क्लासिक कीगल
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कीगल व्यायाम का यह प्रकार भी पेल्विक मांसपेशियों को सक्रिय करने का काम करता है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें पेट के निचले हिस्से या जांघों पर जोर नहीं डाला जाता है। इसमें केवल पेल्विक मांसपेशियों के संकुचन और आराम की स्थिति को दोहराने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यही कारण है कि गर्भवती महिलाओं को इस व्यायाम को करने की सलाह दी जाती है। इस व्यायाम को आराम की मुद्रा में लेट कर या फिर जिम बॉल की सहायता से किया जा सकता है।

करने का तरीका :
  • योग मैट बिछाकर आराम की मुद्रा में लेट जाएं या फिर जिम बॉल पर बैठ जाएं।
  • ध्यान रहे, इन दोनों ही स्थितियों में पेट के निचले हिस्से और जांघों पर जोर नहीं आना चाहिए।
  • अब आपको अपनी पेल्विक मांसपेशियों पर ध्यान केंद्रित कर उन्हें संकुचित करना है।
  • संकुचन की इस अवस्था को कुछ समय तक रोकें और फिर आराम की स्थिति में जाएं।
  • इस प्रक्रिया को करीब चार से पांच बार तक दोहराएं।
3. पेल्विक पुश-अप्स
पेल्विक पुश-अप्स की प्रक्रिया सामान्य पुश-अप्स से थोड़ी अलग है। इसमें बांहों, कंधों और एब्स के साथ-साथ पेल्विक मांसपेशियों पर भी तनाव आता है। इससे पेल्विक अंगों की सक्रियता बढ़ती है। गर्भवती महिला इसे न करे।

करने का तरीका :
  • योग मैट बिछाकर पुश-अप्स की मुद्रा में आ जाएं।
  • आपके पूरे शरीर का भार हथेलियों और पंजों पर होगा। इसके बाद बाएं पैर को ऊपर उठाएं।
  • अब इसी मुद्रा को कायम रखते हुए कोहनियों को हल्का-सा मोड़ें और नीचे की ओर आएं।
  • ध्यान रहे ऐसा करते वक्त पैर जमीन पर न आए।
  • पैर को ऊपर रखते हुए पुश-अप्स की इस प्रक्रिया को करें 10 बार दोहराएं।
  • इसके बाद प्रारम्भिक स्थिति में आ जाएं।
  • अब पहले की तरह अपने दाएं पैर को ऊपर उठाएं और फिर पुश-अप्स की प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं।
4. शोल्डर ब्रिज
व्यायाम का यह प्रकार आपकी पेल्विक मांसपेशियों के साथ पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों में भी कसाव लाने में आपकी मदद करता है।

करने का तरीका :
  • योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
  • अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए पंजों को कूल्हों के थोड़ा करीब लाएं।
  • ऐसे में यह ध्यान रखें कि पंजों और कूल्हों के बीच उचित दूरी बनी रहे।
  • साथ ही दोनों पंजो के बीच भी थोड़ी दूरी बनाकर रखें।
  • अपने दोनों हाथों को कमर के अगल-बगल जमीन पर रखें।
  • अब हथेलियों और पंजों की अहायता से अपने कूल्हे और कमर को ऊपर उठाएं।
  • इसके बाद बाएं पैर को सीधा करते हुए ऊपर की ओर उठाएं।
  • उसके बाद फिर पैर को वापस नीचे की ओर लाएं।
  • इस प्रक्रिया को करीब 10 बार दोहराएं।
  • उसके बाद यही प्रक्रिया दाएं पैर के साथ करें।
5. साइड लेग लाइंग लिफ्ट
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व्यायाम का यह प्रकार आपकी पेल्विक मांसपेशियों के साथ-साथ जांघों की मांसपेशियों को भी मजबूत करने में सहायता करता है।

करने का तरीका :
  • व्यायाम के इस प्रकार को करने के लिए योग मैट पर बाएं ओर करवट करके लेट जाएं।
  • अपने दाएं हाथ को कूल्हों पर सताकर रखें और दाएं पैर को ऊपर की ओर उठाएं।
  • अब वापस पैर को धीरे-धीरे नीचे लेकर आएं।
  • इस प्रक्रिया को करीब 10 बार दोहराएं।
  • अब करवट बदल कर बाएं पैर से इस प्रक्रिया को दोहराएं।
6. द बटरफ्लाई
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व्यायाम का यह प्रकार पेल्विक मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने के अलावा आपको तनाव से भी मुक्त करता है।

करने का तरीका :
  • सबसे पहले योग मैट पर सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं।
  • अब अपने दोनों पैरों को आगे की ओर फैला लें और फिर घुटनों को मोड़ते हुए पंजों को आपस में जोड़ते हुए पेल्विक एरिया के नजदीक लाएं।
  • पंजे खुलें नहीं इसलिए उन्हें अपने हाथों से कस कर पकड़ें।
  • अब दोनों घुटनों को ऊपर-नीचे करें। घुटनों को नीचे करते समय उन्हें जमीन से सटाने का प्रयास करें।
  • इस प्रक्रिया को करीब चार से पांच मिनट तक करें।
7. डीप ब्रीदिंग
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डीप ब्रीदिंग ऐसी प्रक्रिया है, जो तनाव को दूर कर खुशी का संचार करती है। इस प्रक्रिया को पेल्विक मांसपेशियों के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।

करने का तरीका : 
  • सबसे पहले योग मैट बिछाकर सुखासन में बैठ जाएं।
  • कमर और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
  • अब गहरी सांस लें और सांस के साथ अपनी पेल्विक मांसपेशियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्हें संकुचित करें।
  • कुछ देर तक इस अवस्था को बनाएं रखें। बाद में सांस बाहर छोड़े और पेल्विक मांसपेशियों को ढीला छोड़ दें।
  • इस प्रक्रिया को करीब पांच से छह बार तक दोहराएं।
8. स्पाइनल ट्विस्ट
व्यायाम की यह प्रक्रिया पेल्विक मांसपेशियों के साथ-साथ पेट की मांसपेशियों को भी आराम दिलाने में सहायक साबित होती है।

करने का तरीका :
  • आप योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं।
  • अब अपने पैरों को थोड़ा फैलाएं और उनके बीच में उचित जगह बनाएं।
  • अब दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए आगे की ओर झुकें।
  • अब पहले बाएं हाथ की उंगलियों से दाएं पैर के पंजे छुएं और फिर हाथ को ऊपर ले जाते हुए दाएं हाथ की उंगलियों से बाएं पैर के पंजे को छुएं।
  • ध्यान रहे, ऐसा करते वक्त आपके घुटने मुड़ें नहीं।
  • इस प्रक्रिया को करीब 10 बार दोहराएं।
9. रोलिंग नीज 
व्यायाम के इस प्रकार में सीधा लेटकर घुटनों की सहायता से पेल्विक मांसपेशियों में खिंचाव पैदा करने का प्रयास किया जाता है।

करने का तरीका : 
  • सबसे पहले योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
  • अपने घुटनों को मोड़कर पंजों को कूल्हों के थोड़ा नजदीक लाएं।
  • पंजों और कूल्हों के बीच उचित दूरी बनाए रखें।
  • दोनों हाथों को शरीर के साथ सटा कर रखें।
  • अब धीरे-धीरे दोनों घुटनों को दाएं ओर ले जाएं।
  • ध्यान रहे कि कमर जमीन से चिपकी रहे।
  • अब वापस पहली अवस्था में लौटकर घुटनों को बाएं तरफ ले जाएं।
  • इस प्रक्रिया को करीब 10 बार दोहराएं।
10. क्लैम्स
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व्यायाम का यह प्रकार पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करने का एक आसान तरीका है। इसमें आराम की अवस्था में लेटकर घुटनों की सहायता से पेल्विक मांसपेशियों में तनाव पैदा करने का प्रयास किया जाता है।

करने का तरीका : 
  • सबसे पहले योग मैट बिछाकर बाएं ओर करवट करके लेट जाएं।
  • अपने घुटनों को मोड़ते हुए एड़ियों को कूल्हों से चिपकाएं।
  • अब अपने दाएं घुटने को ऊपर उठाने का प्रयास करें।
  • ऐसा करते वक्त आपके दोनों पैर के पंजे आपस में मिले रहें।
  • अब धीरे-धीरे दाएं पैर को वापस नीचे की ओर लाएं।
  • अब करवट को बदलते हुए बाएं घुटने के साथ इसी प्रक्रिया को दोहराएं।
  • इस प्रक्रिया को करीब 10 बार दोहराएं।
11. लेग-पेल्विक स्ट्रेच 
व्यायाम का यह प्रकार पैरों और पेल्विक मांसपेशियों को तनाव मुक्त करने के लिए किया जाता है। इससे आप तनाव मुक्त तो होते ही हैं, साथ ही मांसपेशियों की सक्रियता भी बढ़ती है।

करने का तरीका :
  • सबसे पहले योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
  • दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाए रखें।
  • अब अपने बाएं पैर को मोड़ लें और बाएं हाथ से बाएं पंजे को पकड़ते हुए कूल्हों तक ले जाने का प्रयास करें।
  • अब इसी प्रक्रिया को अपने दाएं पैर के साथ अपनाएं।
कीगल एक्सरसाइज क्या है, यह तो आप अब जान ही गए होंगे। साथ ही आपको इसके फायदे और प्रकार के बारे में भी पूरी जानकारी मिल गई होगी। लेख के माध्यम से हमने आपको कीगल एक्सरसाइज कैसे करें इस बारे में भी विस्तार से समझाया है। ऐसे में अगर आप कीगल एक्सरसाइज को करना चाहते हैं, तो लेख में बताए गए एक-एक स्टेप को ध्यान से समझें और फिर करें। इस विषय के संबंध में अन्य जानकारी के लिए आप नीच दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमें संपर्क कर सकते हैं।


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