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साइटिका के लिए 10 योगासन

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योगासन ऐसी प्राचीन तकनीक है, जिसे स्वस्थ रहने के लिए आज देश-विदेश के सभी लोग अपना रहे हैं। इससे कई बीमारियों के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसकी मदद से ठीक होने वाली शारीरिक समस्याओं की सूची में साइटिका का नाम भी शामिल है। जी हां, साइटिका के कारण होने वाले दर्द से राहत पाने में भी योग मददगार साबित हो सकता है। साइटिका से शरीर के कई हिस्से प्रभावित होते हैं, जिससे ‘क्वालिटी ऑफ लाइफ’ पर बुरा असर पड़ता है। इसे कुछ हद तक कम करने के लिए  इस आर्टिकल में हम साइटिका के लिए योगासन के बारे में बता रहे हैं। साथ ही आप यहां जानेंगे कि साइटिका बीमारी के लक्षण क्या होते हैं और किन योगासन का साइटिका में परहेज करना चाहिए।

साइटिका की समस्या और साइटिका के लक्षण क्या हैं?
साइटिका ऐसी समस्या है, जो शरीर की सबसे बड़ी नर्व सियाटिक (Sciatic) को प्रभावित करती है। यह नर्व घुटने और निचले पैर के पीछे की मांसपेशियों को नियंत्रित करती है। इसी तंत्रिका के कारण जांघ के पीछे, निचले पैर के हिस्से और पैर के तलवे का एहसास शरीर को होता है। इसी वजह से साइटिका होने पर यह सभी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं ।
  • कमर से लेकर पैरों तक दर्द होना।
  • कमजोरी का एहसास।
  • सुन्नता या झुनझुनी महसूस होना।
  • यह दर्द पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर पैर, पिंडली और पैर की उंगलियों तक बढ़ता जाता है।
  • आमतौर पर यह शरीर के केवल एक तरफ में होता है।
योग और साइटिका का दर्द – 
योगासन साइटिका के लक्षण को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकते हैं। यह दर्द की तीव्रता को कम करने के साथ ही साइटिका के कारण प्रभावित होने वाले शरीर के अंग के फंक्शन को बेहतर करने में मदद कर सकता है ।

एक शोध के अनुसार, साइटिका की समस्या पीठ के निचले हिस्से में होने वाली सूजन के कारण और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव से हो सकती है। योग से पीठ के निचले हिस्से, पेल्विक (पेट और जांघ के बीच का हिस्सा) और हाथ-पैर की मांसपेशियों का व्यायाम होता है। इससे मूवमेंट में सुधार और नर्वस सिस्टम स्टिमुलेट होता है, जिससे साइटिका के लक्षण को कम किया जा सकता है ।

साइटिका के दर्द के लिए 10 योगासन –
प्रतिदिन योगभ्यास करने से साइटिका के दर्द से राहत मिल सकती है। यहां हम नीचे साइटिका के लिए कुछ फायदेमंद योग के बारे में बता रहे हैं। इन योगासन को आप प्रशिक्षित योग गुरु की रेखदेख में कर सकते हैं, ताकि किसी तरह की गलती न हो।

1. अर्धमत्स्येन्द्रासन
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अर्धमत्स्येन्द्रासन में अर्ध का मतलब आधा, मत्स्य यानी मछली और इंद्र का अर्थ राजा है। इस आसन को इंग्लिश में हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पोज और हाफ लॉर्ड ऑफ द फिशेज पोज भी कहा जाता है। यह योग रीढ़ और मांसपेशियों को आराम देकर ऐंठन व दर्द को दूर करके साइटिका के लक्षण को कम कर सकता है 

विधि:
  • सबसे पहले मैट बिछाकर दंडासन (पैर आगे सीधे करके बैठना) की अवस्था में बैठ जाएं।
  • अब सांस लेते हुए बाएं पैर को मोड़कर दाएं नितंब के नीचे ले जाएं।
  • फिर दाएं पैर को मोड़कर बाएं पैर के घुटने के बगल में रख दें।
  • इस दौरान दाएं पैर का तलवा जमीन से सटा रहेगा।
  • अब आराम-आराम से सांस छोड़ते हुए धड़, गर्दन और सिर को जितना हो सके दाईं ओर मोड़ लें।
  • फिर बाएं हाथ को दाएं घुटने के ऊपर से ले जाते हुए दाएं टखने को पकड़ने की कोशिश करें।
  • वहीं दाहिना हाथ को पीछे ले जाते हुए पीठ पर रखने का प्रयास करें।
  • इस मुद्रा में लगभग 30 से 60 सेकंड तक रह सकते हैं।
  • अब दंडासान में वापस आ जाएं और फिर सारे स्टेप्स दूसरे पैर की तरफ से दोहराएं।
  •  

2. भुजंगासन
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भुजंगासन के फायदे में साइटिका का उपचार भी शामिल है। इसे अंग्रेजी में कोबरा पोज कहा जाता है। एक रिसर्च में बताया गया है कि यह दर्द, अकड़न और आगे झुकने पर होने वाले दर्द को कम करके साइटिका से राहत दे सकता है । नीचे हम इसकी विधि बता रहे है, जिसे फॉलो करके आप इसे आसानी से कर सकते हैं

विधि:
  • सबसे पहले समतल जगह पर योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
  • इसके बाद दोनों हथेली को कंधे की सीध में रखें।
  • दोनों पैर आपस में सटे हों।
  • ध्यान रहे कि दोनों पैर सीधे और तने हुए हों।
  • इसके बाद आराम से सांस लेते हुए शरीर के ऊपरी यानी सिर से लेकर नाभि तक के हिस्से को उठाने की कोशिश करें।
  • इस दौरान ऊपर आसमान की ओर देखने की कोशिश करें।
  • यह योग करते हुए शरीर को जबरदस्ती ऊपर की ओर न उठाएं। शरीर जितना आसानी से उठे उतना ही ऊपर की ओर ले जाएं।
  • बस ध्यान रहे कि हाथ बिल्कुल सीधे होने चाहिए।
  • कुछ देर इस आसन में बने रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में वापस आ जाएं।
  • इस आसन को 3 से 4 बार तक दोहरा सकते हैं।
3. शलभासन
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शलभ का मतलब टिड्डी है। इस योगासन में शरीर का आकार टिड्डी जैसा दिखता है, इसलिए इसे शलभासन कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे लोकस्ट पोज कहा जाता है। शलभासन को पीठ और कमर दर्द के लिए बेहतर योगासन माना जाता है। एक शोध में जिक्र है कि इसके नियमित अभ्यास से साइटिका की स्थिति में भी सुधार हो सकता है।

विधि:
  • सबसे पहले योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं।
  • अब दोनों हाथों को जांघों के नीचे रख दें।
  • अब सिर को ऊपर की ओर उठाएं।
  • फिर दोनों एड़ियों को मिलाकर पैराें को ऊपर की ओर उठाएं।
  • इस मुद्रा में कम से कम 5 से 10 सेकंड रहें और आराम-आराम से सांस लेते व छोड़ते रहें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए दोनों पैर नीचे लाएं और सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
  • इस तरह से इस आसन को 4 से 5 बार कर सकते हैं।
4. बालासन
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शलभ का मतलब टिड्डी है। इस योगासन में शरीर का आकार टिड्डी जैसा दिखता है, इसलिए इसे शलभासन कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे लोकस्ट पोज कहा जाता है। शलभासन को पीठ और कमर दर्द के लिए बेहतर योगासन माना जाता है। एक शोध में जिक्र है कि इसके नियमित अभ्यास से साइटिका की स्थिति में भी सुधार हो सकता है ।

विधि:
  • एक समतल स्थान पर मैट बिछा कर वज्रासन की अवस्था में आ जाएं।
  • अब लंबी गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं।
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और माथे को जमीन से लगाने का प्रयास करें।
  • झुकने के बाद दोनों हाथों को आगे की ओर फैलाकर जमीन पर रखें।
  • ध्यान रहे कि दोनों हथेलियां जमीन से सटी हुई हों और नितंबों को एड़ियों के साथ सटाकर रखें।
  • अब हल्के-हल्के जांघों पर दबाव दें।
  • इस मुद्रा में अपनी क्षमता के अनुसार बने रहें।
  • फिर सांस लेते हुए धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में बैठ जाएं।
  • इस चक्र को करीब 3 से 5 बार किया जा सकता है।
 5. सेतुबंधासन
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सेतुबंधासन को ब्रिज पोज के नाम से भी जाना जाता है। यह लोअर बैक पेन के लिए भी लाभदायक हो सकता है। इसके अलावा, यह दर्द या खिंचाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसी वजह से  सेतुबंधासन को साइटिका के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।

विधि:
  • सबसे पहले मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
  • अब दोनों घुटनों को मोड़कर एड़ियों को नितंबों से सटा लें।
  • इसके बाद कोशिश करें कि दोनों हाथों से एड़ियां पकड़ सकें।
  • अब सांस लेते हुए कमर को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें।
  • ठोड़ी को छाती से सटाने का प्रयास करें।
  • इस अवस्था में सामान्य गति से सांस लेते हुए करीब 30 सेकंड तक बने रहें।
  • अब सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
  • इस आसन को 4 से 5 बार किया जा सकता है।
6. अधोमुखश्वानासन
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अधोमुखश्वानासन तीन शब्दों को मिलाकर बनाया गया है। पहला ‘अधोमुख’ यानी नीचे की तरफ मुंह, दूसरा ‘श्वान’ मतलब कुत्ता और तीसरा आसन। इसे इंग्लिश में डाउनवर्ड डॉग पोज भी कहा जाता है। यह योगासन हैमस्ट्रिंग (कूल्हे और घुटने के बीच की मांसपेशियां) और पिंडली को स्ट्रेच कर सकता है। इससे पीठ के निचले हिस्से के दर्द से राहत मिल सकती है। इसी वजह से इसे साइटिका में फायदेमंद माना जाता है।

विधि:
  • सबसे पहले योग मैट पर घुटनों व हथेलियों के बल बैठ जाएं।
  • फिर सांस छोड़ते हुए शरीर को बीच से ऊपर की ओर उठाएं।
  • इस अवस्था में सिर दोनों कोहनियों के बीच में होगा और शरीर ‘वी (V)’ आकार का नजर आएगा।
  • ध्यान रहे कि इस अवस्था में पैर और हाथ दोनों सीधे रहें।
  • इस आसन के दौरान अपनी गर्दन को अंदर की ओर खींचकर अपनी नाभि को देखने की कोशिश करें। साथ ही एड़ियों को जमीन से लगाने का प्रयास करें।
  • कुछ सेकंड तक इस स्थिति में बने रहें।
  • फिर घुटनों को जमीन पर टिकाकर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में वापस आ जाएं।
  • इस आसन को 3 से 4 बार किया जा सकता है।
7. अर्ध चंद्रासन
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इस आसन को करते समय शरीर आधे चांद के जैसा दिखता है, इसलिए इसको अर्ध चंद्रासन कहा जाता है। यह योगासन चंद्र नमस्कार का एक हिस्सा है, जिसे साइटिका के लिए अच्छा माना जाता है। इसी वजह से माना जाता है कि अर्ध चंद्रासन से भी साइटिका के दर्द को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

विधि:
  • सबसे पहले योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों के बीच कुछ दूरी रखें।
  • इसके बाद अपने दोनों हाथों को शरीर से दूर फैला कर कंधे की समानांतर ले आएं।
  • अब आराम-आराम से दाईं ओर झुकते हुए दाएं हाथ को दाएं पैर के पास रखें और बाएं पैर को ऊपर उठाएं।
  • बायां हाथ सीधे आसमान की ओर उठाएं।
  • फिर अपने चेहरे को भी ऊपर की ओर मोड़ते हुए नजरें बाएं हाथ पर केंद्रित करें।
  • इस अवस्था में दाहिना पैर और दाहिना हाथ जमीन पर रहेगा और बायां पैर व हाथ आसमान की ओर।
  • इस दौरान शरीर का भार दाहिने पैर और हाथों की उंगलियों पर होगा।
  • कुछ देर इस आसन में बने रहें।
  • इसके बाद धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं।
  • ठीक इसी तरह फिर दूसरे पैर और हाथ को ऊपर उठाकर इस योगासन को करें।
8. सुप्त पादांगुष्ठासन
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सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में रेक्लाइंंड हैंड-टू-बिग टो पोज कहा जाता है। इस आसन को करने से निचले पीठ के दर्द की समस्या कम हो सकती है, जो साइटिका का एक लक्षण है । इसी वजह से माना जाता है कि यह योगासन साइटिका में फायदेमंद हो सकता है। नीचे इसे करने की विधि जानते हैं।

विधि:
  • सबसे पहले योग मैट पर शवासन की अवस्था में लेट जाएं।
  • फिर धीरे-धीरे दोनों पैरों को स्ट्रेच करें।
  • अब सांस छोड़ते हुए बाएं पैर को सीधा ऊपर की और उठाएं।
  • फिर बाएं पैर के अंगूठे को हाथ से पकड़ने की कोशिश करें।
  • अगर पैर के अंगूठे पकड़ न सकें, तो पैर के तलवे पर स्ट्रैप का हिस्सा फंसा दें और स्ट्रैप के दूसरे हिस्से को पीठ के नीचे दबाकर रखें।
  • एक पैर ऊपर उठने के बाद दाएं और बाएं पैर से 90 डिग्री का कोण बनेगा।
  • इस दौरान दोनों हाथ सीधे रहेंगे और दाहिना पैर आगे की ओर स्ट्रैच होगा।
  • इस अवस्था में लगभग 30 सेकंड तक रहें।
  • इसके बाद स्ट्रैप को ढीला कर दें और सामान्य अवस्था में आ जाएं।
  • हाथों से अगर पैर के अंगूठे को पकड़ा है, तो उसे छोड़कर आराम-आराम से पैर को नीचे लेकर आएं।
9. तितली आसन
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तितली आसन को अंग्रेजी में बटरफ्लाई पोज भी कहा जाता है। यह योगासन अंदरूनी जांघों और कूल्हों की मांसपेशियों को स्ट्रैच करके मजबूती प्रदान कर सकता है। साथ ही इससे साइटिका के दर्द से भी राहत मिल सकती है ।

विधि:
  • सबसे पहले योग मैट पर अपने दोनों पैरों को आगे फैला कर दंडासन में बैठ जाएं।
  • इसके बाद दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर अपने पैर के दोनों तलवों को मिला लें।
  • अब दोनों हथेलियों की ग्रिप बनाकर अपने दोनों तलवों को अच्छे से पकड़ लें और पैरों को जितना हो सके शरीर के पास लेकर आएं।
  • इस दौरान ध्यान रहे कि रीड़ की हड्डी बिल्कुल सीधे और घुटने जमीन से लगे हों।
  • अब दोनों घुटनों को धीरे-धीरे तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे करें।
  • इसा करते समय आप सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • इस प्रकार लगभग 3 से 5 मिनट तक घुटनों को ऊपर नीचे कर सकते हैं।
 10. पवनमुक्तासन
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पवनमुक्तासन दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला पवन यानी वायु और दूसरा मुक्त मतलब निकालना। इस आसन को करने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त वायु निकलती है। इसे अंग्रेजी में गैस रिलीजिंग योग (Gas Releasing Yoga) कहते हैं। बताया जाता है कि इस योगासन से शरीर के निचले छोर की मांसपेशियों का व्यायाम होता है, जिससे साइटिका का दर्द कम हो सकता है । हां, इस योगासन को करते समय शरीर पर ज्यादा जोर न डालें, वरना इससे साइटिका का दर्द बढ़ भी सकता है।

विधि:
  • सबसे पहले योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
  • लेटने के बाद दोनों पैरों को फैला लें। इस दौरान पैरों के बीच में दूरी न हो।
  • अब सांस लेते हुए दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए छाती के पास लेकर आएं।
  • फिर हाथों से दोनों पैरों को पकड़कर घुटनों को छाती से लगाने का प्रयास करें।
  • अब सांस छोड़ते हुए सिर को ऊपर उठाएं और नाक को घुटनों से स्पर्श करने का प्रयास करें।
  • अब कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें।
  • फिर सांस लेते हुए सिर को नीचे ले आएं और पैरों को भी सीधा कर लें।
  • कुछ सेकंड आराम करें व लंबी गहरी सांस लेकर पेट को फुलाएं और जब सांस छोड़ें, तो पेट को अंदर तक पिचकाएं।
  • इस आसन को एक से दो बार कर सकते हैं।
साइटिका के दौरान कौन से योगासन नहीं करने चाहिए- 
कुछ योगासन को करने से साइटिका का दर्द बढ़ सकता है। इसी वजह से हम नीचे ऐसे योगासन के बारे में बता रहे हैं, जो साइटिका की स्थिति को बदतर बना सकते हैं ।
  • त्रिकोणासन से साइटिका का दर्द बढ़ सकता है।
  • साइटिका के दौरान दंडासन भी नहीं करना चाहिए, यह कूल्हों और पीठ के निचले हिस्से को प्रभावित कर सकता है।
  • वज्रासन को भी साइटिका के दौरान न करने की सलाह दी जाती है।
  • अगर गर्भावस्था के दौरान साइटिका की परेशानी हो रही है, तो किसी भी प्रकार के योग को न करें। इस दौरान योग पेट को संकुचित कर सकता है और पेट पर दबाव डाल सकता है।
  • पवनमुक्तासन को भी ध्यानपूर्वक करें, वरना इससे दर्द बढ़ सकता है।
योग एक ऐसा मार्ग है, जिस पर चलकर निरोगिता जैसी मंजिल को पाना आसान हो सकता है। इसी वजह से योग का डंका पूरे विश्व में बज रहा है। फिर क्यों न आप भी साइटिका जैसी समस्या से राहत पाने के लिए योग का सहारा लें? बस ध्यान दें कि कुछ योगासन से साइटिका से जुड़ी परेशानी बढ़ भी सकती है। ऐसे में लेख में बताए गए योगासान के बारे में ध्यान से पढ़ें। यहां हमने साइटिका के लिए लाभदायक और नुकसानदायक दोनों तरह के योगासन की जानकारी दी है। किसी योगाचार्य से परामर्श लेकर उनकी रेखदेख में ही योग करें, तो बेहतर होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या साइटिका के लिए साइकिल चलाना ठीक है?

नहीं, साइकिल चलाना साइटिका के लिए ठीक नहीं है। इससे साइटिका के लक्षण बदतर हो सकते हैं ।

साइटिक नस में दर्द होने से कैसे रोका जा सकता है ?
साइटिक नस के दर्द को डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा से रोका जा सकता है या फिर ऊपर बताए गए योगासन की मदद भी ले सकते हैं ।

क्या चलना साइटिका के लिए बेहतर है?
हां, चलने से निचले पीठ दर्द जैसे साइटिका के लक्षण से राहत मिल सकती है। नियमित पैदल चलने से शरीर में दर्द से लड़ने वाला एंडोर्फिन केमिकल रिलीज होता है और सूजन कम हो सकती है ।

क्या स्ट्रेचिंग साइटिका को बदतर बना सकता है?
कुछ स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज के कारण पीठ की डिस्क पर अधिक दबाव बनता है, जिससे साइटिका का दर्द बदतर हो सकता है ।



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