केरल में नाराणतु भ्रांतन (पागल) के किस्से बहुत प्रसिद्ध हैं। वह वररुचि के पुत्र थे। उनके पास अद्भुत शक्तियाँ थीं। किंतु वह सदा पागलों-सा वेष बनाए घूमते।
भिक्षा माँगकर अपना पेट भरते। रात को जहाँ कहीं भी जगह मिलती, भोजन करते और सो जाते। ऊँचे पहाड़ों से पत्थर लुढ़काना उन्हें विशेष प्रिय था। जब भी इस काम से फुरसत पाते तो गलियों में चक्कर काटा करते।
अक्सर लोग उन्हें पागल समझते थे किंतु वह ऐसे व्यक्ति थे, जो संसार के मायाजाल से मुक्त थे। एक बार वह रात को श्मशान-घाट जा पहुँचे।
मनमौजी के लिए कैसा गाँव, कैसा श्मशान? उन्होंने वहीं आग जलाई और भात पकाने के लिए धर दिया। कुछ ही देर बाद माता भद्रकाली आ पहुँचीं। जब वह वहाँ नृत्य करतीं तो चारों तरफ वीरानी छाई होती थी। उस व्यक्ति को देखकर वह बोलीं-
यहाँ से हट जाओ, मैं नृत्य करूँगी।
आराम से करो, बहुत खुली जगह है। कहकर नाराणतु भात हिलाने लगे।
भद्रकाली ने सिर हिलाया-
“नहीं, मुझे नृत्य करते हुए कोई मनुष्य नहीं देख सकता। तुम्हें यहाँ से जाना होगा।'
नाराणतु अपनी धुन में मग्न थे। भद्रकाली ने डरावने रूप धरकर उन्हें डराना आरंभ किया। यदि कोई साधारण व्यक्ति होता तो कब का डरकर भाग जाता। किंतु नारणतु भ्रांतन को डर नहीं लगा।
वह मुसकुराकर देवी के विभिन्न रूपों को देखते रहे। भद्रकाली ने हार मानी और बोलीं-
'जब भी कोई मनुष्य मुझे देख लेता है तो मुझे उसे या तो आशीर्वाद देना पड़ता है या फिर श्राप, बोलो, तुम्हें क्या वरदान दूँ?'
नाराणतु ने तैयार भात को आग से उतारा और बोले, 'मुझे शांति से भोजन करने दो, मुझे कुछ नहीं चाहिए।'
'नहीं, तुम्हें कोई एक वरदान तो माँगना ही होगा?' भद्रकाली ने दृढ़ स्वर में कहा।
नाराणतु ने कहा-
'अच्छा, मेरी निर्धारित आयु में एक दिन बढ़ा दो।'
'ऐसा तो मैं नहीं कर सकती?' देवी ने असमर्थता जताई।
'अच्छा, कुल आयु में से एक दिन घटा दो।'
'यह भी मेरे वश में नहीं है।' भद्रकाली ने उत्तर दिया।
'उफ, अब तो मेरा पीछा छोड़ो, मुझे कुछ नहीं चाहिए।' नाराणतु ने हाथ जोड़े किंतु भद्रकाली टस से मस न हुई।
तब नाराणतु भ्रांतन ने हंसकर कहा-
'तो ठीक है, मेरे दाएँ पाँव में जो घाव है, उसे बाएँ पाँव में कर दो।'
भद्रकाली ने वैसा हो किया और अपने लोक में लौट गई।
मस्तमौला नाराणतु ने मजे से भात खाया और वहीं पैर पसारकर सो गए।
No comments:
Post a Comment
कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।
अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।