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थायराइड के लक्षण, कारण, इलाज और घरेलू उपाय

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विश्वभर में थायराइड तेजी से अपने पांव पसार रहा है, जो चिंताजनक विषय है। यही कारण है कि इस लेख से हम थाइराइड की जानकारी देने जा रहे हैं, ताकि आप इससे जागरूक हो सकें। इस लेख में हम थायराइड क्या है, थायराइड क्यों होता है, थायराइड के लक्षण और थायराइड के प्रकार से जुड़ी जानकारी देने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा, यहां आपको थायराइड के घरेलू उपचार भी जानने को मिलेंगे। हालांकि, यह घरेलू उपचार थायराइड बीमारी को पूरी तरह ठीक तो नहीं कर सकते, लेकिन इसके लक्षणों व अन्य शारीरिक समस्याओं से राहत जरूर दिला सकते हैं। साथ ही यह थायराइड की दवाई के असर को बढ़ाने में भी मददगार हो सकते हैं। वहीं, थायराइड ऐसी समस्या है, जिसमें मेडिकल ट्रीटमेंट सबसे अहम है। इसलिए, लेख में थायराइड की दवाई से जुड़े कुछ सुझाव भी शामिल किए गए हैं।

थायराइड क्या है? – 
थायराइड बीमारी नहीं, बल्कि गले में आगे की तरफ पाए जाने वाली एक ग्रंथि होती है। यह तितली के आकार की होती है। यही ग्रंथि शरीर की कई जरूरी गतिविधियों को नियंत्रित करती है। यह भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। थायराइड ग्रंथि टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और टी4 यानी थायरॉक्सिन हार्मोंन का निर्माण करती है। इन हार्मोंस का सीधा असर सांस, हृदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान पर पड़ता है। साथ ही ये हड्डियों, मांसपेशियों व कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करते हैं। जब ये हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो वजन कम या ज्यादा होने लगता है, इसे ही थायराइड की समस्या कहते हैं ।

इसके अलावा, मस्तिष्क में पिट्यूरी ग्रंथि से एक अन्य हार्मोन निकलता है, जिसे थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) कहते हैं। यह हार्मोन शरीर में अन्य दो थायराइड हार्मोंस टी3 और टी4 के प्रवाह को नियंत्रित करता है। यह वजन, शरीर के तापमान, मांसपेशियों की ताकत और यहां तक ​​कि मूड को भी नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को और बुजुर्गों को थायराइड होने की आशंका ज्यादा होती है । साथ ही अगर परिवार में पहले किसी को यह समस्या रही हो, तो भी इसके होने की आशंका ज्यादा रहती है ।

थायराइड के प्रकार – 
मुख्य रूप से थायराइड के प्रकार छह माने गए हैं, जो इस प्रकार हैं  :
  • हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)– जब थायरॉयड पिंड (ग्रंथि) जरूरत से कम मात्रा में हार्मोंस का निर्माण करती है।
  • हाइपरथायरॉइडज्म (Hyperthyroidism)– जब थायरॉयड पिंड (ग्रंथि) जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण करती है।
  • गॉइटर (Goiter) – भोजन में आयोडीन की कमी होने पर ऐसा होता है, जिससे गले में सूजन और गांठ जैसी नजर आती है।
  • थायराइडिटिस (Thyroiditis)– इसमें थायराइड ग्रंथि में सूजन आती है।
  • थायराइड नोड्यूल (Thyroid nodules)– इसमें थायराइड ग्रंथि में गांठ बनने लगती है।
  • थायराइड कैंसर (Thyroid cancer)

थायराइड के लक्षण – 
अगर शरीर में नीचे बताए गए निम्न प्रकार के लक्षण नजर आते हैं, तो ये थायराइड के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। ध्यान रहे कि थायराइड के लक्षण सामान्य बीमारी जैसे भी नजर आ सकते हैं, इसलिए बेहतर है कि शरीर में आए किसी भी परिवर्तन को गंभीरता से लेना चाहिए। खासकर गर्भावस्था में महिलाओं में थायराइड लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।
  • कब्ज
  • थकावट
  • तनाव
  • रूखी त्वचा
  • वजन का बढ़ना या कम होना
  • पसीना आना कम होना
  • ह्रदय गति का कम होना
  • उच्च रक्तचाप
  • जोड़ों में सूजन या दर्द
  • पतले और रूखे-बेजान बाल
  • याददाश्त कमजोर होना
  • मासिक धर्म का असामान्य होना
  • प्रजनन क्षमता में असंतुलन
  • मांसपेशियों में दर्द
  • चेहरे पर सूजन
  • समय से पहले बालों का सफेद होना

थायराइड के कारण और जोखिम कारक- 
नीचे बताए गए जोखिम कारक थाइराइड के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं :
  • अगर पहले कभी थाइराइड हुआ हो।
  • गोइटर होने से।
  • 30 साल से ज्यादा उम्र होने पर।
  • टाइप 1 मधुमेह या अन्य ऑटोइम्यून विकारों का इतिहास।
  • गर्भपात, बच्चे का समय से पहले पूर्व जन्म या बांझपन का इतिहास।
  • ऑटोइम्यून थायराइड रोग या थायरायड रोग का पारिवारिक इतिहास।
  • टाइप 2 डायबिटीज के कारण।
  • महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा होता है।
  • गलत खान-पान, जैसे अधिक तला हुआ खाना।
  • जंक फूड व मैदे से बने खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन।
  • बढ़ता वजन या मोटापा।

नोट : महिलाओं को थायराइड होने का जोखिम ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा, अगर किसी अन्य को थायराइड रोग के लक्षण या संकेत दिखे, तो भी इसका खतरा बढ़ सकता है।

थायराइड के घरेलू उपचार – 
यहां हम थायराइड के घरेलू उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकि काफी हद तक इस समस्या में राहत पहुंचाने का काम कर सकते हैं। स्पष्ट कर दें कि ये घरेलू नुस्खे हर किसी पर असर करें संभव नहीं है, क्योंकि हर किसी की शारीरिक क्षमता व थायराइड अवस्था अलग-अलग होती है। ऐसे में कुछ नुस्खे किसी पर असर कर सकते हैं और किसी पर नहीं। इसलिए, इलाज के साथ-साथ इन घरेलू नुस्खों को इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए।

1. अश्वगंधा
सामग्री :
  • अश्वगंधा कैप्सूल (500mg)

प्रयोग का तरीका :
  • डॉक्टरी परामर्श पर रोज अश्वगंधा का कैप्सूल खा सकते हैं।

कितनी बार करें प्रयोग?
  • प्रतिदिन एक या दो कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं।

इस प्रकार है फायदेमंद :
अश्वगंधा से थायरायड का देसी इलाज किया जा सकता है। अश्वगंधा को एडापोजेनिक (तनाव कम करने वाली) जड़ी-बूटियों की श्रेणी में रखा गया है। एडाप्टोजेन शरीर को तनाव से लड़ने में मदद कर सकता है। जानवरों पर हुए एनसीबीआई के एक शोध में यह स्पष्ट रूप से माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि अश्वगंधा थाइराइड हार्मोन को बढ़ाने में मदद कर सकता है । वहीं, एक अन्य वैज्ञानिक शोध के अनुसार अश्वगंधा हाइपोथायराइड (थायराइड हार्मोन न बनना) के मरीजों के इलाज में मददगार साबित हो सकता है । इसके बावजूद यह ध्यान रखना जरूरी है कि थायराइड से बचने के उपाय के तौर पर इसका इस्तेमाल व्यक्ति के थाइराइड की स्थिति पर भी निर्भर करता है। इसलिए, थायराइड रोग का उपचार करने के लिए इसके इस्तेमाल से पूर्व डॉक्टर की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

2. एसेंशियल ऑयल्स
सिम्पटम्स ऑफ थाइराइड की स्थिति में एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग सहायक हो सकता है। एरोमाथेरेपी से जुड़े एसेंशियल ऑयल्स पर किए गए एक शोध में माना गया है कि इन्हें सूंघने से हाइपोथायराइड (थायराइड हार्मोन का कम बनना) की समस्या के कारण होने वाली थकान से राहत मिल सकती है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि एसेंशियल ऑयल्स की मदद से प्रभावित थायराइड ग्रंथि की हल्की मालिश करना और उनकी महक को सूंघना काफी हद तक प्रभावी साबित हो सकता है । हालांकि, यह बात कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि कौन से एसेंशियल ऑयल को इस समस्या में राहत के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। हां, थायराइड से संबंधित एक अन्य शोध में कुछ प्राकृतिक जड़ी-बूटियों को थायराइड से बचने के उपाय के तौर पर फायदेमंद माना गया है, जिनके एसेंशियल ऑयल आसानी से बाजार में मिल जाते हैं। इनमें लेमन बाम, सेज और रोज मेरी जैसे कई नाम शामिल हैं । अच्छा होगा थायराइट की समस्या में एसेंशियल का उपयोग करने से पहले एक बार डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।

3. मिनरल्स
गले में थायराइड के लक्षण दिखने की एक वजह मिनरल्स की कमी भी हो सकती है। वहीं, यह बात सभी अच्छी तरह से जानते होंगे कि पोषक तत्वों की कमी की वजह से कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। थायराइड भी ऐसी समस्या है, जो आयोडीन की कमी का एक नतीजा हो सकती है। इसके साथ ही आयरन, सेलेनियम, विटामिन-ए, थियोसीनेट और आइसोफ्लेविंस जैसे कुछ जरूरी पोषक तत्वों के अभाव में भी यह समस्या जन्म ले सकती है। इटली की बारी यूनिवर्सिटी के एक शोध में इस बात का साफ जिक्र किया गया है। साथ ही यह भी माना गया है कि भोजन में आयोडाइज्ड नमक या तेल को शामिल करना सहायक साबित हो सकता है । इस तथ्य के आधार पर माना जा सकता है कि इन सभी पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य को आहार में शामिल कर सिम्पटम्स ऑफ थाइरोइड को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही थायराइड रोग का उपचार और प्रभावी बनाया जा सकता है। साथ ही इस समस्या के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

4. केल्प
सामग्री :
  • केल्प सप्लीमेंट, जिसमें 150-175 माइक्रोग्राम आयोडीन हो।

प्रयोग का तरीका :
  • डॉक्टरी परामर्श पर केल्प के इस सप्लीमेंट का सेवन कर सकते हैं।

कितनी बार करें प्रयोग?
  • कुछ हफ्तों या महीनों तक प्रतिदिन एक बार इसका सेवन कर सकते हैं।

इस प्रकार है फायदेमंद :
गले मे थायराइड के लक्षण दिखने पर केल्प से भी थायरायड का देसी इलाज किया जा सकता है। यह एक प्रकार की समुद्री खरपतवार होती है, जो समुद्र की गहराई में पाई जाती है। इसे आयोडीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है । अगर किसी को आयोडीन की कमी से होने वाली थाइराइड की समस्या है, तो केल्प इस पर प्रभावी साबित हो सकता है । इस आधार पर इसे थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार माना जा सकता है। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है।

5. गुग्गुल
सामग्री :
  • गुग्गुल का 25mg सप्लीमेंट

प्रयोग का तरीका :
  • प्रतिदिन 25mg सप्लीमेंट का सेवन कर सकते हैं।

कितनी बार करें प्रयोग?
वैसे तो प्रतिदिन एक से दो बार इसका सेवन किया जा सकता है, लेकिन बेहतर होगा कि इस्तेमाल से पहले एक बार डॉक्टर से पूछ लिया जाए।

इस प्रकार है फायदेमंद :
थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार के तौर पर गुग्गुल को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसे गुग्गुल के पेड़ से प्राप्त किया जाता है। गुग्गुल में गुग्गुलुस्टेरोन पाया जाता है, जिसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी व कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले गुण के साथ-साथ थायराइड को सामान्य रूप से काम करने में मदद करने की क्षमता होती है । यह थाइराइड हार्मोन को सही तरीके से काम करने में मदद कर सकता है। जानवरों पर हुए शोध में पाया गया है कि गुग्गुल का उपयोग हायपोथायरॉडिज्म में सुधार कर सकता है । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि गुग्गुल से थायराइड का घरेलू इलाज लाभकारी साबित हो सकता है।

6. विटामिन्स
विटामिन्स की मदद से थायराइड का घरेलू इलाज किया जा सकता है। दरअसल, थायराइड की समस्या में विटामिन की भूमिका पर किए गए एक अध्ययन में माना गया कि कुछ खास विटामिन इस समस्या के जोखिम को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं। शोध में जिन विटामिन का जिक्र है, उनमें मुख्य रूप से विटामिन ए, सी, ई, बी-6, बी-12 के साथ विटामिन डी शामिल है । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि इन विटामिन से भरपूर खाद्य या इनके सप्लीमेंट की सहायता से काफी हद तक थाइरोइड के सिम्पटम्स के साथ-साथ थायराइड की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। ध्यान रहें, विटामिन सप्लीमेंट लेने से पूर्व एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए।

7. अलसी
सामग्री :
  • एक चम्मच अलसी का पाउडर
  • एक गिलास फलों का रस

प्रयोग का तरीका :
  • अलसी के पाउडर को पानी या फिर फलों के रस में डालें।
  • अब इसे अच्छी तरह मिक्स करें और पिएं।

कितनी बार करें प्रयोग?
  • इस मिश्रण को प्रतिदिन एक से दो बार पिया जा सकता है।

इस प्रकार है फायदेमंद :
थाइराइड ग्लैंड के सही तरीके से काम करने के लिए अलसी का भी योगदान हो सकता है। इसलिए, इसे थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार माना जा सकता है। दरअसल, इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है, जो हायपोथायरॉडिज्म के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है । ऐसे में हायपोथायरॉडिज्म के मरीज डॉक्टर की सलाह के अनुसार अलसी का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, एक अन्य मेडिकल रिसर्च के अनुसार अलसी का ज्यादा या लंबे वक्त तक उपयोग गॉइटर या आयोडीन कमी के कारण होने वाली समस्या का कारण भी हो सकता है । इसलिए, अलसी से थायराइड का घरेलू इलाज करने से पूर्व डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।

8. नारियल तेल
सामग्री :
  • एक से दो चम्मच शुद्ध नारियल तेल
  • एक गिलास गर्म पानी

प्रयोग का तरीका :
  • रोज एक गिलास पानी में शुद्ध नारियल तेल मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
  • अगर ऐसे नहीं पसंद, तो नारियल के तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए कर सकते हैं।

इस प्रकार है फायदेमंद :
थायराइड रोग का उपचार करने के लिए नारियल तेल अच्छा उपाय साबित हो सकता है। यह थाइरोइड के सिम्पटम्स को कम कर थायरायड ग्रंथि को सही तरीके से काम करने में मदद कर सकता है । अगर कोई मरीज थाइराइड की दवा ले रहा है, तो बेहतर होगा वर्जिन नारियल तेल के इस्तेमाल से थायराइड का घरेलू इलाज करने से पहले डॉक्टर से इस बारे परामर्श जरूर कर लें।

9. अदरक
सामग्री :
  • अदरक का मध्यम आकार का एक टुकड़ा
  • एक कप पानी
  • एक चम्मच शहद (स्वाद के लिए)

प्रयोग का तरीका :
  • सबसे पहले अदरक को बारीक टुकड़ों में काट लें।
  • इसके बाद पानी को गर्म करें और अदरक के टुकड़े उसमें डाल दें।
  • अब पानी को हल्का गर्म होने के लिए रख दें। फिर उसमें शहद डालकर मिक्स करें और चाय की तरह पिएं।
  • इसके अलावा, खाना बनाने में भी अदरक का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • अदरक को ऐसे ही साबुत चबाकर भी खाया जा सकता है।

इस प्रकार है फायदेमंद :
अदरक की मदद से भी थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार संभव है। दरअसल, अदरक में जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम होता है। साथ ही इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो इसे थायराइड का एक अच्छा घरेलू उपचार बनाते हैं। थायराइड के इलाज के लिए अदरक का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। हालांकि, थायराइड बीमारी का इलाज करने के लिए इसके साथ डॉक्टर द्वारा बताए गई दवा का सेवन करना भी जरूरी है।

10. काली मिर्च
सामग्री :
  • 5 से 6 काली मिर्च के दाने
  • एक कप गुनगुना पानी

प्रयोग का तरीका :
  • सबसे पहले काली मिर्च के दानों को कुचलकर पीस लें।
  • अब कुचली हुई काली मिर्च को एक कप गुनगुने पानी में मिलाएं और सिप करके पिएं।

कितनी बार करें प्रयोग?
  • इस प्रक्रिया को प्रतिदिन एक बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

इस प्रकार है फायदेमंद :
काली मिर्च के उपयोग से भी थायराइड बीमारी का इलाज संभव है। इंदौर के देवी अहिल्या इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए एक शोध से इस बात की पुष्टि होती है कि काली मिर्च का सेवन करने से थायराइड की समस्या में राहत मिल सकती है। चूहों पर आधारित इस शोध में बताया गया है कि काली मिर्च में पिपरिन नाम का एक खास तत्व पाया जाता है। यह तत्व थायराइड हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। वहीं, पिपरिन की अधिक मात्रा थायरायड ग्रंथि की सक्रियता को कम भी कर सकती है । इस आधार पर माना जा सकता है कि काली मिर्च घरेलू तौर पर थायराइड कम होने के लक्षण को दूर करने और थायराइड रोग का उपचार करने में सहायक साबित हो सकती है। बशर्ते इसका सेवन संतुलित मात्रा में किया जाए।

11. धनिया की पत्तियां
सामग्री :
  • आवश्यकतानुसार धनिया की पत्तियां
  • एक गिलास गुनगुना पानी

प्रयोग का तरीका :
  • सबसे पहले धनिया की पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट बना लें।
  • अब इस पेस्ट को एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाएं और पी जाएं।

कितनी बार करें प्रयोग?
  • इस प्रक्रिया को प्रतिदिन सुबह खाली पेट इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

इस प्रकार है फायदेमंद :
धनिया से संबंधित एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि धनिया के पौधे और बीज के अर्क में एंटी थायराइड (थायराइड हार्मोन को कम करने वाला) गुण पाया जाता है। यह गुण धनिया में मौजूद फ्लेवोनोइड के कारण होता है। इस आधार पर धनिया के बीज के साथ-साथ धनिया की पत्तियों के अर्क को भी हाइपरथायराइड की समस्या में उपयोगी माना जा सकता है। हालांकि, शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि धनिया की पत्तियों में फ्लेवोनोइड की मात्रा बीज के मुकाबले काफी अधिक होती है। इसलिए धनिया की पत्तियों का अधिक उपयोग समस्या को बिगाड़ भी सकता है। ऐसे में सुरक्षित घरेलू थायराइड के उपचार के तौर पर धनिया के बीज को इस्तेमाल में लाना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। ऐसे में यह घरेलू उपचार सूखा थायराइड के लक्षण को दूर करने में मदद कर सकता है।

12. लौकी का जूस
सामग्री :
  • 100 ग्राम छोटे टुकड़ों में कटी हुई लौकी
  • 4 या 5 पुदीने की पत्तियां
  • एक चुटकी काली का मिर्च पाउडर
  • एक चुटकी नमक (स्वाद के लिए)
  • 3 या 4 बूंद नींबू का रस
  • एक गिलास पानी

प्रयोग का तरीका :
  • सबसे पहले पानी, लौकी के टुकड़े और पुदीना की पत्तियां मिक्सर में डालकर अच्छे से पेस लें।
  • अब तैयार हुए जूस को छन्नी की सहायता से छानकर एक गिलास में निकाल लें।
  • अब इसमें नींबू, नमक और काली मिर्च डालकर मिलाएं और फिर पी जाएं।

कितनी बार करें प्रयोग?
  • सुबह खाली पेट प्रतिदिन इस जूस को पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस प्रकार है फायदेमंद :
दो अलग-अलग शोध से स्पष्ट होता है कि लौकी और लौकी के छिलके का सेवन बढ़े हुए थायराइड को कम करने में सहायक हो सकता है। लौकी से संबंधित एनसीबीआई के एक शोध में जिक्र मिलता है कि लौकी के छिलके में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट प्रभाव के कारण यह एंटीथायराइड (थायराइड हार्मोन को कम करने वाला) गुण प्रदर्शित कर सकता है । वहीं इंदौर के देवी अहिल्या विश्विद्यालय द्वारा किए शोध में पाया गया कि लौकी से अलग किए गए खास तत्व पेरीप्लोगेनिन  में एंटीथायराइड प्रभाव पाया जाता है, जो बढ़े हुए थायराइड हार्मोन को कम कर सकता है । इन दोनों तथ्यों को देखते हुए यह माना जा सकता है कि हाइपर थायराइड के लक्षण को कम कर थायराइड के उपचार के लिए लौकी के साथ-साथ लौकी का छिलका भी काफी हद तक उपयोगी साबित हो सकता है।

13. दही
सामग्री :
  • एक कप दही
  • एक चुटकी काला नमक (स्वाद के लिए)

प्रयोग का तरीका :
  • एक कप दही में एक चुटकी काला नमक मिलाकर खाने के लिए इस्तेमाल में लाएं।

कितनी बार करें प्रयोग?
  • दिन में करीब दो बार खाने के साथ या अकेले ही इसे खाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

इस प्रकार है फायदेमंद :
आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों में दही भी शामिल है, जो शरीर में आयोडीन की पूर्ति कर आयोडीन की कमी के कारण होने वाली थायराइड की समस्या में सहायक हो सकता है । साथ ही यह थायराइड बीमारी के लक्षण को दूर करने में भी मदद कर सकता है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि आयोडीन की कमी को पूरा करने के लिए इसे एक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

14. सेब का सिरका
सामग्री :
  • एक गिलास पानी
  • एक से दो चम्मच सेब का सिरका

प्रयोग का तरीका :
  • सेब के सिरके को पानी में मिलाएं और इसे पी जाएं।

कितनी बार करें प्रयोग?
  • सुबह और शाम के खाने से करीब एक घंटे पहले इसे पीने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

इस प्रकार है फायदेमंद :
सेब के सिरका को थायराइड का रामबाण इलाज कहा जा सकता है। एनसीबीआई के एक शोध के मुताबिक सेब का सिरका बढ़े हुए लिपिड और ब्लड शुगर को नियंत्रित कर मोटापे की समस्या को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है । वहीं लेख में आपको पहले ही बताया जा चुका है कि मोटापा थायराइड के जोखिम कारकों में से एक है। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि शरीर की बिगड़ी उपापचय प्रक्रिया को ठीक कर यह कुछ हद तक थायरोइड के जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। साथ ही यह थायराइड बीमारी के लक्षण को भी कम करने में भी सहायक हो सकता है। हालांकि स्पष्ट प्रमाण न होने के कारण यह थायराइड के उपचार में कितना प्रभावी होगा इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कह पाना थोड़ा मुश्किल है।

15. आंवला
सामग्री :
  • एक चम्मच आंवला चूर्ण
  • एक गिलास गुनगुना पानी

प्रयोग का तरीका :
  • एक गिलास गुनगुने पानी में आंवला चूर्ण मिलकर पिएं।

कितनी बार करें प्रयोग?
  • इस प्रक्रिया को दिन में एक से दो बार तक दोहराया जा सकता है।

इस प्रकार है फायदेमंद :
हाइपर थायराइड के घरेलू उपचार के तौर पर आंवला को भी उपयोग में लाया जा सकता है। इसे हाइपर थायराइड का रामबाण इलाज भी कहा जा सकता है। इंदौर के देवी अहिल्या विश्विद्यालय के एक शोध से इस बात की पुष्टि होती है कि आंवला का सेवन बढ़े हुए थायरोइड को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। शोध में माना गया कि आंवला में मौजूद हेप्टोप्रोटेक्टिव (लिवर को सुरक्षा प्रदान करने वाला) गुण इस काम में अहम भूमिका निभा सकता है । इस आधार पर माना जा सकता है कि आंवला हाइपर थायराइड के लक्षण को कम कर थायराइड के उपचार में सहायक हो सकता है।

16. एलोवेरा
सामग्री :
  • एक चम्मच एलोवेरा जूस
  • एक गिलास गुनगुना पानी

प्रयोग का तरीका :
  • एक गिलास गुनगुने पानी में एलोवेरा जूस मिलाकर पीने के लिए इस्तेमाल में लाएं।

कितनी बार प्रयोग करें?
  • इसे प्रतिदिन एक बार पीने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

इस प्रकार है फायदेमंद :
एलोवेरा को थायराइड का रामबाण इलाज माना जा सकता है। एलोवेरा पर प्रकाशित एक रिसर्च जर्नल में एलोवेरा जूस को हाइपोथायराइड (थायराइड हार्मोन का न बनना) की समस्या में कारगर बताया गया है। रिसर्च में पाया गया कि 50 मिली एलोवेरा जूस का प्रतिदिन सेवन थायरोइड ग्लैड की सक्रियता को बढ़ाकर थायराइड हार्मोन बनने की प्रक्रिया को सुधारने का काम कर सकता है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि हाइपो थायराइड के लक्षण को कम कर थायराइड के उपचार के लिए एलोवेरा जूस एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

थायराइड का निदान – 
जैसा कि हम आपको लेख में पहले ही थायराइड के प्रकार बता चुके हैं और इसका इलाज भी इन्हीं प्रकारों के आधार पर किया जाता है। ऐसे में मरीज थायराइड के कौन से प्रकार से पीड़ित है यह जानने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देता है, जिसमें थायराइड हार्मोन के निम्न स्तरों पर जांच की जाती है, जो कुछ इस प्रकार हैं :

टीएसएच टेस्ट : इस टेस्ट में पिट्यूटरी ग्लैंड (दिमाग का एक अहम हिस्सा) में बनने वाले टीएसएच (थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) की जांच की जाती है। जिसके माध्यम से शरीर में टी-3 और टी-4 थायराइड हार्मोन की स्थिति का पता लगाया जाता है। अगर जांच में टीएसएच लेवल हाई होता है, तो यह हाइपोथायराइड (थायरोइड हार्मोन का कम होना या न बनना) की स्थिति को दर्शाता है। वहीं टीएसएच लेवल कम होना हाइपरथायराइड (थायराइड हार्मोन की अधिकता) का इशारा देता है।

टी-4 टेस्ट : खून में टी-4 हार्मोन की अधिकता हाइपरथायराइड (बढ़े हुए थायराइड) को दर्शाती है। वहीं खून में टी-4 का कम होना हाइपोथायराइड (थायरायड हार्मोन की कमी) का इशारा देती है।

टी-3 टेस्ट : टी-4 हार्मोन के सामान्य होने की अवस्था में अगर डॉक्टर को लगता है कि मरीज को हाइपरथायराइड की समस्या है। तो इस स्थिति में डॉक्टर टी-3 हार्मोन के लेवल के आधार पर बढ़े हुए थायराइड के कारण को समझ सकता है। टी-3 के स्तर की अधिकता के कारण भी मरीज को हाइपरथायराइड की शिकायत हो सकती है।

थायराइड एंटीबॉडी टेस्ट : इस टेस्ट के जरिये डॉक्टर प्रतिरोधक क्षमता संबंधी विकार जैसे :- ग्रेव्स डिजीज और हाशीमोटोज डिजीज का पता लगाने का प्रयास करता है। ग्रेव्स डिजीज बढ़े हुए थायराइड हार्मोन का एक आम कारण है। वहीं, हाशीमोटोज डिजीज के कारण थायराइड हार्मोन न बनने की समस्या होती है।

इन सभी टेस्ट के माध्यम से थायराइड की स्थिति का पता लगाने के बाद कुछ विशेष स्थितियों में डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है। इनमें अल्ट्रासाउंड, थायराइड स्कैन और रेडियोएक्टिव आयोडीन टेस्ट शामिल हैं। इन टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर को थायराइड की समस्या होने के कारण को जानने में मदद मिल सकती है।

थायराइड का इलाज – 
थायराइड का इलाज मरीज की उम्र, थायराइड ग्रंथि कितने हार्मोन बना रही है और मरीज की स्थिति के अनुसार किया जा सकता है। हमने ऊपर थायराइड के कुछ प्रकारों के बारे में बताया था, तो अब यहां हम उसी के अनुसार इलाजों बता रहे हैं । ध्यान रहे कि ये सिर्फ सुझाव हैं, क्योंकि किस मरीज को कैसे ट्रीटमेंट की जरूरत है, इस बारे में डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं।

हाइपो थायराइड : इसका इलाज दवा के जरिए किया जा सकता है। दवा के सेवन से शरीर को जरूरी हार्मोंस मिलते हैं। इसमें डॉक्टर सिंथेटिक थायराइड हार्मोन टी-4 लेने की सलाह देते हैं, जिससे शरीर में हार्मोंस का निर्माण शुरू हो सकता है। यही वजह है कि हाइपो थायराइड के लक्षण दिखने की अवस्था में कुछ मरीजों को यह दवा जीवन भर लेनी पड़ सकती है।

हाइपर थायराइड : डॉक्टर थायराइड रोग के लक्षण और कारणों के आधार पर हाइपर थायराइड का इलाज कर सकते हैं। यह इलाज कुछ इस प्रकार से हो सकता है :

एंटीथायराइड – डॉक्टर एंटीथायराइड दवा दे सकते हैं, जिसके सेवन से थायराइड ग्रंथि नए हार्मोन का निर्माण करना बंद कर सकती है ।

बीटा-ब्लॉकर दवा – इसके सेवन से थायराइड हार्मोन का शरीर पर असर होना बंद हो सकता है। साथ ही दवा हृदय गति को भी सामान्य कर सकती है। इसके अलावा, जब तक अन्य किसी इलाज का असर शुरू नहीं होता, तब तक यह दवा दूसरे लक्षणों के असर को भी कम कर सकती है। एक खास बात यह है कि इस दवा के सेवन से जरूरी थायराइड हार्मोन बनने में कोई कमी नहीं आती।

रेडियोआयोडीन : इस उपचार से थायराइड हार्मोंस बनाने वाले थायराइड सेल को नष्ट किया जा सकता है, लेकिन यह हाइपो थायराइड का कारण बन सकता है।

सर्जरी : सर्जरी की जरूरत तब हो सकती है, जब मरीज को कुछ निगलने या फिर सांस लेने में तकलीफ हो। सर्जरी में थायराइड का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा निकाला जा सकता है। ऐसे में हमेशा के लिए हाइपो थायराइड होने की अंदेशा हो सकती है।

थायराइडिटिस : एनीसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिदिन 20 मिलीग्राम प्रेडनिसोलोन -एक स्टेरॉयइड दवा) के सेवन से थायराइडिटिस का असर कुछ हद तक कम हो सकता है ।

गॉइटर : अगर थायराइड ग्रंथि सही प्रकार से काम कर रही है, तो इसमें कोई इलाज की जरूरत नहीं भी पड़ सकती है। कुछ समय में यह अपने आप ही ठीक हो सकता है। वहीं, अगर इलाज किया भी जाता है, तो डॉक्टर ऐसी दवा दे सकते हैं, जिससे थायराइड ग्रंथि सिकुड़ कर अपने सामान्य आकार में आ सकती है। सिर्फ कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।

थायराइड नोड्यूल : इसका इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज की ग्रंथि की स्थिति किस प्रकार की है। यह इलाज इस प्रकार से किया जा सकता है :
  • अगर ग्रंथि ने कैंसर का रूप नहीं लिया है, तो डॉक्टर सिर्फ मरीज की स्थिति पर नजर रखेंगे। मरीज की नियमित रूप से जांच की जा सकती है और ब्लड टेस्ट व थायराइड अल्ट्रासाउंड टेस्ट किए जा सकते हैं। अगर ग्रंथि में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं आता है, तो हो सकता है कि कोई उपचार न किया जाए।
  • अगर ग्रंथि का आकार बड़ा हो जाता है या फिर कैंसर का रूप ले लेता है, तो डॉक्टर सर्जरी के विकल्प को चुन सकते हैं। ग्रंथि का आकार बड़ा होने से सांस लेने या कुछ निगलने में परेशानी हो सकती है।
  • अगर ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन का निर्माण करती है, तो रेडियोआयोडीन का सहारा लिया जा सकता है। रेडियोआयोडीन के जरिए ग्रंथि को सिकोड़ने में मदद मिल सकती है, ताकि वह कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण कर सके।


थायराइड कैंसर : कैंसर का एकमात्र इलाज सर्जरी है। सर्जरी के जरिए या तो पूरी थायराइड ग्रंथि को निकाला जा सकता है या फिर आराम से जितने हिस्से को निकाला जा सके उतने को निकाला जा सकता है। अगर कैंसर छोटा है और लिम्फ नोट्स में नहीं फैला है, तो सर्जरी बेहतर विकल्प हो सकता है। इस बारे में डॉक्टर ही बेहतर राय दे सकते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर सर्जरी के बाद रेडियोआयोडीन थेरेपी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सर्जरी के दौरान जो कैंसर सेल अंदर ही रह जाते हैं या अन्य जगह फैल जाते हैं, उन्हें रेडियोआयोडीन थेरेपी के जरिए नष्ट किया जा सकता है। थायराइड कैंसर का इलाज करने से पहले एक बार डॉक्टर मरीज से उपचार के संबंध में बात कर सकते हैं।

थायराइड के लिए सर्जरी की जरूरत कब होती है? क्या इसका कोई दुष्प्रभाव है?
इस संबंध में आपको लेख में थायराइड के इलाज वाले भाग में पहले ही बताया जा चुका है। हाइपर थायराइड या थायराइड नोड्यूल की स्थिति में अगर मरीज को सांस लेने या खाद्य पदार्थ निगलने में तकलीफ होती है, तो डॉक्टर सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं। ऐसे में मरीज को जीवन भर के लिए हाइपोथायराइड यानी थायराइड हार्मोन की कमी की शिकायत हो सकती है ।

थायराइड चार्ट – 
  • थायराइड का पता लगाने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) के स्तर की जांच की जाती है। सामान्य टीएसएच (TSH) के स्तर के बारे में हम नीचे जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं (23)।
  • सामान्य टीएसएच (TSH) 0.45 से – 5.0 mIU/L (मिली-इंटरनैशनल यूनिट पर लीटर) होता है।
  • अगर टीएसएच का यह स्तर सामान्य से ज्यादा हो, तो इसका मतलब यह है कि हार्मोंस का निर्माण कम हो रहा है। इसे हाइपोथायरॉइडज्म कहा जाता है।
  • वहीं, अगर टीएसएच सामान्य से कम हो, तो इसका मतलब यह है कि हार्मोंस का निर्माण ज्यादा हो रह है। इसे हाइपरथायरॉइडज्म कहा जाता है।

थायराइड में क्या खाएं, क्या न खाएं – 
थायराइड की समस्या में अगर सुधार करना है, तो थायराइड का उपचार करने के साथ-साथ कुछ घरेलू उपाय और थायराइड में परहेज भी जरूरी है। नीचे हम थायराइड में परहेज के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इस बारे में जानकारी दे रहे हैं।

  • पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थ जैसे – हरी सब्जियां, फल या फलों के जूस व नट्स का सेवन किया जा सकता है।
  • मछली और बीन्स के जरिए प्रोटीन का सेवन करें।
  • खाना बनाने के लिए ऑलिव आयल यानी जैतून का तेल व वर्जिन नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • खाने में डाइटरी फाइबर की मात्रा को बढ़ाएं, क्योंकि यह पाचन क्रिया में मदद कर सकता है।
  • ऐसे फैट का चुनाव करें, जो एलडीएल (LDL) यानी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम कर सके। इसके लिए बीज, नट्स व फलियों का चुनाव कर सकते हैं।

क्या न खाएं :
  • कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें या कम से कम सेवन करें। ये हृदय संबंधी समस्याओं और कैंसर का कारण हो सकते हैं।
  • सैचुरेटेड फैट जो मीट और चीज प्रोडक्ट से मिलता है, उसका सेवन न करें।
  • सॉफ्ट ड्रिंक या ऐसे ही अन्य पेय पदार्थों का सेवन न करें।
  • दूध का सेवन न करें या कम से कम करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि कुछ लोगों को लैक्टोज इनटॉलेरेंस की समस्या होती है। थायराइड की अवस्था में दूध का सेवन करने से टीएसएच का स्तर प्रभावित हो सकता है ।
  • जंक फूड जैसे – चिप्स, कैंडी, बर्गर व पिज्जा आदि खाद्य पदार्थों का थायराइड में परहेज आवश्यक है।

थायराइड के लिए योग और एक्सरसाइज
योग और एक्सरसाइज को भी थायराइड की समस्या से निपटने का आसान विकल्प माना जा सकता है। इस बात के पुष्टि एनसीबीआई के दो अलग-अलग शोध से स्पष्ट होती है। दिल्ली के डिफेंस इंस्टिट्यूट और फिजियोलोजी के एक शोध में जिक्र मिलता है कि योग और एक्सरसाइज के माध्यम से थायराइड के इलाज को और भी प्रभावी बनाया जा सकता है। वहीं, महिलाओं पर आधारित दूसरे शोध में माना गया कि योग के माध्यम से थायराइड हार्मोन को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है । थायराइड के लिए योग लेख के माध्यम से आप इस समस्या में मददगार कई योग एक्सरसाइज के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।

थायराइड के अन्य दुष्प्रभाव – 
थायराइड रोग के लक्षण के अलावा थायराइड का इलाज न होने की स्थिति में कुछ अन्य दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। निम्न बिंदुओं के माध्यम से आइए अब हम उन दुष्प्रभावों पर भी एक नजर डाल लेते हैं।
  • हाई कोलेस्ट्रोल।
  • माइक्जेडेमा कोमा , थायराइड हार्मोन बहुत अधिक कम होने की स्थिति में होने वाला दिमागी विकार, जो घातक और जानलेवा साबित हो सकता है।
  • गर्भवती महिलाओं में समय पूर्व प्रसव, हाई ब्लड प्रेशर, भ्रूण का विकास न होना और गर्भपात की समस्या।
  • हृदय रोग जैसे :- असामान्य हृदय गति, दिल की धड़कन तेज होना और हृदय का काम करना बंद कर देना।
  • ओस्टियोपोरेसिस (हड्डियों का कमजोर होना या जोड़ों में सूजन)।
  • अत्यधिक तनाव।
  • ध्यान केन्द्रित न कर पाना।
  • पेट में दर्द की समस्या।

थायराइड से बचाव – 
निम्न उपायों के माध्यम से थायराइड की समस्या से बचाव किया जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं  
  • तंबाकू या सिगरेट जैसे उत्पादों से दूर रहे।
  • एल्कोहल का इस्तेमाल न करें।
  • आयोडीन युक्त खाद्य का सेवन करें।
  • ग्लूटेन युक्त खाद्य (जैसे :- व्हीट, बार्ले, ओट्स और मिलेट्स) का इस्तेमाल न करें।
  • दुग्ध उत्पादों का प्रयोग कम करें।
  • विषैले या हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने से बचें।
  • तली भुनी चीजों का उपयोग न करें।
  • नियमित व्यायाम या योग करें। इसके लिए भुजंगासन, हलासन, विपरीत-करणी, मत्स्यासन व धनुरासन आदि किए जा सकते हैं। बेहतर होगा कि ये योगासन प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में ही किए जाएं।
  • समय-समय पर वजन चेक करते रहें और वजन में बदलाव आने पर थायराइड की जांच कराएं।

अब तो आप अच्छे से समझ चुके होंगे कि थायराइड क्या है, थायराइड किसे कहते हैं और थायराइड कैसे होता है। साथ ही थायराइड की जानकारी के साथ लेख से आपने यह भी जाना कि सही खान-पान और दिनचर्या में सुधार कर थायराइड के जोखिमों को दूर रखने में मदद मिल सकती है। वहीं, अगर किसी को थायराइड के लक्षण नजर आते हैं, तो ऐसे में बिना देर किए थायराइड की जांच करानी चाहिए, ताकि सही समय पर थायराइड रोग और उसके लक्षण की पुष्टि हो सके। फलस्वरूप, थायराइड का इलाज कर समस्या को बढ़ने से रोका जा सके। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति राहत पाने के लिए लेख में सुझाए गए थायराइड के घरेलू उपचार को भी इस्तेमाल में ला सकते हैं। उम्मीद है कि थायराइड के लक्षण और घरेलू उपचार के आधार पर स्थायी समाधान हासिल करने में यह लेख काफी हद तक उपयोगी साबित होगा। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या थायराइड की बीमारी ठीक हो सकती है?
थायराइड की समस्या को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। हां, सही खान-पान और दवाओं की मदद से इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है ।

महिलाओं में थायराइड होने के लक्षण क्या हैं?
सामान्य तौर महिलाओं में थायराइड लक्षण के रूप में थकान, कमजोरी और वजन का बढ़ना या घटना जैसी शिकायत देखी जा सकती है ।

गर्भावस्था के दौरान हाइपोथायरायडिज्म का इलाज कैसे करें?
गर्भावस्था में महिलाओं में थायराइड लक्षण दिखाई दें और हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड हार्मोन न बनना) की पुष्टि हो, तो डॉक्टर हार्मोन की टैबलेट लेने का सुझाव दे सकते हैं। इससे इस समस्या को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है ।

हाइपरथायरायडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म में से कौन सी समस्या अधिक आम है?
हाइपरथायरायडिज्म के मुकाबले हाइपोथायरायडिज्म की समस्या अधिक आम है ।

थायराइड विकारों को कभी-कभी रजोनिवृत्ति (menopause) के लिए गलत माना जाता है। सही या गलत?
हां, कभी-कभी महिलाओं में थायराइड लक्षण और थायराइड विकारों को रजोनिवृत्ति के लिए गलत माना जाता है (40)।

थायरॉइड सप्लीमेंट कितने मददगार हैं?
जैसा कि आपको लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि थायराइड के इलाज के लिए डॉक्टर थायरॉइड सप्लीमेंट यानी थायराइड हार्मोन की दवा लेने की सलाह देते हैं। इस आधार पर इन्हें इस समस्या में काफी हद तक उपयोगी और मददगार माना जा सकता है।

क्या थायराइड के कारण बाल झड़ सकते हैं?
हां, हाइपोथायराइड की समस्या में बाल झड़ने की शिकायत देखी जा सकती है ।

कौन सा थायराइड प्रकार अधिक खतरनाक है?
हाइपोथायरायडिज्म के मुकाबले हाइपरथायरायडिज्म की समस्या अधिक खतरनाक है ।

क्या थायराइड और कोलेस्ट्रॉल के बीच कोई संबंध है?
हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों में कोलेस्ट्रोल के बढ़ने की समस्या आम हो सकती है ।

क्या थायरॉयड और पीसीओएस (PCOS) के बीच कोई संबंध है?
PCOS (Polycystic ovarian syndrome) की महिलाओं में हाइपोथायराइड होने की संभावना प्रबल होती है। वहीं, हाइपो थायराइड का उपचार कर ऐसे मरीजों में गर्भधारण की समस्या में सुधार किया जा सकता है ।

क्या थायराइड बुखार या सिरदर्द का कारण हो सकता है?
लेख में आपको पहले ही बताया जा चुका है कि थाइरायड के रोगियों में चिंता के साथ ही ठंड सहने की क्षमता कम होने के लक्षण दिखना आम है । इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस समस्या के कारण मरीजों को बुखार और सिरदर्द का अनुभव हो सकता है। फिलहाल, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।

थायराइड कैंसर क्या है?
थायराइड ग्रंथि के टिशू में कैंसर कोशिकाओं के पनपने की स्थिति को थायराइड कैंसर कहा जाता है ।

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