शहर में एक राजा था, जिसे नींद नहीं आती थी। उसने बहुत से हकीमों से इलाज करवाए, सर में तेल मालिश व अनेक उपाय किए, परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ। उसे किसी ने सलाह दी कि अगर कोई आदमी उन्हें कहानी सुनाए, तो सुनते-सुनते उन्हें नींद आ जाएगी। यह सुन कर राजा ने मुनादी करवाई कि अगर कोई मुझे कहानी सुनाकर सुला दे, तो मैं उसको इनाम दूँगा। अगर वह मुझे नहीं सुला पाया, तो उस आदमी का काला मुँह करके गधे पर बिठाकर शहर में घुमाऊँगा। इनाम के लालच में राजा को दूर-दूर से लोग कहानी सुनाने आए। किसी ने आठ कहानियाँ सुनाई, किसी ने दस परन्तु कोई सफल नहीं हुआ। राजा ने सबका मुँह काला करके गधे पर बिठाकर सारे शहर में घुमाया। इस बात की चर्चा दूर-दूर तक थी। जब एक मिरासी ने यह बात सुनी तो सुनकर कहा कि मैं राजा को सुला सकता हूँ। मिरासी लोग बहुत चतुर होते हैं। वे गाना बजाना बहुत जानते हैं। वह राजा के पास गया और बोला मैं आज रात को आपको ऐसी कहानी सुनाऊँगा जिससे आपको नींद आ जाएगी; लेकिन एक शर्त है - आपको कहानी सुनकर "हूँँ" कहकर हुंकारा भरना होगा। राजा ने सहमति दे दी।
उसने रात को कहानी सुनानी शुरू की। वह बोला, जब मेरे बाप के बाप के बाप जिन्दा थे, तब मेरे बाप के बाप के बाप जंगल घूमने गए। साथ में मेरे बाप के बाप भी थे। उस जंगल में एक हजार पेड़ थे। एक-एक पेड़ पर सौ-सौ पिंजरे लटके हुए थे। एक-एक पिंजरे में दस-दस पक्षी थे। राजा हुंकारा भरता रहा और बोला फिर क्या हुआ। मिरासी बोला मेरे बाप के बाप के बाप ने सोचा क्यों न इन पंछियों को आजाद करके पुण्य प्राप्त किया जाए। फिर मेरे बाप के बाप के बाप ने एक पिंजरा खोला और एक पक्षी उड़ा दिया फुर्र... फिर दूसरा पक्षी उड़ा दिया फुर्र... फिर तीसरा पक्षी उड़ा दिया फुर्र... मिरासी ऐसे ही पक्षी और पिंजरे गिनता रहा। कहानी सुनते-सुनते राजा को नींद आ गई। जब राजा सुबह जगा, तो मिरासी कहानी सुना रहा था। राजा बोला- अभी तक कहानी पूरी नहीं हुई? तब मिरासी बोला अभी पाँच सौ पिंजरे बाकी हैं। राजा मिरासी की चतुरता से अति प्रसन्न हुआ व उसे बहुत धन दिया।
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