आखें हमारे शरीर के सबसे नाजुक अंगों में से एक हैं, ओर इनसे जुड़ी कोई भी समस्या सामान्य नहीं होती। जब भी हमारी आंखों में कुछ होता है तो हम पूरी तरह से बौखला जाते हैं। कभी कभी तो ऐसा लगता है कि कही हम दोबारा देख पाएंगे या नहीं। ऐसी ही एक समस्या जो कई लोगों को काफी परेशान कर रही है, वह है- नजर के आगे धब्बे या तैरती हुई कुछ लकीरें दिखाई देना। कई लोग इस समस्या को दिमागी वहम मान लेते हैं, पर यह कोई वहम नहीं बल्कि फ्लोटर्स नामक बीमारी है।
रोग का स्वरूप
फ्लोटर्स गहरे धब्बे, लकीरें या डॉट्स जैसे होते हैं, जो नजर के सामने तैरते हुए दिखते हैं। यह ज़्यादा स्पष्ट रूप से आसमान की ओर देखते हुए दिखाई देते है। हालांकि फ्लोटर्स नजर के सामने दिखाई देते हैं, परन्तु वास्तव में ये आंख की अंदरूनी सतह पर तैरते हैं। हमारी आंखों में एक जेली जैसा तत्व मौजूद होता है, जिसे विट्रियस कहते हैं। यह आंख के भीतर की खोखली जगह को भरता है। जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, वैसे ही विट्रियस सिकुडऩे लगता है। इस कारण आंख में कुछ गुच्छे बनने लगते हैं, जिन्हें फ्लोटर्स कहते हैं।
कारण
बढ़ती उम्र के अलावा पोस्टीरियर विट्रियस डिटैचमेंट (पी.वी.डी) भी इस रोग के होने का कारण है। पी.वी.डी. एक अवस्था है, जिसमें विट्रियस जेल रेटिना से खिंचने लगता है। यह स्थिति भी फ्लोटर्स के होने का एक मुख्य कारण है। कई बार विट्रियस हैमरेज या माइग्रेन सरीखे रोगों की वजह से भी फ्लोटर्स की समस्या उत्पन्न हो जाती है। कई बार फ्लोटर्स के साथ आंखों में चमकीली रोशनी भी दिखाई देती है। इस रोशनी को फ्लैशेस कहते हैं। अगर आपको चमकीली धारियां 10 से 20 मिनट तक दिखाई दें, तो यह माइग्रेन का लक्षण भी हो सकता है।
हालांकि फ्लोटर्स और फ्लैशेस खतरनाक नहीं होते पर इनके कारण आंखों में जो बदलाव आते हैं, वे नुकसानदायक हो सकते हैं। अगर इनका इलाज न हो, तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। ज़्यादातर मामल में विट्रियस के रेटिना से अलग होने के लक्षण दिखाई नहीं देते, पर यदि सिकुडऩे की वजह से विट्रियस जेल आंख की सतह से खिंच जाए, तो रेटिना के फटने के आसार बढ़ जाते हैं। यदि फटे हुए रेटिना का उपचार न हो, तो आगे जाकर रेटिना डिटैचमेंट भी हो सकता है।
इलाज
फ्लोटर्स और फ्लैशेस का उपचार उनकी अवस्था पर निर्भर करता है। वैसे तो ये नुकसानदायक नहीं होते पर यह बहुत जरूरी है कि आप अपनी आंखें जरूर चेकअप कराएं कि कहीं रेटिना में कोई क्षति न हो। समय के साथ ज्यादातर फ्लोटर्स खुद मिट जाते हैं और कम कष्टदायक हो जाते हैं, पर यदि आपको इनकी वजह से दिनचर्या के कार्य करने में परेशानी आती है, तो फ्लोटर करेक्शन सर्जरी करवाने के बारे में आप सोच सकते है। यदि रेटिनल टीयर (रेटिना में छेद) है, तो डॉक्टर आपको लेजर सर्जरी या क्रायोथेरेपी करवाने का सुझाव दे सकते हैं।
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