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जाने कैसे इन गलतियों की वजह से ही बच्चे गर्भावस्था में ही बन जाते हैं किन्नर

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हमारे समाज में तीन तरह के लोग होते हैं स्त्री, पुरूष और तीसरा है किन्नर। किन्नर एक ऐसे लोग होते हैं जो अमातौर पर समाज से जुड़े जरूर होते हैं लेकिन उनका अस्तित्व समाज से बिलकुल अलग होता है। इनका लिंग न पुरूष में होता है और न ही स्त्री में। यह आधे मर्द और आधे स्त्री होते हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या होता होगा कि गर्भवस्था से ही यह ऐसे पैदा होते हैं। शायद आपके मन में भी इन्हे देखकर ऐसा सवाल उठता हो? अगर आप भी कुछ ऐसा ही सोचते हो तो आज हम आपको इससे ही जुड़ी जानकारी बताने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आप यह पता कर सकते हैं कि आखिर किन्नर का जन्म किस कारण से होता है या फिर गर्भवस्था से ही ऐसा क्या होता है जो किन्नर के रूप में बच्च जन्म लेता है।

बच्चे गर्भवस्था में ही बन जाते हैं किन्नर के लिए इमेज परिणाम
यह तो आप भी जानते होंगे कि किन्नर का जन्म आम घरों मे ही होता हैं जब ऐसे बच्चों का जन्म होता है तो खुद बच्चे के माता-पिता इनको किन्नर के हवाले कर देते हैं या फिर किन्नर खुद उन्हे ले जाते हैं। लेकिन सवाल तो यह है कि आखिर कैसे गर्भ में पल रहा बच्चा बाहर आते ही किन्नर बन जाता है? वैज्ञानिक कारण कि अगर बात करें तो जब बच्चा गर्भ में ही होता है तो गर्भवस्था के तीन महीने बाद मतलब लगभग चौथे  माह कि शुरूआत में ही बच्चे का लिंग बनना शुरू होता है। जी हां गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान बच्चे का लिंग निर्धारित होता है और ऐसे में इस दौरान ही किसी तरह के चोट, विषाक्त खान-पान या फिर हॉर्मोनल प्रॉब्लम की वजह से बच्चे में स्त्री या पुरूष के बजाय दोनों ही लिंगों के ऑर्गन्स और गुण आ जाते हैं.. इसलिये गर्भावस्था के शुरुआत के 3 महीने बहुत ही ध्यान देने वाले होते हैं। मानव जाति में क्रोमोसोम की संख्या 46 होती है जिसमें 44 आटोजोम होते हैं जबकि शेष दो सेक्स क्रोमोजोम होते हैं ! यही दो सेक्स क्रोमोसोम लिंग निर्धारित करते हैं। पुरूष में XY और स्त्री में XX क्रोमोसोम होते हैं ! 

बच्चे गर्भवस्था में ही बन जाते हैं किन्नर के लिए इमेज परिणाम
अगर गर्भावस्था के शुरूआती 3 महीने में गर्भवती महिला को बुखार आए और उसने गलती से कोई हेवी डोज़ मेडिसिन ले ली हो।
  • 01-गर्भवती महिला ने कोई ऐसी दवा या चीज का सेवन किया हो जिससे शिशु को नुकसान हो सकता हो…
  • 02 -या फिर गर्भावस्था में महिला ने विषाक्त खाद्य पदार्थ जैसे कोई केमिकली ट्रीटेड या पेस्टिसाइड्स वाले फ्रूट-वेजिटेबल्स खाएं लिए हों।
  • 03 -या फिर प्रेग्नेंसी के 3 महीने के दौरान किसी एक्सीडेंट या चोट से शिशु के ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचा हो
  • 04-इनके अलावा 10-15% मामलों में जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण भी शिशु के लिंग निर्धारण पर असर पड़ जाता है।
  • 05-अगर कोई महिला गर्भपात करने के लिए डॉक्टर की सलाह पे कोई हैवी मेडिसिन लेती है तो आगे जाकर भविष्य में उसका होने वाला बच्चा किन्नर पैदा हो सकता है।

तो ये थीं किन्नर पैदा होने के पीछे छिपी कहानी जिसे हमारा समाज नज़रअंदाज़ करता आया है ,उन्हें याद रहता है तो सिर्फ ये की सामने वाला एक किन्नर है। भारतीय समाज में किन्नरों की हालत में लगातार सुधार हो रहे है जो की सराहनीय है।

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