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कुत्ता पालन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

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अगर आप पहले से कोई व्यवसाय या नौकरी करते है और अपनी इनकम के किसी अन्य सोर्स के बारे में विचार कर रहे है, तो डॉग फ़ार्मिंग आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है. आपको इसके लिए अलग से कोई प्रबंध नहीं करना होता है, आप अपने रोज़मर्रा के कार्यो को करते हुये आराम से अपने घर में कुछ विशेष प्रजाति के कुत्तों  को पालकर, उनकी ब्रीडिंग करवाकर और उनके बच्चो को मार्केट में बेचकर अच्छी ख़ासी कमाई कर सकते है.

डॉग ब्रीडिंग व्यापार के लिए उपयोगी कुत्ते-

ऐसे तो कई प्रजाति के कुत्ते होते है, परंतु आज हम यहाँ आपको कुछ विशेष प्रजाति के कुत्तो के बारे में बताने जा रहे है, जिनके द्वारा आप इस व्यापार में अच्छी कमाई कर सकते है.

01-लैबराडोर
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यह भारत की सबसे प्रसिद्ध नसल है। यह तेजी से बढ़ने वाली नसल है जिसका औसतन जीवन काल 10 से 12 वर्ष का होता है। इस नसल को ना सिर्फ परिवारिक साथी के रूप में जाना जाता है बल्कि इन्हें ट्रैकिंग, शिकार करने, रखवाली करने, पुलिस का काम आदि करने के लिए भी जाना जाता है। इनके कान ढीले लटके हुए, मोटी पूंछ और जल रोधक खाल होती है। इनकी खाल पर छोटे बाल होते हैं और ये चार रंग में पाये जाते हैं जैसे काले, पीले, चॉकलेट और सिल्वर। इस नसल का कद 1 फुट 9 इंच - 2 फीट तक का होता है। इस नसल के नर का औसतन भार 30-35 किलो और मादा का भार 25-30 किलो होता है। इन्हें लंबी सैर और प्रतिदिन दौड़ाने की जरूरत होती है। यदि इन्हें नियमित व्यायाम ना दिया जाये तो ये सुस्त हो जाते हैं और इनका भार भी कम हो जाता है। यह नसल 5-10 बच्चों को जन्म देती है।

02-जर्मन शेफर्ड
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इसे बुद्धिमान और सक्रिय कुत्ते के रूप में जाना जाता है। यह नसल पुलिस और मिल्टरी सर्विस, दवाओं का पता लगाने, खोज और बचाव स्थानों के लिए काम करती है और यह एक वफादार साथी भी है। इस नसल के नर का कद 2 फुट और मादा का कद 1 फुट 80 इंच होता है। इस नसल का औसतन भार 35-45 किलो होता है। इस नसल का औसतन काल 9-13 वर्ष होता है। इस नसल को घर में लंबे समय तक अकेले नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि ये जल्दी ऊब जाते हैं और व्याकुल हो जाते हैं और ये अपनी व्याकुलता ज़मीन खोदकर, भौंक कर और चीज़ों को चबाकर दिखाते हैं। इन्हें दैनिक व्यायाम और इनके अच्छे स्वास्थ्य विकास के लिए अच्छे भोजन की जरूरत होती है। ये कई रंगों में आते हैं जिनमें काला, काला और लाल, काला और क्रीम, काला और पीला भूरा, काला और सिल्वर, सलेटी, नीला, स्याही, लाल और सफेद रंग शामिल हैं। झड़ते बालों की समस्या से बचाव के लिए इन्हें 2-3 बार ब्रशिंग की आवश्यकता होती है।  महीने में एक बार नाखून काटे जाने चाहिए और दांतों को ब्रश से साफ किया जाना चाहिए।

03-ग्रेट डेन
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यह नसल अपने विशाल आकार के लिए जानी जाती है। इस नसल का औसतन भार 45-60 किलो होता है। इस नसल के नर का कद 2 फुट 60 इंच और मादा का कद 2 फुट 50 इंच होता है। इसकी आंखे बाहर निकली हुई, छोटा सिर, कान आगे की तरफ लटके हुए, लंबी और मजबूत गर्दन, लंबा और मांसपेशियों वाला शरीर, अगली टांगे सीधी और मध्यम लंबी पूंछ होती है। इनकी खाल छोटी होती है और कई रंगो में आती है जैसे काली, नीली, हल्की पीली और सफेद रंग जिन पर काले धब्बे बने होते हैं। इस नसल का औसतन जीवन काल 6-8 वर्ष होता है। यदि कोई इस नसल को रखना चाहता है तो उसके पास व्यापक रहने की जगह और अधिक मात्रा में भोजन होना चाहिए। इन्हें दैनिक लंबी सैर की भी आवश्यकता होती है।

04-बुल डॉग-
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यह घर में रखने के लिए अच्छी नसल है। इस नसल का औसतन भार 18-22 किलो होता है और इनका औसतन कद 1 फुट से 1 फुट 3 इंच होता है। इनकी आंखे गोल और गहरी, छोटे और पतले कान, छोटी पूंछ, हृष्ट पुष्ट शरीर, चौड़ी छाती और कंधे और मजबूत अंग होते हैं। इस नसल के कुत्ते साहसी, जिद्दी, वफादार होते हैं। इनकी खाल के बाल नर्म, सीधे, छोटे, अच्छी बनावट वाले और चमकदार होते हैं। इनका सिर भारी झुर्रियों से ढका हुआ होता है। बुल डॉग व्यापक रंगों में आते हैं जैसे गहरा लाल, गहरा सफेद, पीला भूरा, हल्का पीला या पीला लाल और पीला क्रीम।

05-डॉबरमैन पिन्स्चर-
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यह मध्यम आकार की नसल है जो कि रखवाली करने वाले कुत्ते के तौर पर काम करती है। यह नसल व्यापक रंगों  जैसे नीले सलेटी, लाल, सफेद, काले, काले के साथ पीले भूरे रंग के निशान और हल्के सलेटी रंग में आती है। इसके नर कुत्ते का कद 2 फुट 10 इंच से लेकर 2 फुट 30 इंच तक होता है और मादा का कद 2 फुट से 2 फुट 10 इंच तक होता है। इस नसल का औसतन भार 30-40 किलो होता है। इसका औसतन जीवन काल 13 वर्ष होता है। इस नसल की मादा 6-10 पिल्लों को जन्म देती है। यह नसल काफी ऊर्जावान होती है इसलिए इन्हें दैनिक लंबी सैर की आवश्यकता होती है।

06-बॉक्सर-
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बॉक्सर नसल निगरानी, एथलेटिक और बहुत सारे खेलों के लिए जानी जाती है। इनके सिर का आकार वर्गाकार होता है, चौड़ी और गहरी छाती होती है जो कि अपेक्षाकृत छोटी होती है। मजबूत कमर होती है, कान मुड़े हुए होते हैं, पैर सुगठित, पंजे धनुषाकार और छोटी खाल होती है। ये सफेद रंग में, पीले भूरे रंग और चितकबरे रंग में आते हैं। इसके नर का औसतन कद 2 फीट और मादा का औसतन कद 1 फुट 80 इंच होता है। इस नसल के नर का औसतन भार 30-35 किलो और मादा का औसतन भार 22-30 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 8-10 वर्ष होता है।

07-सेंट बरनार्ड-
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इन्हें काम करने वाले कुत्तों के रूप में जाना जाता है। ये दयालु, शांत और बुद्धिमान कुत्ते होते हैं। इस नसल को दैनिक लंबी सैर और अधिक व्यायाम की आवश्यकता होती है। इसकी खाल दो तरह की होती है लंबे बालों वाली और छोटे बालों वाली और इसकी खाल दो रंगों की होती है सफेद के साथ लाल या लाल के साथ सफेद। इस नसल का औसतन कद 2 फीट 2 इंच से 2 फीट 6 इंच होता है और इसका औसतन भार 55-80 किलो होता है। इस नसल का औसतन काल 8-10 वर्ष होता है।

08-रोटवीलर-
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यह बहुत प्रसिद्ध नसल है क्योंकि इसका सिर बड़ा और शरीर सुडौल होता है। यह नसल ताकतवर, बुद्धिमान और वफादार होती है। इन्हें काम करने वाले कुत्तों के रूप में जाना जाता है। इस नसल का औसतन कद 1 फुट 10 इंच से 2 फीट 3 इंच होता है और इस नसल का औसतन भार 38-58 किलो होता है। इसका औसतन जीवन काल 8-11 वर्ष होता है।

09-पिट बुल-
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इन्हें सभ्य और आज्ञाकारी कुत्तों के रूप में जाना जाता है। ये सक्रिय, मजबूत, शक्तिशाली और चुस्त कुत्ते होते हैं। इन्हें लोगों के प्रति इनके अद्भुत प्रेम के लिए जाना जाता है। यह मध्यम आकार की नसल है जिनका शरीर सुडौल और मजबूत होता है। इनका सिर कील के आकार का, हल्का झुर्रीदार माथा और छोटी खाल और पतली और छोटी पूंछ होती है। इस नसल का औसतन कद 1.5 फीट से 2 फीट होता है। इस नसल की मादा का औसतन भार 15-22 किलो और नर का औसतन भार 18-27 किलो होता है।

10-डैलमेशियन-
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यह घर में रखने के लिए अच्छी नसल है जो लोग कुत्ते रखना पसंद करते हैं उनके लिए यह सबसे उपयुक्त नसल है। यह नसल 1.7 फीट से 2 फीट लंबी और इसका औसतन भार 21-24 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 13-16 वर्ष होता है। इनकी खाल छोटी और चमकदार होती है और खाल पर धब्बे बने होते हैं और शरीर वर्गाकार अनुपातिक होता है। इनकी खाल का आधार रंग सफेद होता है जिन पर घने रूप में काले से सफेद लाल रंग के धब्बे बने होते हैं। ये बच्चों के लिए चुलबुले और सक्रिय साथी होते हैं।

11-गोल्डन रिट्रीवर-
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इन्हें खेल कूद करने वाले कुत्तों के रूप में जाना जाता है। इन्हें मुख्यत: शिकार करने, ट्रैकिंग करने और थेरेपी करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इनकी सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है। यह नसल सुंदर, वफादार, सामाजिक और बुद्धिमान होती है। इस नसल को दैनिक व्यायाम या सैर की आवश्यकता होती है। इसकी खाल पानी सोखने के योग्य नहीं होती। इसके नाम से ही पता चलता है कि इसकी खाल सुनहरी (गोल्डन) रंग की होती है। इस नसल के कुत्ते 1.9 फीट से 2 फीट लंबे होते हैं और इनका औसतन भार 25-35 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 10-12 वर्ष होता है।

12-तिब्बतन मास्टिफ-
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इन्हें काम करने वाले कुत्तों के रूप में जाना जाता है। इस नसल के कुत्ते बड़े आकार के होते हैं। इनका सिर चौड़ा होता है जो कि भारी और मजबूत, काले रंग की नाक, सुदृढ़ गर्दन, मुड़ी हुई और पंखों वाली पूंछ और सीधी टांगे होती हैं। ये कई रंगों में पाये जाते हैं जैसे भूरे, काले और नीले-सलेटी। तिब्बतन मास्टिफ के नर का कद 2.1 फीट और मादा का कद 2 फीट होता है। इस नसल के नर का औसतन भार 45-70 किलो और मादा का औसतन भार 35-55 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 15 या इससे अधिक वर्ष का होता है। यह नसल 5-12 पिल्लों को जन्म देती हैं। 

13-ग्रे हाउंड-
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इस नसल का मुख्य रूप से शिकार करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह नसल बहुत फुर्तीली होती है और 40-45 मील प्रति घंटा दौड़ सकती है। इनका सिर और गर्दन लंबी, गुलाब के आकार के कान जो कि आमतौर पर मुड़े हुए, गहरी छाती और कमर कम चौड़ी होती है। इनके शरीर के बाल खाल नर्म और छोटे होते हैं। यह नसल कई रंगों जैसे हल्के पीले, लाल, सलेटी, सफेद और चितकबरे रंग में पायी जाती है। यह नसल 2.1 फीट से 2.6 फीट लंबी होती है। इस नसल के नर का भार 29-31 किलो और मादा का भार 27-29 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 12-15 वर्ष होता है।

14-नेपोलियन मास्टिफ-
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ये अच्छे रक्षक और पारिवारिक होते हैं। इस नसल को  ‘जैनटल जिआंट’  के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें हर सप्ताह ब्रशिंग और चेहरे की झुर्रियों और सिलवटों की उचित सफाई की आवश्यकता होती है। इन्हें नियमित व्यायाम की आवश्यकता होती है अन्यथा ये सुस्त और मोटे हो जाते हैं। इनके छोटे और घने बाल होते हैं। यह नसल कई रंगों में पायी जाती है जैसे काले, गहरे सलेटी, महोगनी आदि में पाये जाते हैं। इस नसल के नर का औसतन कद 2.1-2.5 फीट और मादा का कद 2-2.4 होता है। इस नसल नर का औसतन भार 68-90 किलो और मादा का औसतन भार 54-80 किलो होता है।

15-डैशुंड-
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इस नसल को शिकारी कुत्तों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह जानवरों को पकड़ने और पीछा करने के लिए पैदा हुई है। इस नसल के कुत्ते घर पर रखने वाले, छोटे गेम शिकारी होते हैं। इस नसल के कुत्ते बहुत साहसिक और चालाक होते हैं। इस नसल का औसतन कद 20-25 सैं.मी. और औसतन भार 7-13 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 12-15 वर्ष होता है। यह नसल कई रंगों में आती है जैसे काले और क्रीम, काले और गहरे भूरे, क्रीम, लाल, चॉकलेट और गहरे भूरे, नीले और गहरे भूरे और पीले भूरे। इनके कान लटके हुए, टांगे छोटी और भावपूर्ण आंखें होती हैं और चेहरे के भाव जटिल होते हैं। इस नसल के कुत्ते ऊंचा और गहरा भौंकते हैं। डैशुंड नसल के कुत्तों की खाल कई रंगों में आती है जैसे नर्म डैशुंड, लंबे बालों वाले डैशुंड और नुकीले बालों वाले डैशुंड। अपार्टमैंट में रखने के लिए यह नसल एक अच्छा विकल्प हैं इन्हें ज्यादा मोटा ना होने दें और इनकी कमर की देखभाल करें क्योंकि यह लंबी होती हैं और कूदने से इन्हें चोट लग सकती है।

16-पग-
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इस नसल के कुत्तों का सिर गोल, झुर्रीदार चेहरा और पूंछ मुड़ी हुई होती है। इनका रंग हल्का पीला और काले रंग का होता है। इनका शरीर छोटा, नर्म और सुंदर होता है। इस नसल के कुत्ते चंचल और वफादार होते हैं। इसका औसतन जीवनकाल 12-15 वर्ष का होता है। पग कुत्ते का औसतन भार 6-8 किलो होता है। इनकी झुर्रियों को रोज़ साफ करने की जरूरत होती है इससे इन्हें त्वचा से संबंधित संक्रमण नहीं होता। इन्हें थोड़ी सैर की आवश्यकता होती है। इस नसल के कुत्ते खर्राटे मारते हैं। इन्हें रहने के लिए अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है क्योंकि इन्हें सांस की समस्या होती है। इन्हें अधिक गर्मियों में एयर कंडीशनर की आवश्यकता होती हैं। यह नसल बाहर रहने के लिए अनुकूल नहीं है।

17-बीगल-
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यह छोटे आकार की नसल है जो कि मुख्य रूप से शिकार के उद्देश्य के लिए विकसित की गई है। इनकी सूंघने की क्षमता बहुत तेज होती है। इस नसल के कुत्तों को अैसतन कद 1 फुट होता है और औसतन भार 9-15 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 13-16 वर्ष होता है। यह नसल घर में रखने के लिए सबसे प्रसिद्ध नसलों में से एक है क्योंकि इसका आकार घना होता है। मैत्रीपूर्ण प्रकृति के होते हैं और इनकी देखभाल आसानी से की जा सकती है। बीगल सबसे ज्यादा काले और गहरा भूरे रंग में पाये जाते हैं। इनकी छाती, पेट और टांगे सफेद रंग की होती है। गहरे भूरे रंग का सिर होता है और पूंछ का ऊपरी सिरा सफेद रंग का होता है। दूसरा सबसे प्रसिद्ध रंग सफेद है जिसमें गर्दन, मुंह, टांगे और पूंछ के सिरे पर लाल रंग के धब्बे होते हैं। 

18-पोमेरेनियन-
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यह नसल सघन, फुरतीले और सक्रिय होते हैं। इस नसल के कुत्ते वफादार होते हैं इनका मुंह लोमड़ी की तरह होता है। पोमेरेनियन व्यापक रंगों में आते हैं जैसे सफेद या क्रीम, लाल, संतरी, काले, भूरे और नीले। इनकी आंखे बादाम की तरह होती हैं और टांगे छोटी होते हैं। ये काफी ऊंचा भौंकते हैं और इसके कारण इन्हें सर्वोत्तम रखवाली करने वाले कुत्तों के रूप में जाना जाता है। इस नसल के कुत्ते का कद 7 इंच से 1 फुट होता है। पोमेरेनियन नसल का औसतन भार 1 से 3 किला किलो होता है। इनका औसतन जीवन काल 12-16 वर्ष का होता है। 

19-शिह त्जू-
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इस नसल के कुत्ते शांत, नाज़ुक और स्नेही होते हैं। इनका सिर लंबा और संकुचित होता है। गर्दन लंबी और मजबूत होती है। छोटी कान और गहरी आंखे होती हैं। इनकी छाती गहरी और कमर मजबूत होती है। पूंछ लंबी और पतली होती है। नर्म और छोटी खाल होती है। इस नसल के कुत्ते प्रति घंटे में 44 मील दौड़ सकते हैं। इन नसल के कुत्तों का औसतन भार 4-7 किलो होता है। औसतन कद 9-10 इंच होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 10-16 वर्ष होता है।

20-चिहुआहुआ-
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इस नसल के कुत्तों की खाल के बाल नर्म और सीधे होते हैं। इनके कान सीधे और लटके हुए होते हैं। सिर गोल और सेब के आकार का होता है और मुंह का आकार छोटा होता है। इनकी खाल लंबी, छोटी, लटकी हुई और समतल हो सकती है। ये कई रंगों में पाये जाते हैं जैसे भूरे, हल्के पीले, सफेद, काले, सिल्वर, गहरे भूरे, काले और गहरे भूरे और रेतीले रंग आदि में पाये जाते हैं। यह नसल व्यापक रंगों में पायी जाती है। जैसे गहरे सफेद, धब्बों के साथ गहरा काला रंग और विभिन्न आकार में पाये जाते हैं। ये अच्छे रखवाली करने वाले कुत्ते नहीं हैं। इस नसल के कुत्ते का औसतन कद 6-9 इंच होता है और औसतन भार 1-3 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 14-18 वर्ष होता है। 

21-जैक रसेल टेरियर-
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यह नसल मूल रूप से लोमड़ी का शिकार करने के उद्देश्य से प्रयोग की जाती है। इस नसल के कुत्ते तीन विभिन्न खालों में आते हैं। जैसे खुरदरी, थोड़ी नर्म और थोड़ी खुरदरी और नर्म । इनका शरीर सघन और हृष्ट पुष्ट होता है। यह नसल 5 फीट ऊंचाई तक छलांग लगा सकती है। इन्हें खोदना पसंद होता है और इन्हें ट्रेनिंग देना आसान है। इस नसल के कुत्ते का औसतन कद 9-14 इंच होता है और औसतन भार 6-8 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 13-16 वर्ष होता है।

22-कॉकर स्पैनियल-
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यह बहुत अच्छी नसल है। इस नसल के कुत्ते प्रकृति में नर्म होते हैं और अच्छे सीखने वाले होते हैं। यह नसल मीठे स्वभाव की होती है। यह नसल चंचल, सक्रिय और सतर्क होते हैं। यह नसल कई रंगों में पायी जाती है जैसे काले, गहरे भूरे और भूरे। इनके शरीर का आकार वर्गाकार होता है और लंबे कान होते हैं। इस नसल के कुत्ते का औसतन कद 15 इंच होता है। औसतन भार 10-12 किलो होता है और औसतन जीवन काल 12-15 वर्ष होता है। 

23-पूडल-
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पूडल नसल चार प्रकार की होती है टॉय पूडल, मिनीएचर पूडल, सामान्य पूडल और मध्यम पूडल। टॉय पूडल का कद 24-28 सैं.मी. होता है, मिनिएचर पूडल का कद 28-35 सैं.मी., सामान्य पूडल का कद 45-60 सैं.मी. और मध्यम पूडल का कद 35-45 सैं.मी. होता है। ये कई रंगों जैसे काले, सफेद, काले और गहरे भूरे, नीले, क्रीम, काले और सफेद, भूरे, लाल, सिल्वर, गहरे काले और सलेटी रंग में पाये जाते हैं। यह नसल बुद्धिमान, वफादार और प्यारी होती है। इस नसल का औसतन जीवन काल 12-15 वर्ष होता है। इस नसल का मूल स्थान जर्मनी, फ्रांस है।

24-हस्की-
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यह नसल मध्यम आकार की होती है। जो कि चुस्त, मजबूत और काम करने वाले कुत्तों के लिए जानी जाती है। इस नसल के कुत्ते का सिर मध्यम आकार का, अंडाकार आंखे, त्रिकोणाकार कान होते हैं। यह नसल अपने पैरों की खास बनावट की वजह से बर्फ पर भी चल सकती है। यह नसल कई रंगों में पायी जाती है जैसे सलेट और सफेद, काले और सफेद, लाल और सफेद, सलेटी, सिल्वर, भूरे आदि। इनकी आंखे आंशिक रूप में होती हैं जैसे आधी नीली और आधी भूरी और दोनों आंखे जैसे एक नीली आंख और दूसरी भूरी आंख। इस नसल के कुत्ते नम्र, खिलाड़ी और अच्छे पारिवारिक होते हैं। इस नसल के नर का औसतन कद 53-60 सैं.मी. और मादा का कद 51-56 सैं.मी. होता है। इस नसल के नर का औसतन भार 20-27 किलो और मादा का भार 16-23 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 12-15 वर्ष होता है। और इस नसल की मादा एक ब्यांत में 4-8 पिल्लों को जन्म देती है।

25-चाओ चाओ-
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इस नसल के कुत्ते काम करने वाले होते हैं। इस नसल का आकार बड़ा होता है और इन्हें स्टॉकी डॉग के नाम से जाना जाता है। इस नसल के कुत्ते का सिर बड़ा और चौड़ा, मुंह चौड़ा और गहरा, काले रंग की नाक, जो कि बड़ी और चौड़ी होती है। सीधे कान, जो कि त्रिकोणे आकार में होते हैं और बादामी आकार की आंखे होती हैं। इनकी खाल घनी और मुलायम होती है और दो रंगों में पायी जाती है जैसे खुरदरी और नर्म। यह कई रंगों में पायी जाती है जैसे काले, गहरे लाल, नीले, क्रीम, और दालचीनी रंग में और यह सलेटी, गहरे भूरे और बहुत कम सफेद रंग में भी पायी जाती है। इस नसल के कुत्ते का औसतन कद 46-56 सैं.मी. होता है और औसतन भार 20-32 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 15 वर्ष का होता है और इस नसल की मादा एक ब्यांत में 3-6 पिल्लों को जन्म देती है।

26-इंग्लिश शीपडॉग-
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ये भेड़ बकरियों के साथ झुंड में चलने वाले कुत्ते होते हैं। ये स्नेही और चंचल कुत्ते होते हैं। इनका दिमाग तीव्र होता है। खाल रोएंदार और छोटी पूंछ होती हैं। इनकी दोहरी खाल होती है। बाहरी खाल बनावट वाली और अंदर की खाल नर्म होती है। यह नसल कई रंगों में पायी जाती है जैसे भूरे, खाकी, सलेटी, नीले और नीले काले और हल्के पीले। यदि इस नसल की तरफ उचित ध्यान ना दिया जाये तो ये आक्रामक और बुरे व्यवहार वाले हो जाते हैं। इस नसल के नर का औसतन कद 56-61 सैं.मी. और मादा का औसतन कद 51 सैं.मी. होता है। इस नसल के नर का औसतन भार 29 किलो और मादा का भार 27 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 10-12 वर्ष का होता है और इस नसल की मादा एक ब्यांत में 5-12 पिल्लों को जन्म देती है।

27-ल्हासा एप्सो-
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यह बहुत छोटे कुत्ते होते हैं जिनकी कमर लंबी और कान लटके हुए होते हैं। इस नसल के कुत्ते अच्छे साथी होने के साथ साथ निगरानी करने वाले भी होते हैं। इनकी पूंछ मुड़ी हुई, गोल सिर और लटके हुए कान होते हैं। इनकी खाल के बाल लंबे, सीधं और घने होते हैं। यह नसल कई रंगों में पायी जाती है जैसे सलेटी, हनी, काले, सफेद या आंशिक सफेद। इस नसल का औसतन कद 9-11 इंच होता है और औसतन भार 6-8 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल लगभग 12-14 वर्ष होता है।

28-ग्रेट पायरेन्स-
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इस नसल को पाइरीनियन माउंटेन डॉग के नाम से भी जाना जाता है। इस नसल के कुत्ते का सिर नुकीला होता है जो कि हल्का गोल, काले रंग की नाम और होंठ, बादामी आकार की आंखे और V-आकार के कान होते हैं और काफी चौड़ी छाती होती है। यह हृष्ट पुष्ट, बड़ी और दोहरी खाल वाली नसल होती है। इनकी बाहरी खाल लंबी और मोटी और इसके नीचे की खाल पतली, मोटी और नर्म होती है। यह नसल कई रंगों में पायी जाती है जैसे गहरे भूरे या सलेटी, गहरे सफेद और सफेद के साथ पीले रंग के धब्बों में। इस नसल की खाल मौसम के प्रतिरोधक होती है। इस नसल के नर का औसतन कद 27-32 इंच और मादा का औसतन कद 25-29 इंच होता है। इस नसल के नर का औसतन भार 45 किलो और मादा का औसतन भार 38 किलो होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल 10-12 वर्ष होता है और इस नसल की मादा एक ब्यांत में 6-12 पिल्लों को जन्म देती है।

29-कवलर किंग चार्ल्स स्पैनियल-
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इस नसल के कुत्ते की खाल लंबाई में मध्यम और सिल्की होती है। इस नसल की छाती, टांगों, कानों, पैरों और पूंछ पर घने बाल होते हैं। यह नसल कई रंगों में पायी जाती है जैसे काले, गहरे भूरे, लाल भूरे आदि। इस नसल का औसतन कद 12-13 इंच होता है और औसतन भार 13-18 पाउंड्स होता है। इस नसल का औसतन जीवन काल लगभग 10-14 वर्ष होता है।

30-परियाह (Pariah) – 
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अगर आपको सचमुच कुत्तों से बहुत अधिक लगाव है, तो आपके लिए भारतीय परियाह से अच्छी कोई नस्ल नहीं है. इस प्रजाति के कुत्ते बेहद ही आसानी से और मुफ्त में भी मिल जाते है. ये कुत्ते भी अन्य कुत्तों की तरह स्नेही और वफादार होते है. कुत्तों की यह नस्ल भारतीय पर्यावरण के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है, जो यहाँ के वातावरण में आसानी से एडजस्ट कर लेते है.

आवश्यक आहार -

भोजन की मात्रा और किस्म, कुत्ते की उम्र और उसकी नसल पर निर्भर करती है। छोटी नसलों को बड़ी नसल के मुकाबले भोजन की कम मात्रा की आवश्यकता होती है। भोजन उचित मात्रा में दिया जाना चाहिए नहीं तो कुत्ते सुस्त और मोटे हो जाते हैं। संतुलित आहार जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स, फैट, प्रोटीन, विटामिन और ट्रेस तत्व शामिल हैं, पालतू जानवरों को स्वस्थ और अच्छे आकार में रखने के लिए आवश्यक होते हैं। कुत्ते को 6 आवश्यक तत्व जैसे फैट, खनिज, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स, पानी और प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही इन्हें सारा समय साफ पानी की आवश्यकता होती है। पिल्ले को 29 प्रतिशत प्रोटीन और प्रौढ़ कुत्ते को आहार में 18 प्रतिशत प्रोटीन की जरूरत होती है। हम उन्हें ये सारे आवश्यक तत्व उच्च गुणवत्ता वाले सूखा भोजन देकर दे सकते हैं। इन्हें दिन में दो बार 2.5-3 कप उच्च गुणवत्ता वाला सूखा भोजन देना चाहिए।

सावधानियां:-
भोजन जो कुत्ते को नहीं देना चाहिए:-

  • कॉफी - यह पालतू जानवरों के लिए हानिकारक होती है क्योंकि इसके कारण कैफीन विषाक्तता होगी। इस बीमारी के लक्षण हैं तेजी से सांस लेना, बेचैनी, मांसपेशियों में झटके और घबराहट होनी।
  • आइस क्रीम - मानवों की तरह ही कई कुत्ते लैक्टोस को सहन नहीं करते और परिणामस्वरूप उन्हें डायबिटीज़ हो जाती है।
  • चॉकलेट - क्योंकि चॉकलेट में उच्च मात्रा में थियोब्रोमाइन होता है जो कि नुकसानदायक पदार्थ होता है। इसके कारण अत्याधिक प्यास लगती है, दौरे पड़ते हैं, दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है और फिर अचानक मौत हो जाती है। 
  • शराब - यह कुत्ते के लीवर और दिमाग को नुकसान पहुंचाती है। इसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है, कुत्ते कोमा में चले जाते हैं और यहां तक कि मौत भी हो जाती है। 
  • च्युइंगम - यदि च्युइंगम में ज़ाइलीटॉल पदार्थ हो तो यह कुत्ते में लीवर के फेल होने का कारण बनता है।
  • प्याज - यह कुत्ते के लाल रक्ताणुओं को नष्ट करके उसे नुकसान पहुंचाता है।
  • एवोकाडो - इसमें परसिन होता है जो कि कुत्ते के पेट को खराब करता है। 

नस्ल की देख रेख-

पिल्ले का चयन करते समय सावधानियां - पिल्ले का चयन आपकी जरूरत, उद्देश्य, उसके बालों की खाल, लिंग और आकार के अनुसार किया जाना चाहिए। पिल्ला वह खरीदें जो 8-12 सप्ताह का हो। पिल्ला खरीदते समय उसकी आंखे, मसूड़े, पूंछ और मुंह की जांच करें। आंखे साफ और गहरी होनी चाहिए, मसूड़े गुलाबी होने चाहिए और पूंछ तोड़ी हुई नहीं होनी चाहिए और दस्त के कोई संकेत नहीं होने चाहिए।

आश्रय - कुत्ते को रहने के लिए अच्छी तरह से हवादार, साफ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करें। आश्रय अत्याधिक बारिश और हवा और आंधी से सुरक्षित होना चाहिए। सर्दियों में कुत्तों को ठंड के मौसम से बचाने के लिए कंबल दें और गर्मियों में छाया और ठंडे स्थानों की आवश्यकता होती है।

पानी - कुत्ते के लिए 24 घंटे साफ पानी उपलब्ध होना चाहिए। पानी को साफ रखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले बर्तन को आवश्यकतानुसार दिन में कम से कम दो बार या इससे अधिक समय में साफ करना चाहिए।

बालों की देख रेख - सप्ताह में दो बार बालों की देख रेख की जानी चाहिए। कंघी करने से अच्छा है प्रतिदिन ब्रशिंग करें। छोटे बालों वाली नसल के लिए सिर्फ ब्रशिंग की ही आवश्यकता होती है और लंबे बालों वाली नसल के लिए ब्रशिंग के बाद कंघी करनी चाहिए।

नहलाना - कुत्तों को 10-15 दिनों में एक बार नहलाना चाहिए। नहलाने के लिए औषधीय शैंपू की सिफारिश की जाती है।

ब्यांत समय में मादा की देखभाल - स्वस्थ पिल्लों के लिए गाभिन मादा की उचित देखभाल आवश्यक है। ब्यांत के समय या पहले उचित अंतराल पर टीकाकरण अवश्य देना चाहिए। ब्यांत का समय लगभग 55-72 दिन का होता है। उचित आहार, अच्छा वातावरण, व्यायाम और उचित जांच ब्यांत के समय के दौरान आवश्यक होती है।

नवजात पिल्लों की देखभाल - पिल्लों के जीवन के कुछ हफ्तों के लिए उनकी प्राथमिक गतिविधियों में अच्छे वातावरण, आहार और अच्छी आदतों का विकास शामिल है। कम से कम 2 महीने के नवजात पिल्ले को मां का दूध प्रदान करें और यदि मां की मृत्यु हो गई हो या किसी भी मामले में पिल्ला अपनी मां से अलग हो जाए तो शुरूआती फीड या पाउडरड दूध पिल्ले को दिया जाता है।

चिकित्सीय देखभाल - इंसानों की तरह, कुत्ते को भी हर 6-12 महीनों के बाद दांतों की जांच के लिए पशु चिकित्सक की आवश्यकता होती है। अपने कुत्ते के दांतों को नर्म ब्रश के साथ ब्रश करें और एक ऐसे पेस्ट का चयन करें जो फ्लोराइड मुक्त हो क्योंकि फ्लोराइड कुत्तों के लिए बहुत ही जहरीला होता है।

सिफारिश किया गया टीकाकरण - पालतू जानवरों को नियमित टीकाकरण और डीवॉर्मिंग की आवश्यकता होती है ताकि उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं ना हों।

  • 6 सप्ताह के कुत्ते को  canine distemper, canine hepatitis, corona viral enteritis, canine parainfluenza, parvo virus infection, leptospirosis का प्राथमिक टीकाकरण दें और फिर दूसरा टीकाकरण 2-3 सप्ताह से 16 सप्ताह के कुत्ते को दें और फिर वार्षिक टीकाकरण देना चाहिए।
  • रेबीज़ बीमारी के लिए 3 महीने की उम्र के कुत्ते को प्राथमिक टीकाकरण दें, पहले टीके के 3 महीने बाद दूसरा टीका लगवाएं और फिर वार्षिक टीका लगवाना चाहिए।

हानिकारक परजीवियों से अपने पालतु जानवरों को बचाने के लिए डीवॉर्मिंग अवश्य करवानी चाहिए। 3 महीने और इससे कम उम्र के कुत्ते को प्रत्येक 15 दिनों के बाद डीवॉर्मिंग करवानी चाहिए। 6-12 महीने के बीच के कुत्ते को दो महीने में एक बार डीवॉर्मिंग करवानी चाहिए और फिर 1 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के कुत्ते को प्रत्येक 3 सप्ताह बाद डीवॉर्मिंग करवानी चाहिए। डीवॉर्मिंग कुत्ते के भार के अनुसार विभिन्न होती है।

बीमारियां और रोकथाम-
कैंसर - इसके लक्षण हैं सांस लेने में कठिनाई, सुस्ती, तेजी से वजन घटना, अचानक लंगड़ापन, भूख की कमी और पेशाब में कठिनाई होना। अधिक उम्र के कुत्तों में यह बीमारी ज्यादातर पायी जाती है। मुख्य रूप से बोस्टन टेरियन, गोल्डन रिटिराइवरज़ और बॉक्सरज़ नस्लें हैं जिनमें ट्यूमर विकसित होता है और ग्रेट डेन्स और सेंट बर्नार्ड नसलों में हड्डियों का कैंसर मुख्यत: पाया जाता है।
इलाज - कैंसर की किस्म और अवस्था के आधार पर इलाज करवाना चाहिए। इलाज में मुख्यत: कीमोथेरेपी, रेडिएशन, सर्जरी और इम्यूनोथेरेपी शामिल होती है।

शूगर- यह बीमारी मुख्यत: इंसुलिन हारमोन की कमी या इंसुलिन की अपर्याप्त प्रतिक्रिया के कारण होती है। इसके लक्षण हैं, सुस्ती, उल्टियां, क्रॉनिक त्वचा संक्रमण, अंधापन, डीहाइड्रेशन, भार कम होना और बार बार पेशाब आना। मुख्य रूप से यह 6-9 वर्ष के कुत्तों में शूगर के कारण होता है। पूडलज़, केज हंड, डेशुंड, और सिनाउज़र, सैमाइड, टेरिअर नस्लों में यह बीमारी मुख्यत: पायी जाती है। गोल्डन रिट्रीवर और कीशोंड्ज़ नसल में जुवेनाइल डायबिटीज़ पायी जाती है।
इलाज - उचित रक्त नियमन के लिए इंसुलिन के इंजैक्शन जरूरी होते हैं।

हार्टवॉर्म - इसके लक्षण हैं सांस लेने में कठिनाई, उल्टियां, खांसी होना, भार कम होना और थकान होना। यह बीमारी मुख्यत: जानवर को जानवर से मच्छरों के द्वारा फैलती है।
इलाज-  हार्टवॉर्म बीमारी के इलाज के लिए एडल्टीसाइड्ज़ नाम की दवाई कुत्ते की मांसपेशी में दी जाती है।

केन्नल कफ- इसके लक्षण हैं आवाज के साथ सूखी खांसी, बुखार और नाक बहना।
इलाज - केन्नल कफ से राहत के लिए रोगाणुरोधी या खांसी कम करने वाली दवाई देने की सिफारिश की जाती है।

रेबीज़ - रेबीज़ के लक्षण हैं अतिसंवेदनशील, बुखार, भूख में कमी, कमज़ोरी, जबड़े और गले की मांसपेशियों का लकवाग्रस्त होना, अचानक मृत्यु आदि।
इलाज - कुत्ते को रेबीज़ एक बार हो जाने पर इसका कोई इलाज नहीं है। इस बीमारी के परिणामस्वरूप अचानक मृत्यु हो जाती है।

पारवोवायरस - इसके लक्षण हैं भूख में कमी, सुस्ती, अधिक उल्टी होना, रक्त और दुर्गंध वाला डायरिया आदि।
इलाज - 6-8 सप्ताह के कुत्ते को पारवोवायरस के टीके की सिफारिश की जाती है और फिर 16-20 सप्ताह तक इसे बूस्टर के तौर पर दिया जाता है।

दाद - इसके लक्षण हैं कानों, पंजों, सिर और शरीर के अगले भागों आदि पर धब्बों का पड़ना। दाद,  आकार में गोल और धब्बेदार होते हैं। कम उम्र के कुत्ते इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं।
इलाज - दाद के इलाज के लिए चिकित्सीय शैंपू या लेप की सिफारिश की जाती है।

केनिन डिस्टेम्पर - 3-6 महीने के कुत्ते इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इसके लक्षण हैं उल्टी, खांसी, डायरिया और निमोनिया।
इलाज - एंटीबायोटिक जैसे क्लोरमफेनीकोल या एम्पीसिलिन या जेंटामिसिन 5-7 दिनों के लिए दें।
रोकथाम - 7-9 सप्ताह के कुत्ते को पहला टीका लगवाना चाहिए और फिर दूसरा टीका 12-14 सप्ताह के बच्चे को लगवाना चाहिए।

लेप्टोसपिरोसिस - यह एक विषाणु रोग है जो कि लेप्टोस्पिरा केनीकोला और लेप्टोस्पिरा इक्टीरोहेमोरहाजिका  के कारण होता है। इसके लक्षण हैं शरीर के तापमान का बढ़ना, उल्टियां और यूरीमिया।

कुत्ता पालन व्यवसाय के लिए मार्केट अवलोकन-
मार्केट का अवलोकन से हमारा तात्पर्य आपके इस व्यवसाय की बाजार में कितनी डिमांड है. अगर हम समान्य तौर पर देखे, तो आजकल अधिकतर घरो में कुत्ते पाले जाते है, इसके अतिरिक्त विभिन्न जगहों जैसे खेत-खलियान, बाग बगीचो और शहरो में भी कई लोग विभिन्न जगहों पर रखवाली के लिए कुत्ते रखते है. इसके अलावा भी विभिन्न विभागो जैसे पुलिस, सीआईडी, स्पेशल फोर्स आदि में भी विशेष तरह के कुत्तों की आवश्यकता होती है. इसलिए इस व्यापार और अलग-अलग प्रजाति के कुत्तों की पूरे मार्केट में बहुत डिमांड है. अगर आप इस व्यापार को पूरी प्लानिंग से और सही मैनेजमेंट के साथ करे, तो आपको लाभ अवश्य होगा.

नर और मादा कुत्तों के लिए ब्रीडिंग की जानकारी -
अगर आप यह व्यवसाय शुरू करना चाहते है, तो आपको इसकी पूर्ण जानकारी होना चाहिए, ताकि आपकी वजह से किसी जानवर को कोई नुकसान ना पंहुचे. जब आप कुत्तों में ब्रीडिंग करवाते है, तो आपको निम्न बातों का ध्यान रखना होगा.

मादा कुत्तों में ब्रीडिंग के लिए आवश्यक शर्ते –
  • वे मादा कुत्ते जो अपनी आयु के 18 महीने पूर्ण कर चुके होते है, केवल वही प्रजनन के लिए उपयुक्त होते, इस आयु के पहले इनसे प्रजनन करवाना सही नहीं होगा. इसके अलावा ब्रीडिंग के 10 दिन पूर्व इन मादा कुत्तों की किसी लाइसेंस प्राप्त पशु चिकित्सक से निरीक्षण करवा लेना चाहिए, ताकि इस बात का पता चल सके, कि ये ब्रीडिंग के लिए तैयार है या नहीं.
  • आप किसी भी प्रकार के मादा कुत्तों को साल में 1 बार से अधिक प्रजनन के लिए बाध्य नहीं कर सकते, मादा कुत्ते केवल साल में एक बार प्रजनन कर सकते है.
  • कोई भी मादा कुत्ते अपने जीवन में 5 बार से अधिक प्रजनन नहीं कर सकते और आप उन्हे इससे अधिक प्रजनन के लिए बाध्य भी नहीं कर सकते.
नर कुत्तों में ब्रीडिंग के लिए आवश्यक शर्ते –
  • ब्रीडिंग के लिए कुत्तों का स्वास्थ्य और परिपक्व होना अनिवार्य है, इसके अलावा आप किसी भी नर कुत्ते को उसकी आयु के 18 महीने के बाद ही ब्रीडिंग के लिए प्रयोग कर सकते है.
  • ब्रीडिंग के 10 दिन पूर्व किसी भी लाइसेंस वाले पशुचिकित्सक से नर कुत्ते का परीक्षण आवश्यक है, ताकि उसके स्वास्थ्य को प्रमाणित किया जा सके.
कुत्ता पालन के लिए आवश्यक लाइसेंस  –
  • अगर आप एक साल में तीन से अधिक नस्ल के कुत्तों की ब्रीडिंग करवाते है और उन्हे बाजार में बेचते है, तो आपके लिए इस व्यवसाय का लाइसेंस लेना अनिवार्य है –
  • आपको सर्वप्रथम डॉग ब्रीडिंग लाइसेंस लेना अनिवार्य है, उसके लिए आपको सर्वप्रथम ऑनलाइन अप्लाय करना होगा और फिर आपके यहाँ इन्सपैक्शन के बाद ही आपको यह लाइसेंस दिया जाएगा.
  • इसके बाद आपको अपनी लोकल अथॉरिटी से भी कई पर्मिशन लेनी पड़ेगी.
  • इसके बाद आपको अपने व्यापार का रजिस्ट्रेशन करवाना और टीन नंबर लेना भी अनिवार्य है.
  • डॉग ब्रीडिंग का लाइसेंस केवल एक साल के लिए मान्य होता है और आपको प्रतिवर्ष इसे रेन्यु करवाना अनिवार्य है.

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