भगवान की आरती के लिए आपने लोगों को कपूर का इस्तेमाल करते देखा होगा। आस्था से हटकर अगर बात स्वास्थ्य की हो तो इस मामले में भी कपूर पीछे नहीं है। यह जानकर थोड़ी हैरानी जरूर हो रही होगी, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इसे एक औषधि की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। कई लोगों के मन में सवाल उठ सकता है कि कैसे? इस लेख में हम कपूर के फायदे और कपूर के उपयोग के साथ-साथ इससे जुड़े उन सभी पहलुओं को जानने की कोशिश करते हैं, जो इसे कई बीमारियों के उपचार का एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं। मगर, आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कपूर समस्या से राहत तो दिला सकता है, लेकिन पूर्ण उपचार डॉक्टरी सलाह पर ही निर्भर करता है।
कपूर क्या है? –
कपूर मोम के जैसा ही एक सफेद या पारदर्शी पदार्थ है, जो कुछ विशेष पेड़ों से प्राप्त किया जाता है। यह ज्वलशील होता है और इसकी महक तीव्र होती है। अलग-अलग स्थान पर पाए जाने वाले पेड़ों की उपलब्धता के आधार पर कपूर के मुख्य तीन प्रकार चलन में हैं। सिनामोमम कैम्फोरा प्रजाति के पेड़ों से प्राप्त कपूर जापानी कपूर कहलाता है, ड्रायोबैलानॉप्स ऐरोमैटिका प्रजाति से प्राप्त कपूर को भीमसेनी कपूर के नाम से जाना जाता है और कुकरौंधा प्रजातियों के पेड़ों से प्राप्त होने वाले कपूर को पत्री कपूर के नाम से जाना जाता है।
ऐसे में कपूर की उपलब्धता को किसी एक पेड़ या प्रजाति से जोड़ा नहीं जा सकता। इसकी प्रचुर उपलब्धता के आधार पर इसे कई अन्य प्रजातियों के पेड़ों से भी प्राप्त किया जाता है, जिनकी संख्या इतनी अधिक है कि उन सभी के बारे में यहां बता पाना संभव नहीं है।
कपूर के फायदे –
1. एंटीऑक्सीडेंट गुण से भरपूर
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक सिनामोमम ओस्मोफ्लोयम कानेह नाम के पेड़ में कपूर मुख्य घटक के रूप में पाया जाता है। साथ ही शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि इसमें पाए जाने वाले कपूर में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होता है। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि कपूर एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है ।
बता दें कि एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव शरीर को मुक्त कणों यानी फ्री रेडिकल्स से लड़ने की क्षमता देता है। फ्री रेडिकल्स के कारण ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा होता है, जो कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने के साथ अल्जाइमर (भूलने की बीमारी), हृदय रोग और डायबिटीज जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। इस कारण यह माना जा सकता है कि कपूर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण इन जैसी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।
2. उत्तेजक की तरह करता है काम
कपूर एक उत्तेजक के रूप में भी काम कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें उत्तेजना पैदा करने वाला प्रभाव पाया जाता है। बता दें ऐसे तत्वों को उत्तेजक की श्रेणी में गिना जाता है, जो शरीर के नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र में सुधार करने की क्षमता रखते हैं। कपूर अपने इस खास गुण के कारण तंत्रिका तंत्र से संबंधित कई समस्याओं को ठीक करने में मददगार साबित हो सकता है।
3. एंटीसेप्टिक गुण से समृद्ध
एंटीसेप्टिक का अर्थ है जीवाणु और सूक्ष्म जीवों से बचाव करने वाला। इस कारण जिन चीजों में एंटीबैक्टीरियल व एंटी माइक्रोबियल प्रभाव पाए जाते हैं, उन्हें एंटीसेप्टिक प्रभाव से परिपूर्ण माना जाता है। वहीं एमडीपीआईद्वारा किए गए एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि कपूर में एंटीबैक्टीरियल व एंटी माइक्रोबियल दोनों ही प्रभाव पाए जाते हैं । इस कारण यह कहा जा सकता है कि शरीर पर मौजूद हल्के-फुल्के घावों को सड़न से बचाने में कपूर मददगार साबित हो सकता है।
4. गैस्ट्रिक की समस्या में पहुंचाए आराम
गैस्ट्रिक जिसे आम भाषा में पेट में गैस की समस्या भी कहते हैं, में भी कपूर का उपयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस समस्या से राहत पाने के लिए कपूर के तेल का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, पेट में गैस की समस्या आमाशय में अधिक अम्लीयता के कारण होती है। वहीं कपूर की प्रवृत्ति क्षारीय होती है, जो अम्लीय प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है। इस कारण यह माना जा सकता है कि गैस्ट्रिक की समस्या में कपूर के तेल का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है।
5. दर्द से दिलाए आराम
कपूर को नारियल तेल में मिलाकर लगाने से मांशपेशियों में दर्द और ऐंठन से आराम पाया जा सकता है। साथ ही यह सूजन को कम करने का भी काम कर सकता है। वजह यह है कि कपूर में एनाल्जेसिक गुण (दर्द कम करने वाला) के साथ-साथ रूबेफेसीएंट (त्वचा की सूजन को कम करने वाला) प्रभाव भी पाया जाता है। इन दोनों प्रभाव के कारण कपूर दर्द को कम करने में सकारात्मक परिणाम प्रदर्शित कर सकता है।
6. कामेच्छा को बढ़ाने वाला
यौन संबंधों के प्रति रुझान बढ़ाने में भी कपूर का उपयोग लाभकारी माना जा सकता है। कपूर के औषधीय गुणों पर किए गए एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि इसमें एफ्रोडिसीएक यानी कामेच्छा को बढ़ाने की क्षमता पाई जाती है और कपूर के तेल का उपयोग इस मामले में फायदेमंद साबित हो सकता है। वहीं जरूरत से अधिक उपयोग के चलते यह एंटी-एफ्रोडिसीएक यानी कामेच्छा को कम करने जैसा प्रभाव भी प्रदर्शित कर सकता है। इसलिए, यहां इसके उपयोग के दौरान अत्यधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।
7. एंटी-न्यूरल्जिक
एंटी-न्यूरल्जिक शब्द का प्रयोग उस गुण के लिए किया जाता है, जो न्यूरेल्जिया तंत्रिका तंत्र में से संबंधित एक समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है। न्यूरेल्जिया में शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द और सूजन की समस्या होती है। वहीं इसमें मुख्य रूप से सिर और चेहरा प्रभावित होता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक कपूर में एनाल्जेसिक गुण के साथ-साथ रूबेफेसीएंट (त्वचा की सूजन को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। यह दोनों प्रभाव संयुक्त रूप से न्यूरेल्जिया में भी राहत पहुंचा सकते हैं (8)। इस कारण यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि कपूर को एंटी-न्यूरल्जिक के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
8. एंटीइन्फ्लामेट्री
दक्षिण कोरिया की जेजु नेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए कपूर के पेड़ के एक शोध में पाया गया कि इसके अर्क में एंटीइन्फ्लामेट्री (सूजन को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस कारण यह माना जा सकता है कि कपूर के पेड़ में मौजूद यह गुण कपूर में भी मौजूद होता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कपूर का उपयोग कई प्रकार की शारीरिक सूजन को कम करने में सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।
9. जलने से हुए घाव को ठीक करे
जैसा कि हम आपको लेख में पहले भी बता चुके हैं कि कपूर में एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाया जाता है। ऐसे में यह दोनों गुण जलने के कारण घाव में होने वाले इन्फेक्शन को दूर कर सकते हैं। वहीं एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक जले के घाव को ठीक करने वाली दवाइयों में भी तिल के तेल और शहद के साथ कपूर का उपयोग किया जाता है, जो काफी प्रभावी साबित होते हैं। इस कारण यह माना जा सकता है कि कपूर में कुछ हद तक जले के घाव में इन्फेक्शन के खतरे को कम करने के साथ उसे ठीक करने की भी क्षमता मौजूद होती है।
10. सर्दी खांसी को रखे दूर
सर्दी-खांसी से बचाव के उपाय के लिए कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर सीने पर लगाने की सलाह दी जाती है। बताया जाता है कि कपूर में एंटीवायरल (वायरस संक्रमण से बचाव करने वाला) और एंटीट्यूसिव (खांसी से बचाव व आराम दिलाने वाला) प्रभाव पाया जाता है। कपूर में मौजूद यह दोनों ही प्रभाव संयुक्त रूप से सर्दी व खांसी की समस्या को दूर रखने में सहायक साबित हो सकते हैं ।
11. गठिया की समस्या में पहुंचाए आराम
जैसा कि हम आपको लेख में पहले भी बता चुके हैं कि कपूर में एंटी इंफ्लामेटरी (सूजन कम करने वाला) और एनाल्जेसिक (दर्द को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है । यह दोनों ही गुण गठिया की समस्या के कारण जोड़ों में आने वाली सूजन को कम करने के साथ होने वाले दर्द में आराम दिलाने का भी काम कर सकते हैं। इस कारण यह माना जा सकता है कि कपूर के तेल की मालिश करने से गठिया की समस्या में लाभकारी परिणाम हासिल हो सकते हैं।
12. त्वचा के लिए है लाभकारी
कपूर के सेहत और स्वास्थ्य संबंधी कई गुणों के बारे में आपने जाना। इसके साथ ही कपूर में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल (त्वचा पर फंगस के प्रभाव को दूर करने वाला) गुण पाया जाता है, जो त्वचा संबंधी कई समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इस कारण कपूर को सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी फायदेमंद माना जा सकता है। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है।
कपूर के पौष्टिक तत्व –
जैसा कि हम आपको लेख में पहले ही बता चुके हैं कि कपूर को कुछ विशेष पेड़ों से अलग किया जाता है। इसलिए, इसमें पोषक तत्व नहीं होते। कपूर के पेड़ में जो रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं, उन्हीं तत्वों की मौजूदगी के कारण इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। यही कारण है कि यहां हम आपको कुछ रसायनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कपूर को एक उत्तम औषधि बनाते हैं।
- पिनेन
- कैम्फेन
- बी-पिनेन
- सैबिनेन
- फैलेंड्रेन
- लिमोनेन
- 1,8-सिनेओल
- वाई-टरपिनेन
- एम-साइमेन
- ए-टरपिनोलेन
- डी-कैम्फर
- लिनालूल
- टरपिनेन-4-ऑल
- कैरियोफिलेन
- सैफ्रोल
- यूजेनॉल
कपूर का उपयोग –
निम्न बिंदुओं के माध्यम से कपूर का उपयोग किया जा सकता है –
- कपूर को त्वचा संबंधी विकारों के लिए नारियल के तेल में मिलाकर लगाया जा सकता है।
- त्वचा से संबंधित समस्याओं के लिए नहाने के पानी में इसे मिलाकर भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
- दर्द और सूजन से राहत पाने के लिए इसे नारियल तेल के साथ मिलाकर मालिश की जा सकती है।
- सर्दी-जुकाम की स्थिति में सीने पर इसके तेल की मालिश करने की सलाह दी जाती है।
वहीं अगर आप औषधि के रूप में इसका सेवन करना चाहते हैं तो मिश्री के साथ 125 मिली कपूर की मात्रा ली जाने की सलाह दी जाती है, लेकिन सभी कपूर खाने योग्य नहीं होते। वहीं असंतुलित मात्रा में किया गया सेवन नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, जरूरी है कि सेवन से पहले इसकी ली जाने वाली मात्रा और प्रकार के बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लिया जाए।
कपूर के नुकसान –
कपूर के फायदों के बारे में तो आपने जान ही लिया, लेकिन अगर इसका गलत तरीके से या असंतुलित उपयोग किया जाता है तो यह कई दुष्परिणाम प्रदर्शित कर सकता है। अधिक मात्रा में सेवन, सूंघने और त्वचा पर उपयोग करने से कपूर के नुकसान देखने को मिल सकते हैं। कारण है इसमें मौजूद कुछ विषैले तत्व। आइए एक नजर इससे होने वाले दुष्परिणामों पर डाल लेते हैं :
- हल्के दुष्प्रभाव
- मतली
- उल्टी
- सिरदर्द
- चक्कर आना
- मांसपेशियों में उत्तेजना के कारण कंपकंपी और मरोड़
- त्वचा पर अधिक प्रयोग से खुजली व जलन
- सूंघने की स्थिति में नाक में खुजली व जलन
गंभीर दुष्प्रभाव
- बहुत अधिक मात्रा के कारण कई घंटों तक रहने वाली मिर्गी की स्थिति
- वहीं कुछ स्थितियों में कोमा व मृत्यु की परिस्थिति भी पैदा हो सकती है।
उम्मीद करते हैं कि कपूर क्या है और कपूर के फायदे कौन-कौन से हैं, इस बारे में आप अच्छे से समझ गए होंगे। साथ ही आपको इसके उपयोग से संबंधित जरूरी बातें भी मालूम हो गई होंगी। आप लेख में बताई गईं स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल नियंत्रित मात्रा में कर सकते हैं। साथ ही कपूर के नुकसान को भी ध्यान में जरूर रखें, ताकि इससे होने वाले सभी फायदों को प्रभावी ढंग से हासिल किया जा सके।
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