गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

16 अप्रैल 1857 के क्रांतिकारी विश्वनाथ शाहदेव ने बड़कागढ़ को घोषित कर दिया था आजाद

Image SEO Friendly

नोट -भारत की आजादी में शहीद हुए वीरांगना/जवानो के बारे में यदि आपके पास कोई जानकारी हो तो कृपया उपलब्ध कराने का कष्ट करे . जिसे प्रकाशित किया जा सके इस देश की युवा पीढ़ी कम से कम आजादी कैसे मिली ,कौन -कौन नायक थे यह जान सके । वैसे तो यह बहुत दुखद है कि भारत की आजादी में कुल कितने क्रान्तिकारी शहीद हुए इसकी जानकार भारत सरकार के पास उपलब्ध नही है। और न ही भारत सरकार देश की आजादी के दीवानो की सूची संकलन करने में रूचि दिखा रही जो बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है। 

रांची के शहीद चौक  पर हाथ में क्रांति की मशाल थामे दो मजबूत हाथों की  आकृति लोगों को आकर्षित करती है। इसी शहीद चैक के निकट जिला स्कूल है, जिसका नाम झारखंड सरकार ने ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के नाम पर रखा है। विद्यालय में स्थित एक कदंब के पेड़ पर ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को 16 अप्रैल, 1858 को फांसी दे दी गई। आज वह पेड़ नहीं है, पर उस स्थान पर भव्य शहीद स्तंभ हमें अमर शहीद विश्वनाथ शाहदेव के बलिदान की याद दिलाता है। अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का जन्म 12 अगस्त, 1817 को बड़कागढ़ की राजधानी सतरंजीगढ़ में हुआ था। उनके पिता ठाकुर रघुनाथ शाहदेव और माता चानेश्वरी देवी थे। बड़कागढ़ स्टेट उनके पितामह ठाकुर नाथन शाहदेव को नागवंशी महाराजा से प्राप्त हुई थी। बचपन से ही वे अंग्रेजी शासन के खिलाफ थे। अंग्रेजों के खिलाफ धीरे-धीरे वे जनता को संग्रहित करना शुरू करने लगे। 1840 में पिता की मृत्यु के बाद विश्वनाथ शाहदेव ने बड़कागढ़ की गद्दी संभाली। इसके लिए उन्होंने मुक्ति वाहिनी सेना बनाना शुरू किया। 

तत्कालीन बिहार में अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ चिंगारी सुलग रही थी। बाबू कुंवर सिंह एवं अन्य रजवाड़े ब्रिटिश पॉलिसी से बेहद नाराज थे। अंग्रेजों के टैक्स एवं लगान ने जनता को तबाह किया हुआ था। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने छोटानागपुर की जनता एवं जमींदारों को ब्रिटिश सत्ता से मुक्ति के लिए उलगुलान छेड़ दिया। इस अभियान में पांडेय गणपत राय, जय मंगल सिंह, नादिर अली खान, टिकैत उमराव सिंह, शेख भिखारी, बृजभूषण सिंह, चामा सिंह, शिव सिंह, रामलाल सिंह और विजय राम सिंह इकट्ठा होना शुरू किए, जिनका नेतृत्व ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने स्वीकार किया। मंगल पांडेय के मेरठ छावनी में 1857 में कारतूस कांड में विद्रोह हो चुका था। 

रामगढ़ में ब्रिटिश छावनी एवं रामगढ़ बटालियन में भी विद्रोह की आग सुलग रही थी। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने यहां शेख भिखारी और उमराव सिंह को भेजा। इनके संदेश के बाद रामगढ़ बटालियन में भी विद्रोह की भीतरी तैयारी शुरू हो गई। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव सैन्य संचालन की योजना बनाने लगे। सतरंजीगढ़ से अपनी राजधानी को हटिया लाने का श्रेय भी विश्वनाथ शाहदेव को ही जाता है। 1855 में ही अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूंका। अपने राज्य को अंग्रेजी सत्ता से स्वतंत्र घोषित कर दिया। डोरंडा छावनी से अंग्रेजी फौज ने हटिया पर आक्रमण किया। घमासान लड़ाई हुई एवं अंग्रेजी फौज को नुकसान झेलना पड़ा। लड़ाई के दौरान चतरा से लौटते हुए ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव पिठोरिया परगणैत जगतपाल सिंह के घर में आराम करने लगे। जगतपाल ने गद्दारी करे हुए घर की कुंडी चढ़ा दी और अंग्रेजों को खबर कर दी। वे पकड़ लिए गए। 16 अप्रैल, 1858 को वर्तमान रांची जिला स्कूल के सामने कदंब वृक्ष में उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की आजादी की लड़ाई से हिल गए अंग्रेजी प्रशासन ने उनके 97 गांवों की जागीर जब्त कर ली। 

विशेष यह भी जाने 
अभी थोड़े समय  पहले अहिंसा और बिना खड्ग बिना ढाल वाले नारों और गानों का बोलबाला था ! हर कोई केवल शांति के कबूतर और अहिंसा के चरखे आदि में व्यस्त था लेकिन उस समय कभी इतिहास में तैयारी हो रही थी एक बड़े आन्दोलन की ! इसमें तीर भी थी, तलवार भी थी , खड्ग और ढाल से ही लड़ा गया था ये युद्ध ! जी हाँ, नकली कलमकारों के अक्षम्य अपराध से विस्मृत कर दिए गये वीर बलिदानी  जानिये जिनका आज बलिदान दिवस ! आज़ादी का महाबिगुल फूंक चुके इन वीरो को नही दिया गया था इतिहास की पुस्तकों में स्थान !  किसी भी व्यक्ति के लिए अपने मुल्क पर मर मिटने की राह चुनने के लिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण चीज है- जज्बा या स्पिरिट। किसी व्यक्ति के क्रान्तिकारी बनने में बहुत सारी चीजें मायने रखती हैं, उसकी पृष्ठभूमि, अध्ययन, जीवन की समझ, तथा सामाजिक जीवन के आयाम व पहलू। लेकिन उपरोक्त सारी परिस्थितियों के अनुकूल होने पर भी अगर जज्बा  या स्पिरिट न हो तो कोई भी व्यक्ति क्रान्ति के मार्ग पर अग्रसर नहीं हो सकता। देश के लिए मर मिटने का जज्बा ही वो ताकत है जो विभिन्न पृष्ठभूमि के क्रान्तिकारियों को एक दूसरे के प्रति, साथ ही जनता के प्रति अगाध विश्वास और प्रेम से भरता है। आज की युवा पीढ़ी को भी अपने पूर्वजों और उनके क्रान्तिकारी जज्बे के विषय में कुछ जानकारी तो होनी ही चाहिए। आज युवाओं के बड़े हिस्से तक तो शिक्षा की पहुँच ही नहीं है। और जिन तक पहुँच है भी तो उनका काफी बड़ा हिस्सा कैरियर बनाने की चूहा दौड़ में ही लगा है। एक विद्वान ने कहा था कि चूहा-दौड़ की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि व्यक्ति इस दौड़ में जीतकर भी चूहा ही बना रहता है।  अर्थात इंसान की तरह जीने की लगन और हिम्मत उसमें पैदा ही नहीं होती। और जीवन को जीने की बजाय अपना सारा जीवन, जीवन जीने की तैयारियों में लगा देता है। जाहिरा तौर पर इसका एक कारण हमारा औपनिवेशिक अतीत भी है जिसमें दो सौ सालों की गुलामी ने स्वतंत्र चिन्तन और तर्कणा की जगह हमारे मस्तिष्क को दिमागी गुलामी की बेड़ियों से जकड़ दिया है। आज भी हमारे युवा क्रान्तिकारियों के जन्मदिवस या शहादत दिवस पर ‘सोशल नेट्वर्किंग साइट्स’ पर फोटो तो शेयर कर देते हैं, लेकिन इस युवा आबादी में ज्यादातर को भारत की क्रान्तिकारी विरासत का या तो ज्ञान ही नहीं है या फिर अधकचरा ज्ञान है। ऐसे में सामाजिक बदलाव में लगे पत्र-पत्रिकाओं की जिम्मेदारी बनती है कि आज की युवा आबादी को गौरवशाली क्रान्तिकारी विरासत से परिचित करायें ताकि आने वाले समय के जनसंघर्षों में जनता अपने सच्चे जन-नायकों से प्ररेणा ले सके। आज हम एक ऐसी ही क्रान्तिकारी साथी का जीवन परिचय दे रहे हैं जिन्होंने जनता के लिए चल रहे संघर्ष में बेहद कम उम्र में बेमिसाल कुर्बानी दी।    

No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"