पूर्वी उत्तर प्रदेश खासकर गोरखपुर का 1857 की क्रांति में अहम रोल रहा है। इस क्रान्ति के गरम दल के क्रांतिकारियों में चौरीचौरा के डुमरी बाबू गांव निवासी का अंग्रेजों में बेहद खौफ था। अंग्रेजों ने अलीनगर स्थित एक पेड़ पर फांसी देने का 6 बार प्रयास किया लेकिन हर बार फांसी का फंदा टूट जाता था। 7वीं बार मां जगदजननी का ध्यान कर फांसी के फंदे को चूमते हुए उन्होंने कहा, ”हे मां अब मुझे मुक्ति दो।” पेड़ से निकली थी रक्त की धारा…
- एक तरफ अलीनगर स्थित इस पेड़ पर 12 अगस्त 1857 को क्रांतिकारी बंधू सिंह को फांसी के फंदे पर लटकाया गया। उसी वक्त यहां से 25 किमी दूर देवीपुर के जंगल में उनके द्वारा स्थापित मां की पिंडी के बगल में खड़ा तरकुल का पेड़ का सिरा टूटकर जमींन पर गिर गया।
- इस टूटे तरकुल के पेड़ से रक्त की धारा निकल पड़ी। यहीं से इस देवी का नाम माता तरकुलहा के नाम से प्रसिद्द हो गया। मंदिर में भक्तों द्वारा सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
- यहां वैसे तो हमेशा श्रद्धालुओं का आना रहता है लेकिन चैत्र नवरात्र में यहां एक माह तक मेला चलता है।
- बंधू सिंह ने स्थापित की थी मां की पिंडी
- स्थानीय निवासी राजेश कुमार जायसवाल ने कहा, ”बात 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से पहले की है। इस इलाके में जंगल हुआ करता था। यहां पास से गोर्रा नदी बहती थी। जो अब नाले में तब्दील हो चली है।”
- ”यहीं समीप ही डुमरी रियासत के बाबू बंधू सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। उन्होंने अंग्रेजों को देश से भगा देने के लिए ठान ली थी। अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए गोर्रा नदी के जंगलों में बाबू बंधू सिंह रहा करते थे।”
- ”नदी के तट पर तरकुल (ताड़) के पेड़ के नीचे पिंडियां स्थापित कर वह देवी की उपासना किया करते थे। देवीपुर की यह देवी बाबू बंधू सिंह की इष्ट देवी थी। जो उनके शहीद होने के बाद तरकुलहा देवी के नाम से प्रसिद्द है।”
अंग्रेज सैनिकों की गर्दन धड़ से अलग कर सिर चढ़ा देते थे मां को
- शहीद बंधू सिंह के परिजन बीजेपी नेता अजय सिंह ने कहा, ”जब बंधू सिंह बड़े हुए तो उनके दिल में भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आग जलने लगी। ऐसा उनके पूर्वजों ने बताया कि बंधू सिंह गुरिल्ला लड़ाई में माहिर थे, इसलिए जब भी कोई अंग्रेज उस जंगल से गुजरता, बंधू सिंह उसकी गर्दन धड़ से अलग कर सिर मां शक्ति स्वरूपा पिंडी पर चढ़ा देते।”
- ”जब कई सैनिक जंगल में जाकर नहीं लौटे तो अंग्रेज यहां समझते रहे कि सिपाही जंगल में जाकर लापता हो जा रहे हैं।”
- इतिहासकार डॉ. दानपाल सिंह ने कहा, ”पहले तो अंग्रेज अफसर यह समझते रहे कि सैनिक जंगलों में जंगली जानवरों का शिकार हो रहे हैं। बाद में धीरे-धीरे उन्हें भी पता लग गया कि अंग्रेज सिपाही बंधू सिंह के हाथों बलि चढ़ाएं जा रहे हैं।”
- ”अंग्रेजों ने बंधू सिंह की तलाश में जंगल में एक बड़ा तलाशी अभियान चला दिया। बहुत तलाश के बाद भी बंधू सिंह उनके हाथ नहीं आए। उस समय भी गद्दारों की कोई कमी नहीं थी।”
- ”बंधू सिंह को सरदार मजीठिया की मुखबिरी के चलते अंग्रेजों ने पकड़ लिया। कोर्ट में उन्हें पेश किया गया फिर गोरखपुर के अलीनगर चौराहे पर सरेआम उन्हें फांसी दी गई।”
- मंदिर के पुजारी दिलीप त्रिपाठी ने कहा, ”बंधू को उधर फांसी का फंदा लगा और इधर तरकुल का पेड़ का सिरा टूट गया और खून की धारा काफी देर तक बहती रही।”
बकरे-मुर्गे की बलि के मीट को प्रसाद के रूप में खाते हैं भक्त
यह देश का इकलौता मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में मटन दिया जाता हैं। बंधू सिंह ने अंग्रेजों के सिर चढ़ा के जो बलि कि परम्परा शुरू की थी वो आज भी जारी है।
अंतर इतना है कि अब यहां पर मां को बकरे-मुर्गे की बलि चढ़ाई जाती है। उसके बाद मांस को मिट्टी के बरतनों में पका कर प्रसाद के रूप में बांटा जाता हैं। साथ में बाटी भी दी जाती है। बलि पर विवाद – पुराने समय में देवी के कई मंदिरों में बलि कि परम्परा थी। समय के साथ साथ लगभग सभी जगह से यह परम्परा बंद कर दी गई। यहां तरकुलहा देवी के मंदिर में यह अब भी चालू है हांलाकि इस पर अब काफी विवाद है। इसे बंद कराने के लिए कोर्ट में केस भी चल रहा है
No comments:
Post a Comment
कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।
अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।