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डायपर रैशेज के कारण, लक्षण व घरेलू इलाज

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बच्चों में डायपर रैशेस एक आम समस्या है जिसके कारण बच्चे की त्वचा या कूल्हों पर रैशेस पड़ जाते हैं और यह आमतौर पर डायपर पहनाने के कारण होता है। इसे डायपर डर्मेटाइटिस भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का संक्रमण होता है जो बच्चे की त्वचा अधिक नाजुक और संवेदनशील होने के कारण ही उन्हें प्रभावित करता है। इसलिए चाहे बच्चे की कितनी भी अच्छे तरीके से देखभाल की जाए लेकिन एक समय ऐसा आता है जब उसे डायपर रैशेस की समस्या हो ही जाती है। हालांकि शिशु पर बहुत विशेष ध्यान (special care) देकर और उसके पेशाब या मल करने के तुरंत बाद डायपर बदलकर इस समस्या से उसे बचाया जा सकता है।

शिशु में डायपर रैश के कारण –
आमतौर पर हर मां अपने शिशु का बहुत अच्छे से देखभाल करती है लेकिन इसके बावजूद भी बच्चे की त्वचा नाजुक और संवेदनशील होने के कारण उसे किसी न किसी कारण से संक्रमण हो ही जाता है। शिशु में डायपर रैशेस आमतौर पर कई कारणों से होते हैं।

  • शिशु को डायपर रैशेस होने का पहला कारण त्वचा रोग (skin disease) के संपर्क में आना है। यदि बच्चे का डायपर गीला है और उसे लंबे समय तक न बदला जाए तो इसके कारण बच्चे की त्वचा पर रैशेस आ जाते हैं।
  • बच्चे की त्वचा बहुत तेजी से संक्रमण के चपेट में आ जाती है। शिशु में बैक्टीरिया या कवक के कारण त्वचा संक्रमित हो जाती है जिसके कारण उसे डायपर पहनाने पर बहुत आसानी से रैशेज आ जाते हैं।
  • यदि बच्चे को एलर्जिक रिएक्शन हो तो इसके कारण भी उसे डायपर पहनाने पर रैशेस आ जाते हैं।
  • बार-बार मल और पेशाब करने के कारण शिशु की त्वचा लाल हो जाती है और डायपर पहनाने पर रैशेस आने की संभावना बनी रहती है।
  • बच्चे को डायरिया की समस्या होने पर भी उसे डायपर रैशेज आ जाते हैं।


शिशु में डायपर रैश के लक्षण –

बच्चो की त्वचा या कूल्हों पर डायपर रैशेज के लक्षण निम्न तरीकों से पहचाने जा सकते हैं।
  • प्रभावित त्वचा का अधिक लाल पड़ जाना।
  • त्वचा पर छोटे-छोटे दाने या फफोले (blisters) आ जाना।
  • प्रभावित स्थान पर छोटे पिंपल आ जाना।
  • शिशु की त्वचा छिल जाना।


बच्चो के डायपर रैशेस हटाने के लिए बेहतर घरेलू उपचार –
आमतौर पर छोटे बच्चों को हमेशा कोई न कोई समस्या जकड़े रहती है लेकिन बच्चे को हर बार डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत नहीं होती है। बच्चों से जुड़ी कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जिनका घर पर भी बहुत अच्छे से इलाज किया जा सकता है। तो आइये जानते हैं कि शिशु को डायपर रैशेस से बचाने के लिए क्या घरेलू उपाय अपनाना चाहिए।

शिशु को डायपर रैश से बचाने का घरेलू इलाज नारियल का तेल –
शिशु की कोमल त्वचा से डायपर के रैशेस हटाने के लिए प्रभावित जगह पर नारियल का तेल लगाने से रैशेज गायब हो जाते हैं। बच्चे की त्वचा के लिए नारियल का तेल सबसे सुरक्षित माना जाता है और डायपर रैशेज दूर करने के लिए यह कई प्राकृतिक उपचारों में से एक है। नारियल के तेल में संतृप्त वसा (saturated fats) पायी जाती है जो बच्चे की त्वचा को मॉश्चराइज करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाये जाते हैं जो रैशेस के इलाज में मदद करता है। सौ प्रतिशत शुद्ध आधा चम्मच नारियल का तेल अपनी हथेली पर लेकर शिशु के कूल्हों पर हल्के हाथों से मसाज करें। डारपर रैशेस गायब हो जाएंगे।

दही है डायपर रैश का उपचार –
दही में प्रोबायोटिक्स और एंटीइंफ्लैमेटरी गुण पाया जाता है जिसके कारण यह यीस्ट संक्रमण और माइक्रोबियल संक्रमण को बहुत प्रभावी तरीके से ठीक करने में मदद करता है। दही में ये सभी गुण एक साथ मौजूद होने के कारण यह डायपर रैशेज के लिए एक बेहतर घरेलू उपचार है। यदि आपका बच्चा दूध पीने के अलावा कुछ ठोस पदार्थ (solids) भी खाता है तो उसे प्रतिदिन दही खिलाएं। लेकिन यदि शिशु दही नहीं खाता है तो उसके कूल्हों (baby’s bottom) में दही की मोटी परत लगाएं और कुछ देर बाद धो दें। बच्चे की त्वचा से डायपर रैशेस आपको गायब मिलेंगे।

बचो के रशेस का इलाज एलोवेरा से –
गुणकारी औषधि होने के कारण एलोवेरा का उपयोग सदियों से बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है। यदि आपका शिशु डायपर रैशेस से बेचैन है तो आप बच्चे की त्वचा पर एलोवेरा का रस या एलोवेरा जेल लगाकर हल्के हाथों में मालिश करें। एलोवेरा में एंटीइंफ्लैमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाया जाता है जिसके कारण वह डायपर रैशेस से त्वचा पर उत्पन्न बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। इसलिए डायपर रैशेस के इलाज में एलोवेरा बहुत फायदेमंद होता है।


डायपर रैश का घरेलू उपचार मां के स्तन का दूध –
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि शिशु को डायपर रैशेस से बचाने के लिए स्तन का दूध सबसे सुरक्षित और एक बेहद आसान उपचार है। हर मां को यह पहले से ही पता होता है कि शिशु को भरपूर स्तनपान कराने से उसकी इम्यूनिटी मजबूत होती है जिससे वह विभिन्न बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो पाता है। इसलिए यदि बच्चे के त्वचा पर डायपर के कारण रैशेस आ जाएं तो प्रभावित त्वचा पर स्तन का दूध लगाएं। इससे डायपर रैशेस ठीक हो जाते हैं।


डायपर रैश ट्रीटमेंट पेट्रोलियम जेली से –
यह एक प्राकृतिक मॉश्चराइजर है और इसमें एंटीइंफ्लैमेटरी गुण पाये जाते हैं जिसके कारण पेट्रोलियम जेली डायपर रैशेस को ठीक करने में बहुत सहायक होती है। इसके अलावा यह डायपर से उत्पन्न संक्रमण को भी दूर करती है और सूक्ष्म जीवों (microbes) से शिशु की त्वचा की सुरक्षा (safety) करती है। बच्चे के कूल्हों को हल्के गुनगुने पानी से अच्छी तरह से साफ कर लें और फिर इसे कपड़े से पोछकर त्वचा के ऊपर पेट्रोलियम जेली की पतली परत (thin layer) लगाएं। यह डायपर रैशेस के इलाज के लिए एक अचूक उपाय है।

बच्चों के रशेस का इलाज चाय और शहद –
यदि शिशु की त्वचा पर डायपर रैशेस के कारण उसे बहुत बेचैनी और तेज खुजली हो रही हो तो इसे जल्द से जल्द ठीक करने के लिए दो कप कैमोमाइल चाय (chamomile tea) को शहद में मिलाएं और इसे एक स्प्रे बॉटल में भरकर रख लें। इसके बाद दिन में कई बार प्रभावित जगह पर इस पेस्ट का छिड़काव करें। कैमोमाइल चाय और शहद में एंटीसेप्टिक गुण पाये जाते हैं जो डायपर रैशेज को जल्द ठीक करने में मदद करते हैं।


डायपर साइड इफेक्ट दूर करे एपल साइडर विनेगर –
एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच एपल साइडर विनेगर अच्छी तरह से मिलाएं और इसमें एक साफ कपड़े का एक टुकड़ा भिगोकर इससे पानी निचोड़ लें और डायपर रैशेस से प्रभावित बच्चे की त्वचा को उस कपड़े से पोछें। दिन में तीन से चार बार यह प्रक्रिया अपनाएं, बच्चे को जल्द ही डायपर रैशेस से निजात मिल जाएगी। एपल साइडर विनेगर मुख्य रूप से एसिटिक एसिड से बनाया जाता है जो एक प्राकृतिक कीटाणुरोधक(disinfectant) होता है। इसके अलावा इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाये जाते हैं जिसके कारण यह डायपर रैशेज को बहुत आसानी से (easily) ठीक कर देता है।


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